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“तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर”सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
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‘तू बस एक बार मेरे सामने गिरकर मेरी उपासना कर’
8. शैतान के तीसरे प्रलोभन से कैसे उसकी नीयत सामने आ गयी?
8 मत्ती 4:8-11 पढ़िए। शैतान ने यीशु को तीसरा प्रलोभन देते समय घुमा-फिराकर नहीं बल्कि साफ-साफ अपनी बात कह दी। तब उसकी नीयत सामने आ गयी। उसने यीशु को (शायद दर्शन में) “दुनिया के सारे राज्य और उनकी शानो-शौकत दिखायी,” लेकिन उनमें जो भ्रष्टाचार होता है, वह नहीं दिखाया। फिर उसने यीशु से कहा, “अगर तू बस एक बार मेरे सामने गिरकर मेरी उपासना करे, तो मैं यह सबकुछ तुझे दे दूँगा।”b जी हाँ, शैतान का असल इरादा था, यीशु से अपनी उपासना करवाना। वह चाहता था कि यीशु यहोवा के बजाय उसे अपना परमेश्वर माने। वह यीशु को लालच दे रहा था कि उसे एक पल में दुनिया की शानो-शौकत मिल जाएगी, उसे न काँटों का ताज पहनना पड़ेगा, न कोड़े खाने पड़ेंगे, न ही काठ पर यातनाएँ सहनी पड़ेंगी। शैतान ने सच में यीशु के सामने यह पेशकश रखी थी। यह हम इसलिए कह सकते हैं, क्योंकि यीशु ने उसकी यह बात नहीं काटी कि दुनिया की सारी सरकारें उसकी मुट्ठी में हैं। (यूह. 12:31; 1 यूह. 5:19) शैतान चाहता था कि यीशु यहोवा को छोड़कर उसकी उपासना करे। इसके लिए वह कुछ भी देने को तैयार था।
9. (क) शैतान सच्चे उपासकों से क्या चाहता है? (ख) वह हमें किस तरह लुभाने की कोशिश करता है? (ग) हमारी उपासना में क्या-क्या शामिल है? (यह बक्स देखें: “उपासना का मतलब क्या है?”)
9 आज भी शैतान चाहता है कि हम उसकी उपासना करें या किसी और तरह से यहोवा के खिलाफ हो जाएँ। शैतान ‘इस दुनिया का ईश्वर’ है, इसलिए दुनिया के झूठे धर्मों के ज़रिए वह लोगों से अपनी उपासना करवा रहा है। (2 कुरिं. 4:4) फिर भी शैतान इससे खुश नहीं है कि करोड़ों लोग उसकी उपासना कर रहे हैं। उसकी नज़र सच्चे उपासकों पर है। वह चाहता है कि वे भी यहोवा को छोड़कर उसकी उपासना करें। वह हमें दुनिया की तरफ लुभाना चाहता है ताकि हम दौलत और ताकत हासिल करने में लग जाएँ, न कि “नेकी की खातिर” दुख उठाते हुए ज़िंदगी बिताएँ। (1 पत. 3:14) अगर हम शैतान के झाँसे में आकर सच्ची उपासना करना छोड़ दें और दुनिया का हिस्सा बन जाएँ, तो हम शैतान के आगे झुककर उसकी उपासना कर रहे होंगे, उसे अपना ईश्वर मान रहे होंगे। हम कैसे उसके प्रलोभनों को ठुकरा सकते हैं?
10. (क) यीशु ने शैतान के तीसरे प्रलोभन को ठुकराते हुए क्या कहा? (ख) यीशु ने क्यों ऐसा कहा?
