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प्रचार की सभाएँ

1. प्रचार काम तरतीब से करने का हम क्यों इतना ध्यान रखते हैं?

यीशु ने राज प्रचार काम को तरतीब और असरदार तरीके से करने में एक मिसाल कायम की। उसी तरह आज जिन लोगों पर दुनिया भर में हो रहे राज प्रचार काम की ज़िम्मेदारी है, उनकी इच्छा है कि यह काम ठीक उसी तरह हो जिस तरह यीशु ने किया था। इस कोशिश के तहत दुनिया भर की मंडलियाँ प्रचार सभाओं के ज़रिए राज प्रचारकों को प्रचार काम के लिए अलग-अलग समूहों में इकट्ठा करती हैं।—मत्ती 24:45-47; 25:21; लूका 10:1-7.

2. प्रचार सभा में क्या चर्चा की जानी चाहिए?

2 एक अच्छा इंतज़ाम: प्रचार सभा का इंतज़ाम इसलिए किया जाता है ताकि प्रचार में जानेवालों की हिम्मत बढ़ाई जा सके, कुछ फायदेमंद सुझाव और निर्देशन दिए जा सकें। रोज़ाना बाइबल वचनों पर ध्यान दीजिए पुस्तिका में अगर उस दिन का वचन प्रचार सेवा से जुड़ा है तो उस पर छोटी-सी चर्चा की जा सकती है। कभी-कभी, हमारी राज-सेवा, रीज़निंग या सेवा स्कूल किताब से कुछ बातों पर चर्चा की जा सकती है ताकि हाज़िर सभी लोगों को उस दिन के प्रचार के लिए तैयार किया जा सके। साहित्य पेशकश का एक छोटा प्रदर्शन भी दिखाया जा सकता है। आखिर में प्रार्थना करने से पहले सबको मालूम होना चाहिए कि वे किसके साथ प्रचार करेंगे और उनके प्रचार का इलाका कहाँ है। यह सभा 15 मिनट से ज़्यादा की नहीं होनी चाहिए और इसके खत्म होते ही सबको प्रचार के इलाके में चले जाना चाहिए।

3. प्रचार सभाएँ रखने की ज़िम्मेदारी किनकी है?

3 प्रचार सभाओं का इंतज़ाम कैसे किया जाता है? प्रचार के अलग-अलग समूहों की सभाओं के बीच तालमेल बनाए रखने की ज़िम्मेदारी सेवा अध्यक्ष की है। शनिवार-रविवार को प्रचार समूह को ले जाने की ज़िम्मेदारी समूह अध्यक्ष या उनके सहायक की है। हफ्ते के बाकी दिनों में दूसरे अध्यक्ष या सहायक सेवक प्रचार समूह की अगुवाई कर सकते हैं। समूह अध्यक्षों को सेवा अध्यक्ष के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि शनिवार-रविवार को उनके प्रचार समूह के पास घर-घर के प्रचार के लिए काफी इलाका हो। हफ्ते के दौरान जो भाई समूह को प्रचार में ले जाएँगे वे सेवा अध्यक्ष की निगरानी में काम करेंगे।

4-6. (क) मंडली के इलाके में प्रचार करने में प्रचार सभाओं की क्या भूमिका होती है? (ख) प्रचार सभा कब और कहाँ रखी जानी चाहिए, यह तय करने के लिए किन बातों पर गौर किया जा सकता है?

4 ये सभाएँ कब और कहाँ होनी चाहिए? प्रचार सभा के लिए पूरी मंडली एक ही जगह इकट्ठी होने के बजाए अच्छा होगा इन्हें भाइयों की सहूलियत के मुताबिक इलाके में अलग-अलग जगह पर रखा जाए, ताकि पूरे इलाके में अच्छी तरह गवाही दी जा सके। ये सभाएँ भाइयों के घरों पर रखी जा सकती हैं। इसके लिए राज्य घरों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कई मंडलियाँ रविवार को जन-भाषण और प्रहरीदुर्ग अध्ययन के बाद राज्य घर में ही प्रचार सभा रखती हैं। कोशिश यही की जानी चाहिए कि सभा ऐसी जगह रखी जाए जिससे प्रचार इलाके में पहुँचने के लिए कम-से-कम वक्‍त लगे। इसलिए बीच-बीच में यह देखते रहना चाहिए कि सेवा सभा जिस जगह रखी जाती है वह सही है या नहीं और उसकी वजह से पूरे इलाके में अच्छी तरह गवाही देने में मदद मिल रही है या नहीं।

5 प्रचार सभा कब रखनी चाहिए और हफ्ते में कितने दिन यह सभा रखी जा सकती है, यह प्रचार के इलाके पर निर्भर करता है। आगे दिए सवाल यह तय करने में मदद करेंगे कि प्रचार सभा कब और कहाँ रखना सबसे बेहतर होगा।

6 किस इलाके पर और ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है? घर-घर का प्रचार करने के लिए सबसे सही वक्‍त कौन-सा है? क्या घर-घर के प्रचार या वापसी भेंट के लिए शाम का वक्‍त मुनासिब होगा? प्रचार सेवा के लिए जो इंतज़ाम किए जाते हैं, उसकी जानकारी मंडली के सूचना बोर्ड पर लगा दी जानी चाहिए। हर राज प्रचारक की यही ख्वाहिश है कि वह अपने इलाके में पूरी तरह गवाही दे सके, ताकि हम भी प्रेषित पौलुस की तरह यह कह सकें: “मेरे पास कोई अनछूआ इलाका नहीं बचा।”—रोमि. 15:23.

