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उत्पत्ति का सारांश

      • यहूदा और तामार (1-30)

उत्पत्ति 38:2

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फुटनोट

  • *

    यानी यहूदा।

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    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2112

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    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 5/2020, पेज 4

    युवाओं के प्रश्‍न, पेज 201

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    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2004, पेज 30

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    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2004, पेज 30

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    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2004, पेज 29

उत्पत्ति 38:29

फुटनोट

  • *

    मतलब “फटना,” मुमकिन है कि यहाँ मूलाधार के फटने की बात की गयी है।

संबंधित आयतें

  • +उत 46:12; रूत 4:12; 1इत 2:4; लूक 3:23, 33

उत्पत्ति 38:30

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उत्प. 38:2उत 24:2, 3; 28:1
उत्प. 38:3गि 26:19
उत्प. 38:5यह 19:29, 31
उत्प. 38:6मत 1:3
उत्प. 38:8व्य 25:5, 6; मत 22:24
उत्प. 38:9रूत 4:6
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उत्प. 38:26उत 38:11; व्य 25:5
उत्प. 38:29उत 46:12; रूत 4:12; 1इत 2:4; लूक 3:23, 33
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
उत्पत्ति 38:1-30

उत्पत्ति

38 इन्हीं दिनों यहूदा अपने भाइयों से अलग हो गया। उसने अपना तंबू हीरा नाम के एक आदमी के यहाँ गाड़ा जो अदुल्लाम का रहनेवाला था। 2 यहूदा ने वहाँ शूआ नाम के एक कनानी आदमी की बेटी को देखा।+ यहूदा ने उसे अपनी पत्नी बनाया और उसके साथ संबंध रखे। 3 वह गर्भवती हुई और उसने एक बेटे को जन्म दिया। यहूदा ने अपने बेटे का नाम एर+ रखा। 4 उसकी पत्नी एक बार फिर गर्भवती हुई और उसने एक और बेटे को जन्म दिया और उसका नाम ओनान रखा। 5 बाद में उसकी पत्नी ने एक और बेटे को जन्म दिया और उसका नाम शेलह रखा। शेलह के जन्म के वक्‍त वह* अकजीब+ में था।

6 कुछ समय बाद, यहूदा ने अपने पहलौठे बेटे एर की शादी तामार+ नाम की लड़की से करायी। 7 मगर यहूदा का पहलौठा एर यहोवा की नज़र में दुष्ट था, इसलिए यहोवा ने उसे मार डाला। 8 तब यहूदा ने अपने दूसरे बेटे ओनान से कहा, “तू देवर-भाभी विवाह के रिवाज़ के मुताबिक अपने भाई की विधवा से शादी कर और अपने भाई का वंश चला।”+ 9 मगर ओनान जानता था कि उसके भाई की विधवा से उसका जो बच्चा होगा वह उसका अपना नहीं कहलाएगा।+ इसलिए अपने भाई की विधवा से संबंध रखते वक्‍त उसने अपना वीर्य धरती पर गिरा दिया, क्योंकि वह अपने भाई के लिए कोई संतान नहीं पैदा करना चाहता था।+ 10 उसका यह काम यहोवा की नज़र में बुरा था इसलिए उसने ओनान को भी मार डाला।+ 11 फिर यहूदा ने सोचा कि अगर मैं तामार को अपना बेटा शेलह दूँगा तो कहीं ऐसा न हो कि वह भी अपने भाइयों की तरह मर जाए।+ इसलिए उसने अपनी बहू तामार से कहा, “जब तक मेरा बेटा शेलह बड़ा नहीं हो जाता, तू जाकर अपने पिता के घर विधवा बनकर रह।” यहूदा के कहने पर तामार अपने पिता के घर चली गयी और वहीं रहने लगी।

12 कुछ समय बाद यहूदा की पत्नी, जो शूआ की बेटी थी,+ मर गयी। यहूदा ने उसके लिए मातम मनाया और मातम के दिन पूरे होने के बाद वह अदुल्लाम के अपने साथी हीरा+ को लेकर तिमना+ गया, जहाँ उसकी भेड़ों के ऊन कतरनेवाले लोग थे। 13 तामार को बताया गया: “तेरा ससुर अपनी भेड़ों का ऊन कतरवाने तिमना जा रहा है।” 14 तब तामार ने अपने विधवा के कपड़े बदले और एक ओढ़ना ओढ़ा और अपना चेहरा घूँघट में छिपा लिया। फिर वह एनैम के फाटक के पास जा बैठी जो तिमना के रास्ते में है। तामार ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे शेलह की पत्नी नहीं बनाया गया था, जबकि अब वह बड़ा हो गया था।+

