ईश्वरीय शांति के संदेशवाहक आनंदित घोषित किए गए
“यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा।”—यशायाह ३५:१०.
१. संसार को किस चीज़ की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है?
मनुष्यजाति को सुसमाचार के संदेशवाहक की इतनी ज़रूरत आज से पहले कभी नहीं थी। किसी व्यक्ति द्वारा परमेश्वर और उसके उद्देश्यों के बारे में सच्चाई बताए जाने की अत्यावश्यक ज़रूरत है, एक ऐसे निडर साक्षी की जो दुष्टों को आनेवाले विनाश की चेतावनी दे और सत्हृदयी लोगों को ईश्वरीय शांति पाने में मदद दे।
२, ३. यहोवा ने आमोस ३:७ में अभिलिखित अपने वादे को इस्राएल के विषय में कैसे पूरा किया?
२ इस्राएल के दिनों में, यहोवा ने इस प्रकार के संदेशवाहकों का प्रबंध करने का वादा किया। सा.यु.पू. नौवीं शताब्दी के अंत में, भविष्यवक्ता आमोस ने कहा: “प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यद्वक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रगट किए कुछ भी न करेगा।” (आमोस ३:७) इस घोषणा के बाद की शताब्दियों में, यहोवा ने अनेक सामर्थ्यपूर्ण कार्य किए। मिसाल के तौर पर, सा.यु.पू. ६०७ में, उसने अपने चुने हुए लोगों को सख़्ती से अनुशासित किया क्योंकि वे विद्रोही और रक्तदोषी थे। उसने आस-पास की जातियों को भी दंड दिया जिन्होंने इस्राएल को पीड़ा में देखकर आनंद मनाया था। (यिर्मयाह, अध्याय ४६-४९) फिर, सा.यु.पू. ५३९ में, यहोवा ने ताक़तवर बाबुलीय विश्व-शक्ति का पतन करवाया, और परिणामस्वरूप, सा.यु.पू. ५३७ में, मंदिर का पुनःनिर्माण करने के लिए इस्राएल का एक शेषवर्ग स्वदेश लौटा।—२ इतिहास ३६:२२, २३.
३ ये धरती-दहलानेवाली घटनाएँ थीं, और आमोस के शब्दों के सामंजस्य में, यहोवा ने उन भविष्यवक्ताओं को ये बातें पहले ही प्रकट कीं जो संदेशवाहकों के रूप में सेवा करते थे, और जो होनेवाला था उसकी चेतावनी इस्राएल को दी। सा.यु.पू. आठवीं शताब्दी के मध्य भाग में, उसने यशायाह को खड़ा किया। सा.यु.पू. सातवीं शताब्दी के मध्य भाग में, उसने यिर्मयाह को खड़ा किया। फिर, उस शताब्दी के अंत में, उसने यहेजकेल को खड़ा किया। इन और अन्य वफ़ादार भविष्यवक्ताओं ने यहोवा के उद्देश्यों के बारे में अच्छी तरह से गवाही दी।
आज परमेश्वर के संदेशवाहकों की पहचान करना
४. कौन-सी बात शांति के संदेशवाहकों के लिए मानवजाति की ज़रूरत को प्रदर्शित करती है?
४ आज के बारे में क्या? संसार में अनेक लोग विपत्ति का ख़तरा महसूस करते हैं, जब वे मानव समाज के पतन को देखते हैं। धार्मिकता से प्रेम करनेवालों के दिल को चोट पहुँचती है जब वे मसीहीजगत के ढोंग और नितांत दुष्टता को देखते हैं। जैसे यहोवा ने यहेजकेल के ज़रिए पूर्वबताया, वे लोग “उन सब घृणित कामों के कारण जो उस में किए जाते हैं, सांसें भरते और दुःख के मारे चिल्लाते हैं।” (यहेजकेल ९:४) परंतु, बहुत से लोग यह नहीं समझते कि यहोवा के उद्देश्य क्या हैं। उन्हें बताए जाने की ज़रूरत है।
५. यीशु ने कैसे सूचित किया कि हमारे दिनों में संदेशवाहक होंगे?
