परमेश्वर की उपासना करने में दूसरों की मदद करना
“परन्तु . . . कोई अविश्वासी या अनपढ़ा मनुष्य भीतर आ जाए . . . उसके मन के भेद प्रगट हो जाएंगे, और तब वह मुंह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत करेगा।”—१ कुरिन्थियों १४:२४, २५.
१-३. कुरिन्थ में कई व्यक्तियों ने परमेश्वर का अनुमोदन कैसे पाया?
अपनी दूसरी मिशनरी यात्रा पर, प्रेरित पौलुस कुरिन्थ शहर में डेढ़ वर्ष निवास किया। वहाँ पर वह “वचन सुनाने की धुन में लगकर गवाही देता था।” परिणाम क्या था? “बहुत से कुरिन्थी सुनकर विश्वास लाए और बपतिस्मा लिया।” (प्रेरित १८:५-११) वे “पवित्र किए गए, और पवित्र होने के लिए बुलाए गए।”—१ कुरिन्थियों १:२.
२ बाद में अपुल्लोस कुरिन्थ की यात्रा की। इससे पहले, प्रिस्किल्ला और अक्विला ने उसे “परमेश्वर का मार्ग और भी ठीक ठीक” समझने में मदद की, जिस में बपतिस्मा का विषय भी शामिल था। इस तरह वह एक ऐसा मसीही बना जिसके पास परमेश्वर की सदिच्छा या अनुमोदन था। (प्रेरित १८:२४-१९:७) दूसरी ओर, अपुल्लोस ने कुरिन्थियों की मदद की जो कभी ‘गूंगी मूरतों के पीछे चलाए जाते थे।” (१ कुरिन्थियों १२:२) सम्भवतः इन लोगों को अपने घरों में बाइबल की शिक्षा दी गई थी; वे मसीही सभाओं में उपस्थित होने के द्वारा भी सीख सकते थे।—प्रेरित २०:२०; १ कुरिन्थियों १४:२२-२४.
३ ऐसे शिक्षण का परिणाम यह था कि कई पहले के ‘अविश्वासी और साधारण व्यक्तियाँ’ सच्ची उपासना की ओर आकर्षित हो गए। पुरुषों और स्त्रियों को बपतिस्मा और परमेश्वर के अनुमोदन की ओर प्रगति करते हुए देखना कितना संतोषजनक सिद्ध हुआ होगा! अब भी यह संतोषजनक सिद्ध हो रहा है।
‘अविश्वासियों और साधारण व्यक्तियों’ की मदद करना
४. कुरिन्थ के लोगों के समान आज बहुतों की सहायता किन मार्गों से की जाती है?
४ आज के यहोवा के गवाह भी “सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और बपतिस्मा” देने के यीशु के आदेश का पालन कर रहे हैं। (मत्ती २८:१९, २०) ग्रहणशील हृदयों में सत्य के बीज बोने के बाद, वे लौटते हैं और इन्हें सींचते हैं। (१ कुरिन्थियों ३:५-९; मत्ती १३:१९, २३) ये गवाह मुफ्त साप्ताहिक गृह-बाइबल अध्ययनों का प्रस्ताव करते हैं ताकि लोगों को उनके प्रश्नों का उत्तर मिल सके और वे बाइबल सच्चाइयाँ सीख सकें। ऐसे व्यक्तियों को यहोवा के गवाहों की सभाओं में उपस्थित रहने के लिए भी आमत्रिंत किए जाते हैं जैसे कि पहली सदी के “अविश्वासी” कुरिन्थ में उपस्थित हुआ करते थे लेकिन उन व्यक्तियों की ओर यहोवा के गवाहों का क्या दृष्टिकोण होना चाहिए जो बाइबल का अध्ययन कर रहे हैं और सभाओं में आते हैं?
५. कुछ व्यक्तियों से व्यवहार करते समय सावधानी रखने का क्या शास्त्रीय आधार है?
