परमेश्वर की सेवा स्कूल पर चर्चा
27 जून, 2011 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल निगरान 20 मिनट के लिए 2 मई से 27 जून, 2011 तक के हफ्तों में पेश किए गए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा।
1. यहोवा ने अय्यूब से उसके खिलाफ पाप करनेवालों की खातिर प्रार्थना करने की माँग की, इससे हम क्या सीख सकते हैं? (अय्यूब 42:8) [प्रहरीदुर्ग 98 8/15 पेज 30 पैरा. 5]
2. मसीही जो “धर्म के बलिदान” चढ़ाते हैं, वे क्या हैं? (भज. 4:5) [प्रहरीदुर्ग 06 5/15 पेज 18 पैरा. 9]
3. दाविद के गुर्दों ने कैसे उसे शुद्ध किया? (भज. 16:7, NW) [प्रहरीदुर्ग 04 12/1 पेज 14 पैरा. 9]
4. किस तरह “आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है”? (भज. 19:1) [प्रहरीदुर्ग 04 10/1 पेज 10 पैरा. 8]
5. भजन 27:14 में आशा और हिम्मत के बीच क्या गहरा ताल्लुक है? [प्रहरीदुर्ग 06 10/1 पेज 27-28 पैरा. 3, 6]
6. संगी मसीहियों के साथ हमारे व्यवहार पर भजन 37:21 का क्या असर होना चाहिए? [प्रहरीदुर्ग 89 11/1 पेज 17 पैरा. 8]
7. कदरदानी दिखाने के मामले में अपने देश से दूर बंधुआई में पड़े एक लेवी से क्या सीखा जा सकता है? (भज. 42:1-3) [प्रहरीदुर्ग 06 6/1 पेज 9 पैरा. 3]
8. क्या बात हमें सच्चाई से प्यार और बुराई से नफरत करने में मदद कर सकती है? (भज. 45:7) [मेरा चेला पेज 58-59 पैरा. 8-10]
9. दाविद ने खुद को सँभालने के लिए किसकी “उदार” या तत्पर “आत्मा” की गुज़ारिश की? (भज. 51:12) [प्रहरीदुर्ग 06 6/1 पेज 9 पैरा. 10]
10. हम यहोवा के भवन में जैतून के पेड़ की तरह कैसे बन सकते हैं? (भज. 52:8) [प्रहरीदुर्ग 00 5/15 पेज 29 पैरा. 6]