५ क्या आज कोई यशायाह, यिर्मयाह, और यहेजकेल के जैसी निडर भावना के साथ बोलता है? यीशु ने सूचित किया कि कोई बोलेगा। हमारे समय की घटनाओं को पूर्वबताते समय, उसने कहा: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती २४:१४) एक संदेशवाहक, यानि सुसमाचार के प्रचारक के रूप में सेवा करते हुए, कौन उस भविष्यवाणी को आज पूरा कर रहा है? हमारे समय और प्राचीन इस्राएल के समय के बीच की समानताएँ इस सवाल का जवाब देने में हमारी मदद करती हैं।
६. (क) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान “परमेश्वर के इस्राएल” के अनुभवों का वर्णन कीजिए। (ख) प्राचीन इस्राएल पर यहेजकेल ११:१७ की पूर्ति कैसे हुई?
६ प्रथम विश्व युद्ध के अंधकारमय समय के दौरान, यहोवा के आधुनिक-दिन लोग, अभिषिक्त “परमेश्वर के इस्राएल” का शेषवर्ग, बाबुल में इस्राएल की तरह, दासता में चला गया। (गलतियों ६:१६) उन्होंने बड़े बाबुल में, अर्थात् झूठे धर्मों के विश्व समूहन जिसमें मसीहीजगत सबसे प्रमुख और निंदनीय है, आध्यात्मिक निर्वासन सहा। फिर भी, यहेजकेल को कहे यहोवा के शब्दों ने दिखाया कि वे त्यागे नहीं गए थे। उसने कहा: “मैं तुम को जाति जाति के लोगों के बीच से बटोरूंगा, और जिन देशों में तुम तितर-बितर किए गए हो, उन में से तुम को इकट्ठा करूंगा, और तुम्हें इस्राएल की भूमि दूंगा।” (यहेजकेल ११:१७) प्राचीन इस्राएल के लिए उस वादे को पूरा करने के लिए, यहोवा ने फ़ारसी कुस्रू को खड़ा किया, जिसने बाबुलीय विश्व-शक्ति का तख़्ता पलट दिया और इस्राएल के शेषवर्ग के लिए स्वदेश लौटने का रास्ता खोल दिया। लेकिन आज क्या?
७. सन् १९१९ की किस घटना ने बताया कि यीशु ने बड़े बाबुल के विरुद्ध कार्यवाही की थी? समझाइए।
७ इस शताब्दी की शुरूआत में, इस बात का ठोस प्रमाण था कि महान कुस्रू सक्रिय था। वह कौन था? और कोई नहीं बल्कि यीशु मसीह, जिसे १९१४ से स्वर्गीय राज्य में सिंहासनारूढ़ किया गया। इस महान राजा ने पृथ्वी पर अपने अभिषिक्त भाइयों के प्रति भलाई दिखायी जब, वर्ष १९१९ में, अभिषिक्त मसीहियों को आध्यात्मिक दासता से मुक्त किया गया और वे अपने “देश,” अर्थात् अपनी आध्यात्मिक संपदा में लौट आए। (यशायाह ६६:८; प्रकाशितवाक्य १८:४) इस प्रकार यहेजकेल ११:१७ की एक आधुनिक-दिन पूर्ति हुई। प्राचीन समय में इस्राएलियों को अपने देश में लौटने के लिए बाबुल के पतन की ज़रूरत थी। आधुनिक समय में “परमेश्वर के इस्राएल” की पुनःस्थापना इस बात का प्रमाण थी कि बड़े बाबुल ने महान कुस्रू के हाथों पतन का अनुभव किया था। इस पतन की घोषणा प्रकाशितवाक्य के १४वें अध्याय के दूसरे स्वर्गदूत ने की, जब उसने ऊँचे शब्द से कहा: “वह बड़ा बाबुल गिर पड़ा जिस ने अपने व्यभिचार की कोपमय मदिरा सारी जातियों को पिलाई है।” (प्रकाशितवाक्य १४:८) बड़े बाबुल, ख़ासकर मसीहीजगत के लिए कैसा धक्का! और सच्चे मसीहियों के लिए क्या ही आशिष!
८. सन् १९१९ में परमेश्वर के लोगों के छुड़ाए जाने के बाद उनकी ख़ुशी को यहेजकेल की पुस्तक कैसे वर्णित करती है?
८ यहेजकेल ११:१८-२० में, हम परमेश्वर के लोगों की पुनःस्थापना के बाद उनकी ख़ुशी के बारे में भविष्यवक्ता का वर्णन पढ़ते हैं। उसके शब्दों की पहली पूर्ति का अर्थ था, एज्रा और नहेमायाह के दिनों में इस्राएल का शुद्धीकरण। इसकी आधुनिक-दिन पूर्ति का अर्थ भी कुछ वैसा ही था। आइए देखें कैसे। यहोवा कहता है: “वे [अपने देश में] पहुंचकर उस देश की सब घृणित मूरतें और सब घृणित काम भी उस में से दूर करेंगे।” ठीक जैसी भविष्यवाणी की गयी थी, १९१९ से, यहोवा ने अपने लोगों को शुद्ध किया और अपनी सेवा करने के लिए उन में फिर से जान डाली। उन्होंने अपने आध्यात्मिक वातावरण में से उन सभी बाबुलीय रिवाज़ों और धर्म-सिद्धांतों को हटाना शुरू किया जिन्होंने उसकी नज़र में उन्हें प्रदूषित किया था।
९. यहोवा ने अपने लोगों को, १९१९ से कौन-सी महत्त्वपूर्ण आशिषें दी हैं?
९ फिर, आयत १९ के अनुसार, यहोवा आगे कहता है: “और मैं उनका हृदय एक कर दूंगा; और उनके भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूंगा, और उनकी देह में से पत्थर का सा हृदय निकालकर उन्हें मांस का हृदय दूंगा।” इन शब्दों के सामंजस्य में, १९१९ में, यहोवा ने अपने अभिषिक्त सेवकों को इकट्ठा किया, मानो उन्हें ‘एक हृदय’ दिया, ताकि वे “कन्धे से कन्धा मिलाए हुए उसकी सेवा करें।” (सपन्याह ३:९) इसके अलावा, यहोवा ने अपने लोगों को गवाही के काम के लिए शक्ति देने और गलतियों ५:२२, २३ में बताए गए उत्तम फलों को उनमें उत्पन्न करने के लिए पवित्र आत्मा दी। और एक कठोर, पत्थर-जैसे हृदय की जगह, यहोवा ने उन्हें कोमल, नम्य, आज्ञाकारी हृदय दिया। एक ऐसा हृदय जो उसकी इच्छा के प्रति अनुक्रिया दिखाता।
१०. यहोवा ने अपने पुनःस्थापित लोगों को १९१९ से आशीषें क्यों दी हैं?
१० उसने ऐसा क्यों किया? यहोवा ख़ुद समझाता है। हम यहेजकेल ११:२० में पढ़ते हैं: “जिस से वे मेरी विधियों पर नित चला करें और मेरे नियमों को मानें; और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा।” “परमेश्वर के इस्राएल” ने अपने ही विचारों का पीछा करने के बजाय, यहोवा के नियमों को पालन करना सीखा। उन्होंने मनुष्य के भय के बग़ैर यहोवा की इच्छा को पूरा करना सीखा। इस प्रकार, वे मसीहीजगत के नक़ली मसीहियों से बिलकुल भिन्न नज़र आए। वे यहोवा के लोग थे। इस कारण, यहोवा उन्हें अपने संदेशवाहक, अपने “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के रूप में इस्तेमाल करने के लिए तैयार था।—मत्ती २४:४५-४७.
परमेश्वर के संदेशवाहकों की ख़ुशी
११. यशायाह की पुस्तक यहोवा के लोगों की ख़ुशी का वर्णन कैसे करती है?
११ क्या आप उनकी ख़ुशी की कल्पना कर सकते हैं, जब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें क्या ही विशेषाधिकार मिला था? एक समूह के तौर पर, उन्होंने यशायाह ६१:१० के शब्दों को प्रतिध्वनित किया: “मैं यहोवा के कारण अति आनन्दित होऊंगा, मेरा प्राण परमेश्वर के कारण मगन रहेगा।” यशायाह ३५:१० का वादा उन पर पूरा हुआ: “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।” १९१९ में यहोवा के ईश्वरीय शांति के संदेशवाहकों की ख़ुशी ऐसी ही थी, जब वे सारी मनुष्यजाति को सुसमाचार का प्रचार करने निकले थे। तब से लेकर आज तक, उन्होंने यह काम करना बंद नहीं किया है, और उनकी ख़ुशी बढ़ी है। अपने पहाड़ी उपदेश में, यीशु ने कहा: “धन्य हैं वे, जो मेल करवानेवाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।” (मत्ती ५:९) उस घोषणा की सच्चाई का अनुभव “परमेश्वर के” अभिषिक्त ‘पुत्रों’ के शेषवर्ग ने १९१९ से आज तक किया है।
१२, १३. (क) यहोवा की सेवा करने में परमेश्वर के इस्राएल का साथ किसने दिया, और उन्होंने क्या कार्य किया? (ख) यहोवा के अभिषिक्त सेवकों ने कौन-सी ख़ुशी महसूस की है?
१२ जैसे-जैसे साल गुज़रते गए, परमेश्वर के इस्राएल की संख्या १९३० के दशक तक बढ़ती गयी, जब अभिषिक्तों के शेषजनों का एकत्रीकरण समाप्ति के नज़दीक आया। क्या सुसमाचार के प्रचारकों की संख्या में वृद्धि तब रुक गयी? बिलकुल नहीं। पार्थिव आशा रखनेवाले मसीहियों की एक बड़ी भीड़ पहले ही दिखाई देने लगी थी, और ये प्रचार कार्य में अपने अभिषिक्त भाइयों का साथ दे रहे थे। प्रेरित यूहन्ना ने दर्शन में इस बड़ी भीड़ को देखा, और जिस तरह वह इनका वर्णन करता है वह ग़ौरतलब है: “वे परमेश्वर के सिंहासन के साम्हने हैं, और उसके मन्दिर में दिन रात उस की सेवा करते हैं।” (प्रकाशितवाक्य ७:१५) जी हाँ, यह बड़ी भीड़ परमेश्वर की सेवा करने में व्यस्त हो गयी। इसके परिणामस्वरूप, १९३५ से, जब अभिषिक्त जनों की संख्या कम होने लगी, तब इन वफ़ादार साथियों ने गवाही कार्य को तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ाया।
१३ इस प्रकार यशायाह ६०:३, ४ की पूर्ति हुई: “अन्यजातियां तेरे पास प्रकाश के लिये और राजा तेरे आरोहण के प्रताप की ओर आएंगे। अपनी आंखें चारों ओर उठाकर देख; वे सब के सब इकट्ठे होकर तेरे पास आ रहे हैं; तेरे पुत्र दूर से आ रहे हैं, और तेरी पुत्रियां हाथों-हाथ पहुंचाई जा रही हैं।” ये विकास “परमेश्वर के इस्राएल” के लिए जो ख़ुशी लाए, उसका यशायाह ६०:५ में सुंदर वर्णन किया गया है, जहाँ हम पढ़ते हैं: “तब तू इसे देखेगी और तेरा मुख चमकेगा, तेरा हृदय थरथराएगा और आनन्द से भर जाएगा; क्योंकि समुद्र का सारा धन और अन्यजातियों की धन-सम्पत्ति तुझ को मिलेगी।”
यहोवा का संगठन अग्रसर है
१४. (क) यहेजकेल ने स्वर्गीय चीज़ों का कौन-सा दर्शन देखा, और उसे क्या आज्ञा मिली? (ख) आधुनिक समय में यहोवा के लोगों ने क्या समझा, और उन्होंने कौन-सी बाध्यता को महसूस किया?
१४ सामान्य युग पूर्व ६१३ में, यहेजकेल ने यहोवा के स्वर्गीय, रथ-समान अग्रसर संगठन का दर्शन देखा। (यहेजकेल १:४-२८) इसके बाद, यहोवा ने उससे कहा: “हे मनुष्य के सन्तान, तू इस्राएल के घराने के पास जाकर उनको मेरे वचन सुना।” (यहेजकेल ३:४) सन् १९९७ के इस साल में, हम समझ सकते हैं कि यहोवा का स्वर्गीय संगठन परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अब भी लगातार अग्रसर है। इसलिए, दूसरों को उन उद्देश्यों के बारे में बताने के लिए, हम अब भी प्रेरित महसूस करते हैं। अपने समय में, यहेजकेल ने ऐसे शब्द कहे जो सीधे यहोवा द्वारा उत्प्रेरित थे। आज, हम यहोवा के उत्प्रेरित वचन, बाइबल के शब्द बोलते हैं। और इस पुस्तक में, मनुष्यजाति के लिए क्या ही शानदार संदेश है! जबकि अनेक लोग भविष्य के बारे में चिंतित हैं, बाइबल बताती है कि जितनी वे कल्पना करते हैं, स्थिति उससे कहीं ज़्यादा बदतर है—और साथ ही, कहीं ज़्यादा बेहतर भी।
१५. स्थिति उससे भी बदतर क्यों है, जितनी कई लोग आज सोचते हैं?
१५ स्थिति बदतर है क्योंकि, जैसे हमने पिछले लेखों में सीखा, मसीहीजगत और अन्य सभी झूठे धर्म जल्द ही पूरी तरह नष्ट किए जाएँगे, ठीक वैसे ही जैसे सा.यु.पू. ६०७ में यरूशलेम का नाश किया गया था। इतना ही नहीं, संपूर्ण विश्वव्यापी राजनैतिक व्यवस्था, जिसे प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में सात सिरों और दस सींगोंवाले जंगली पशु के रूप में चित्रित किया गया है, जल्द ही नष्ट की जानेवाली है; जैसे यरूशलेम के कई विधर्मी पड़ोसियों का नाश किया गया था। (प्रकाशितवाक्य १३:१, २; १९:१९-२१) यहेजकेल के समय में, यहोवा ने यरूशलेम पर आनेवाले विनाश से उत्पन्न आतंक का सजीव वर्णन किया था। लेकिन जब लोग इस संसार के निकट आनेवाले विनाश को समझेंगे, तब उसके शब्दों का कहीं ज़्यादा गहरा अर्थ होगा। यहोवा ने यहेजकेल से कहा: “हे मनुष्य के सन्तान, तू आह मार, भारी खेद कर, और टूटी कमर लेकर लोगों के साम्हने आह मार। और जब वे तुझ से पूछें कि तू क्यों आह मारता है, तब कहना, समाचार के कारण। क्योंकि ऐसी बात आनेवाली है कि सब के मन टूट जाएंगे और सब के हाथ ढीले पड़ेंगे, सब की आत्मा बेबस और सब के घुटने निर्बल हो जाएंगे। देखो, ऐसी ही बात आनेवाली है, और वह अवश्य पूरी होगी, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।” (यहेजकेल २१:६, ७; मत्ती २४:३०) भय-प्रेरक घटनाएँ बिलकुल क़रीब हैं। संगी मनुष्यों की हमारी गहरी चिंता हमें उस चेतावनी को सुनाने के लिए, यहोवा के आनेवाले क्रोध का “समाचार” बताने के लिए प्रेरित करती है।
१६. नम्र लोगों के लिए, स्थिति उससे भी बेहतर क्यों है जितनी कई लोग सोचते हैं?
१६ साथ ही, नम्र लोगों के लिए स्थिति उससे कहीं बेहतर है जितनी अधिकांश लोग कल्पना करते हैं। कैसे? इसलिए कि यीशु मसीह हमारे पापों के लिए मरा और अब परमेश्वर के राज्य के राजा के तौर पर शासन करता है। (१ तीमुथियुस १:१५; प्रकाशितवाक्य ११:१५) मनुष्यजाति की लाइलाज लगती समस्याओं पर, जल्द ही उस स्वर्गीय राज्य के ज़रिए क़ाबू पा लिया जाएगा। मृत्यु, बीमारी, भ्रष्टाचार, भूख, और अपराध अतीत की बातें बनकर रह जाएँगी, और परमेश्वर का राज्य एक परादीस पृथ्वी पर निर्विरोध शासन करेगा। (प्रकाशितवाक्य २१:३, ४) मनुष्यजाति ईश्वरीय शांति का आनंद उठाएगी—यहोवा परमेश्वर के साथ और आपस में एक शांतिपूर्ण संबंध—भजन ७२:७.
१७. कौन-सी वृद्धियाँ ईश्वरीय शांति के संदेशवाहकों के हृदय को ख़ुश करती हैं?
१७ संसार के कुछ हिस्सों में, नम्र लोगों की असाधारण रूप से बड़ी भीड़ ईश्वरीय शांति के इस संदेश के प्रति अनुक्रिया दिखा रही है। मिसाल के तौर पर, गत वर्ष यूक्रेन ने प्रकाशकों की संख्या में १७-प्रतिशत की वृद्धि रिपोर्ट की। मोज़म्बीक ने १७-प्रतिशत, और लिथुएनिया ने २९-प्रतिशत की वृद्धि रिपोर्ट की। रूस में ३१-प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि अल्बानिया ने प्रकाशकों में ५२-प्रतिशत वृद्धि का अनुभव किया। ये वृद्धियाँ उन हज़ारों सत्हृदयी व्यक्तियों को सूचित करती हैं जो ईश्वरीय शांति का आनंद लेना चाहते हैं और जिन्होंने धार्मिकता के लिए अपनी स्थिति ली है। ऐसी तेज़ बढ़ोतरी संपूर्ण मसीही भाईचारे को ख़ुशी देती है।
१८. चाहे लोग सुने या न सुनें, हमारी मनोवृत्ति क्या होगी?
