विषय-सूची
भाग 1 यहोवा के पास क्यों लौट आएँ?
पुराने ज़माने में यहोवा के लोगों ने उन्हीं मुश्किलों का सामना किया, जिनका हम आज सामना करते हैं। यहोवा ने उनकी मदद करने के लिए अपना हाथ बढ़ाया और उसकी मदद से वे उन मुश्किलों को पार कर पाए। यहोवा हमसे वादा करता है कि वह हमारी भी मदद करेगा। एक प्यारे और हमेशा ध्यान देनेवाले चरवाहे की तरह यहोवा अपनी खोयी हुई भेड़ों को ढूँढ़ रहा है और उन्हें अपने पास लौट आने के लिए कह रहा है।
भाग 1 “मैं खोयी हुई भेड़ को ढूँढ़ूँगा”
भाग 2-4 यहोवा के पास लौट आने में कौन-सी मुश्किलें आ सकती हैं?
कभी-कभी यहोवा के वफादार सेवक भी चिंताओं के बोझ तले दब जाते हैं, उनकी भावनाओं को ठेस पहुँचती है और उन्हें दोष की भावना सताती है। और इन वजह से कुछ लोग यहोवा और मंडली से दूर चले गए हैं। ध्यान दीजिए कि यहोवा ने उन्हें इन मुश्किलों को पार करने में, फिर से उसके लोगों के साथ मिलकर उपासना करने में और दोबारा खुशी पाने में कैसे मदद दी।
भाग 2 चिंता—‘हर तरह से दबे हुए’
भाग 3 भावनाओं को ठेस पहुँचना—जब हमारे पास “शिकायत की कोई वजह” हो
भाग 4 दोष की भावना—“मेरे पाप दूर करके मुझे शुद्ध कर दे”
भाग 5 यहोवा के पास कैसे लौट आएँ?
कुछ सबूतों पर गौर कीजिए जो दिखाते हैं कि यहोवा चाहता है कि आप उसके पास लौट आएँ। जानिए कि कई मसीही कैसे यहोवा के पास लौट आए, मंडली के भाई-बहन उनके साथ किस तरह पेश आए और प्राचीनों ने उन्हें दोबारा जोश से सेवा करने में कैसे मदद दी।
भाग 5 ‘अपने चरवाहे और जीवन की निगरानी करनेवाले के पास लौट’ आओ