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  • “तुम्हारी रौशनी . . . चमके”
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हमारी राज-सेवा—2011
km 5/11 पेज 1

“तुम्हारी रौशनी . . . चमके”

1. हमें लोगों को क्या तोहफा बाँटने का सम्मान मिला है?

जब सूरज सुबह से शाम तक चमकता है तो इसकी खूबसूरत रौशनी से परमेश्‍वर यहोवा की महिमा होती है। लेकिन यीशु ने अपने चेलों को एक अलग तरह की रौशनी अपनाने का बढ़ावा दिया, जो “ज़िंदगी की रौशनी” है। (यूह. 8:12) आध्यात्मिक ज्ञान की यह खास रौशनी हमें यहोवा से मिली है, मगर इसके साथ हमें गंभीर ज़िम्मेदारियाँ भी मिली हैं। यीशु ने निर्देश दिया: “तुम्हारी रौशनी लोगों के सामने चमके” जिससे उन्हें फायदा हो। (मत्ती 5:16) आज दुनिया घोर अंधकार में है, इसलिए यह और भी ज़रूरी हो गया है कि हम लोगों में यह रौशनी फैलाएँ! हम कैसे यीशु की तरह अपनी रौशनी चमका सकते हैं?

2. यीशु ने आध्यात्मिक रौशनी बाँटने की अहमियत कैसे दिखायी?

2 प्रचार के ज़रिए: यीशु ने अपना समय, ताकत और साधन लगाए ताकि वह लोगों के घरों, सार्वजनिक जगहों, पहाड़ियों और जहाँ भी लोग मिल सकें वहाँ सच्चाई की रौशनी फैलाए। वह जानता था कि आध्यात्मिक ज्ञान बाँटना बेहद ज़रूरी है। (यूह. 12:46) यीशु ने अपने चेलों को भी “दुनिया की रौशनी” बनने के लिए तैयार किया ताकि वे और ज़्यादा लोगों तक रौशनी फैला सकें। (मत्ती 5:14) वे अपने पड़ोसियों की भलाई करने और आध्यात्मिक सच्चाई बाँटने के ज़रिए अपनी रौशनी चमकाते हैं।

3. सच्चाई की रौशनी के लिए हम कैसे दिली कदर ज़ाहिर कर सकते हैं?

3 परमेश्‍वर के लोग “रौशनी की संतानों के नाते चलते” रहने की अपनी ज़िम्मेदारी बड़ी गंभीरता से निभाते हैं और जहाँ कहीं भी लोग मिलते हैं वहाँ प्रचार करते हैं। (इफि. 5:8) काम की जगह या स्कूल में अंतराल के दौरान बाइबल या दूसरे मसीही साहित्य पढ़ने से आध्यात्मिक बातचीत करने का रास्ता खुल सकता है। इस तरीके का इस्तेमाल करके एक बहन ने एक बाइबल अध्ययन शुरू किया और अपने साथ पढ़नेवालों को 12 किताबें बाँटीं।

4. ‘अपनी रौशनी चमकाने’ में अच्छा चाल-चलन कैसे शामिल है?

4 अच्छे कामों के ज़रिए: हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अपने चाल-चलन के ज़रिए भी रौशनी चमकाते हैं। (इफि. 5:9) काम पर, स्कूल में और दूसरी जगहों पर मसीही चाल-चलन तुरंत लोगों की नज़र में आता है और इससे हमें बाइबल सच्चाई बताने का मौका मिलता है। (1 पत. 2:12) उदाहरण के लिए पाँच साल के एक बच्चे का अच्छा व्यवहार देखकर उसकी टीचर इतनी प्रभावित हुई कि उसने उस बच्चे के माता-पिता को स्कूल में बुलाया और कहा, “मैंने आज तक ऐसा बच्चा नहीं देखा जो सही-गलत के बारे में इतनी बेहतरीन समझ रखता हो!” जी हाँ, हमारा प्रचार काम और अच्छा चाल-चलन लोगों को “ज़िंदगी की रौशनी” की तरफ आकर्षित करता है जिससे परमेश्‍वर की महिमा होती है।

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