५ हम उन्हें परमेश्वर के निकट जाते हुए देखने से हर्षित हैं। फिर भी, हम यह याद रखते हैं कि वे अब बपतिस्मा पाए हुए विश्वासी नहीं हैं। पिछले लेख पर आधारित उन दो चेतावनियों को भी याद करें। (१) इस्राएलियों ने उन विदेशी उपनिवेशियों की ओर सावधानी प्रदर्शित की, जो परमेश्वर के लोगों के बीच होने और कुछ नियमों का पालन करने पर भी, खतना किए हुए धर्मान्तरित उपासना में भाई नहीं थे। (२) कुरिन्थी मसीही जो ‘अविश्वासियों और साधारण व्यक्तियों’ से व्यवहार करते थे, पौलुस के शब्दों के कारण सचेत रहे: “अविश्वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो, क्योंकि धार्मिकता और अधर्म का क्या मेल जोल?”—२ कुरिन्थियों ६:१४.
६. “अविश्वासियों” को सभाओं के द्वारा कैसे “दोषी ठहराये” जा सकते हैं और यह किस प्रकार का फटकार है?
६ इसलिए जब हम ‘अविश्वासियों और साधारण व्यक्तियों’ का स्वागत करते हैं, हम जानते हैं कि वे अभी तक परमेश्वर के स्तरों के अनुकूल नहीं हुए हैं। जैसे १ कुरिन्थियों १४:२४, २५ में बाइबल सूचित करती है, ऐसों को, जो वे सीख रहे हैं उसके द्वारा, “परख” लेने और कभी अपने आप को “दोषी” ठहराने की भी आवश्यकता होगी। यह एक न्यायिक प्रकार की फटकार नहीं, उन्हें एक न्यायिक कमेटी के सामने लाया नहीं जाता क्योंकि वे अब तक उस मण्डली के बपतिस्मा पाए हुए सदस्य नहीं हैं। उलटे, वे जो सीख रहे हैं उसके परिणामस्वरूप ये नए व्यक्तियाँ निश्चयी हो जाते हैं कि परमेश्वर कोई भी स्वार्थी और अनैतिक मार्गों का निन्दा करता है।
७. कई विद्यार्थियाँ कौन-सी अधिक उन्नति करना चाहेंगे और क्यों?
७ कई बपतिस्मा न पाए हुए, कभी-न-कभी केवल दिलचस्पी रखनेवाले शिक्षार्थियों के रूप में सभाओं में उपस्थित रहने के अतिरिक्त उन्नति करना चाहेंगे। यीशु के ये शब्द इसका कारण दिखाएंगे: “चेला अपने गुरु से बड़ा नहीं, परन्तु, जो कोई सिद्ध होगा, वह अपने गुरु के समान होगा।” (लूका ६:४०) बाइबल का विद्यार्थी यह देख सकता है कि उसका शिक्षक क्षेत्र सेवकाई को अत्यावश्यक समझता है और उससे आनन्द प्राप्त करता है। (मत्ती २४:१४) इसलिए, बढ़ते हुए विश्वास के साथ, वह जो बाइबल की सच्चाइयों को सीख रहा है और सभाओं में उपस्थित हो रहा है इन शब्दों पर गंभीरतापूर्वक विचार करेगा: “पहाड़ों पर उसके पाँव क्या ही सुहावने हैं जो शुभ समाचार लाता है, जो शान्ति की बातें सुनाता है और कल्याण का शुभ समाचार और उद्धार का सन्देश देता है।” (यशायाह ५२:७; रोमियों १०:१३-१५) बपतिस्मा पाया हुआ न होने पर भी वह यहोवा के गवाहों की मण्डली का एक सदस्य बनते हुए एक राज्य प्रचारक बनना चाहेगा।
८, ९. (अ) क्या किया जाना चाहिए जब एक बाइबल विद्यार्थी क्षेत्र सेवकाई में भाग लेना चाहेगा? (ब) जब दो प्रचारक एक भावी प्रचारक और उसके शिक्षक से मिलेंगे तब वे क्या करेंगे? (क) एक नया प्रचारक कौन-सी ज़िम्मेदारी ले रहा है?
८ जब बाइबल अध्ययन चलानेवाला गवाह पाता है कि विद्यार्थी क्षेत्र सेवकाई में हिस्सा लेने की इच्छा रखता है, वह इस विषय की चर्चा प्रिसाइडिंग ओवरसियर के साथ कर सकता है, जो बाइबल विद्यार्थी और उसके शिक्षक से मिलने के लिए दो प्राचीनों की व्यवस्था करेगा। जब एक नया व्यक्ति परमेश्वर की सेवा करना चाहता है, तब प्राचीन प्रसन्न होते हैं। वे उस में ज्ञान का उस परिमाण, की अपेक्षा नहीं रखते, जो बपतिस्मा पाए हुओं में और सच्चाई में उन्नति पाए हुओं में है जिन से और अधिक की अपेक्षा की जाती है। फिर भी प्राचीन यह देखना चाहेंगे कि मण्डली के साथ क्षेत्र सेवकाई में भाग लेने से पहले उस नए व्यक्ति के पास बाइबल की शिक्षाओं का कुछ ज्ञान हो और अपने जीवन को परमेश्वर के सिद्धान्तों के अनुरूप बनाया है। इसलिए दो प्राचीनों का, उस भावी प्रचारक और अध्ययन चलानेवाले गवाह से भेंट करने के अच्छे कारण हैं।a
९ वे दो प्राचीन उस विद्यार्थी को बता देंगे कि जब वह क्षेत्र सेवकाई के योग्य बनता है और उस में भाग लेता है, उसे एक क्षेत्र सेवकाई रिपोर्ट सौंपनी होगी और मण्डली का एक प्रचारक रेकॉर्ड कार्ड उसके नाम पर बनाया जाएगा। यह यहोवा के गवाहों की ईश्वरशासित संस्था के साथ उसके सम्बन्ध और उसकी ओर उसकी अधीनता को प्रदर्शित करता है। (यह उन सब के लिए ठीक हैं जो क्षेत्र सेवकाई की रिपोर्ट सौंपते हैं।) इस परिचर्चा में बाइबल सलाहों को भी सम्मिलित करना चाहिए, जैसे कि ऑर्गनाइज़ड़ टु अकप्लिश और मिनिस्ट्रीb के पृष्ठ ९८ और ९९ में सूचित किया गया है। इसलिए, उस पुस्तक की एक वैयक्तिक प्रति प्राप्त करने के लिए यह एक उचित समय होगा।
१०. (अ) एक बपतिस्मा न पाया हुआ प्रचारक उन्नति की ओर कैसे बढ़ सकता है और किस लक्ष्य के साथ? (ब) “अनुमोदित सहयोगी”, इस पद के सम्बन्ध में एक समायोजन क्यों किया जा रहा है?
१० एक व्यक्ति जो बपतिस्मा न पाया हुआ सुसमाचार प्रचारक बन जाता है, वह ऐसा एक मनुष्य बनने की दिशा में आगे बढ़ता है, ‘जिनसे परमेश्वर प्रसन्न है।’c (लूका २:१४) वह समर्पित और बपतिस्मा पाया हुआ न होने पर भी अब अपने गवाही कार्य की रिपोर्ट उन लाखों सक्रिय लोगों के साथ कर सकता है जो सारी पृथ्वी पर “परमेश्वर का वचन सुनाया” करते हैं। (प्रेरित १३:५; १७:३; २६:२२, २३) मण्डली में यह घोषणा की जा सकती है कि वह एक बपतिस्मा न पाया हुआ प्रचारक है। उसे बाइबल का अध्ययन करते, सभाओं में भाग लेते, जो वह सीख रहा है उसे लागू करते और दूसरों को यह बताते रहना चाहिए। जल्द ही, वह मसीही बपतिस्मा का कदम उठाना चाहेगा, जिससे वह परमेश्वर द्वारा अनुमोदित और उद्धार के लिए ‘चिन्हित’ किया जाता है।—यहेजकेल ९:४-६.
गलती करनेवाले के लिए मदद
११. बपतिस्मा पाए हुए गलती करनेवालों से मण्डली कैसे व्यवहार करती है?
११ हम ने पिछले लेख में मण्डली के उन प्रबन्धों की चर्चा की जो गम्भीर पाप करनेवाले मसीही की मदद के लिए बनाए गए हैं। (इब्रानियों १२:९-१३) और हम ने बाइबल से यह देखा कि अगर कोई बपतिस्मा पाया हुआ पापी पश्चातापहीन है, तो शायद मण्डली को उसे बहिष्कार करने की और उसके बाद उसके साथ साहचर्य रखने से दूर रहने की आवश्यकता होगी। (१ कुरिन्थियों ५:११-१३; २ यूहन्ना ९-११; २ थिस्सलूनिकियों २:११, १२) यद्यपि, अगर बपतिस्मा न पाया हुआ एक प्रचारक गम्भीर रूप से गलती या पाप करता है, तब कौन-से कदम उठाए जा सकते हैं?
१२. (अ) बपतिस्मा नहीं पाए हुए गलती करनेवालों को भी दयालु मदद क्यों उपलब्ध है? (ब) लूका १२:४८ का सिद्धान्त दुराचार के लिए उत्तरदायित्व से सम्बन्ध कैसे रख सकता है?
१२ यहूदा ने अनुरोध किया कि उन अभिषिक्त मसीहियों की ओर दया दिखाई जाए जिन में अविश्वास उत्पन्न हुआ था या जो मानव पापों में गिर गए थे बशर्ते कि वे पश्चातापी थे। (यहूदा २२, २३; २ कुरिन्थियों ७:१० भी देखें) फिर क्या यह और भी उचित नहीं होगा कि एक बपतिस्मा न पाया हुआ, गलती करनेवाले व्यक्ति की ओर दया दिखाई जाए, जो पश्चाताप प्रदर्शित करता है? (प्रेरित ३:१९) जी हाँ, क्योंकि उसकी आध्यात्मिक बुनियाद उतना मज़बूत नहीं और मसीही जीवन-निर्वाह में उसका अनुभव ज्यादा सीमित है। कुछ विषयों में वह परमेश्वर के विवेचन को सीखा नहीं होगा। उस ने प्राचीनों के साथ बपतिस्मा पूर्व बाइबल परिचर्चाओं के अनुक्रम का अनुभव नहीं किया है, और उस ने जल निमज्जन के गम्भीर कदम को स्वीकार नहीं किया है। इसके अतिरिक्त यीशु ने कहा था कि “जिसे बहुत दिया गया है, उससे बहुत मांगा जाएगा।” (लूका १२:४८) इसलिए, बपतिस्मा पाए हुओं से अधिक अपेक्षा की जाती है जिन के पास, अधिक ज्ञान और आशीष के साथ विशेष ज़िम्मेदारी भी है।—याकूब ४:१७; लूका १५:१-७; १ कुरिन्थियों १३:११.
१३. अगर बपतिस्मा न पाया हुआ एक प्रचारक पाप करता है, मदद करने के लिए प्राचीन क्या करेंगे?
१३ पौलुस की सलाह के अनुकूल, आध्यात्मिक रूप से योग्य भाई, किसी भी बपतिस्मा न पाए प्रचारक की सहायता करना चाहेंगे, जो अनजाने में गलत कदम उठाता है। (गलतियों ६:१ से तुलना करें) प्राचीन अपने वर्ग के दो व्यक्तियों से (शायद वे जो उससे पहले भी मिल चुके हैं) अगर वह सहायता चाहता हो, उसे पुनः संगति में लाने की माँग कर सकते हैं। वे ऐसे, तीव्रता से उसे फटकारने की अभिलाषा के कारण नहीं, बल्कि एक दयालू रीति से और नम्रता की आत्मा से करेंगे। (भजन १३०:३) ज्यादातर स्थितियों में, आध्यात्मिक प्रबोधन और व्यावहारिक सुझाव उसमें पश्चाताप उत्पन्न करने और उसे सही मार्ग पर लाने के लिए काफ़ी है।
१४, १५. (अ) अगर गलती करनेवाला सचमुच पश्चातापी है तब क्या किया जा सकता है? (ब) कुछ अवस्थाओं में कौन-से सीमित स्पष्टीकरण विचार प्रकट किए जा सकते हैं?
