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  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र

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इब्रानियों 6:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    6/2018, पेज 19-20

    प्यार के लायक, पेज 229-231

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2016, पेज 29-30

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 227-231

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2009, पेज 9-13

    1/1/1998, पेज 9

    एकमात्र सच्चा परमेश्‍वर, पेज 8

इब्रानियों 6:2

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    12/2017, पेज 8-9

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2008, पेज 30

    9/15/2008, पेज 32

इब्रानियों 6:5

फुटनोट

  • *

    इब्रा 6:5 या, “दुनिया की व्यवस्था।”

इब्रानियों 6:10

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  • खोजबीन गाइड

    यहोवा के करीब, पेज 245-246

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2008, पेज 19-20

    2/1/2007, पेज 22

    4/15/2003, पेज 17

इब्रानियों 6:11

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2006, पेज 24

    2/1/2004, पेज 30

इब्रानियों 6:12

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2003, पेज 16-17

इब्रानियों 6:18

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2023, पेज 2

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 8/2019, पेज 7

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/1986, पेज 26

इब्रानियों 6:19

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2022, पेज 25

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2021, पेज 30

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 8/2019, पेज 7

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    12/2016, पेज 26

    सजग होइए!,

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/1999, पेज 18-20

    10/1/1992, पेज 5

इब्रानियों 6:20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2015, पेज 17-18

    11/15/1995, पेज 19

दूसरें अनुवाद

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  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
इब्रानियों 6:1-20

इब्रानियों

6 इसी वजह से, अब जबकि हम मसीह के बारे में बुनियादी शिक्षाओं को पीछे छोड़ चुके हैं, तो आओ हम पूरा ज़ोर लगाकर प्रौढ़ता के लक्ष्य तक बढ़ते जाएँ। हम फिर नए सिरे से बुनियाद न डालें, यानी हम फिर से वही बातें न सीखने लगें जिनसे हमने शुरूआत की थी। जैसे मुरदा कामों से पश्‍चाताप करने, परमेश्‍वर पर विश्‍वास करने, 2 अलग-अलग किस्म के बपतिस्मों, हाथ रखने, मरे हुओं के जी उठने और हमेशा तक कायम रहनेवाले न्यायदंड की शिक्षा। 3 और अगर परमेश्‍वर इजाज़त दे, तो हम ज़रूर प्रौढ़ता के लक्ष्य तक बढ़ते जाएँगे।

4 क्योंकि जो लोग एक बार ज्ञान की रौशनी हासिल कर चुके हैं और जिन्होंने स्वर्ग से मिलनेवाले मुफ्त वरदान का स्वाद लिया है और जो पवित्र शक्‍ति के भागीदार बने, 5 और जिन्होंने परमेश्‍वर के बढ़िया वचन का और आनेवाले ज़माने* की शक्‍तिशाली चीज़ों का स्वाद लिया, 6 मगर अब गिर गए हैं और दूर जा चुके हैं, उन्हें फिर से पश्‍चाताप करने के लिए लौटा लाना नामुमकिन है। क्योंकि वे खुद ही परमेश्‍वर के बेटे को एक बार फिर सूली पर चढ़ाते हैं और लोगों के सामने उसे शर्मिंदा करते हैं। 7 जैसे वह ज़मीन जो उस पर बार-बार पड़नेवाली बारिश का पानी पीती है और फिर अपने जोतने-बोनेवालों के खाने के लिए साग-सब्ज़ी उपजाती है, वह बदले में परमेश्‍वर से आशीष पाती है। 8 लेकिन अगर वह काँटे और कंटीली झाड़ियाँ उगाए, तो उसे बेकार छोड़ दिया जाता है और वह शाप पाने के लायक होती है। और आखिर में उसे जला दिया जाता है।

9 हालाँकि हम इस तरह बात कर रहे हैं, लेकिन प्यारे भाइयो, जहाँ तक तुम्हारी बात है, हमें यकीन है कि तुम ज़्यादा अच्छी हालत में हो। और उन बातों को थामे हुए हो जिनसे उद्धार हासिल होता है। 10 क्योंकि परमेश्‍वर अन्यायी नहीं कि तुम्हारे काम और उस प्यार को भूल जाए जो तुमने उसके नाम के लिए दिखाया है। यानी कैसे तुमने पवित्र जनों की सेवा की है और अब भी कर रहे हो। 11 मगर हम चाहते हैं कि तुममें से हरेक जन इसी तरह मेहनत करता रहे ताकि आखिर तक अपनी आशा के पूरा होने का पक्का भरोसा हासिल कर सके। 12 जिससे कि तुम आलसी न हो जाओ, मगर उन लोगों की मिसाल पर चलो जो विश्‍वास और सब्र रखने की वजह से वादों के वारिस बनते हैं।

13 जब परमेश्‍वर ने अब्राहम से वादा किया, तो उसने खुद अपनी शपथ खायी, क्योंकि परमेश्‍वर से बड़ा कोई और नहीं जिसकी वह शपथ खाता। 14 उसने कहा: “मैं यकीनन तुझे आशीष दूँगा और तुझे कई गुना बढ़ाऊँगा।” 15 इस तरह जब अब्राहम ने सब्र रखा, तो यह वादा हासिल किया। 16 इंसान अपने से किसी बड़े की शपथ खाते हैं और उनकी शपथ हर विवाद का अंत होती है, क्योंकि यह शपथ उनके लिए कानूनी गारंटी ठहरती है। 17 इसी तरह जब परमेश्‍वर ने वादे के वारिसों पर और भी पक्के तौर पर यह ज़ाहिर करना चाहा कि उसकी मरज़ी कितनी अटल है, तो उसने शपथ खाते हुए अपने वादे को पुख्ता किया, 18 ताकि इन दो अटल बातों के ज़रिए जिनके बारे में परमेश्‍वर का झूठ बोलना नामुमकिन है हमें यानी हम जो भागकर परमेश्‍वर की शरण में आए हैं, ऐसा ज़बरदस्त हौसला मिले कि हम उस आशा पर पकड़ हासिल कर सकें जो हमारे सामने रखी है। 19 यह आशा हमारी ज़िंदगी के लिए एक लंगर है, जो पक्की और मज़बूत है। और यह आशा हमें परदे के उस पार ले जाती है, 20 जहाँ हमारा अगुवा यीशु, हमारी खातिर दाखिल हो चुका है और जो मेल्कीसेदेक की तरह हमेशा के लिए महायाजक बन गया है।

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