7. जो भाई प्रचार समूह को ले जाता है, उसकी क्या ज़िम्मेदारी बनती है?

7 प्रचार सभा चलाना: जिस भाई को प्रचार सभा चलाने की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है, वह इसकी अच्छी तैयारी करके दिखाता है कि उसे परमेश्‍वर की तरफ से किए इस इंतज़ाम के लिए बहुत आदर है। ये सभाएँ समय पर शुरू होनी चाहिए। इनसे फायदेमंद जानकारी मिलनी चाहिए और यह सिर्फ 10-15 मिनट की होनी चाहिए। सभा चलानेवाले भाई के पास समूह के प्रचार काम के लिए इलाका होना चाहिए। हालाँकि सभा खत्म होने के बाद देर से आनेवालों के लिए रुकना ज़रूरी नहीं है, लेकिन अगर उनके लिए यह जानकारी छोड़ दी जाए कि समूह किस इलाके में काम कर रहा है, तो अच्छा होगा। सभा खत्म होते ही सभी को अपने-अपने इलाके में चले जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि प्रचार सभा के अच्छे इंतज़ाम और उसमें दी बढ़िया जानकारी से हाज़िर लोगों को उस दिन के प्रचार के लिए ज़रूरी निर्देश मिलेंगे।—नीति. 11:14.

8. प्रचार सभा में हाज़िर होनेवाले भाई-बहन अगुवाई लेनेवाले भाई को कैसे सहयोग दे सकते हैं?

8 प्रचार सभा में हाज़िर होना: सहयोग बेहद ज़रूरी है। (इब्रा. 13:17) अगर समूह में किसी के पास प्रचार में जाने के लिए साथी नहीं है, तो मुमकिन होने पर समूह की निगरानी करनेवाला भाई उसके साथ जा सकता है। अच्छा होगा अगर तजुरबेकार प्रचारक वहाँ मौजूद हों, ताकि वे नए और कम तजुरबेकार प्रचारकों की मदद कर सकें। जो भाई-बहन किसी भी प्रचारक के साथ प्रचार करने के लिए तैयार रहते हैं, उनसे काफी फायदा मिलता है। (नीति. 27:17; रोमि. 15:1, 2) सभी को समय पर आने की कोशिश करनी चाहिए। परमेश्‍वर की तरफ से किए इस इंतज़ाम के लिए आदर और अपने मसीही भाई-बहनों के लिए लिहाज़ होने से हम इस मामले में ज़रूरी फेरबदल करने के लिए तैयार रहेंगे।—2 कुरिं. 6:3, 4; फिलि. 2:4.

9. पायनियर कैसे इस इंतज़ाम का साथ दे सकते हैं?

9 पायनियरों का साथ: प्रचार सभा में पायनियरों के साथ से सभी की हौसला-अफज़ाई होती है और उन्हें काफी फायदा भी होता है। माना कि पायनियर भाई-बहनों के पास कई ज़िम्मेदारियाँ होती हैं। बाइबल अध्ययन चलाने और वापसी भेंट करने के अलावा उन्हें परिवार की देख-रेख और नौकरी करने जैसी ज़िम्मेदारियाँ निभानी होती हैं। इसलिए पायनियरों को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि उनका मंडली की हर प्रचार सभा में हाज़िर होना ज़रूरी है, खासकर अगर ऐसी सभाएँ हर रोज़ रखी जाती हैं। लेकिन शायद उनके लिए हफ्ते की कुछ सभाओं में हाज़िर होना मुमकिन हो। प्रचार की सभाएँ कुछ हद तक मंडली के प्रचारकों को तालीम देने के लिए रखी जाती हैं, और पायनियरों का परमेश्‍वर के साथ गहरे रिश्‍ते और उनके तजुरबे से दूसरों को काफी मदद मिल सकती है। प्रचार में नियमित तौर पर हिस्सा लेने से उन्हें प्रचार में काफी अनुभव मिला है जिसे वे दूसरों के साथ बाँट सकते हैं। प्रचार में और प्रचार सभा में जोश के साथ हिस्सा लेने की वजह से वे दूसरों के लिए मिसाल बन गए हैं। इन सभाओं में उनकी हिस्सेदारी की बहुत कदर की जाती है।

10. राज प्रचारकों को क्यों दिलो-जान से इस इंतज़ाम का साथ देना चाहिए?

10 यीशु और उसके चेलों की तरह हम भी ज़्यादातर घर-घर के प्रचार के ज़रिए ही राज की खुशखबरी सुनाते हैं। इस काम में असरदार तरीके से हिस्सा लेने के लिए और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने के लिए ही प्रचार सभाएँ रखी जाती हैं। खुशखबरी के सभी प्रचारकों को परमेश्‍वर की तरफ से किए इस इंतज़ाम में पूरे जोश के साथ हिस्सा लेना चाहिए। (प्रेषि. 5:42; 20:20) आइए हम सब इस काम में दिलो-जान से लग जाएँ। परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी का प्रचार करके हम यहोवा की आशीष पा सकते हैं, साथ ही हम अपने अगुवे यीशु मसीह का दिल खुश कर सकते हैं।—मत्ती 25:34-40; 28:19, 20.

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