वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • प्रेषितों 18
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

प्रेषितों 18:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 148

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 21, 24

प्रेषितों 18:2

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 137

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2003, पेज 19-20

    12/15/1996, पेज 22

    1/1/1991, पेज 28-29

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 19

प्रेषितों 18:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 148-150

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2003, पेज 19-20

    12/15/1996, पेज 22-23

    1/1/1991, पेज 28-29

प्रेषितों 18:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/1999, पेज 15

प्रेषितों 18:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 151

    राज-सेवा,

    4/2001, पेज 4

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/1992, पेज 30

प्रेषितों 18:6

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 151

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1996, पेज 21-22

प्रेषितों 18:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 151

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/1991, पेज 28-29

प्रेषितों 18:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 151

प्रेषितों 18:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 152-153

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/1997, पेज 11

प्रेषितों 18:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 152-153

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/1997, पेज 11

प्रेषितों 18:11

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 25

प्रेषितों 18:12

फुटनोट

  • *

    प्रेषि 18:12 दक्षिणी यूनान का रोमी प्रांत, जिसकी राजधानी कुरिंथ थी।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 152-153

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2100

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/1991, पेज 29

प्रेषितों 18:13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 153

प्रेषितों 18:14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 153

प्रेषितों 18:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 155

प्रेषितों 18:17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 153

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2008, पेज 32

    1/1/1991, पेज 29

प्रेषितों 18:18

फुटनोट

  • *

    प्रेषि 18:18 पूर्वी इलाकों के लिए कुरिंथ का बंदरगाह।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 152, 154

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2008, पेज 32

    1/1/1991, पेज 29

प्रेषितों 18:19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 28

प्रेषितों 18:21

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 160

प्रेषितों 18:22

फुटनोट

  • *

    प्रेषि 18:22 सीरिया के।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 154

प्रेषितों 18:23

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 160

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 25-26

प्रेषितों 18:24

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1996, पेज 20-21

प्रेषितों 18:25

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2010, पेज 11

    10/1/1996, पेज 20-21

प्रेषितों 18:26

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 159

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2010, पेज 11

    11/15/2003, पेज 18-19

    10/1/1996, पेज 21

    1/1/1991, पेज 29

प्रेषितों 18:27

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1996, पेज 21

प्रेषितों 18:28

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1996, पेज 21-22

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
  • 6
  • 7
  • 8
  • 9
  • 10
  • 11
  • 12
  • 13
  • 14
  • 15
  • 16
  • 17
  • 18
  • 19
  • 20
  • 21
  • 22
  • 23
  • 24
  • 25
  • 26
  • 27
  • 28
नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
प्रेषितों 18:1-28

प्रेषितों

18 इसके बाद पौलुस एथेन्स से निकला और कुरिंथ शहर आया। 2 कुरिंथ में उसे अक्विला नाम का एक यहूदी मिला, जिसका जन्म पुन्तुस इलाके में हुआ था। वह हाल ही में अपनी पत्नी प्रिस्किल्ला के साथ इटली से आया था, क्योंकि सम्राट क्लौदियुस ने सभी यहूदियों को रोम से निकल जाने का हुक्म दिया था। पौलुस, अक्विला और प्रिस्किल्ला के पास गया। 3 पौलुस का और उनका पेशा एक ही था, इसलिए वह उनके घर में रहने और उनके साथ काम करने लगा। वे तंबू बनाया करते थे। 4 पौलुस हर सब्त के दिन सभा-घर में भाषण देता और यहूदियों और यूनानियों को दलीलें देकर कायल करता था।

5 जब सीलास और तीमुथियुस, दोनों मकिदुनिया से आ गए, तो पौलुस और भी ज़ोर-शोर से वचन का प्रचार करने में पूरी तरह लग गया और यहूदियों को गवाही दे-देकर साबित करने लगा कि यीशु ही मसीह है। 6 मगर जब वे लगातार पौलुस के संदेश का विरोध करते रहे और उसके बारे में बुरी-बुरी बातें कहनी न छोड़ीं, तो उसने अपना पल्ला झाड़ते हुए उनसे कहा: “तुम्हारा खून तुम्हारे ही सिर पर पड़े। मैं निर्दोष हूँ। अब से मैं गैर-यहूदियों के पास जाऊँगा।” 7 फिर वह अपनी जगह बदलकर तितुस युस्तुस नाम के एक आदमी के घर रहने लगा, जो परमेश्‍वर का उपासक था और जिसका घर सभा-घर से सटा हुआ था। 8 सभा-घर का अधिकारी क्रिसपुस और उसका पूरा घराना पौलुस का संदेश सुनकर प्रभु में विश्‍वासी बन गया। और कुरिंथ के बहुत-से लोग भी यह संदेश सुनकर विश्‍वास लाए और उन्होंने बपतिस्मा लिया। 9 इतना ही नहीं रात में प्रभु, पौलुस को एक दर्शन में दिखायी दिया और उससे कहा: “मत डर, और प्रचार किए जा, चुप मत रह। 10 इस शहर में मेरे बहुत-से लोग हैं जिन्हें इकट्ठा करना बाकी है। इसलिए मैं तेरे साथ हूँ और कोई भी इंसान तुझ पर हमला कर तुझे चोट न पहुँचा सकेगा।” 11 इसलिए पौलुस डेढ़ साल तक वहीं रहा और उनके बीच परमेश्‍वर का वचन सुनाता रहा।

12 फिर जिस दौरान गल्लियो, अखया* प्रांत का राज्यपाल था, तब यहूदी एकजुट होकर पौलुस पर चढ़ आए और उसे न्याय-आसन के सामने ले गए। 13 वे उस पर यह इलज़ाम लगाने लगे: “यह आदमी सरकारी कानून के खिलाफ जाकर किसी और तरीके से परमेश्‍वर की उपासना करने के लिए लोगों को कायल कर रहा है।” 14 मगर इससे पहले कि पौलुस कुछ बोलता, राज्यपाल गल्लियो ने यहूदियों से कहा: “यहूदियो, अगर यह मामला किसी अन्याय या बड़े अपराध का होता, तो वाजिब होता कि मैं सब्र के साथ तुम्हारी बात सुनूं। 15 लेकिन अगर ये झगड़े तुम्हारे अपने कानून को लेकर हैं और शब्दों और नामों के बारे में हैं, तो तुम्हीं जानो। मैं इन बातों में तुम्हारा न्यायी नहीं बनना चाहता।” 16 यह कहकर उसने यहूदियों को न्याय-आसन के सामने से निकलवा दिया। 17 फिर उन सभी ने सभा-घर के अधिकारी सोस्थिनेस को पकड़ लिया और न्याय-आसन के सामने उसे पीटने लगे। मगर गल्लियो ने इस पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया।

18 फिर भी, पौलुस वहाँ और भी कई दिन ठहरा और इसके बाद उसने भाइयों से विदा ली। उसने किंख्रिया* में अपने बाल कटवाए, क्योंकि उसने मन्‍नत मानी थी। फिर वह समुद्री जहाज़ से सीरिया प्रांत के लिए रवाना हो गया और प्रिस्किल्ला और अक्विला भी उसके साथ थे। 19 सफर के दौरान, वे इफिसुस आए और वह प्रिस्किल्ला और अक्विला को वहीं छोड़कर खुद वहाँ के सभा-घर में गया और यहूदियों के साथ तर्क-वितर्क कर उन्हें समझाने लगा। 20 हालाँकि वे उससे कुछ और वक्‍त वहीं रहने की बिनती करते रहे, फिर भी वह नहीं माना 21 मगर यह कहकर उनसे विदा ली: “अगर यहोवा ने चाहा तो मैं तुम्हारे पास दोबारा आऊँगा।” और वह इफिसुस से समुद्री यात्रा पर निकल पड़ा 22 और कैसरिया आया। और फिर वह यरूशलेम जाकर वहाँ की मंडली से मिला और उन्हें नमस्कार किया और वहाँ से अंताकिया* शहर गया।

23 अंताकिया में कुछ वक्‍त बिताने के बाद, पौलुस वहाँ से रवाना हुआ और गलातिया प्रांत और फ्रूगिया देश का दौरा करते हुए शहर-शहर जाकर सभी चेलों की हिम्मत बँधाता रहा।

24 अपुल्लोस नाम का एक यहूदी, जिसका जन्म सिकंदरिया शहर में हुआ था, इफिसुस आया। वह बात करने में माहिर था और शास्त्र का बहुत अच्छा ज्ञान रखता था। 25 इस आदमी को यहोवा का मार्ग ज़बानी तौर पर सिखाया गया था, और क्योंकि वह पवित्र शक्‍ति के तेज से भरपूर था, इसलिए वह यीशु के बारे में सही-सही बातें बोलता और सिखाता था। मगर उसे सिर्फ उस बपतिस्मे की जानकारी थी जिसका यूहन्‍ना ने प्रचार किया था। 26 यह आदमी सभा-घर में बेधड़क होकर बोलने लगा। जब प्रिस्किल्ला और अक्विला ने उसकी बातें सुनी, तो उन्होंने उसे अपनी संगति में ले लिया और उसे परमेश्‍वर के मार्ग की बारीकियों की और भी सही समझ दी। 27 और अपुल्लोस की इच्छा थी कि वह उस पार अखया प्रांत जाए, इसलिए भाइयों ने वहाँ के चेलों को चिट्ठी लिखकर उन्हें बढ़ावा दिया कि वे उसका प्यार से स्वागत करें। अखया पहुँचने के बाद, अपुल्लोस ने उन लोगों की बहुत मदद की जिन्होंने परमेश्‍वर की महा-कृपा की वजह से विश्‍वास किया था, 28 क्योंकि उसने सरेआम और बड़े दमदार तरीके से यहूदियों को पूरी तरह से गलत साबित किया और शास्त्र से साफ-साफ दिखाया कि यीशु ही मसीह था।

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें