वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • प्रेषितों 28
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

प्रेषितों का सारांश

      • माल्टा के किनारे जा पहुँचे (1-6)

      • पुबलियुस का पिता बीमारी से ठीक हुआ (7-10)

      • रोम की तरफ (11-16)

      • रोम में पौलुस यहूदियों से बात करता है (17-29)

      • पौलुस दो साल तक निडरता से प्रचार करता है (30, 31)

प्रेषितों 28:1

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 27:26

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2004, पेज 30-31

प्रेषितों 28:2

फुटनोट

  • *

    या “दूसरी भाषा बोलनेवालों।”

  • *

    या “इंसानियत के नाते कृपा।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 209-210

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2002, पेज 19

    5/1/1999, पेज 30

प्रेषितों 28:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 210

    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/1991, पेज 16

प्रेषितों 28:4

फुटनोट

  • *

    या “दूसरी भाषा बोलनेवाले।”

  • *

    यूनानी में डायकी। शायद यह शब्द उस देवी के लिए इस्तेमाल हुआ है जिसे बदला चुकाकर इंसाफ देनेवाली माना जाता था। या शायद यहाँ न्याय के गुण की बात की गयी है।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 210

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1999, पेज 30-31

प्रेषितों 28:6

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 210

प्रेषितों 28:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 210

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 16

प्रेषितों 28:8

संबंधित आयतें

  • +लूक 4:38, 39

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 210

प्रेषितों 28:9

संबंधित आयतें

  • +मत 10:8

प्रेषितों 28:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/1992, पेज 23

प्रेषितों 28:11

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 211

    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/1991, पेज 16

    5/1/1990, पेज 31

प्रेषितों 28:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 211

प्रेषितों 28:13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 211

प्रेषितों 28:14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 211-212

प्रेषितों 28:15

संबंधित आयतें

  • +2कुर 1:3, 4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 212-213

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2020, पेज 16-17

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2004, पेज 16-17

प्रेषितों 28:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 213

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2013, पेज 14

प्रेषितों 28:17

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 24:11, 12; 25:8
  • +प्रेष 21:33

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 213-214

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2001, पेज 24

प्रेषितों 28:18

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 24:10
  • +प्रेष 23:26, 29; 25:24, 25; 26:31, 32

प्रेषितों 28:19

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 25:11, 12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 213-214

प्रेषितों 28:20

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 23:6; 26:6; इफ 6:19, 20; 2ती 1:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 214-215

प्रेषितों 28:21

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 214

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2001, पेज 24

प्रेषितों 28:22

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 24:14
  • +लूक 2:34; यूह 15:19

प्रेषितों 28:23

संबंधित आयतें

  • +यूह 5:46
  • +प्रेष 17:2, 3; 26:22, 23

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 215

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2012, पेज 12-13

प्रेषितों 28:24

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/2003, पेज 22-23

प्रेषितों 28:25

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 215

    यशायाह की भविष्यवाणी-I, पेज 100

प्रेषितों 28:26

संबंधित आयतें

  • +रोम 11:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यशायाह की भविष्यवाणी-I, पेज 100

प्रेषितों 28:27

संबंधित आयतें

  • +यश 6:9, 10; मत 13:14, 15

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 215

    यशायाह की भविष्यवाणी-I, पेज 100

प्रेषितों 28:28

संबंधित आयतें

  • +लूक 3:4, 6; प्रेष 13:45, 46; 22:21; रोम 11:11
  • +भज 67:2; 98:3; यश 11:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 215

प्रेषितों 28:29

फुटनोट

  • *

    अति. क3 देखें।

प्रेषितों 28:30

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 28:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 216-217

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2013, पेज 14-15

    2/1/2007, पेज 32

    12/15/2001, पेज 24

    2/1/1991, पेज 16

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (1थिस्स-प्रका), पेज 6

प्रेषितों 28:31

फुटनोट

  • *

    या “निडर होकर।”

