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  • चर्चा के लिए बाइबल के विषय
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
  • उपशीर्षक
  • 1. आखिरी दिन
  • 2. उद्धार
  • 3. क्रूस
  • 4. खून
  • 5. गवाही देना
  • 6. घटनाओं का क्रम
  • 7. चंगाई, अलग-अलग भाषाएँ
  • 8. चर्च
  • 9. जीवन
  • 10. झूठे भविष्यवक्‍ता
  • 11. त्योहार, जन्मदिन
  • 12. त्रिएक
  • 13. दुष्टता, दुनिया की मुसीबतें
  • 14. धर्म
  • 15. नरक (हेडिज़, शीओल)
  • 16. पवित्र शक्‍ति, प्रेतात्मवाद
  • 17. पाप
  • 18. पूर्वजों की उपासना
  • 19. पृथ्वी
  • 20. प्रार्थना
  • 21. फिरौती
  • 22. बपतिस्मा
  • 23. बाइबल
  • 24. भाग्य
  • 25. मरियम की उपासना
  • 26. मरे हुओं का जी उठना
  • 27. मसीह की वापसी
  • 28. मूर्तियाँ
  • 29. मौत
  • 30. यहोवा के साक्षी
  • 31. यहोवा, परमेश्‍वर
  • 32. यीशु
  • 33. राज
  • 34. विरोध, ज़ुल्म
  • 35. शादी
  • 36. शैतान, दुष्ट स्वर्गदूत
  • 37. सब्त
  • 38. सभी धर्मों में विश्‍वास
  • 39. सेवक
  • 40. सृष्टि
  • 41. स्मारक, मिस्सा
  • 42. स्वर्ग
  • 43. हर-मगिदोन
नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
चर्चा के लिए बाइबल के विषय

चर्चा के लिए बाइबल के विषय

(इब्रानी शास्त्र की आयतें द होली बाइबल हिन्दी—ओ.वी. से ली गयी हैं। जिन आयतों के बाद NHT लिखा हो, वे ए न्यू हिंदी ट्रान्सलेशन से ली गयी हैं। इब्रानी शास्त्र की किताबों के संक्षिप्त नामों को समझने के लिए पेज 639 देखें।)

1. आखिरी दिन

क. “दुनिया के अंत” का क्या मतलब है?

इस दुनिया की व्यवस्था का अंत। मत्ती 24:3; 2 पत 3:5-7; मर 13:4

पृथ्वी का नहीं, दुष्ट व्यवस्था का अंत। 1 यूह 2:17

विनाश से पहले आखिर का वक्‍त होगा। मत्ती 24:14

नेक इंसानों का छुटकारा; फिर नयी दुनिया आएगी। 2 पत 2:9; प्रका 7:14-17

ख. आखिरी दिनों की निशानियाँ पहचानने के लिए जागते रहना ज़रूरी

परमेश्‍वर ने अंत का समय पहचानने के लिए हमें निशानियाँ दी हैं। 2 तीमु 3:1-5; 1 थिस्स 5:1-4

दुनिया समझती नहीं कि यह नाज़ुक घड़ी है। 2 पत 3:3, 4, 7; मत्ती 24:39

परमेश्‍वर देर नहीं कर रहा, बल्कि चेतावनी दे रहा है। 2 पत 3:9

जागते रहने और ध्यान देने से मिलनेवाला इनाम। लूका 21:34-36

2. उद्धार

क. उद्धार परमेश्‍वर की तरफ से और यीशु के फिरौती बलिदान के ज़रिए मिलेगा

जीवन एक तोहफा है जो परमेश्‍वर अपने बेटे के ज़रिए देता है। 1 यूह 4:9, 14; रोमि 6:23

उद्धार सिर्फ यीशु के बलिदान के ज़रिए मिल सकता है। प्रेषि 4:12

मरते वक्‍त पश्‍चाताप मायने नहीं रखता, इसे कामों से दिखाना ज़रूरी है। याकू 2:14, 26

उद्धार के लिए जी-तोड़ मेहनत करनी होगी। लूका 13:23, 24; 1 तीमु 4:10

ख. यह शिक्षा बाइबल से नहीं कि “एक बार उद्धार पाने से हमेशा के लिए उद्धार हो जाता है”

जो पवित्र शक्‍ति के भागीदार हैं, वे भी गिर सकते हैं। इब्रा 6:4, 6; 1 कुरिं 9:27

बहुत-से इस्राएली, मिस्र से छुटकारा पाने के बाद भी नाश किए गए। यहू 5

उद्धार कुछ पलों की कोशिश से नहीं मिलेगा। फिलि 2:12; 3:12-14; मत्ती 10:22

जो परमेश्‍वर की राह पर चलना छोड़ देते हैं, उनकी हालत पहले से बदतर हो जाती है। 2 पत 2:20, 21

ग. यह शिक्षा बाइबल से नहीं कि “पूरी दुनिया का उद्धार होगा”

कुछ लोगों का पश्‍चाताप करना नामुमकिन है। इब्रा 6:4-6

परमेश्‍वर दुष्टों की मौत से खुश नहीं होता। यहे 33:11; 18:32

लेकिन प्यार, बुरे कामों को अनदेखा नहीं कर सकता। इब्रा 1:9

दुष्ट नाश किए जाएँगे। इब्रा 10:26-29; प्रका 20:7-15

3. क्रूस

क. यीशु को सूली पर लटकाना उसकी निंदा करना था

यीशु को एक खंभे या पेड़ पर लटकाकर मार डाला गया। प्रेषि 5:30; 10:39; गला 3:13

मसीहियों को यातना की सूली उठाकर निंदा सहनी होगी। मत्ती 10:38; लूका 9:23

ख. क्रूस की उपासना करना गलत है

यीशु की सूली की नुमाइश, यीशु की निंदा करना है। इब्रा 6:6; मत्ती 27:41, 42

उपासना में क्रूस का इस्तेमाल करना, मूर्तिपूजा है। निर्ग 20:4, 5; यिर्म 10:3-5

यीशु अब भी सूली पर नहीं है, उसका आत्मिक शरीर है। 1 तीमु 3:16; 1 पत 3:18

4. खून

क. खून चढ़ाना, खून की पवित्रता के नियम के खिलाफ

नूह को बताया गया कि खून पवित्र है, उसमें जीवन है। उत्प 9:4, 16

मूसा के कानून में खून खाना मना था। लैव्य 17:14; 7:26, 27

मसीहियों को भी खून खाने से मना किया गया। प्रेषि 15:28, 29; 21:25

ख. ज़िंदगी बचाने के लिए परमेश्‍वर का नियम तोड़ना जायज़ नहीं

आज्ञा मानना, बलिदान से बेहतर है। 1 शमू 15:22; मर 12:33

परमेश्‍वर का नियम तोड़कर अपनी ज़िंदगी बचाना, ज़िंदगी को खतरे में डालना है। मर 8:35, 36

5. गवाही देना

क. गवाही का काम सभी मसीहियों को करना चाहिए, खुशखबरी सुनानी चाहिए

इंसानों के सामने यीशु को कबूल करने पर ही उसकी मंज़ूरी मिलेगी। मत्ती 10:32

वचन पर चलकर अपने विश्‍वास को कामों से ज़ाहिर करना चाहिए। याकू 1:22-24; 2:24

नए मसीहियों को भी सिखानेवाले बनना चाहिए। मत्ती 28:19, 20

सरेआम ऐलान करने से उद्धार मिलेगा। रोमि 10:10

ख. लोगों से बार-बार मिलने, लगातार गवाही देने की ज़रूरत है

अंत के बारे में चेतावनी देना निहायत ज़रूरी। मत्ती 24:14

यिर्मयाह ने यरूशलेम के अंत का ऐलान बरसों तक किया। यिर्म 25:3

शुरू के मसीहियों की तरह आज के मसीही, गवाही देने से नहीं रुक सकते। प्रेषि 4:18-20; 5:28, 29

