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  • सोच-समझकर दोस्ती कीजिए

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  • सोच-समझकर दोस्ती कीजिए
  • हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2021
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हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2021
mwb21 मार्च पेज 15
मोआबी औरतें इसराएली आदमियों को अपने साथ आने के लिए बुला रही हैं।

जीएँ मसीहियों की तरह

सोच-समझकर दोस्ती कीजिए

मोआब के मैदानों में इसराएलियों के साथ जो हुआ, उससे हमें एक सबक मिलता है। (1कुर 10:6, 8, 11) कुछ इसराएली आदमी मोआब की औरतों से मेल-जोल रखने लगे जो बदचलन थीं और मूर्ति-पूजा करती थीं। ये आदमी इन औरतों के बहकावे में आकर पाप कर बैठे। इस वजह से इसराएलियों पर मुसीबत टूट पड़ी। (गि 25:9) हम जिनके साथ काम करते हैं, स्कूल में पढ़ते हैं, हमारे पड़ोसी, रिश्‍तेदार और जान-पहचानवाले, उनमें से ज़्यादातर लोग यहोवा की उपासना नहीं करते। ऐसे लोगों के साथ ज़्यादा मेल-जोल रखने से हम भी इसराएलियों की तरह खतरे में पड़ सकते हैं।

इसराएलियों की कहानी, हमें देती चेतावनी—एक झलक  वीडियो देखिए। फिर सवालों के जवाब दीजिए।

  • ‘इसराएलियों की कहानी, हमें देती चेतावनी​—एक झलक’ वीडियो का एक दृश्‍य। जिमरी यामीन और दूसरे आदमियों को मोआबी औरतों के बारे में कुछ बता रहा है।

    जिमरी और दूसरे आदमियों ने यामीन से क्या बातें कहीं जो कि गलत थीं?

  • ‘इसराएलियों की कहानी, हमें देती चेतावनी​—एक झलक’ वीडियो का एक दृश्‍य। फिनेहास यामीन को कुछ समझा रहा है।

    फिनेहास ने यामीन को क्या समझाया?

  • एक अविश्‍वासी के साथ दोस्ताना व्यवहार करने और उसके दोस्त होने में क्या फर्क है?

  • मंडली में भी हमें क्यों सोच-समझकर दोस्त बनाने चाहिए?

  • सोशल मीडिया पर हमें ऐसे लोगों से क्यों बात नहीं करनी चाहिए जिन्हें हम नहीं जानते?

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