संबंधित आयतें

  • +इफ 6:19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 216-217

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2013, पेज 14-15

    2/1/2007, पेज 32

    5/15/2006, पेज 14

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

प्रेषि. 28:1प्रेष 27:26
प्रेषि. 28:8लूक 4:38, 39
प्रेषि. 28:9मत 10:8
प्रेषि. 28:152कुर 1:3, 4
प्रेषि. 28:17प्रेष 24:11, 12; 25:8
प्रेषि. 28:17प्रेष 21:33
प्रेषि. 28:18प्रेष 24:10
प्रेषि. 28:18प्रेष 23:26, 29; 25:24, 25; 26:31, 32
प्रेषि. 28:19प्रेष 25:11, 12
प्रेषि. 28:20प्रेष 23:6; 26:6; इफ 6:19, 20; 2ती 1:16
प्रेषि. 28:22प्रेष 24:14
प्रेषि. 28:22लूक 2:34; यूह 15:19
प्रेषि. 28:23यूह 5:46
प्रेषि. 28:23प्रेष 17:2, 3; 26:22, 23
प्रेषि. 28:26रोम 11:8
प्रेषि. 28:27यश 6:9, 10; मत 13:14, 15
प्रेषि. 28:28लूक 3:4, 6; प्रेष 13:45, 46; 22:21; रोम 11:11
प्रेषि. 28:28भज 67:2; 98:3; यश 11:10
प्रेषि. 28:30प्रेष 28:16
प्रेषि. 28:31इफ 6:19
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
  • 6
  • 7
  • 8
  • 9
  • 10
  • 11
  • 12
  • 13
  • 14
  • 15
  • 16
  • 17
  • 18
  • 19
  • 20
  • 21
  • 22
  • 23
  • 24
  • 25
  • 26
  • 27
  • 28
  • 29
  • 30
  • 31
पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
प्रेषितों 28:1-31

प्रेषितों के काम

28 जब हम सही-सलामत किनारे पहुँच गए, तो हमें मालूम हुआ कि उस द्वीप का नाम माल्टा है।+ 2 उस द्वीप के लोगों* ने हम पर अनोखी कृपा* की और हमारी बहुत मदद की। उन्होंने हमारे लिए आग जलायी क्योंकि बारिश हो रही थी और बहुत ठंड थी। 3 जब पौलुस ने लकड़ियों का एक गट्ठर बटोरकर आग पर रखा, तो गरमी की वजह से गट्ठर के अंदर से एक ज़हरीला साँप निकला और पौलुस के हाथ से लिपट गया। 4 जब द्वीप के लोगों* ने देखा कि एक ज़हरीला साँप उसके हाथ से लटक रहा है, तो वे एक-दूसरे से कहने लगे, “यह आदमी ज़रूर कोई खूनी है। यह समुंदर से तो बच गया मगर इंसाफ* ने इसकी जान नहीं बख्शी।” 5 पौलुस ने हाथ झटककर साँप को आग में झोंक दिया मगर पौलुस को कुछ नहीं हुआ। 6 फिर भी लोग उम्मीद कर रहे थे कि पौलुस का शरीर सूज जाएगा या वह अचानक गिरकर मर जाएगा। उन्होंने काफी देर तक इंतज़ार किया और जब उन्होंने देखा कि उसके साथ कुछ बुरा नहीं हुआ है, तो उन्होंने अपनी राय बदल दी और कहने लगे कि यह ज़रूर कोई देवता है।

7 वहीं पास में द्वीप के प्रधान पुबलियुस की ज़मीनें थीं। उसने बड़े प्यार से हमारा स्वागत किया और तीन दिन तक हमारी खातिरदारी की। 8 पुबलियुस का पिता बिस्तर पर बीमार पड़ा था। उसे बुखार था और पेचिश हो गयी थी। पौलुस उसके पास गया और उसने प्रार्थना की, उस पर अपने हाथ रखे और उसे ठीक किया।+ 9 जब ऐसा हुआ, तो द्वीप के बाकी बीमार लोग भी पौलुस के पास आने लगे और ठीक हुए।+ 10 फिर उन्होंने हमें कई तोहफे देकर हमारा सम्मान किया और जब हम जहाज़ पर चढ़कर जाने लगे, तो उन्होंने हमें ज़रूरत का ढेर सारा सामान दिया।

11 तीन महीने बाद हम सिकंदरिया के एक जहाज़ से रवाना हुए, जो पूरी सर्दी उसी द्वीप पर रुका हुआ था। उस जहाज़ के सामने की तरफ “ज़्यूस के बेटों” की निशानी बनी हुई थी। 12 फिर हम सुरकूसा के बंदरगाह में लंगर डालकर तीन दिन वहीं रहे। 13 वहाँ से हम रवाना हुए और रेगियुम पहुँचे। एक दिन बाद दक्षिणी हवा चली और हम अगले ही दिन पुतियुली पहुँच गए। 14 यहाँ हमें मसीही भाई मिले और उन्होंने हमसे बिनती की कि हम उनके यहाँ सात दिन ठहरें। इसके बाद हम रोम की तरफ निकल पड़े। 15 जब भाइयों ने हमारे आने की खबर सुनी, तो वे हमसे मिलने अपियुस के बाज़ार तक और तीन सराय तक आए। भाइयों को देखते ही पौलुस ने परमेश्‍वर को धन्यवाद दिया और हिम्मत पायी।+ 16 आखिरकार जब हम रोम पहुँचे, तो पौलुस को अकेले रहने की इजाज़त मिली और उस पर पहरा देने के लिए एक सैनिक ठहराया गया।