ग. खून के इलज़ाम से बचने के लिए गवाही देना ज़रूरी

आनेवाले अंत की चेतावनी देना ज़रूरी। यहे 33:7; मत्ती 24:14

जो गवाही नहीं देता, वह खून का दोषी है। यहे 33:8, 9; 3:18, 19

पौलुस, खून के इलज़ाम से बच गया; सच्चाई की अच्छी गवाही दी। प्रेषि 20:26, 27; 1 कुरिं 9:16

गवाही देनेवाले और सुननेवाले, दोनों का उद्धार होता है। 1 तीमु 4:16; 1 कुरिं 9:22

6. घटनाओं का क्रम

क. 1914 (ई.स.) में दूसरे राष्ट्रों का वक्‍त खत्म हुआ

राजाओं का वंश कुछ वक्‍त के लिए बीच में, यानी 607 ई.स.पू. में रुक गया। यहे 21:25-27

फिर से हुकूमत कायम करने तक “सात काल” बीतने थे। दानि 4:32, 16, 17

सात = 2 × 3 1/2 काल, या 2 × 1,260 दिन। प्रका 12:6, 14; 11:2, 3

एक दिन, एक साल के बराबर। [2,520 साल होते हैं] यहे 4:6; गिन 14:34

इन सालों के खत्म होने पर राज कायम होता। लूका 21:24; दानि 7:13, 14

7. चंगाई, अलग-अलग भाषाएँ

क. आध्यात्मिक चंगाई से हमेशा के फायदे होते हैं

अंदर के इंसान की आध्यात्मिक बीमारी जानलेवा है। यशा 1:4-6; 6:10; होशे 4:6

आध्यात्मिक चंगाई पहली ज़िम्मेदारी। यूह 6:63; लूका 4:18

पाप मिटाती; खुशी और ज़िंदगी देती है। याकू 5:19, 20; प्रका 7:14-17

ख. परमेश्‍वर का राज शरीर की बीमारियों को हमेशा के लिए मिटा देगा

यीशु ने बीमारों को चंगा किया, राज की आशीषों का प्रचार किया। मत्ती 4:23

वादा किया गया कि राज के ज़रिए बीमारियाँ हमेशा के लिए मिटा दी जाएँगी। मत्ती 6:10; यशा 9:7

मौत का भी नामो-निशान मिटा दिया जाएगा। 1 कुरिं 15:25, 26; प्रका 21:4; 20:14

ग. आज के चंगाई के कामों परमेश्‍वर की मंज़ूरी होने का सबूत नहीं

चेलों ने अपनी बीमारियाँ चमत्कार से दूर नहीं कीं। 2 कुरिं 12:7-9; 1 तीमु 5:23

प्रेषितों के ज़माने के बाद चमत्कार करने के वरदान नहीं रहे। 1 कुरिं 13:8-11

चंगाई करना, परमेश्‍वर की मंज़ूरी का पक्का सबूत नहीं। मत्ती 7:22, 23; 2 थिस्स 2:9-11

घ. अलग-अलग भाषाएँ बोलने का इंतज़ाम थोड़े समय के लिए था

मसीही मंडली की पहचान; और भी बड़े वरदान पाने की कोशिश। 1 कुरिं 14:22; 12:30, 31

भविष्यवाणी थी कि पवित्र शक्‍ति के चमत्कारी वरदान मिट जाएँगे। 1 कुरिं 13:8-10

चमत्कारी काम परमेश्‍वर की मंज़ूरी का पक्का सबूत नहीं। मत्ती 7:22, 23; 24:24

8. चर्च

क. चर्च कोई भवन नहीं बल्कि इसका लाक्षणिक अर्थ है, चर्च मसीह पर बनाया गया

परमेश्‍वर इंसान के बनाए मंदिरों में नहीं रहता। प्रेषि 17:24, 25; 7:48

असली चर्च जीवित पत्थरों से बना आध्यात्मिक मंदिर है। 1 पत 2:5, 6

मसीह, कोने के सिरे का पत्थर है; बाकी बुनियाद प्रेषितों से बनती है। इफि 2:20

परमेश्‍वर की उपासना पवित्र शक्‍ति और सच्चाई से की जानी चाहिए। यूह 4:24

ख. चर्च की नींव पतरस नहीं था

यीशु ने यह नहीं कहा कि पतरस, चर्च की नींव होगा। मत्ती 16:18

यीशु को ‘चट्टान’ कहा गया। 1 कुरिं 10:4

पतरस ने यीशु को नींव बताया। 1 पत 2:4, 6-8; प्रेषि 4:8-12

9. जीवन

क. आज्ञा माननेवाले इंसानों से हमेशा की ज़िंदगी का पक्का वादा किया गया

परमेश्‍वर ने, जो कभी झूठ नहीं बोल सकता, ज़िंदगी देने का वादा किया है। तीतु 1:2; यूह 10:27, 28

विश्‍वास दिखानेवालों को हमेशा की ज़िंदगी देने का पक्का वादा किया गया है। यूह 11:25, 26

मौत को मिटा दिया जाएगा। 1 कुरिं 15:26; प्रका 21:4; 20:14; यशा 25:8

ख. स्वर्ग में जीवन सिर्फ उन्हें मिलेगा जो मसीह के शरीर का हिस्सा हैं

परमेश्‍वर को जैसा अच्छा लगता है, वह इन सदस्यों को चुनता है। मत्ती 20:23; 1 कुरिं 12:18

सिर्फ 1,44,000 जन धरती से लिए जाएँगे। प्रका 14:1, 4; 7:2-4; 5:9, 10

बपतिस्मा देनेवाला यूहन्‍ना भी स्वर्ग के राज का हिस्सा नहीं था। मत्ती 11:11

ग. अनगिनत लोगों यानी ‘दूसरी भेड़ों’ को धरती पर जीवन देने का वादा किया गया

यीशु के साथ स्वर्ग में रहनेवालों की गिनती सीमित। प्रका 14:1, 4; 7:2-4

“दूसरी भेड़ें” मसीह के भाई नहीं। यूह 10:16; मत्ती 25:32, 40

आज बहुत-से लोग इकट्ठे किए जा रहे हैं ताकि वे उद्धार पाकर, धरती पर जीएँ। प्रका 7:9, 15-17

बाकियों को धरती पर जीवन पाने के लिए दोबारा ज़िंदा किया जाएगा। प्रका 20:12; 21:4

10. झूठे भविष्यवक्‍ता

क. झूठे भविष्यवक्‍ताओं के आने की भविष्यवाणी की गयी; प्रेषितों के दिनों में भी थे

झूठे भविष्यवक्‍ताओं की पहचान। व्यव 18:20-22; लूका 6:26

भविष्यवाणी की गयी; उनके फलों से उनकी पहचान होगी। मत्ती 24:23-26; 7:15-23

11. त्योहार, जन्मदिन

क. शुरू के मसीही, जन्मदिन और क्रिसमस नहीं मनाते थे

झूठे उपासक मनाते थे। उत्प 40:20; मत्ती 14:6

यीशु की मौत का दिन याद किया जाना चाहिए। लूका 22:19, 20; 1 कुरिं 11:25, 26

ऐसे मौकों पर रंगरलियाँ मनायी जाती हैं, यह सही नहीं। रोमि 13:13; गला 5:21; 1 पत 4:3

12. त्रिएक

क. परमेश्‍वर, पिता एक शख्स है, विश्‍व में सबसे महान है

तीन अलग-अलग शख्स मिलकर एक परमेश्‍वर नहीं। व्यव 6:4; मला 2:10; मर 10:18; रोमि 3:29, 30

बेटे की सृष्टि की गयी; इससे पहले परमेश्‍वर अकेला था। प्रका 3:14; कुलु 1:15; यशा 44:6

परमेश्‍वर हमेशा से पूरे विश्‍व का महाराजा है, आगे भी रहेगा। फिलि 2:5, 6; दानि 4:35

सबसे बढ़कर परमेश्‍वर की महिमा की जानी चाहिए। फिलि 2:10, 11

ख. धरती पर आने से पहले और बाद में भी बेटा, पिता से कमतर ही रहा

बेटे ने स्वर्ग में पिता की आज्ञा मानी, पिता ने उसे भेजा। यूह 8:42; 12:49

बेटे ने धरती पर भी पिता की आज्ञा मानी; पिता बड़ा है। यूह 14:28; 5:19; इब्रा 5:8

स्वर्ग में महान किया गया, फिर भी पिता के अधीन है। फिलि 2:9; 1 कुरिं 15:28; मत्ती 20:23

यहोवा, मसीह का मुखिया और परमेश्‍वर है। 1 कुरिं 11:3; यूह 20:17; प्रका 1:6

ग. परमेश्‍वर और मसीह के बीच एकता

वे हमेशा एकता में रहते हैं। यूह 8:28, 29; 14:10

वे एकता में हैं जैसे पति-पत्नी होते हैं। यूह 10:30; मत्ती 19:4-6

सभी विश्‍वासियों में ऐसी ही एकता होनी चाहिए। यूह 17:20-22; 1 कुरिं 1:10

मसीह के ज़रिए सिर्फ यहोवा की उपासना, सदा तक की जाएगी। यूह 4:23, 24

घ. परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति उसकी सक्रिय शक्‍ति है

यह शक्‍ति है, कोई शख्स नहीं। मत्ती 3:16; यूह 20:22; प्रेषि 2:4, 17, 33

परमेश्‍वर और मसीह के साथ स्वर्ग में रहनेवाला शख्स नहीं। प्रेषि 7:55, 56; प्रका 7:10

परमेश्‍वर अपना मकसद पूरा करने के लिए इसका इस्तेमाल करता है। भज 104:30; 1 कुरिं 12:4-11

यह परमेश्‍वर के सेवकों को मिलती है, उनका मार्गदर्शन करती है। 1 कुरिं 2:12, 13; गला 5:16

13. दुष्टता, दुनिया की मुसीबतें

क. दुनिया की मुसीबतों के लिए कौन ज़िम्मेदार

आज के बुरे हालात की वजह, दुष्टों की हुकूमत। नीति 29:2; 28:28

दुनिया का राजा, परमेश्‍वर का दुश्‍मन। 2 कुरिं 4:4; 1 यूह 5:19; यूह 12:31

मुसीबतों की जड़ शैतान है, उसका थोड़ा वक्‍त बचा है। प्रका 12:9, 12

शैतान को बंदी बना दिया जाएगा, फिर शांति बहुतायत में होगी। प्रका 20:1-3; 21:3, 4

ख. दुष्टता की इजाज़त क्यों दी गयी

परमेश्‍वर के बनाए प्राणियों की वफादारी पर शैतान ने सवाल उठाया। अय्यू 1:11, 12

वफादार लोगों को अपनी वफादारी साबित करने का मौका दिया जा रहा है। रोमि 9:17; नीति 27:11

शैतान झूठा ठहरा, मसले का हल होनेवाला है। यूह 12:31

वफादार लोगों को बतौर इनाम हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी। रोमि 2:6, 7; प्रका 21:3-5

ग. अंत से पहले लंबे समय की इजाज़त देकर परमेश्‍वर ने दया दिखायी

नूह के ज़माने की तरह, चेतावनी देने में समय लगता है। मत्ती 24:14, 37-39

परमेश्‍वर देर नहीं कर रहा, बल्कि दया दिखा रहा है। 2 पत 3:9; यशा 30:18

बाइबल हमें खबरदार करती है ताकि हम नाश न हो जाएँ। लूका 21:36; 1 थिस्स 5:4

बचाव के लिए, परमेश्‍वर के इंतज़ामों से अभी फायदा उठाइए। यशा 2:2-4; सप 2:3

घ. दुनिया की समस्याओं का हल इंसान के हाथ में नहीं

इंसानों पर डर का साया मँडरा रहा है, वे उलझन में हैं। लूका 21:10, 11; 2 तीमु 3:1-5

परमेश्‍वर का राज सफल होगा, न कि इंसान का राज। दानि 2:44; मत्ती 6:10

ज़िंदगी के लिए, राज के राजा से अभी शांति की याचना करें। भज 2:9, 11, 12

14. धर्म

क. सच्चा धर्म सिर्फ एक

एक आशा, एक विश्‍वास, एक बपतिस्मा। इफि 4:5, 13

चेले बनाने का काम सौंपा गया। मत्ती 28:19; प्रेषि 8:12; 14:21

फलों से पहचाना जाता है। मत्ती 7:19, 20; लूका 6:43, 44; यूह 15:8

उसके सदस्यों में प्यार, एकता है। यूह 13:35; 1 कुरिं 1:10; 1 यूह 4:20

ख. सच्चा धर्म झूठी शिक्षाओं का खंडन करता है और ऐसा करना सही है

यीशु ने झूठी शिक्षाओं का खंडन किया। मत्ती 23:15, 23, 24; 15:4-9

सच्चाई से अनजान लोगों को बचाने के लिए ऐसा किया। मत्ती 15:14

सच्चाई ने उन्हें आज़ाद किया ताकि वे यीशु के चेले बन सकें। यूह 8:31, 32

ग. अपने धर्म के गलत साबित होने पर एक इंसान को वह धर्म बदलना चाहिए

सच्चाई आज़ाद करती है; साबित करती है कि ज़्यादातर लोग गलत धर्म को मानते हैं। यूह 8:31, 32

इस्राएलियों और दूसरों ने झूठी उपासना छोड़ दी। यहो 24:15; 2 राजा 5:17

शुरू के मसीहियों ने भी अपने विचार बदले। गला 1:13, 14; प्रेषि 3:17, 19

पौलुस ने अपना धर्म बदला। प्रेषि 26:4-6

पूरी दुनिया धोखे में है; मन बदलने की ज़रूरत है। प्रका 12:9; रोमि 12:2

घ. सभी धर्मों में जो अच्छाई नज़र आती है, वह साबित नहीं करती कि परमेश्‍वर को वे धर्म मंज़ूर हैं

उपासना के स्तर परमेश्‍वर कायम करता है। यूह 4:23, 24; याकू 1:27

जो धर्म परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक नहीं, वह अच्छा नहीं। रोमि 10:2, 3

“नेक काम” ठुकराए जा सकते हैं। मत्ती 7:21-23

धर्म की पहचान उसके फल हैं। मत्ती 7:20

15. नरक (हेडिज़, शीओल)

क. सचमुच की जगह नहीं जहाँ आग में तड़पाया जाता है

दुःख से तड़पते अय्यूब ने वहाँ जाने की बिनती की। अय्यू 14:13

वहाँ कोई काम नहीं होता। भज 6:5; सभो 9:10; यशा 38:18, 19

यीशु को कब्र या नरक से ज़िंदा किया गया। प्रेषि 2:27, 31, 32; भज 16:10

कब्र, अपने अंदर समाए लोगों को दे देगा, इसका नाश किया जाएगा। प्रका 20:13, 14

ख. आग, विनाश की निशानी है

आग, मौत की सज़ा की निशानी है। मत्ती 25:41, 46; 13:30

दुष्ट जो पश्‍चाताप नहीं करते, हमेशा के लिए नाश होंगे, मानो आग में डाले गए। इब्रा 10:26, 27