10 गौर कीजिए कि यीशु ने शैतान के तीसरे प्रलोभन को कैसे ठुकराया। उसने फौरन इनकार करते हुए कहा, “दूर हो जा शैतान!” इस तरह उसने जता दिया कि वह सिर्फ यहोवा की उपासना करेगा। फिर उसने पहले की तरह व्यवस्थाविवरण से एक आयत का हवाला दिया जिसमें यहोवा का नाम आता है। उसने कहा, “लिखा है, ‘तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर और उसी की पवित्र सेवा कर।’” (मत्ती 4:10; व्यव. 6:13) यीशु ने दुनिया की शानो-शौकत और आराम की ज़िंदगी ठुकरा दी, जिसमें कोई मुश्किलें नहीं झेलनी पड़तीं। ऐसी ज़िंदगी बस थोड़े समय के लिए होती। वह जानता था कि सिर्फ उसका पिता यहोवा उपासना का हकदार है। उसे पता था कि अगर वह “बस एक बार” भी शैतान की उपासना करे, तो वह उस दुष्ट को अपना ईश्वर मान रहा होगा। इसलिए उसने साफ इनकार कर दिया। जब यीशु पर शैतान का ज़ोर नहीं चला, तो वह “उसे छोड़कर चला गया।”c
“दूर हो जा शैतान!” (पैराग्राफ 10 देखें)
11. हम शैतान और उसके प्रलोभनों को कैसे ठुकरा सकते हैं?
11 शैतान और यह दुनिया हमें लुभाने की चाहे जो भी कोशिश करे, हम उन्हें ठुकरा सकते हैं। यह हमारे हाथ में है कि हम क्या करेंगे। यीशु की तरह हमारे पास भी अपना फैसला खुद करने की आज़ादी है। कोई भी ज़बरदस्ती हमें सच्ची उपासना करने से रोक नहीं सकता, यहाँ तक कि ताकतवर शैतान भी नहीं। जब हम ‘विश्वास में मज़बूत रहकर शैतान का मुकाबला’ करते हैं, तो हम उससे कह रहे होते हैं, “दूर हो जा शैतान!” (1 पत. 5:9) याद रखिए कि जब यीशु ने शैतान की बात मानने से इनकार कर दिया, तो वह उसे छोड़कर चला गया। बाइबल हमें यकीन दिलाती है, “शैतान का विरोध करो और वह तुम्हारे पास से भाग जाएगा।”—याकू. 4:7.
शैतान की दुनिया हमें लुभाती है मगर हम उसे ठुकरा सकते हैं (पैराग्राफ 11, 19 देखें)
शुद्ध उपासना का दुश्मन
12. अदन के बाग में शैतान ने कैसे ज़ाहिर किया कि वह शुद्ध उपासना का दुश्मन है?
12 शैतान के तीसरे प्रलोभन से साफ पता चलता है कि उसी ने सबसे पहले शुद्ध उपासना का विरोध किया था। वह हरगिज़ नहीं चाहता कि यहोवा की उपासना की जाए। यह बात उसने हज़ारों साल पहले अदन के बाग में ही ज़ाहिर कर दी थी। उसने यहोवा की आज्ञा तोड़ने के लिए हव्वा को बहकाया। फिर हव्वा की बातों में आकर आदम ने भी यहोवा की आज्ञा तोड़ दी। इस तरह शैतान ने उन्हें अपने कब्ज़े में कर लिया। (उत्पत्ति 3:1-5 पढ़िए; 2 कुरिं. 11:3; प्रका. 12:9) आदम और हव्वा नहीं जानते थे कि कौन उन्हें बहका रहा है। शैतान उन्हें गुमराह करके उनका ईश्वर बन बैठा और वे उसके उपासक बन गए। उसने अदन के बाग में बगावत शुरू करके न सिर्फ यहोवा के राज करने के अधिकार पर सवाल उठाया बल्कि शुद्ध उपासना को मिटाने की मुहिम भी छेड़ दी। यह हम कैसे कह सकते हैं?
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“तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर”सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
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b बाइबल पर टिप्पणी देनेवाली एक किताब कहती है, ‘शैतान ने जब आदम और हव्वा को लुभाया, तो उन्हें यह फैसला करना था कि वे शैतान की मरज़ी पूरी करेंगे या परमेश्वर की। तो असल मुद्दा यह था कि वे परमेश्वर की उपासना करेंगे या शैतान की। यीशु के वाकए में भी असल मुद्दा उपासना को लेकर था। वाकई शैतान एकमात्र सच्चे परमेश्वर की जगह खुद परमेश्वर बनना चाहता है।’
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