15 जैसे ही यहूदा ने उसे देखा उसने सोचा कि वह कोई वेश्‍या है, क्योंकि उसने अपना चेहरा छिपा रखा था। 16 वह सड़क किनारे उसके पास गया और बोला, “क्या तू मुझे अपने साथ संबंध रखने देगी?” वह नहीं जानता था कि वह औरत उसकी बहू है।+ तब वह बोली, “बदले में तू मुझे क्या देगा?” 17 उसने कहा, “मैं अपने झुंड में से बकरी का एक बच्चा तेरे पास भेजूँगा।” मगर वह बोली, “जब तक तू बकरी का बच्चा नहीं भेजता, तब तक के लिए तू बंधक में क्या रखेगा?” 18 उसने कहा, “तू ही बता, मैं बंधक में तुझे क्या दूँ?” वह बोली, “अपनी मुहरवाली अँगूठी,+ उसकी डोरी और वह छड़ी जो तेरे हाथ में है।” तब उसने वे सारी चीज़ें उसे दे दीं और उसके साथ संबंध रखे और उस औरत के गर्भ ठहर गया। 19 इसके बाद वह उठकर वहाँ से चली गयी। उसने अपना ओढ़ना उतारा और दोबारा अपने विधवा के कपड़े पहन लिए।

20 बाद में यहूदा ने अदुल्लाम के अपने साथी+ के हाथ बकरी का एक बच्चा भेजा कि वह उस औरत से बंधक की चीज़ें छुड़ा लाए। मगर जब उसका साथी वहाँ गया तो उसे वह औरत कहीं नहीं मिली। 21 उसने वहाँ के आदमियों से पूछताछ की: “मंदिर की वह वेश्‍या कहाँ है, जो एनैम में सड़क किनारे बैठा करती थी?” उन्होंने कहा, “इस इलाके में कभी कोई वेश्‍या नहीं रही।” 22 जब उसे वह औरत नहीं मिली, तो वह यहूदा के पास लौट आया और उससे कहा, “मुझे वह वेश्‍या नहीं मिली। और वहाँ के आदमियों ने भी बताया, ‘इस इलाके में कभी कोई वेश्‍या नहीं रही।’” 23 तब यहूदा ने कहा, “कोई बात नहीं, उसे मेरी चीज़ें रख लेने दो। अगर हम उसके बारे में ज़्यादा पूछताछ करेंगे तो हमारी बदनामी होगी। और मैंने तो बकरी का बच्चा भेजकर अपना वचन निभाया, मगर वह औरत नहीं मिली तो हम क्या कर सकते हैं।”

24 लेकिन करीब तीन महीने बाद यहूदा को यह बताया गया: “तेरी बहू तामार वेश्‍या बन गयी है और अपनी बदचलनी से वह गर्भवती भी हो गयी है।” तब यहूदा ने कहा, “उसे बाहर सबके सामने लाकर मार डालो और जला दो।”+ 25 जब तामार को बाहर लाया जा रहा था, तो उसने अपने ससुर को यह संदेश भेजा: “ये चीज़ें जिस आदमी की हैं, उसी से मैं गर्भवती हुई हूँ।” उसने यह भी कहलवाया, “मेहरबानी करके ध्यान से देख, यह मुहरवाली अँगूठी, डोरी और यह छड़ी किसकी है।”+ 26 जब यहूदा ने वे चीज़ें ध्यान से देखीं तो उसने कहा, “दोषी वह नहीं, मैं हूँ क्योंकि मैंने उसे अपने बेटे शेलह की पत्नी नहीं बनाया।”+ इसके बाद यहूदा ने फिर कभी तामार के साथ संबंध नहीं रखे।

27 फिर तामार के बच्चा जनने का वक्‍त आया। उसकी कोख में जुड़वाँ लड़के थे। 28 प्रसव के वक्‍त सबसे पहले एक बच्चे का हाथ बाहर आया। धाई ने फौरन एक सुर्ख लाल रंग का धागा लिया और पहचान के लिए उसके हाथ पर बाँधकर कहा, “यह पहला बच्चा है।” 29 मगर फिर उस बच्चे ने अपना हाथ अंदर खींच लिया और जैसे ही उसने ऐसा किया, उसका भाई बाहर आया। यह देखकर धाई चौंक गयी और बोली, “तू तो खुद ही दरार बनाकर निकल आया!” इसलिए उस लड़के का नाम पेरेस*+ रखा गया। 30 उसके बाद उसका भाई बाहर निकला, जिसके हाथ पर सुर्ख लाल धागा बँधा था। उसका नाम जेरह+ रखा गया।

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