शैतान को आग में ‘तड़पाने’ का मतलब है, उसका हमेशा के लिए नाश किया जाएगा। प्रका 20:10, 14, 15

ग. अमीर आदमी और लाज़र की कहानी, सबूत नहीं कि मौत के बाद सदा तक यातना झेलनी पड़ती है

आग सचमुच की आग नहीं, जैसे अब्राहम का सीना सचमुच का सीना नहीं। लूका 16:22-24

जिन पर अब्राहम की मंज़ूरी नहीं, उनकी हालत को अंधकार भी बताया गया है। मत्ती 8:11, 12

बैबिलोन के नाश की तुलना आग में यातना से की गयी। प्रका 18:8-10, 21

16. पवित्र शक्‍ति, प्रेतात्मवाद

क. पवित्र शक्‍ति क्या है

परमेश्‍वर की सक्रिय शक्‍ति, कोई शख्स नहीं। प्रेषि 2:2, 3, 33; यूह 14:17

सृष्टि करने, बाइबल लिखने की प्रेरणा देने और दूसरे कामों में इस्तेमाल की गयी। उत्प 1:2; यहे 11:5

पवित्र शक्‍ति से जन्म और अभिषेक पानेवाले, मसीह का शरीर हैं। यूह 3:5-8; 2 कुरिं 1:21, 22

आज यह परमेश्‍वर के लोगों को मज़बूत करती, उनकी अगुवाई करती है। गला 5:16, 18

ख. प्रेतात्मवाद से दूर रहना चाहिए क्योंकि यह दुष्ट स्वर्गदूतों का काम है

परमेश्‍वर का वचन ऐसे कामों के लिए मना करता है। यशा 8:19, 20; लैव्य 19:31; 20:6, 27

भविष्य बताने का काम, दुष्ट स्वर्गदूतों से जुड़ा है; इसे गलत बताया गया है। प्रेषि 16:16-18

विनाश की ओर ले जाता है। गला 5:19-21; प्रका 21:8; 22:15

ज्योतिष-विद्या की मनाही की गयी है। व्यव 18:10-12; यिर्म 10:2

17. पाप

क. पाप क्या है

परमेश्‍वर के नियमों और सिद्ध स्तरों का उल्लंघन। 1 यूह 3:4; 5:17

परमेश्‍वर की सृष्टि होने के नाते इंसान उसके सामने जवाबदेह है। रोमि 14:12; 2:12-15

मूसा के कानून में पाप का मतलब बताया गया, एहसास कि इंसान पापी हैं। गला 3:19; रोमि 3:20

सभी पाप में पड़े हुए हैं, परमेश्‍वर के सिद्ध स्तरों पर चलने में नाकाम हैं। रोमि 3:23; भज 51:5

ख. आदम के पाप से सब पर मुसीबतें क्यों आयीं

आदम से असिद्धता और मौत सभी को मिली। रोमि 5:12, 18

परमेश्‍वर ने इंसानों के साथ सहनशील होकर दया दिखायी। भज 103:8, 10, 14, 17

यीशु के बलिदान से पापों का प्रायश्‍चित्त होता है। 1 यूह 2:2

पाप को और शैतान के दूसरे सभी कामों को मिटा दिया जाएगा। 1 यूह 3:8

ग. मना किया गया फल खाना पाप था, यौन-संबंध नहीं

हव्वा की सृष्टि से पहले ही फल खाने से मना किया गया। उत्प 2:17, 18

आदम और हव्वा से संतान पैदा करने को कहा गया। उत्प 1:28

बच्चे, पाप का नतीजा नहीं, परमेश्‍वर की आशीष हैं। भज 127:3-5

हव्वा ने पति की गैर-हाज़िरी में पाप किया; गुस्ताखी की। उत्प 3:6; 1 तीमु 2:11-14

आदम मुखिया था, परमेश्‍वर का नियम तोड़ दिया। रोमि 5:12, 19

घ. पवित्र शक्‍ति के खिलाफ पाप क्या है (मत्ती 12:32; मर 3:28, 29)

यह विरासत में मिला पाप नहीं। रोमि 5:8, 12, 18; 1 यूह 5:17

इंसान शायद पवित्र शक्‍ति को दुःखी करे, मगर गलती सुधार सकता है। इफि 4:30; याकू 5:19, 20

जानबूझकर लगातार पाप करने का अंजाम मौत है। 1 यूह 3:6-9

परमेश्‍वर ऐसों का न्याय करता है, उन्हें अपनी पवित्र शक्‍ति नहीं देता। इब्रा 6:4-8

पश्‍चाताप न करनेवाले ऐसे लोगों के लिए हमें प्रार्थना नहीं करनी चाहिए। 1 यूह 5:16, 17

18. पूर्वजों की उपासना

क. पूर्वजों की उपासना करना बेकार है

पूर्वज मर चुके हैं, उनमें चेतना नहीं है। सभो 9:5, 10

हमारे पहले पूर्वज, उपासना पाने के लायक नहीं। रोमि 5:12, 14; 1 तीमु 2:14

परमेश्‍वर ऐसी उपासना करने से मना करता है। निर्ग 34:14; मत्ती 4:10

ख. इंसानों का आदर किया जा सकता है, मगर उपासना सिर्फ परमेश्‍वर की करनी चाहिए

जवानों को बुज़ुर्गों का आदर करना चाहिए। 1 तीमु 5:1, 2, 17; इफि 6:1-3

मगर उपासना सिर्फ परमेश्‍वर की करनी चाहिए। प्रेषि 10:25, 26; प्रका 22:8, 9

19. पृथ्वी

क. पृथ्वी के लिए परमेश्‍वर का मकसद

सिद्ध इंसानों के लिए धरती पर फिरदौस बनाया गया। उत्प 1:28; 2:8-15

परमेश्‍वर का मकसद पूरा होना तय है। यशा 55:11; 46:10, 11

धरती सिद्ध, अमन-पसंद लोगों से भर जाएगी। भज 72:7; यशा 45:18; 9:6, 7

राज के ज़रिए धरती को दोबारा फिरदौस बनाया जाएगा। मत्ती 6:9, 10; प्रका 21:3-5

ख. कभी नाश नहीं की जाएगी, न वीरान होगी

पृथ्वी हमेशा तक कायम रहेगी। सभो 1:4; भज 104:5

नूह के ज़माने में लोग नाश किए गए, पृथ्वी नहीं। 2 पत 3:5-7; उत्प 7:23

इस घटना से आशा मिलती है कि हमारे समय में भी लोग ज़िंदा बचेंगे। मत्ती 24:37-39

दुष्ट नाश किए जाएँगे; “बड़ी भीड़” ज़िंदा बचेगी। 2 थिस्स 1:6-9; प्रका 7:9, 14

20. प्रार्थना

क. ऐसी प्रार्थनाएँ जिन्हें परमेश्‍वर सुनता है

परमेश्‍वर, इंसानों की प्रार्थनाएँ ज़रूर सुनता है। भज 145:18; 1 पत 3:12

बुरे लोगों की प्रार्थना नहीं सुनी जाती, जब तक कि वे गलत राह से न फिरें। यशा 1:15-17

प्रार्थना, यीशु के नाम से की जानी चाहिए। यूह 14:13, 14; 2 कुरिं 1:20

परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक प्रार्थना करनी चाहिए। 1 यूह 5:14, 15

