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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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सभोपदेशक का सारांश

      • परमेश्‍वर का डर मानकर उसके पास जा (1-7)

      • निचले अधिकारियों पर ऊँचे अधिकारी की नज़र (8, 9)

      • धन-दौलत व्यर्थ है (10-20)

        • पैसों से प्यार करनेवाले का मन नहीं भरता (10)

        • मज़दूर को मीठी नींद आती है (12)

सभोपदेशक 5:1

संबंधित आयतें

  • +भज 15:1, 2
  • +1शम 13:12, 13; 15:22; नीत 21:27; यश 1:13; हो 6:6
  • +व्य 31:12; प्रेष 17:11

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1987, पेज 29

सभोपदेशक 5:2

संबंधित आयतें

  • +गि 30:2; 1शम 14:24
  • +नीत 10:19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/2006, पेज 9

    12/1/1987, पेज 29

सभोपदेशक 5:3

फुटनोट

  • *

    या “ढेर सारे काम।”

संबंधित आयतें

  • +मत 6:25, 34; लूक 12:18-20
  • +नीत 10:19; 15:2

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/2006, पेज 9

सभोपदेशक 5:4

संबंधित आयतें

  • +व्य 23:21; भज 76:11; मत 5:33
  • +सभ 10:12
  • +गि 30:2; भज 66:13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1987, पेज 29

सभोपदेशक 5:5

संबंधित आयतें

  • +व्य 23:22; नीत 20:25

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2022, पेज 28

सभोपदेशक 5:6

फुटनोट

  • *

    या “दूत।”

संबंधित आयतें

  • +न्या 11:35
  • +लैव 5:4
  • +भज 127:1; हाग 1:11

सभोपदेशक 5:7

संबंधित आयतें

  • +सभ 5:3
  • +सभ 12:13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/2006, पेज 9

सभोपदेशक 5:8

संबंधित आयतें

  • +सभ 3:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    9/2020, पेज 31

सभोपदेशक 5:9

संबंधित आयतें

  • +1शम 8:11, 12; 1रा 4:7; 2इत 26:9, 10; श्रेष 8:11

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/2006, पेज 9

सभोपदेशक 5:10

संबंधित आयतें

  • +सभ 4:8
  • +मत 6:24; लूक 12:15; 1ती 6:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/1998, पेज 4-5

सभोपदेशक 5:11

संबंधित आयतें

  • +1रा 4:22, 23
  • +नीत 23:4, 5; 1यूह 2:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/1998, पेज 4-5

सभोपदेशक 5:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 3 2021 पेज 8

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/1998, पेज 23

सभोपदेशक 5:13

फुटनोट

  • *

    शा., “सूरज के नीचे।”

सभोपदेशक 5:14

संबंधित आयतें

  • +नीत 23:4, 5; मत 6:19

सभोपदेशक 5:15

संबंधित आयतें

  • +अय 1:21
  • +भज 49:17; लूक 12:20; 1ती 6:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/1998, पेज 6

सभोपदेशक 5:16

संबंधित आयतें

  • +मत 16:26; यूह 6:27

सभोपदेशक 5:17

संबंधित आयतें

  • +1ती 6:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/1998, पेज 5

सभोपदेशक 5:18

फुटनोट

  • *

    शा., “सूरज के नीचे।”

संबंधित आयतें

  • +1रा 4:20
  • +सभ 2:24; 3:22; यश 65:21, 22

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/1998, पेज 6

सभोपदेशक 5:19

संबंधित आयतें

  • +1रा 3:12, 13; अय 42:12
  • +व्य 8:10; सभ 3:12, 13; 1ती 6:17; याकू 1:17

सभोपदेशक 5:20

फुटनोट

  • *

    या “याद भी नहीं रहेगा।”

संबंधित आयतें

  • +व्य 28:8; भज 4:7

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

सभो. 5:1भज 15:1, 2
सभो. 5:11शम 13:12, 13; 15:22; नीत 21:27; यश 1:13; हो 6:6
सभो. 5:1व्य 31:12; प्रेष 17:11
सभो. 5:2गि 30:2; 1शम 14:24
सभो. 5:2नीत 10:19
सभो. 5:3मत 6:25, 34; लूक 12:18-20
सभो. 5:3नीत 10:19; 15:2
सभो. 5:4व्य 23:21; भज 76:11; मत 5:33
सभो. 5:4सभ 10:12
सभो. 5:4गि 30:2; भज 66:13
सभो. 5:5व्य 23:22; नीत 20:25
सभो. 5:6न्या 11:35
सभो. 5:6लैव 5:4
सभो. 5:6भज 127:1; हाग 1:11
सभो. 5:7सभ 5:3
सभो. 5:7सभ 12:13
सभो. 5:8सभ 3:16
सभो. 5:91शम 8:11, 12; 1रा 4:7; 2इत 26:9, 10; श्रेष 8:11
सभो. 5:10सभ 4:8
सभो. 5:10मत 6:24; लूक 12:15; 1ती 6:10
सभो. 5:111रा 4:22, 23
सभो. 5:11नीत 23:4, 5; 1यूह 2:16
सभो. 5:14नीत 23:4, 5; मत 6:19
सभो. 5:15अय 1:21
सभो. 5:15भज 49:17; लूक 12:20; 1ती 6:7
सभो. 5:16मत 16:26; यूह 6:27
सभो. 5:171ती 6:10
सभो. 5:181रा 4:20
सभो. 5:18सभ 2:24; 3:22; यश 65:21, 22
सभो. 5:191रा 3:12, 13; अय 42:12
सभो. 5:19व्य 8:10; सभ 3:12, 13; 1ती 6:17; याकू 1:17
सभो. 5:20व्य 28:8; भज 4:7
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
सभोपदेशक 5:1-20

सभोपदेशक

5 जब तू सच्चे परमेश्‍वर के घर जाए तो ध्यान रख कि तू कैसी चाल चलता है।+ तू मूर्ख की तरह वहाँ बलिदान चढ़ाने के लिए+ नहीं बल्कि सुनने के लिए जा।+ क्योंकि मूर्ख नहीं जानता कि वह जो कर रहा है वह बुरा है।

2 बोलने में जल्दबाज़ी मत कर, न सच्चे परमेश्‍वर के सामने जो मन में आए वह कह दे।+ क्योंकि सच्चा परमेश्‍वर स्वर्ग में है और तू धरती पर। इसलिए तेरे शब्द थोड़े ही हों।+ 3 जब ढेर सारी चिंताएँ* हों, तो लोग सपने देखने लगते हैं।+ और जब मूर्ख बकबक करता है, तो उसकी बातों में मूर्खता नज़र आती है।+ 4 जब-जब तू परमेश्‍वर से मन्‍नत माने, उसे पूरा करने में देर न करना+ क्योंकि वह मूर्ख से खुश नहीं होता, जो अपनी मन्‍नत पूरी नहीं करता।+ तू जो भी मन्‍नत माने उसे पूरा करना।+ 5 मन्‍नत मानकर उसे पूरा न करने से तो अच्छा है कि तू मन्‍नत ही न माने।+ 6 ऐसा न हो कि तेरा मुँह तुझसे पाप करवाए+ और तू स्वर्गदूत* के सामने कहे कि मुझसे भूल हो गयी।+ भला तू अपनी बात से सच्चे परमेश्‍वर को क्यों क्रोध दिलाए और क्यों उसे तेरे काम बिगाड़ने पड़ें?+ 7 जब ढेर सारी चिंताएँ हों, तो लोग सपने देखने लगते हैं।+ वैसे ही बहुत-सी बातें बोली जाएँ, तो वे व्यर्थ ठहरती हैं। लेकिन तू सच्चे परमेश्‍वर का डर मान।+

8 अगर तू अपने ज़िले में किसी ऊँचे अधिकारी को गरीबों पर ज़ुल्म करते देखे और न्याय और सच्चाई का खून करते देखे, तो हैरान मत होना।+ क्योंकि उसके ऊपर भी कोई है जो उसे देख रहा है। और बड़े-बड़े अधिकारियों के ऊपर भी उनसे बड़े अधिकारी होते हैं।

9 ज़मीन से मिलनेवाला मुनाफा सब लोगों में बाँटा जाता है, यहाँ तक कि राजा की ज़रूरतें भी उसी खेत की उपज से पूरी की जाती हैं।+

10 जिसे चाँदी से प्यार है उसका मन चाँदी से नहीं भरता, वैसे ही दौलत से प्यार करनेवाले का मन अपनी कमाई से नहीं भरता।+ यह भी व्यर्थ है।+

11 जब अच्छी चीज़ें बढ़ती हैं तो उसे खानेवाले भी बढ़ जाते हैं।+ लेकिन उसके मालिक को कोई फायदा नहीं होता, वह बस देखता रह जाता है।+

12 मज़दूरी करनेवाले को मीठी नींद आती है फिर चाहे उसे थोड़ा खाने को मिले या ज़्यादा। लेकिन रईस की बेशुमार दौलत उसे सोने नहीं देती।

13 दुनिया में* मैंने एक ऐसी बात देखी जो बड़ा दुख पहुँचाती है: जमा की गयी दौलत अपने ही मालिक के लिए मुसीबत बन जाती है। 14 गलत योजना में उसका सारा पैसा डूब जाता है और जब उसे बेटा होता है, तो उसे देने के लिए उसके पास कुछ नहीं बचता।+

15 इंसान अपनी माँ के पेट से नंगा आया है और नंगा ही चला जाएगा।+ जिन चीज़ों के लिए उसने कड़ी मेहनत की, उनमें से कुछ भी अपने साथ नहीं ले जाएगा।+

16 एक और बात है जो बड़ा दुख पहुँचाती है: इंसान जैसे आता है वैसे ही चला जाता है। तो फिर कड़ी मेहनत करने और हवा को पकड़ने की कोशिश करने का क्या फायदा?+ 17 यही नहीं, वह हर दिन मानो अँधेरे में खाता है। ज़िंदगी-भर कुढ़ता रहता है, गुस्सा करता है और बीमार रहता है।+

18 मैंने जिस बात को सही और अच्छा पाया वह यह है कि सच्चे परमेश्‍वर ने इंसान को जो ज़िंदगी दी है, उसमें वह खाए-पीए और धरती पर* अपनी सारी मेहनत से खुशी पाए।+ क्योंकि यही उसका इनाम है।+ 19 इतना ही नहीं, अगर सच्चे परमेश्‍वर ने इंसान को धन-दौलत देने+ के साथ-साथ उसका मज़ा लेने के काबिल बनाया है, तो वह उन चीज़ों का मज़ा ले और अपनी मेहनत से खुशी पाए। यह परमेश्‍वर की देन है।+ 20 उसकी ज़िंदगी के दिन ऐसे बीत जाएँगे कि उसे पता भी नहीं चलेगा* क्योंकि सच्चा परमेश्‍वर उसका ध्यान उन बातों पर लगाए रखेगा, जो उसके दिल को खुशी देती हैं।+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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