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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
योएल

योएल

1 यहोवा का यह संदेश पतूएल के बेटे योएल* के पास पहुँचा:

 2 “प्रधानो, सुनो, देश* के सभी निवासियो, ध्यान से सुनो।

क्या ऐसी कोई बात तुम्हारे दिनों में हुई है

या तुम्हारे पुरखों के ज़माने में हुई?+

 3 इस बारे में अपने बेटों को बताओ,

तुम्हारे बेटे अपने बेटों को बताएँ

और उनके बेटे अगली पीढ़ी को बताएँ।

 4 जो कुछ कुतरनेवाली टिड्डी से बचा उसे दलवाली टिड्डी ने खा लिया,+

जो कुछ दलवाली टिड्डी से बचा उसे बिन पंखोंवाली टिड्डी ने खा लिया

और जो कुछ बिन पंखोंवाली टिड्डी से बचा उसे भूखी टिड्डी ने खा लिया।+

 5 पियक्कड़ो,+ जागो और रोओ!

दाख-मदिरा पीनेवालो, तुम सब ज़ोर-ज़ोर से रोओ,

क्योंकि तुम्हारे मुँह से मीठी दाख-मदिरा छिन गयी है।+

 6 मेरे देश पर एक ताकतवर राष्ट्र ने हमला कर दिया है जिसके लोग बेशुमार हैं।+

उसके दाँत और जबड़े शेर के जैसे हैं।+

 7 उसने मेरी अंगूर की बेल तहस-नहस कर दी है

और मेरे अंजीर के पेड़ का सिर्फ ठूँठ छोड़ा है,

उनकी पूरी छाल छीलकर यहाँ-वहाँ फेंक दी है,

उनकी टहनियाँ सफेद हो गयी हैं।

 8 तुम ज़ोर-ज़ोर से रोओ,

जैसे एक कुँवारी* अपने दूल्हे* की मौत पर टाट पहने रोती है,

 9 यहोवा के भवन में अनाज का चढ़ावा+ और अर्घ+ का आना बंद हो गया है,

यहोवा की सेवा करनेवाले याजक दुख मना रहे हैं।

10 खेत उजाड़ दिया गया है, ज़मीन मातम मना रही है,+

अनाज नाश कर दिया गया है, नयी दाख-मदिरा सूख गयी है, तेल खत्म हो गया है।+

11 किसान मायूस हैं, अंगूरों के बागों के माली ज़ोर से रो रहे हैं,

क्योंकि गेहूँ और जौ नष्ट हो गए हैं,

खेत की फसल बरबाद हो गयी है।

12 अंगूर की बेल सूख गयी है,

अंजीर का पेड़ मुरझा गया है।

अनार, खजूर, सेब, मैदान के सारे पेड़ सूख गए हैं।+

लोगों की खुशी अपमान में बदल गयी है।

13 याजको, टाट ओढ़कर मातम मनाओ,*

वेदी के पास सेवा करनेवालो,+ ज़ोर-ज़ोर से रोओ।

मेरे परमेश्‍वर के सेवको, आओ और टाट ओढ़कर रात बिताओ,

क्योंकि तुम्हारे परमेश्‍वर के भवन में अनाज का चढ़ावा+ और अर्घ+ का आना रोक दिया गया है।

14 उपवास का ऐलान करो, एक पवित्र सभा बुलाओ।+

अपने परमेश्‍वर यहोवा के भवन में मुखियाओं और देश के सभी निवासियों को इकट्ठा करो+

और मदद के लिए यहोवा को पुकारो।

15 हाय! वह दिन आ रहा है,

यहोवा का दिन करीब है,+

वह दिन सर्वशक्‍तिमान की ओर से नाश लाएगा!

16 हमसे खाना छीन लिया गया है,

हमारे परमेश्‍वर के भवन से खुशियाँ और जश्‍न छीन लिए गए हैं।

17 बेलचे के नीचे पड़े बीज* सूख गए हैं।

गोदाम सूने पड़े हैं।

भंडार ढा दिए गए हैं क्योंकि फसल मारी गयी है।

18 मवेशी भी कराह रहे हैं!

गाय-बैल मारे-मारे फिर रहे हैं क्योंकि कोई चरागाह नहीं है!

भेड़ों के झुंड सज़ा भुगत रहे हैं।

19 हे यहोवा, मैं तुझी को पुकारूँगा,+

क्योंकि आग ने वीराने के चरागाह भस्म कर दिए हैं,

लपटों ने मैदान के सारे पेड़ जला दिए हैं।

20 जंगली जानवर भी तुझ पर आस लगाए हुए हैं,

क्योंकि नदियाँ सूख गयी हैं

और आग ने वीराने के चरागाह भस्म कर दिए हैं।”

2 “सिय्योन में नरसिंगा फूँको!+

मेरे पवित्र पहाड़ पर ऐलान करो कि युद्ध होनेवाला है।

देश* के सभी निवासी थर-थर काँपें,

क्योंकि यहोवा का दिन आ रहा है!+ वह करीब है!

 2 वह घोर अंधकार का दिन है,+

काले घने बादलों का दिन है,+

जैसे सुबह की रौशनी हो जो पहाड़ों पर फैलती है।

एक ऐसा ताकतवर देश है जिसके लोग बेशुमार हैं।+

ऐसा देश पहले कभी नहीं हुआ और न फिर कभी होगा,

पीढ़ी-पीढ़ी तक नहीं होगा।

 3 उसके आगे आग भस्म करती जाती है,

पीछे ज्वाला जलाती जाती है।+

उसके आगे अदन के बाग जैसा देश है,+

मगर पीछे उजड़ा हुआ वीराना है,

उससे कुछ नहीं बच सकता।

 4 वे घोड़ों जैसे दिखते हैं,

युद्ध के घोड़ों जैसे दौड़ते हैं।+

 5 जब वे पहाड़ों की चोटियों पर दौड़ते हैं तो उनका शोर रथों की खड़खड़ाहट+

और भूसी के जलने की चटचटाहट जैसा होता है।

वे ऐसे हैं मानो सूरमाओं का दल मोरचा बाँधे हुए है।+

 6 उनकी वजह से देश-देश के लोग डर और चिंता में पड़ जाएँगे,

उन सबके चेहरे लाल हो जाएँगे।

 7 वे योद्धाओं की तरह बढ़े चले आते हैं,

सैनिकों की तरह दीवार लाँघ जाते हैं,

हर कोई अपनी राह पर चलता है,

वह उससे नहीं हटता।

 8 वे एक-दूसरे को धक्का नहीं देते,

हर कोई अपनी राह पर सीधे आगे बढ़ता है।

चाहे उनमें से कुछ हथियारों की मार से गिर जाएँ,

तो भी दूसरे अपनी पंक्‍ति नहीं तोड़ते।

 9 वे शहर में तेज़ी से घुसते हैं, शहरपनाह पर दौड़ते हैं।

घरों पर चढ़ते हैं और चोर की तरह खिड़कियों से घुस जाते हैं।

10 उनके सामने ज़मीन थरथराती है, आसमान डोलने लगता है।

सूरज और चाँद पर अँधेरा छा जाता है+ और तारे बुझ जाते हैं।

11 यहोवा अपनी सेना के सामने बुलंद आवाज़ में हुक्म देगा+ क्योंकि उसकी सेना विशाल है।+

उसका वचन पूरा करनेवाला शक्‍तिशाली है,

यहोवा का दिन बड़ा ही भयानक है।+

उस दिन कौन टिक पाएगा?”+

12 यहोवा ऐलान करता है, “मगर अब भी वक्‍त है, तुम लोग पूरे दिल से मेरे पास लौट आओ,+

उपवास करते+ और रोते-बिलखते मेरे पास आओ।

13 अपने कपड़ों को नहीं,+ दिलों को फाड़ो+

और अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आओ,

क्योंकि वह करुणा से भरा और दयालु है, क्रोध करने में धीमा+ और अटल प्यार से भरपूर है,+

वह विपत्ति लाने की बात पर फिर से गौर करेगा।*

14 क्या पता, वह अपने फैसले पर फिर से सोचे,*

उसे बदल दे+ और तुम्हें आशीष दे

ताकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए अनाज का चढ़ावा और अर्घ चढ़ा सको!

15 सिय्योन में नरसिंगा फूँको!