विश्‍वास के साथ प्रार्थना करना ज़रूरी है। याकू 1:6-8

ख. प्रार्थनाओं को बेकार में दोहराना, मरियम या “संतों” से प्रार्थना करना सही नहीं

यीशु के नाम से परमेश्‍वर से प्रार्थना करनी चाहिए। यूह 14:6, 14; 16:23, 24

रटी-रटायी बातें बोलने से प्रार्थना नहीं सुनी जाएगी। मत्ती 6:7

21. फिरौती

क. यीशु का इंसानी जीवन “सबके लिए फिरौती” के दाम के तौर पर दिया गया

यीशु ने अपना जीवन, फिरौती के तौर पर दिया। मत्ती 20:28

उसके बहाए लहू की कीमत से पापों की माफी मिलती है। इब्रा 9:14, 22

एक बलिदान, हमेशा के लिए काफी था। रोमि 6:10; इब्रा 9:26

फिरौती के फायदे यूँ ही नहीं मिल जाते; फिरौती पर विश्‍वास करना होगा। यूह 3:16

ख. बराबरी की कीमत थी

आदम को सिद्ध बनाया गया। व्यव 32:4; सभो 7:29; उत्प 1:31

पाप करने की वजह से अपने और अपने बच्चों का सिद्ध जीवन गँवा दिया। रोमि 5:12, 18

बच्चे बेसहारा थे; किसी ऐसे इंसान की ज़रूरत थी जो आदम के बराबर होता। भज 49:7; व्यव 19:21

यीशु का सिद्ध जीवन फिरौती की कीमत था। 1 तीमु 2:5, 6; 1 पत 1:18, 19

22. बपतिस्मा

क. मसीही बनने के लिए ज़रूरी

यीशु ने मिसाल रखी। मत्ती 3:13-15; इब्रा 10:7

खुद से इनकार करने की या समर्पण की निशानी। मत्ती 16:24; 1 पत 3:21

बपतिस्मा सिर्फ उस उम्र के लोगों के लिए है जिन्हें सिखाया जा सकता है। मत्ती 28:19, 20; प्रेषि 2:41

पानी में पूरी तरह डुबकी दिलाना सही तरीका है। प्रेषि 8:38, 39; यूह 3:23

ख. इससे पाप नहीं धुलते

यीशु का बपतिस्मा पाप धोने के लिए नहीं था। 1 पत 2:22; 3:18

यीशु का लहू पापों को धो डालता है। 1 यूह 1:7

23. बाइबल

क. परमेश्‍वर का वचन उसकी प्रेरणा से लिखा गया

परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति ने कुछ आदमियों को लिखने के लिए उभारा। 2 पत 1:20, 21

इसमें भविष्यवाणियाँ हैं: दानि 8:5, 6, 20-22; लूका 21:5, 6, 20-22; यशा 45:1-4

पूरी बाइबल परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी और फायदेमंद है। 2 तीमु 3:16, 17; रोमि 15:4

ख. हमारे वक्‍त के लिए कारगर सलाह देनेवाली किताब

बाइबल के सिद्धांतों को नज़रअंदाज़ करना जीवन को खतरे में डालना है। रोमि 1:28-32

इसकी जगह इंसान की बुद्धि नहीं ले सकती। 1 कुरिं 1:21, 25; 1 तीमु 6:20

सबसे ताकतवर दुश्‍मन से हमारी रक्षा करती है। इफि 6:11, 12, 17

इंसान को सही राह दिखाती है। भज 119:105; 2 पत 1:19; नीति 3:5, 6

ग. सभी देशों और जातियों के लोगों के लिए लिखी गयी

बाइबल की लिखाई पूरब में शुरू हुई। निर्ग 17:14; 24:12, 16; 34:27

परमेश्‍वर का यह इंतज़ाम सिर्फ यूरोप के लोगों के लिए नहीं है। रोमि 10:11-13; गला 3:28

परमेश्‍वर सब किस्म के लोगों को स्वीकार करता है। प्रेषि 10:34, 35; रोमि 5:18; प्रका 7:9, 10

24. भाग्य

क. इंसान का भाग्य पहले से तय नहीं किया गया

परमेश्‍वर का मकसद हर हाल में पूरा होगा। यशा 55:11; उत्प 1:28

परमेश्‍वर की सेवा करने का चुनाव हर इंसान को दिया गया। यूह 3:16; फिलि 2:12

25. मरियम की उपासना

क. मरियम यीशु की माँ थी, “परमेश्‍वर की माँ” नहीं

परमेश्‍वर की कोई शुरूआत नहीं। भज 90:2; 1 तीमु 1:17

मरियम उस वक्‍त परमेश्‍वर के बेटे की माँ थी, जब यह बेटा धरती पर था। लूका 1:35

ख. मरियम, हमेशा कुँवारी नहीं रही

उसने यूसुफ से शादी की। मत्ती 1:19, 20, 24, 25

यीशु के अलावा, उसके और भी बच्चे थे। मत्ती 13:55, 56; लूका 8:19-21

वे उस वक्‍त यीशु के “आध्यात्मिक भाई” नहीं थे। यूह 7:3, 5

26. मरे हुओं का जी उठना

क. मरे हुओं के लिए आशा

जितने कब्रों में हैं, वे ज़िंदा किए जाएँगे। यूह 5:28, 29

यीशु का मरे हुओं में से जी उठना इस बात की गारंटी है। 1 कुरिं 15:20-22; प्रेषि 17:31

जिन्होंने पवित्र शक्‍ति के खिलाफ पाप किया, वे ज़िंदा नहीं किए जाएँगे। मत्ती 12:31, 32

विश्‍वास दिखानेवालों को यकीन दिलाया गया है कि वे मरे हुओं में से जी उठेंगे। यूह 11:25

ख. मरे हुए या तो स्वर्ग में या फिर धरती पर जीने के लिए उठेंगे

सभी आदम में मरते हैं; यीशु में जीवन पाते हैं। 1 कुरिं 15:20-22; रोमि 5:19

जी उठनेवालों का शरीर अलग-अलग किस्म का होगा। 1 कुरिं 15:40, 42, 44

यीशु के साथ रहनेवाले उसके जैसे होंगे। 1 कुरिं 15:49; फिलि 3:20, 21

हुकूमत न करनेवाले, धरती पर रहेंगे। प्रका 20:4ख, 5, 13; 21:3, 4

27. मसीह की वापसी

क. उसकी वापसी इंसान नहीं देख सकते

मसीह ने चेलों को बताया कि दुनिया उसे इसके बाद देख नहीं पाएगी। यूह 14:19

सिर्फ चेलों ने उसे स्वर्ग जाते देखा; वापसी भी उसी तरह होनी थी। प्रेषि 1:6, 10, 11

मसीह, स्वर्ग में है और उसका आत्मिक शरीर है। 1 तीमु 6:14-16; इब्रा 1:3

स्वर्ग में राज करने का अधिकार पाकर वापस आया। दानि 7:13, 14

ख. वापसी, दुनिया में होनेवाली घटनाएँ देखकर समझी जा सकती है

चेलों ने उसकी मौजूदगी की निशानी पूछी। मत्ती 24:3

मसीही, उसकी मौजूदगी को समझ पाते हैं,इसी मायने में वे उसकी मौजूदगी ‘देखते’ हैं। इफि 1:18

बहुत-सी घटनाएँ मिलकर उसकी मौजूदगी का सबूत देती हैं। लूका 21:10, 11

दुश्‍मन उस वक्‍त ‘देखेंगे’ जब उन पर विनाश टूट पड़ेगा। प्रका 1:7

28. मूर्तियाँ

क. उपासना में मूर्तियों और प्रतिमाओं के इस्तेमाल से परमेश्‍वर का अपमान होता है

परमेश्‍वर की मूर्ति बनाना मुमकिन नहीं। 1 यूह 4:12; यशा 40:18; 46:5; प्रेषि 17:29

मसीहियों को मूर्तियों के इस्तेमाल से दूर रहने की चेतावनी दी गयी है। 1 कुरिं 10:14; 1 यूह 5:21

परमेश्‍वर की उपासना, उसकी पवित्र शक्‍ति की मदद से और सच्चाई से की जानी चाहिए। यूह 4:24

ख. मूर्तिपूजा, इस्राएल राष्ट्र की बरबादी की वजह बनी

यहूदियों को मूर्तिपूजा करने से मना किया गया था। निर्ग 20:4, 5

मूर्तियाँ न सुन सकती, न बोल सकती हैं; उनके बनानेवाले उनके जैसे हो जाएँगे। भज 115:4-8

इस्राएलियों के लिए फंदा और नाश की वजह बनी। भज 106:36, 40-42; यिर्म 22:8, 9

ग. परमेश्‍वर को यह मंज़ूर नहीं कि हम उसके साथ-साथ किसी और की भी उपासना करें

परमेश्‍वर ने उसके साथ-साथ किसी और की उपासना करने की इजाज़त नहीं दी। यशा 42:8

सिर्फ परमेश्‍वर ही ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है। भज 65:1, 2

29. मौत

क. मौत की वजह

इंसान शुरू में सिद्ध था, उसके सामने हमेशा की ज़िंदगी की आशा थी। उत्प 1:28, 31

आज्ञा तोड़ने पर मौत की सज़ा मिली। उत्प 2:16, 17; 3:17, 19

पाप और मौत, आदम की सभी संतानों में फैल गयी। रोमि 5:12

ख. मरे हुओं की हालत

मरे हुए अचेत हैं, बेखबर हैं। सभो 9:5, 10; भज 146:3, 4

मौत की गहरी नींद में हैं, दोबारा ज़िंदा किए जाने के इंतज़ार में। यूह 11:11-14, 23-26; प्रेषि 7:60

ग. मरे हुओं से बात करना नामुमकिन

मरे हुए, आत्माओं के रूप में परमेश्‍वर के पास ज़िंदा नहीं हैं। भज 115:17; यशा 38:18

चेतावनी दी गयी थी कि मरे हुओं से बात करने की कोशिश न करें। यशा 8:19; लैव्य 19:31

ज्योतिषियों और ओझाओं की निंदा की गयी है। व्यव 18:10-12; गला 5:19-21

30. यहोवा के साक्षी

क. यहोवा के साक्षियों की शुरूआत

यहोवा खुद अपने साक्षियों की पहचान कराता है। यशा 43:10-12; यिर्म 15:16, NHT

वफादार गवाहों की शुरूआत हाबिल से हुई। इब्रा 11:4, 39; 12:1

यीशु वफादार और सच्चा गवाह था। यूह 18:37; प्रका 1:5; 3:14

31. यहोवा, परमेश्‍वर

क. परमेश्‍वर का नाम

शब्द “परमेश्‍वर” कइयों के लिए इस्तेमाल होता है; हमारे मालिक का अपना एक नाम है। 1 कुरिं 8:5, 6

हम प्रार्थना करते हैं कि परमेश्‍वर का नाम पवित्र माना जाए। मत्ती 6:9, 10

परमेश्‍वर का नाम है, यहोवा। भज 83:18; निर्ग 6:2, 3; 3:15; यशा 42:8

बुल्के बाइबल में यह नाम निर्ग 3:14 के फुटनोट में है। भज 83:18; यशा 12:2; 26:4

यीशु ने यह नाम सब पर ज़ाहिर किया। यूह 17:6, 26; 5:43; 12:12, 13, 28

ख. परमेश्‍वर का वजूद

परमेश्‍वर को देखने के बाद ज़िंदा रहना मुमकिन नहीं। निर्ग 33:20; यूह 1:18; 1 यूह 4:12

परमेश्‍वर पर विश्‍वास करने के लिए उसे देखना ज़रूरी नहीं। इब्रा 11:1; रोमि 8:24, 25; 10:17

परमेश्‍वर की दिखायी देनेवाली रचनाओं से हम उसे जान पाते हैं। रोमि 1:20; भज 19:1, 2

भविष्यवाणियों का पूरा होना, परमेश्‍वर के वजूद का सबूत। यशा 46:8-11

ग. परमेश्‍वर के खास गुण

परमेश्‍वर प्यार है। 1 यूह 4:8, 16; निर्ग 34:6; 2 कुरिं 13:11; मीका 7:18

उसकी बुद्धि बेजोड़ है। अय्यू 12:13; रोमि 11:33; 1 कुरिं 2:7

न्याय से काम करता है। व्यव 32:4; भज 37:28

सर्वशक्‍तिमान है, सबसे ताकतवर है। अय्यू 37:23; प्रका 7:12; 4:11

घ. सभी इंसान एक परमेश्‍वर की सेवा नहीं कर रहे

सही दिखनेवाला रास्ता हमेशा सही नहीं होता। नीति 16:25; मत्ती 7:21

रास्ते दो हैं, सिर्फ एक जीवन की तरफ ले जाता है। मत्ती 7:13, 14; व्यव 30:19

ईश्‍वर कई हैं, मगर सच्चा परमेश्‍वर सिर्फ एक है। 1 कुरिं 8:5, 6; भज 82:1

जीवन पाने के लिए सच्चे परमेश्‍वर को जानना बेहद ज़रूरी। यूह 17:3; 1 यूह 5:20

32. यीशु

क. यीशु, परमेश्‍वर का बेटा और उसका ठहराया राजा है

परमेश्‍वर का पहिलौठा है, उसके ज़रिए सब चीज़ें सिरजी गयीं। प्रका 3:14; कुलु 1:15-17

एक स्त्री के गर्भ से इंसान के रूप में पैदा हुआ, स्वर्गदूतों से कमतर बनाया गया। गला 4:4; इब्रा 2:9

परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से पैदा हुआ, स्वर्ग जाने की आशा पायी। मत्ती 3:16, 17

इंसान बनने से पहले जो ओहदा था, उससे भी ऊँचा ओहदा दिया गया। फिलि 2:9, 10

ख. उद्धार के लिए यीशु मसीह में विश्‍वास करना ज़रूरी

मसीह, वादा किया गया अब्राहम का वंश है। उत्प 22:18; गला 3:16

सिर्फ यीशु महायाजक है, फिरौती है। 1 यूह 2:1, 2; इब्रा 7:25, 26; मत्ती 20:28

जीवन, परमेश्‍वर और मसीह को जानने, आज्ञा मानने से मिलेगा। यूह 17:3; प्रेषि 4:12

ग. यीशु में विश्‍वास करना काफी नहीं

विश्‍वास ज़ाहिर करनेवाले काम भी करने चाहिए। याकू 2:17-26; 1:22-25

यीशु की आज्ञाओं को मानना, उसने जो काम किया उसे करना ज़रूरी है। यूह 14:12, 15; 1 यूह 2:3

प्रभु का नाम लेनेवाला हर कोई राज में दाखिल नहीं होगा मत्ती 7:21-23

33. राज

क. परमेश्‍वर का राज इंसानों के लिए क्या करेगा

परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करेगा। मत्ती 6:9, 10; भज 45:6; प्रका 4:11

यह एक सरकार है जिसमें एक राजा और कायदे-कानून हैं। यशा 9:6, 7; 2:3; भज 72:1, 8

दुष्टता को मिटाकर सारी पृथ्वी पर हुकूमत करेगा। दानि 2:44; भज 72:8

हज़ार साल की हुकूमत में, सभी इंसानों को सिद्ध करेगा; दोबारा फिरदौस लाएगा। प्रका 21:2-4; 20:6

ख. इसकी हुकूमत तभी शुरू हुई जब मसीह के दुश्‍मन अपने कामों में लगे हुए थे

मसीह ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद, लंबे समय तक इंतज़ार किया। भज 110:1; इब्रा 10:12, 13

उसने अधिकार पाया, शैतान से युद्ध लड़ा। भज 110:2; प्रका 12:7-9; लूका 10:18

तभी राज स्थापित किया गया, धरती पर मुसीबतों का दौर शुरू हुआ। प्रका 12:10, 12

आज की दुःख-तकलीफें दिखाती हैं कि राज के पक्ष में फैसला करने का यही वक्‍त है। प्रका 11:15-18

ग. राज लोगों के ‘दिल’ में नहीं, न ही इंसान की कोशिशों से बना है

राज स्वर्ग में है, धरती पर नहीं। 2 तीमु 4:18; 1 कुरिं 15:50; भज 11:4

यह इंसानों के ‘दिल’ में नहीं; यीशु फरीसियों से बात कर रहा था। लूका 17:20, 21

इस दुनिया का हिस्सा नहीं। यूह 18:36; लूका 4:5-8; दानि 2:44

दुनिया की सरकारों और स्तरों की जगह लेगा। दानि 2:44

34. विरोध, ज़ुल्म

क. मसीहियों का विरोध किए जाने की वजह

यीशु ने नफरत झेली, भविष्यवाणी की कि मसीही विरोध झेलेंगे। यूह 15:18-20; मत्ती 10:22

मसीहियों का सही उसूलों पर चलना दुनिया को रास नहीं आता। 1 पत 4:1, 4, 12, 13

इस दुनिया का ईश्‍वर शैतान, राज का विरोध करता है। 2 कुरिं 4:4; 1 पत 5:8

मसीही डरते नहीं, परमेश्‍वर उन्हें हिम्मत देता है। रोमि 8:38, 39; याकू 4:8

ख. पत्नी को पति के दबाव में आकर परमेश्‍वर से अलग नहीं होना चाहिए

आगाह किया गया; लोग शायद पति को गलत जानकारी दें। मत्ती 10:34-38; प्रेषि 28:22

पत्नी को परमेश्‍वर और मसीह पर निर्भर रहना चाहिए। यूह 6:68; 17:3

अपनी वफादारी से वह पति का भी उद्धार करा सकती है। 1 कुरिं 7:16; 1 पत 3:1-6

पति मुखिया है, मगर उपासना के मामले में पत्नी पर हुक्म नहीं चलाना चाहिए। 1 कुरिं 11:3; प्रेषि 5:29

ग. पति को पत्नी के दबाव में आकर परमेश्‍वर की सेवा करने से पीछे नहीं हटना चाहिए

पत्नी और परिवार से प्यार करना चाहिए, उनकी ज़िंदगी की कामना करनी चाहिए। 1 कुरिं 7:16

परिवार के लिए फैसले करना, उसकी देखभाल करना पति की ज़िम्मेदारी है। 1 कुरिं 11:3; 1 तीमु 5:8

परमेश्‍वर, उस पुरुष से प्यार करता है जो सच्चाई के पक्ष में मज़बूत खड़ा रहता है। याकू 1:12; 5:10, 11

परिवार में शांति रखने के लिए समझौता करना, परमेश्‍वर को नाखुश करता है। इब्रा 10:38

अपने परिवार की अच्छी अगुवाई करें ताकि वह नयी दुनिया में खुशहाल ज़िंदगी पा सके। प्रका 21:3, 4

35. शादी

क. शादी के बंधन का आदर करना चाहिए

इसकी तुलना मसीह और उसकी दुल्हन के आपसी रिश्‍ते से की गयी। इफि 5:22, 23

शादी की सेज दूषित नहीं होनी चाहिए। इब्रा 13:4

जोड़ों को सलाह दी गयी है कि वे अलग न हों। 1 कुरिं 7:10-16

बाइबल के मुताबिक, सिर्फ पोर्निया या व्यभिचार ही तलाक लेने की सही वजह है। मत्ती 19:9

ख. मसीहियों को मुखियापन का सिद्धांत ज़रूर मानना चाहिए

पति मुखिया होने के नाते परिवार से प्यार करे, उसकी देखभाल करे। इफि 5:23-31

पत्नी, पति के अधीन रहती, उससे प्यार करती और कहना मानती है। 1 पत 3:1-7; इफि 5:22

बच्चों को माता-पिता का कहना मानना चाहिए। इफि 6:1-3; कुलु 3:20

ग. बच्चों की तरफ मसीही माता-पिता की ज़िम्मेदारी

ज़रूरी है कि बच्चों से प्यार करें, उनके साथ वक्‍त बिताएँ, उनका खयाल रखें। तीतु 2:4

उन्हें खीज न दिलाएँ। कुलु 3:21

उनकी ज़रूरतें पूरी करें, आध्यात्मिक ज़रूरतें भी। 2 कुरिं 12:14; 1 तीमु 5:8

ऐसी तालीम दें जो उन्हें सारी ज़िंदगी काम आए। इफि 6:4; नीति 22:6, 15; 23:13, 14

घ. मसीहियों को सिर्फ मसीहियों से शादी करनी चाहिए

शादी केवल “प्रभु में” करें। 1 कुरिं 7:39; व्यव 7:3, 4; नहे 13:26

च. एक-से-ज़्यादा शादियाँ करना बाइबल के खिलाफ

शुरू से यह नियम था कि एक पुरुष की सिर्फ एक पत्नी हो। उत्प 2:18, 22-25

यीशु ने वही स्तर मसीहियों के लिए भी कायम किया। मत्ती 19:3-9

शुरू के मसीही एक-से-ज़्यादा पति/पत्नी नहीं रखते थे। 1 कुरिं 7:2, 12-16; इफि 5:28-31

36. शैतान, दुष्ट स्वर्गदूत

क. शैतान एक आत्मिक प्राणी है

शैतान, इंसान के अंदर की बुराई नहीं, बल्कि एक स्वर्गदूत है। 2 तीमु 2:26

स्वर्गदूतों की तरह शैतान भी एक अलग शख्स है। मत्ती 4:1, 11; अय्यू 1:6

अपनी बुरी ख्वाहिश की वजह से खुद शैतान बना। याकू 1:13-15

ख. शैतान इस दुनिया का राजा है, मगर वह दिखायी नहीं देता

इस दुनिया का ईश्‍वर है और इसे अपने कब्ज़े में किए हुए है। 2 कुरिं 4:4; 1 यूह 5:19; प्रका 12:9

जब तक मसले का हल न हो, तब तक उसे राज करने की छूट है। निर्ग 9:16; यूह 12:31

अथाह-कुंड में डाला जाएगा, फिर नाश किया जाएगा। प्रका 20:2, 3, 10

ग. दुष्ट स्वर्गदूत बागी हैं

जलप्रलय से पहले शैतान के साथ जा मिले। उत्प 6:1, 2; 1 पत 3:19, 20

गिरी हुई दशा में हैं, परमेश्‍वर के ज्ञान की ज़रा भी रौशनी उन्हें नहीं मिलती। 2 पत 2:4; यहू 6

परमेश्‍वर के खिलाफ लड़ते हैं, इंसानों पर अत्याचार करते हैं। लूका 8:27-29; प्रका 16:13, 14

