26तुम अपने लिए निकम्मे देवता न बनाना,+ न ही पूजा के लिए मूरत तराशना+ या पूजा-स्तंभ खड़े करना। और अपने देश में कोई नक्काशीदार पत्थर+ खड़ा करके उसके आगे दंडवत न करना,+ क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
15 होरेब में जब यहोवा ने तुमसे आग के बीच से बात की, तो उस वक्त तुमने उसका कोई रूप नहीं देखा था। इसलिए तुम खुद पर कड़ी नज़र रखो 16 कि तुम पूजा के लिए कोई मूरत बनाकर भ्रष्ट न हो जाओ। तुम किसी के भी रूप की मूरत नहीं बनाओगे, न आदमी की न औरत की,+
15 ‘शापित है वह इंसान जो मूरत तराशता है+ या धातु की मूरत* बनाता है+ और उसे छिपाकर रखता है, क्योंकि कारीगर* के हाथ की ऐसी रचना यहोवा की नज़र में घिनौनी है।’+ (तब जवाब में सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’*)
29 हम परमेश्वर के बच्चे हैं+ इसलिए हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि परमेश्वर सोने या चाँदी या पत्थर जैसा है, या इंसान की कल्पना और कला से गढ़ी गयी किसी चीज़ जैसा है।+