१८ क्या आपके क्षेत्र में लोग इतनी जल्दी प्रतिक्रिया दिखाते हैं? यदि हाँ, तो हमें भी आपके साथ ख़ुशी होती है। परंतु कुछ क्षेत्रों में, दिलचस्पी दिखानेवाले एक ही व्यक्ति को ढूंढ़ने में कई घंटों की कड़ी मेहनत लगती है। क्या ऐसे क्षेत्रों में काम करनेवाले अपने हाथों को ढीला पड़ने देते हैं या उम्मीद खो बैठते हैं? जी नहीं। यहोवा के साक्षी यहेजकेल को कहे गए परमेश्वर के उन शब्दों को याद रखते हैं, जब उसने पहली बार इस युवा भविष्यवक्ता को अपने यहूदी हमवतनों में प्रचार करने की नियुक्ति दी थी: “इस से वे, जो बलवा करनेवाले घराने के हैं, चाहे वे सुनें व न सुनें, तौभी वे इतना जान लेंगे कि हमारे बीच एक भविष्यद्वक्ता प्रगट हुआ है।” (यहेजकेल २:५) यहेजकेल की तरह, हम लोगों को ईश्वरीय शांति के बारे में बताते रहते हैं, चाहे वे सुनें या न सुनें। जब वे सुनते हैं, तो हम रोमांचित हो उठते हैं। लेकिन जब वे मुँह मोड़ लेते हैं, हमारी खिल्ली उड़ाते हैं, यहाँ तक कि हमें सताते हैं, तो भी हम डटे रहेंगे। हम यहोवा से प्रेम करते हैं, और बाइबल कहती है: “प्रेम . . . सब बातों में धीरज धरता है।” (१ कुरिन्थियों १३:४, ७) क्योंकि हम धीरज धरकर प्रचार करते हैं, लोग जानते हैं कि यहोवा के साक्षी कौन हैं। वे जानते हैं कि हमारा संदेश क्या है। जब अंत आएगा, वे जान जाएँगे कि यहोवा के साक्षियों ने उन्हें ईश्वरीय शांति का आनंद लेने में मदद करने की कोशिश की थी।
१९. सच्चे परमेश्वर के सेवकों के रूप में, हम किस महान विशेषाधिकार को सँजोए हुए हैं?
१९ क्या यहोवा की सेवा करने से बड़ा कोई दूसरा विशेषाधिकार है? जी नहीं! हमारी सबसे बड़ी ख़ुशी परमेश्वर के साथ हमारे संबंध से, और इस जानकारी से आती है कि हम उसकी इच्छा पूरी कर रहे हैं। “क्या ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहिचानता है; हे यहोवा वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं।” (भजन ८९:१५) सो ऐसा हो कि हम मनुष्यजाति के लिए परमेश्वर के शांति के संदेशवाहक होने के आनंद को हमेशा सँजोए रखें। ऐसा हो कि हम इस कार्य में तब तक लगन के साथ अपनी भूमिका निभाएँ, जब तक यहोवा नहीं कहता कि यह समाप्त हुआ।
क्या आपको याद है?
◻ आज परमेश्वर के शांति के संदेशवाहक कौन हैं?
◻ हम कैसे जानते हैं कि बड़ा बाबुल १९१९ में गिर गया?
◻ “बड़ी भीड़” की ख़ास रुचि किस में है?
◻ भविष्य उससे भी ज़्यादा अंधकारमय क्यों है, जितना कि अधिकांश लोग आज सोचते हैं?
◻ जितना कि सत्हृदयी लोग कल्पना करते हैं, उनका भविष्य उससे भी बेहतर क्यों हो सकता है?
[पेज 21 पर तसवीरें]
जब वे मानव समाज के पतन को देखते हैं, तब अनेक लोग विपत्ति का ख़तरा महसूस करते हैं
[पेज 23 पर तसवीरें]
ईश्वरीय शांति के संदेशवाहक आज पृथ्वी पर सबसे ख़ुश लोग हैं