शैतान के साथ नाश होंगे। मत्ती 25:41; लूका 8:31; प्रका 20:2, 3, 10

37. सब्त

क. सब्त का दिन मनाना मसीहियों के लिए ज़रूरी नहीं

मसीह की मौत की बिना पर मूसा का कानून रद्द किया गया। इफि 2:15

मसीहियों के लिए सब्त मनाना ज़रूरी नहीं। कुलु 2:16, 17; रोमि 14:5, 10

सब्त और ऐसे दूसरे रिवाज़ माननेवालों को ताड़ना दी गयी। गला 4:9-11; रोमि 10:2-4

विश्‍वास और आज्ञा मानने के ज़रिए परमेश्‍वर के विश्राम में दाखिल हों। इब्रा 4:9-11

ख. सब्त का नियम सिर्फ प्राचीन इस्राएलियों को दिया गया

सबसे पहला सब्त, मिस्र से निकलने के बाद मनाया गया। निर्ग 16:26, 27, 29, 30

पैदाइशी इस्राएल की पहचान के लिए सिर्फ उन्हीं को यह नियम दिया गया। निर्ग 31:16, 17; भज 147:19, 20

कानून में, सब्त के साल मानने की भी माँग थी। निर्ग 23:10, 11; लैव्य 25:3, 4

सब्त मनाना, मसीहियों के लिए ज़रूरी नहीं। रोमि 14:5, 10; गला 4:9-11

ग. परमेश्‍वर का सब्त या विश्राम दिन (सृष्टि के “हफ्ते” का 7वाँ दिन)

यह तब शुरू हुआ जब पृथ्वी पर सृष्टि का काम पूरा हुआ। उत्प 2:2, 3; इब्रा 4:3-5

धरती से यीशु के जाने के बाद भी ज़ारी रहा। इब्रा 4:6-8; भज 95:7-9, 11

मसीही, स्वार्थ के कामों से विश्राम करते हैं। इब्रा 4:9, 10

विश्राम उस वक्‍त खत्म होगा जब धरती से जुड़ा राज का काम पूरा होगा। 1 कुरिं 15:24, 28

38. सभी धर्मों में विश्‍वास

क. दूसरे धर्मों के साथ मिल जाना, परमेश्‍वर को मंज़ूर नहीं

सही मार्ग सिर्फ एक है, सँकरा है। उसे पानेवाले थोड़े हैं। इफि 4:4-6; मत्ती 7:13, 14

चेतावनी दी गयी कि झूठी शिक्षाएँ भ्रष्ट करती हैं। मत्ती 16:6, 12; गला 5:9

अलग रहने की आज्ञा दी गयी। 2 तीमु 3:5; 2 कुरिं 6:14-17; प्रका 18:4

ख. यह धारणा गलत है कि “सभी धर्मों में अच्छाई है”

कुछ लोगों में जोश तो है, मगर परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक नहीं। रोमि 10:2, 3

इन धर्मों में अगर अच्छाई हो भी, तो इनकी बुराई उसे बेमाने कर देती है। 1 कुरिं 5:6; मत्ती 7:15-17

झूठे शिक्षक विनाश की खाई में ले जाते हैं। 2 पत 2:1; मत्ती 12:30; 15:14

शुद्ध उपासना के लिए सिर्फ यहोवा की भक्‍ति करनी चाहिए। व्यव 6:5, 14, 15

39. सेवक

क. सभी मसीहियों को सेवक होना चाहिए

यीशु, परमेश्‍वर का सेवक था। रोमि 15:8, 9; मत्ती 20:28

मसीही, उसके नक्शे-कदम पर चलते हैं। 1 पत 2:21; 1 कुरिं 11:1

अपनी सेवा पूरी करने के लिए प्रचार करना ज़रूरी। 2 तीमु 4:2, 5; 1 कुरिं 9:16

ख. सेवा में हिस्सा लेने के लिए ज़रूरी योग्यताएँ

परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति पाना और उसके वचन का ज्ञान होना ज़रूरी। 2 तीमु 2:15; यशा 61:1-3

प्रचार में मसीह के आदर्श पर चलना। 1 पत 2:21; 2 तीमु 4:2, 5

परमेश्‍वर अपनी पवित्र शक्‍ति और संगठन के ज़रिए तालीम देता है। यूह 14:26; 2 कुरिं 3:1-3

40. सृष्टि

क. विज्ञान ने जो साबित किया है उससे सृष्टि मेल खाती है; विकासवाद का सिद्धांत गलत साबित

जिस क्रम से सृष्टि की गयी, उसे विज्ञान सही मानता है। उत्प 1:11, 12, 21, 24, 25

अपनी “जाति” के मुताबिक पैदा करने का परमेश्‍वर का नियम आज भी सच। उत्प 1:11, 12; याकू 3:12

ख. सृष्टि के दिन 24 घंटे के दिन नहीं

लंबी समय-अवधि को भी “दिन” कहा जा सकता है। उत्प 2:4

परमेश्‍वर का एक दिन, काफी लंबा समय हो सकता है। भज 90:4; 2 पत 3:8

41. स्मारक, मिस्सा

क. प्रभु के संध्या भोज की यादगार मनाना

साल में एक बार, फसह के त्योहार की तारीख पर मनाया जाता है। लूका 22:1, 17-20; निर्ग 12:14

यह मसीह की मौत का स्मारक है, जो हमारे लिए बलिदान हुआ। 1 कुरिं 11:26; मत्ती 26:28

स्वर्ग जाने की आशा रखनेवाले इसमें हिस्सा लेते हैं। लूका 22:29, 30; 12:32, 37

एक इंसान कैसे जान सकता है कि उसे यह आशा है। रोमि 8:15-17

ख. मिस्सा, बाइबल के खिलाफ

पापों की माफी के लिए लहू बहाना ज़रूरी। इब्रा 9:22

सिर्फ मसीह, नए करार का बिचवई है। 1 तीमु 2:5, 6; यूह 14:6

मसीह स्वर्ग में है; पादरी उसे धरती पर नहीं ला सकता। प्रेषि 3:20, 21

मसीह को दोबारा बलिदान देने की ज़रूरत नहीं। इब्रा 9:24-26; 10:11-14

42. स्वर्ग

क. सिर्फ 1,44,000 जन स्वर्ग जाते हैं

एक सीमित संख्या; मसीह के साथी-राजा होंगे। प्रका 5:9, 10; 20:4

स्वर्ग जानेवालों में यीशु पहला था; उसके बाद दूसरों को चुना गया। कुलु 1:18; 1 पत 2:21

दूसरे बहुत-से लोग धरती पर जीएँगे। भज 72:8; प्रका 21:3, 4

1,44,000 जनों को खास पद दिया गया है जो किसी और को नहीं मिला। प्रका 14:1, 3; 7:4, 9

43. हर-मगिदोन

क. यह परमेश्‍वर का युद्ध है, जो दुष्टता मिटाएगा

राष्ट्रों को हर-मगिदोन के लिए इकट्ठा किया जा रहा है। प्रका 16:14, 16

परमेश्‍वर अपने बेटे और स्वर्गदूतों के ज़रिए युद्ध करेगा। 2 थिस्स 1:6-9; प्रका 19:11-16

हम कैसे बच सकते हैं। सप 2:2, 3; प्रका 7:14

ख. यह युद्ध परमेश्‍वर के प्यार के खिलाफ नहीं

दुनिया की बुराई हद पार कर गयी है। 2 तीमु 3:1-5

परमेश्‍वर सब्र दिखा रहा है, न्याय का तकाज़ा, कार्रवाई की माँग करता है। 2 पत 3:9, 15; लूका 18:7, 8

दुष्टों का नाश ज़रूरी है ताकि नेक इंसान खुशहाल ज़िंदगी जी सकें। नीति 21:18; प्रका 11:18

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