१४ वे दो प्राचीन उस बपतिस्मा नहीं पाए हुए अधर्मी की अवस्था के लिए उचित निर्देशों का प्रबन्ध करेंगे। कुछ स्थितियों में वे ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं, कि वह गलती करनेवाले को थियोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल में भाग या सभाओं में मत प्रकट करने की अनुमति न मिलें। या फिर वे उसे, जब तक वह अधिक आध्यात्मिक उन्नति नहीं करता, मण्डली के साथ आम सेवकाई में भाग न लेने का आदेश दे सकते हैं। फिर वे उससे कह सकते हैं कि वह दोबारा क्षेत्र सेवकाई में भाग ले सकता है। अगर उस दुराचार ने बदनामी नहीं लायी और विश्वासीवर्ग की शुद्धता के लिए खतरा प्रस्तुत नहीं करता, मण्डली को घोषणा के द्वारा सचेत करने की कोई आवश्यकता नहीं।
१५ लेकिन, तब क्या होगा, अगर उन दो प्राचीनों ने पाया कि वह व्यक्ति सचमुच पश्चातापी है, परन्तु गलती व्यापक रूप से जानी गयी है? या तब क्या अगर वह दुराचार बाद में व्यापक रूप से जानी जाए? दोनों अवस्थाओं में, वे मण्डली सेवकाई कमेटी को सूचित कर सकते हैं, जो एक सरल घोषणा की व्यवस्था करेंगे जैसे कि नीचे दी गई है: “एक मामला, जो . . . को सम्बद्ध करता है, निपटाया गया है, और वह मण्डली के साथ एक बपतिस्मा न पाए हुए प्रचारक के रूप में सेवा करते रहेगा [या करती रहेगी]।” यद्यपि इन सब मामलों में, प्राचीनों का समूह यह निश्चय कर सकता है कि, अन्तर्ग्रस्त दुराचार के प्रकार के बारे में सलाह के साथ एक शास्त्रीय भाषण किसी भी भविष्य काल में देना उचित है या नहीं।
१६, १७. (अ) एक अन्य घोषणा के लिए कौन-सी दो स्थितियाँ आधार बन सकती हैं? (ब) यह किस प्रकार की घोषणा है?
१६ कभी-कभी, बपतिस्मा नहीं पाया हुआ एक प्रचारक जो एक गलती करनेवाला है, प्रेममय सहायता की ओर अनुक्रिया नहीं दिखाएगा। या बपतिस्मा न पाया हुआ एक प्रचारक यह निश्चय कर सकता है कि वह बपतिस्मा की ओर प्रगति करते रहना नहीं चाहता और वह प्राचीनों को बता देता है कि वह एक प्रचारक के रूप में पहचाना जाना पसन्द नहीं करता। क्या किया जाए? ऐसों के सम्बन्ध में, जो परमेश्वर द्वारा अनुमोदित नहीं हुए हैं, बहिष्करण कार्यवाही नहीं ली जाती। पश्चातापहीन पापियों को बहिष्कार करने की व्यवस्था उन बपतिस्मा पाए हुओं को लागू होती है, जिन्हें ‘भाई कहलाया’ जाता है। (१ कुरिन्थियों ५:११) यद्यपि, क्या इसका अर्थ यह है कि उस दुराचार की उपेक्षा की गई है? जी नहीं।
१७ प्राचीन वर्ग ‘परमेश्वर के उस झुण्ड की रखवाली’ करने के लिए जिम्मेदार हैं। (१ पतरस ५:२) अगर सहायता प्रस्तुत करनेवाले दो प्राचीन यह निर्धारित करेंगे कि बपतिस्मा न पाया हुआ पापी पश्चातापहीन है और एक प्रचारक बनने के लिए अयोग्य है, वे उस व्यक्ति को इसकी सूचना देंगे।d या, अगर कोई बपतिस्मा नहीं पाया हुआ, प्राचीनों से कहता है कि वह आगे से एक प्रचारक के रूप में पहचाना जाना पसन्द नहीं करता, वे उसके निर्णय को स्वीकार करेंगे। दोनों स्थितियों में, मण्डली सेवकाई कमेटी के लिए यह उचित होगा कि वे ठीक समय पर यह कहते हुए एक सरल घोषणा करें “ . . . अब और सुसमाचार का एक प्रचारक नहीं रहा।”
१८. (अ) ऐसी एक घोषणा के बाद बर्ताव करने की रीति व्यक्तिगत रूप से निश्चय करने में मसीही किस बात का ध्यान रखेंगे? (ब) क्या उन से पूर्ण रूप से दूर रहने की आवश्यकता है जो बपतिस्मा नहीं पाए हैं और अतीत में गलत कार्य करने के दोषी हैं?
१८ इसके बाद गवाहें उस व्यक्ति को कैसे देखेंगे? अस्तु, वह प्रारम्भ में सभाओं में उपस्थित रहनेवाला एक अविश्वासी था। उसके बाद वह दोनों, सुसमाचार का प्रचारक बनना चाहता भी था। और उसमें योग्यता भी थी। अब यह स्थिति नहीं रही, इसलिए वह दोबारा संसार का एक व्यक्ति है। बाइबल यह आवश्यक नहीं समझती कि गवाहें उससे बात न करें, क्योंकि उसे बहिष्कार नहीं किया गया।e फिर भी, मसीही ऐसे एक संसार के व्यक्ति के सम्बन्ध में, जो यहोवा की उपासना नहीं करता, सावधानी का प्रयोग करेंगे, जैसे कि इस्राएलियों ने खतना नहीं किए हुए विदेशी उपनिवेशियों के साथ किया था। यह सावधानी मण्डली को उस “थोड़ा सा खमीर” या भ्रष्टाचारी तत्व से रक्षा करेगी। (१ कुरिन्थियों ५:६) अगर, फिर कभी, वह उसके साथ एक बाइबल अध्ययन चलाए जाने की वास्तविक इच्छा प्रगट करता है, और अगर यह प्राचीन इसे उचित समझें, तो शायद यह उसे यहोवा की उपासना उसके लोगों के साथ करने के विशेषाधिकार का मूल्यांकन करने के लिए मदद देगी।—भजन १००.
१९. कुछ अवस्थाओं में प्राचीन गुप्त रूप से अधिक सहायता कैसे दे सकते हैं?
१९ अगर प्राचीन यह देखेंगे कि इस प्रकार का एक अमुक व्यक्ति झुण्ड के लिए एक असाधारण धमकी है, वे उन्हें, जो खतरे में व्यक्तिगत रूप से चिता सकते हैं। उदाहरणार्थ, वह पहले का प्रचारक एक ऐसा जवान हो सकता है, जो पियक्कड़पन या अनैतिकता में गिरा हुआ होगा। उस घोषणा के बावजूद कि वह अब और एक बपतिस्मा नहीं पाया हुआ प्रचारक नहीं रहा, वह मण्डली के जवानों के साथ मिलने-जुलने की कोशिश कर सकता है। ऐसी परिस्थिति में, प्राचीनों को संकटापन्न व्यक्तियों की माता-पिताओं से और शायद उन जवानों से भी अकेले में बात करनी होगी। (इब्रानियों १२:१५, १६; प्रेरित २०:२८-३०) उस विरल स्थिति में जब एक व्यक्ति विघटनकारी या हिंसात्मक रीति से खतरनाक है, उससे यह कहा जा सकता है कि सभाओं में उसका स्वागत नहीं है और प्रवेश करने की कोई भी कोशिश अतिक्रमण के रूप में देखा जाएगा।
परमेश्वर की उपासना करने में नाबालिगों की सहायता करना
२०. मसीही माता-पिता उनके बच्चों के लिए कैसी सहायता का प्रबन्ध करते हैं, और इसका क्या परिणाम है?
२० बाइबल, माता-पिताओं को अपने बच्चों को दैवी सच्चाई के मार्ग में शिक्षा देने की जिम्मेदारी देती है। (व्यवस्थाविवरण ६:४-९; ३१:१२, १३) इस तरह, यहोवा के गवाहों ने बहुत पहले से ही मसीही परिवारों में एक साप्ताहिक बाइबल अध्ययन का प्रबन्ध करने के लिए प्रोत्साहन दिया है। मसीही माता-पिताएं उनके छोटे बच्चों को समर्पण और बपतिस्मा की ओर प्रगति करने और इस तरह परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए। (नीतिवचन ४:१-७) मण्डलियों में हम इसका आनन्दप्रद परिणाम देखते हैं—सैकड़ों उदाहरणीय युवजन जो यहोवा से प्रेम रखते हैं और अनन्तकाल तक उसकी उपासना करना चाहते हैं।
२१-२३. (अ) मुख्यतः एक अल्पवयस्क का दुराचार कैसे निपट लिया जाता है? (ब) ऐसी स्थितियों में मण्डली के प्राचीन कौन-सी भूमिका निभाते हैं?
२१ मसीही माता-पिताओं को उनके बच्चों को शिक्षा देने और फटकारने की भी मूलभूत ज़िम्मेदारी हैं, जैसे कि जो भी प्रतिबन्ध या प्रेममय सजाओं की उन्हें आवश्यकता हो, उसे लागू करें। (इफिसियों ६:४; इब्रानियों १२:८, ९; नीतिवचन ३:११, १२; २२:१५) यद्यपि, अगर एक अवयस्क बच्चा, जो बपतिस्मा नहीं पाए हुए एक प्रचारक के रूप में सम्पर्क रख रहा है, गम्भीर दुराचार के अन्तर्ग्रस्त होता है वह उन प्राचीनों के लिए चिन्ता की बात है जो झुण्ड के प्राणों के लिए जागते रहते हैं।’—इब्रानियों १३:१७.
२२ मौलिक रूप से, ऐसे दुराचार का ध्यान वैसे किया जाना चाहिए जैसे इस लेख के प्रारम्भ में उल्लिखित है। इस मामले की जाँच करने के लिए दो प्राचीनों को नियुक्त किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, वे पहले माता-पिताओं (या माता या पिता) से, जो भी हुआ है, बच्चे की जो मनोवृत्ति है और उन शोधक उपायों की, जो लिए गए हैं, चर्चा कर सकते हैं। (व्यवस्थाविवरण २१:१८-२१ से तुलना करें) अगर मसीही माता-पिता स्थिति को काबू में लाए हैं, तो प्राचीन समय-समय पर सहायक सलाह, सुझाव, और प्रेममय प्रोत्साहन देने के लिए केवल उनसे पता लगा सकते हैं।
२३ यद्यपि, कभी-कभी, माता-पिताओं के साथ की गयी परिचर्चा यह दिखाती है कि उन प्राचीनों को उस हठी अल्पवयस्क और उसके माता-पिताओं से मिलना ही उत्तम होगा। युवजनों की सीमाएं और प्रवृत्तियाँ ध्यान में रखते हुए, निरीक्षक उस जवान, बपतिस्मा नहीं पाए हुए प्रचारक को कोमलता के साथ शिक्षा देंगे। (२ तीमुथियुस २:२२-२६) कुछ स्थितियों में यह स्पष्ट हो सकता है कि वह अब और एक प्रचारक के रूप में योग्य नहीं रहा और यह कि एक उचित घोषणा की जानी चाहिए।
२४. (अ) एक अल्पवयस्क गम्भीर पापाचार में भाग लेने पर भी, माता-पिताओं का क्या करना उचित है और वे यह कैसे कर सकते हैं? (ब) यह एक ऐसे अल्पवयस्क पर कैसे लागू होगा जिसे बहिष्कार किया गया है?
२४ इसके बाद, माता-पिता उनके, गलती करनेवाले बच्चे के पक्ष में क्या कर सकते हैं? वे अब भी उनके बच्चे के लिए ज़िम्मेदार हैं, यद्यपि वह बपतिस्मा न पाए हुए एक प्रचारक के रूप में अयोग्य बना है या बपतिस्मा के बाद गलत कार्य करने के कारण उसे बहिष्कार किया गया हो। जैसे वे उसके लिए खाना, वस्त्र और मकान का प्रबन्ध करेंगे, उन्हें उसे परमेश्वर के वचन के अनुसार शिक्षा देने और उपदेश देने की भी आवश्यकता है। (नीतिवचन ६:२०-२२; २९:१७) प्रेममय माता-पिता इस तरह उसके साथ एक गृह बाइबल अध्ययन की व्यवस्था, उसका बहिष्कृत किए जाने पर भी, कर सकते हैं।f शायद वह उनका उसके साथ अकेले में अध्ययन करने के द्वारा, सब से अधिक शोधक लाभ उठा सकेगा। या वे यह निश्चय कर सकते हैं कि वह पारिवारिक अध्ययन व्यवस्था में हिस्सा लेते रह सकता है। यद्यपि वह भटक गया है, वे उसे यहोवा की ओर लौटते हुए देखना चाहते हैं जैसे कि यीशु के उदाहरण में उस अपव्ययी बेटे ने किया।
२५. आज अविश्वासियों की ओर प्रेममय दिलचस्पी और मदद क्यों निर्दिष्ट की गई है?
२५ हमारे प्रचार और शिक्षण कार्य का उद्देश्य दूसरों को सच्चे परमेश्वर के आनन्दित उपासक बनने में मदद करने का है। कुरिन्थ के ‘अविश्वासी और साधारण व्यक्तियाँ’ ‘मुँह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत करने और यह कहने के लिए प्रेरित हुए: “सचमुच परमेश्वर तुम्हारे बीच में है।”’ (१ कुरिन्थियों १४:२५) आज परमेश्वर की उपासना करने के लिए अधिकाधिक लोगों को आते हुए देखना कितनी खुशी की बात है। उन स्वर्गदूतों की घोषणा की यह एक शानदार पूर्ति है: “आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिन से वह प्रसन्न है (या जिन्हें परमेश्वर का अनुमोदन है) शान्ति हो।”—लूका २:१४.
[फुटनोट]
a प्राचीनों में से एक मण्डली की सेवकाई कमेटी का एक सदस्य होना चाहिए। दूसरा वह प्राचीन हो जो विद्यार्थी या उसके शिक्षक से सब से अधिक परिचित हो, जैसे कि मण्डली का पुस्तक अध्ययन संचालक।
b १९८३ में वॉच टावर बाइबल और ट्रॅक्ट सोसायटी द्वारा प्रकाशित।
c पहले, बपतिस्मा नहीं पाया हुआ एक व्यक्ति जो क्षेत्र सेवकाई में भाग लेने के योग्य बनता था एक “अनुमोदित सहयोगी” के नाम से कहा जाता था। किन्तु, “बपतिस्मा न पाया हुआ एक प्रचारक” एक और अधिक सही नाम होगा, विशेष रूप से बाइबल की उस सूचना को ध्यान में रखते हुए कि परमेश्वर का अनुमोदन एक ठोस समर्पण और मसीही बपतिस्मा का परिणाम है।
d अगर वह व्यक्ति इस नतीजे से असंतुष्ट है, वह सात दिनों के अन्दर इस मामले पर पुनर्विचार करने के लिए अनुरोध कर सकता है।
e पहले, बपतिस्मा न पाए हुओं से, जो पश्चातापहीन रूप से पाप करते थे, पूर्ण रीति से दूर रहा जाता था। यद्यपि, जैसे ऊपर समायोजित किया गया, इसकी आवश्यकता न होने पर भी १ कुरिन्थियों १५:३३ के सिद्धान्त का पालन किया जाना चाहिए।
f घर से बाहर रहनेवाले बहिष्कृत रिश्तेदारों के साथ, उस शास्त्रीय सलाह के अनुसार, बरताव किया जाना चाहिए जो अप्रैल १५, १९६८ के वॉचटावर, पृष्ठ २६-३१; सितम्बर १५, १९८१ के वॉचटावर पृष्ठ २६-३१ में चर्चित है।
क्या आप याद करते हैं?
◻ सभाओं में उपस्थित होनेवाले “अविश्वासियों” की ओर मसीहियों का क्या दृष्टिकोण है?
◻ जब एक बाइबल विद्यार्थी क्षेत्र सेवकाई में हिस्सा लेना चाहता है, प्राचीन कौन-से उपायों का पालन करते हैं, और विद्यार्थी कौन-सी ज़िम्मेदारी स्वीकार करता है?
◻ तब क्या किया जाता है जब बपतिस्मा न पाया हुआ एक प्रचारक गम्भीर पाप करता है?
◻ माता-पिता और प्राचीन घर में रहनेवाले अल्पवयस्क बच्चों की मदद कैसे कर सकते हैं, तब भी जब ऐसे जवान गम्भीर रूप से पाप करते हैं?
[पेज 19 पर तसवीरें]
यद्यपि बपतिस्मा न पाने पर भी, एक प्रचारक बनना परमेश्वर का अनुमोदन पाने की ओर एक महत्त्वपूर्ण और जिम्मेदार कदम है।