गम में डूबे लोगों को दिलासा दीजिए
1. गम में डूबे लोगों को दिलासा देना क्यों ज़रूरी है?
अपने किसी अज़ीज़ को मौत में खोने का गम सहना बड़ा ही मुश्किल होता है, खासकर उनके लिए जिनके पास राज्य की आशा नहीं है। (1 थिस्स. 4:13) इसलिए कई लोगों के मन में ये सवाल उठते हैं: ‘इंसान क्यों मरता है? मरने के बाद वह कहाँ जाता है? क्या हम कभी अपने अज़ीज़ों से दोबारा मिल पाएँगे?’ जब हम प्रचार में ऐसे लोगों से मिलते हैं, जो अपने किसी रिश्तेदार या दोस्त की मौत के गम में डूबे हुए हैं, तो हम उन्हें कैसे दिलासा दे सकते हैं, इस बारे में नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं।—यशा. 61:2.
2. अगर एक घर-मालिक कहता है कि उसके परिवार में हाल ही में किसी की मौत हुई है, तो क्या ऐसे में हमें उसे लंबी-चौड़ी गवाही देनी चाहिए?
2 घर-घर जाते वक्त: प्रचार में शायद कोई घर-मालिक हमसे कहे कि हाल ही में उसके परिवार में किसी की मौत हुई है। क्या उसे देखने से लगता है कि वह अभी-भी सदमे में हैं? क्या उसके घर में बहुत-से रिश्तेदार हैं? ऐसे हालात में, अच्छा होगा कि हम उसे लंबी-चौड़ी गवाही ना दें। (सभो. 3:1, 7) हम उससे हमदर्दी जताते हुए कह सकते हैं कि यह सुनकर बड़ा दुःख हुआ। और अगर वह कोई साहित्य लेने के लिए राज़ी होता है, तो हम उसे कोई ऐसा ट्रैक्ट, पत्रिका या ब्रोशर दे सकते हैं, जो उसके लिए मुनासिब हो। और फिर हम वहाँ से निकल सकते हैं। बाद में, किसी और सही वक्त पर जाकर हम उसे बाइबल से और भी दिलासा दे सकते हैं।
3. अगर हालात इज़ाज़त देते हैं, तो गम में डूबे घर-मालिक को हम कौन-सी आयतें दिखा सकते हैं?
3 दूसरे मौके पर हमें शायद लगे कि हम पहली मुलाकात में ही घर-मालिक को बहुत कुछ बात सकते हैं। लेकिन ध्यान रखिए कि यह समय उसकी झूठी धारणाओं को गलत साबित करने का नहीं हैं। अगर वह राज़ी होता है, तो हम उसे बाइबल से पुनरुत्थान की आशा के बारे में बता सकते हैं। (यूह. 5:28, 29) या हम उसे बता सकते हैं कि मरे हुए किस दशा में हैं, इस बारे में बाइबल क्या कहती है। (सभो. 9:5, 10) या फिर हम उसे बाइबल में दर्ज़ पुनरुत्थान का कोई ब्यौरा बताकर सांत्वना दे सकते हैं। (यूह. 11:39-44) इसके अलावा, आप उन आयतों पर गौर कर सकते हैं, जिनमें परमेश्वर के वफादार सेवक अय्यूब ने उस पर आस लगाए रखने के बारे में कहा था। (अय्यू. 14:14, 15) उसके घर से निकलने से पहले हम उसे मरने पर हमारा क्या होता है? (अँग्रेज़ी), जब आपका कोई अपना मर जाए, या कोई दूसरी ब्रोशर या ट्रैक्ट दे सकते हैं, जो उसके लिए सही हो। या हम बाइबल सिखाती है किताब और क्या आप बाइबल के बारे में और ज़्यादा जानना चाहते हैं ट्रैक्ट दे सकते हैं। और किताब के अध्याय 6 में दी जानकारी पर उसका ध्यान खींच सकते हैं और उससे कह सकते हैं कि हम अगली बार इस विषय पर और भी चर्चा करेंगे।
4. लोगों को दिलासा देने के हमें और कौन-से मौके मिलते हैं?
4 दूसरे मौकों पर: अगर राज्य घर में अंत्येष्टि समारोह रखा जा रहा है, तो क्या वहाँ पर गैर-साक्षी भी मौजूद होंगे? अगर हाँ, तो उन्हें वे साहित्य दिए जा सकते हैं, जिनसे उन्हें सांत्वना मिले। इसके अलावा, कुछ जगहों पर परिवार में किसी मौत होने के बाद लोग चंद दिनों तक शोक मनाते हैं। अगर हम उनके घर जाकर उन्हें साहित्य दें, तो हो सकता है, वे साहित्य कबूल करें। अखबारों में लोगों की मौत का जो शोक-समाचार छपता है, उसका फायदा उठाकर भी हम लोगों को दिलासा दे सकते हैं। जैसे, हम गम में डूबे उनके परिवारवालों को चिट्ठी लिख सकते हैं। एक बार एक आदमी को, जिसकी पत्नी गुज़र गयी थी, एक खत मिला जिसके साथ कुछ ट्रैक्ट भी थे। खत पढ़ने के बाद, वह आदमी अपनी बेटी के साथ उस प्रचारक के घर गया, जिसने उसे वह खत लिखा था। और उससे पूछा, “क्या आप ही ने मुझे यह खत भेजा है? मैं बाइबल के बारे में और ज़्यादा जानना चाहता हूँ।” इसके बाद, वह आदमी और उसकी बेटी बाइबल अध्ययन करने लगे और कलीसिया की सभाओं में हाज़िर होने लगे।
5. हमें ऐसे मौकों की तलाश में क्यों रहना चाहिए जब हम गम में डूबे लोगों को सांत्वना दे सकें?
5 सभोपदेशक 7:2 कहता है, “जेवनार के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम है।” शोक मनानेवाले लोग परमेश्वर का वचन सुनने के लिए ज़्यादा तैयार रहते हैं, बजाय उनके जो मौज-मस्ती में लगे रहते हैं। इसलिए हम सबको ऐसे मौकों की तलाश में रहना चाहिए, जब हम उन लोगों को सांत्वना दे सकें, जो अपने किसी अज़ीज़ को मौत में खोने का गम सह रहे हैं।