17 तीन दिन बाद उसने यहूदियों के खास आदमियों को अपने यहाँ बुलाया। जब वे इकट्ठा हुए, तो वह उनसे कहने लगा, “भाइयो, मैंने अपने लोगों या अपने पुरखों के रीति-रिवाज़ों के खिलाफ कुछ नहीं किया।+ फिर भी मुझे यरूशलेम में कैदी बनाकर रोमियों के हाथ सौंप दिया गया।+ 18 उन्होंने मामले की जाँच करने के बाद+ मुझे छोड़ देना चाहा क्योंकि मुझे मौत की सज़ा देने के लिए उन्हें मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।+ 19 मगर जब यहूदियों ने एतराज़ जताया, तो मुझे मजबूरन सम्राट से फरियाद करनी पड़ी,+ लेकिन मेरा इरादा यह नहीं था कि अपनी जाति पर कोई दोष लगाऊँ। 20 इसीलिए मैंने तुम्हें बुलाने और तुमसे बात करने की बिनती की थी, क्योंकि इसराएल को जिसकी आशा थी उसकी वजह से मैं इन ज़ंजीरों में जकड़ा हुआ हूँ।”+ 21 उन्होंने पौलुस से कहा, “हमें तेरे बारे में न तो यहूदिया से चिट्ठियाँ मिली हैं, न ही वहाँ से आए किसी यहूदी भाई ने तेरे बारे में खबर दी या कुछ बुरा कहा। 22 मगर हमें लगता है कि जो भी तेरे विचार हैं वे तुझी से सुनना सही होगा, क्योंकि जहाँ तक हमें इस गुट के बारे में मालूम हुआ है,+ सब जगह लोग इसके खिलाफ ही बात करते हैं।”+

23 उन्होंने उसके साथ एक दिन तय किया और उसके ठहरने की जगह पर भारी तादाद में इकट्ठा हुए। पौलुस ने सुबह से शाम तक उन्हें परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दी और समझाता रहा। वह मूसा के कानून+ और भविष्यवक्‍ताओं की किताबों से यीशु के बारे में दलीलें देकर उन्हें कायल करता रहा।+ 24 उनमें से कुछ लोगों ने उसकी बातों पर यकीन किया मगर दूसरों ने नहीं। 25 उनके बीच मतभेद हो गया इसलिए वे वहाँ से जाने लगे। तब पौलुस ने उनसे एक और बात कही,

“पवित्र शक्‍ति ने भविष्यवक्‍ता यशायाह के ज़रिए तुम्हारे पुरखों से बिलकुल सही कहा था, 26 ‘जाकर इन लोगों से कह, “तुम लोग सुनोगे मगर सुनते हुए भी बिलकुल नहीं समझोगे। और देखोगे मगर देखते हुए भी बिलकुल नहीं देख पाओगे।+ 27 क्योंकि इन लोगों का मन सुन्‍न हो चुका है। वे अपने कानों से सुनते तो हैं, मगर कुछ करते नहीं। उन्होंने अपनी आँखें मूँद ली हैं ताकि न वे कभी अपनी आँखों से देखें, न अपने कानों से सुनें और न कभी उनका मन इसे समझे और न वे पलटकर लौट आएँ और मैं उन्हें चंगा करूँ।”’+ 28 इसलिए तुम जान लो कि परमेश्‍वर की तरफ से मिलनेवाले इस उद्धार का संदेश, गैर-यहूदियों के पास भेजा गया है+ और वे इसे ज़रूर सुनेंगे।”+ 29* —

30 पौलुस पूरे दो साल तक किराए के मकान में रहा+ और जितने भी लोग उसके यहाँ आते उनका वह प्यार से स्वागत करता रहा। 31 वह उनको परमेश्‍वर के राज का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह के बारे में बेझिझक* और बिना किसी रुकावट के सिखाता रहा।+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें