अगर कोई नास्तिक मिल जाए तो आप क्या कहेंगे?
पोलैंड की एक प्रॉफेसर ने अफ्रीका में हमारी एक मिशनरी बहन से कहा, “मैं भगवान को नहीं मानती।” फिर भी बहन ने उसे गवाही दी और उसे लाइफ—हाउ डिड इट गेट हियर? बाइ एवोल्यूशन ऑर बाइ क्रियेशन? किताब देने में कामयाब हुई। जब बहन अगले हफ्ते उस प्रॉफेसर से मिलने गई तो उसने कहा: “अब मुझे भी भगवान पर विश्वास होने लगा है!” उस स्त्री ने क्रियेशन किताब को शुरू से आखिर तक पढ़ लिया था और अब वह बाइबल स्टडी करना चाहती थी। अगर आप भी नास्तिक लोगों को अच्छी तरह गवाही देना चाहते हैं तो आप क्या कर सकते हैं? सबसे पहले ध्यान दीजिए कि लोग नास्तिक क्यों बन जाते हैं।
२ नास्तिक बनने की वज़हें: बहुत-से नास्तिक तो पैदाइशी नास्तिक नहीं होते। वे पहले किसी न किसी धर्म को मानते थे और उन्हें परमेश्वर पर विश्वास था। लेकिन ज़िंदगी के कुछ हादसों ने उन्हें नास्तिक बना दिया है। कुछ लोग अपनी किसी बड़ी बीमारी या परिवार में समस्या के कारण नास्तिक बन गए हैं। कुछ लोगों का परमेश्वर पर से विश्वास इसलिए उठ गया है क्योंकि उनके साथ नाइंसाफी हुई है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो स्कूल या कॉलेज में पाई शिक्षा की वज़ह से कहने लगे हैं कि दुनिया में कोई परमेश्वर नहीं है। मगर फिर भी कुछ नास्तिकों ने अपने विचार बदल दिए और आज वे यहोवा के साक्षी हैं और यहोवा पर मज़बूत विश्वास रखते हैं। लेकिन गौर कीजिए कि ये लोग किन वज़हों से नास्तिक बन गए थे।
३ पैरिस में एक स्त्री को जन्म से ही हड्डियों में तकलीफ थी। हालाँकि उसे बचपन में ही कैथोलिक चर्च में बपतिस्मा दिया गया था मगर उसे परमेश्वर पर ज़रा भी विश्वास नहीं था। जब उसने चर्च की ननों से पूछा कि परमेश्वर ने उसे क्यों इस बीमारी के साथ पैदा होने दिया तो उनका जवाब था: “क्योंकि वह तुम्हें बहुत प्यार करता है।” यह बात उसे बिलकुल अच्छी नहीं लगी। फिनलैंड के एक नौजवान की बात पर भी गौर कीजिए। उसकी माँस-पेशियों में एक ऐसी बीमारी लग गई थी जो लाइलाज थी इसलिए उसे सारी उम्र एक व्हीलचैयर पर बितानी पड़ी। उसकी माँ उसे पिन्तेकुस्त चर्च के एक आदमी के पास ले गई जो चमत्कार करके बीमारों को चंगा करने का दावा करता था। लेकिन वहाँ जाने पर भी उसकी बीमारी ठीक नहीं हुई। इसलिए उस जवान ने परमेश्वर को मानना छोड़ दिया और वह एक नास्तिक बन गया।
४ अब होन्ड्यूरास के एक आदमी की बात लीजिए जो पैदाइशी कैथोलिक था। उसने यूनिवर्सिटी में सोश्यलिस्ट फिलॉसफी और नास्तिकवाद का कोर्स किया था। इस शिक्षा का उस पर ऐसा असर पड़ा कि वह नास्तिक बन गया, वह अब यह विश्वास करने लगा कि इंसान को किसी ने नहीं बनाया मगर वह खुद-ब-खुद बन गया है। उसी तरह, अमरीका की एक स्त्री की बात पर गौर कीजिए। वह जन्म से एक मैथोडिस्ट थी। उसने कॉलेज में साइकोलॉजी का कोर्स किया था। इस कोर्स का उसके सोच-विचार पर कैसा असर पड़ा? उसने कहा: “कुछ ही महीनों में कॉलेज की पढ़ाई ने धर्म पर से मेरा विश्वास पूरी तरह हटा दिया।”
५ नेकदिल इंसानों को यकीन दिलाना: कई लोग कहते हैं कि वे परमेश्वर को नहीं मानते मगर जब उन्हें मालूम चलता है कि जल्द ही बीमारी, परिवार में फूट जैसी सभी समस्याएँ दूर की जाएँगी, तो वे दिलचस्पी से सुनेंगे। दरअसल वे जानना चाहते हैं कि ‘आज दुनिया में इतनी बुराई क्यों है?’ ‘अच्छे लोगों को दुःख क्यों उठाना पड़ता है?’ और ‘ज़िंदगी का मकसद क्या है?’
६ स्विटज़रलैंड में रहनेवाले एक पति-पत्नी बचपन से नास्तिक थे। जब यहोवा के साक्षियों ने उनसे मुलाकात की तो उन्होंने खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। लेकिन उनकी आपस में कुछ समस्याएँ थीं जिसकी वज़ह से वे तलाक लेना चाहते थे। जब साक्षियों ने उनसे दोबारा मुलाकात की और उन्हें बताया कि किस तरह वे बाइबल की मदद से अपनी समस्याओं को सुलझा सकते हैं तो वे यह देखकर हैरान रह गए कि बाइबल में कितनी अच्छी सलाह दी गई है। इसलिए उन्होंने बाइबल-स्टडी शुरू की। फिर उनकी समस्याएँ दूर हुईं और उनके आपस का प्यार बढ़ा। उन्होंने आध्यात्मिक बातों में भी अच्छी तरक्की की और बपतिस्मा लिया।
७ नास्तिकों को आप किस तरह गवाही दे सकते हैं: जब कोई आपसे कहता है कि उसे परमेश्वर पर विश्वास नहीं तो सबसे पहले आप यह जानने की कोशिश कीजिए कि वह ऐसा क्यों कह रहा है। क्या स्कूल या कॉलेज में पाई शिक्षा की वज़ह से, या ज़िंदगी की समस्याओं की वज़ह से या फिर धर्म में हो रहे छल-कपट को देखकर और झूठी शिक्षाओं की वज़ह से वह नास्तिक बन गया है? उसके नास्तिक बनने की वज़ह जानने के लिए आप पूछ सकते हैं: “क्या मैं जान सकता हूँ कि क्या आप शुरू से ही ईश्वर को नहीं मानते थे?” या “आपके ऐसा कहने की वज़ह क्या है?” इस सवाल का जो जवाब वह देगा उसके मुताबिक आप तय कर सकते हैं कि आपको आगे क्या कहना है। अगर उसे परमेश्वर पर यकीन दिलाने के लिए ठोस सबूतों की ज़रूरत है तो उसे क्या एक सिरजनहार है जो आपकी परवाह करता है? (अँग्रेज़ी) नामक किताब देना काफी होगा।
८ जब आप किसी नास्तिक से मिलते हैं तो उसके साथ बातचीत शुरू करने के लिए यह पूछ सकते हैं:
◼ “क्या आपने कभी सोचा है: अगर एक परमेश्वर है, तो दुनिया में इतनी सारी दुःख-तकलीफें और नाइंसाफी क्यों होती है? [जवाब के लिए रुकिए।] क्या आप जानना चाहते हैं कि इस बारे में बाइबल क्या कहती है?” यिर्मयाह १०:२३ पढ़िए। फिर इस आयत के बारे में उसकी राय पूछिए। इसके बाद, उसे क्या कभी युद्ध बिना एक संसार होगा नामक ब्रोशर (अँग्रेज़ी) के पेज १६ और १७ पर दी गई बातें बताइए। या फिर आप सिरजनहार किताब का अध्याय १० दिखा सकते हैं। उसे यह किताब रखने के लिए कहिए ताकि वह बाद में पढ़कर देखे।—इस बारे में और जानकारी के लिए आप रीज़निंग किताब के पेज, १५०-१ देख सकते हैं।
९ यह सच है कि सभी नास्तिक सच्चाई नहीं सीखेंगे। लेकिन कुछ नास्तिक ऐसे भी हैं जो हमारी बात सुनना चाहेंगे। तो आइए हम अच्छी दलील पेश करें, अपनी हर बात के लिए कारण बताएँ और सबसे बढ़कर उन्हें सच्चाई की राह दिखाने के लिए बाइबल का इस्तेमाल करें।—प्रेरि. २८:२३, २४; इब्रा. ४:१२.