उपवास का ऐलान करो, एक पवित्र सभा बुलाओ।+

16 लोगों को इकट्ठा करो, मंडली को पवित्र करो।+

बुज़ुर्गों* को इकट्ठा करो, बच्चों और दूध-पीते बच्चों को इकट्ठा करो।+

दूल्हा-दुल्हन अपने अंदर के कमरे से बाहर आएँ।

17 मंदिर में बरामदे और वेदी के बीच+

यहोवा की सेवा करनेवाले याजक रो-रोकर कहें,

‘हे यहोवा, अपने लोगों पर तरस खा,

राष्ट्रों को उन पर राज न करने दे

ताकि तेरी विरासत मज़ाक न बन जाए।

दूसरे देशों को यह कहने का मौका क्यों मिले, “कहाँ गया उनका परमेश्‍वर?”’+

18 तब यहोवा अपने देश के लिए जोश दिखाएगा

और अपने लोगों पर करुणा करेगा।+

19 यहोवा अपने लोगों को यह जवाब देगा:

‘मैं तुम्हें अनाज, नयी दाख-मदिरा और तेल देने जा रहा हूँ,

तुम पूरी तरह संतुष्ट हो जाओगे,+

मैं फिर कभी तुम्हें राष्ट्रों के बीच बदनाम नहीं होने दूँगा।+

20 मैं उत्तर से आनेवाले को तुमसे दूर भगा दूँगा,

उसे एक सूखे और उजाड़ देश में खदेड़ दूँगा,

उसके सामने की सेना पूरब के सागर* की तरफ होगी

और पीछे की सेना पश्‍चिम के सागर* की तरफ।

उससे बदबू ऊपर उठेगी

उससे गंध ऊपर उठती रहेगी,+

क्योंकि परमेश्‍वर महान काम करेगा।’

21 हे देश, मत डर।

खुशियाँ और जश्‍न मना क्योंकि यहोवा महान काम करेगा।

22 मैदान के जानवरो, मत डरो

क्योंकि वीराने के चरागाह हरे-भरे हो जाएँगे+

और पेड़ फलने लगेंगे,+

अंजीर का पेड़ और अंगूर की बेल, दोनों पूरा-पूरा फल देंगे।+

23 सिय्योन के बेटो, अपने परमेश्‍वर यहोवा के कारण खुशियाँ और जश्‍न मनाओ,+

वह तुम्हें सही मात्रा में पतझड़ की बारिश देगा,

तुम पर खूब पानी बरसाएगा,

पहले की तरह तुम्हें पतझड़ और वसंत की बारिश देगा।+

24 खलिहानों में अनाज का ढेर लग जाएगा,

हौद नयी दाख-मदिरा और तेल से उमड़ते रहेंगे।+

25 जितने साल मेरी भेजी हुई विशाल सेना ने,

दलवाली टिड्डी, बिन पंखोंवाली टिड्डी, भूखी टिड्डी और कुतरनेवाली टिड्डी ने नुकसान किया,+

उसकी मैं भरपाई कर दूँगा।

26 तुम बेशक जी-भरकर खाओगे+

और अपने परमेश्‍वर यहोवा के नाम की तारीफ करोगे,+

जिसने तुम्हारी खातिर अजूबे किए हैं,

मेरे लोगों को फिर कभी शर्मिंदा नहीं किया जाएगा।+

27 और तुम्हें जानना होगा कि मैं इसराएल के बीच हूँ,+

मैं यहोवा तुम्हारा परमेश्‍वर हूँ,+ मेरे सिवा कोई नहीं है!

मेरे लोगों को फिर कभी शर्मिंदा नहीं किया जाएगा।

28 इसके बाद मैं हर तरह के इंसान पर अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा+

और तुम्हारे बेटे-बेटियाँ भविष्यवाणी करेंगे,

तुम्हारे बुज़ुर्ग खास सपने देखेंगे,

तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे।+

29 उन दिनों मैं अपने दास-दासियों पर भी

अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा।

30 मैं आकाश में और धरती पर अजूबे दिखाऊँगा,*

खून, आग और धुएँ का बादल।+

31 यहोवा के बड़े भयानक दिन के आने से पहले,

सूरज पर अँधेरा छा जाएगा और चाँद खून जैसा लाल हो जाएगा।+

32 और जो कोई यहोवा का नाम पुकारता है वह उद्धार पाएगा,+

क्योंकि जैसे यहोवा ने कहा है, सिय्योन पहाड़ पर और यरूशलेम में वे लोग होंगे जो बच जाएँगे,+

वे लोग जिन्हें यहोवा बुलाता है।”

3 “क्योंकि देखो! उन दिनों और उस समय,

जब मैं यहूदा और यरूशलेम के लोगों को बँधुआई से वापस ले आऊँगा,+

 2 तब मैं सारे राष्ट्रों को भी इकट्ठा करूँगा

और उन्हें यहोशापात* की घाटी में ले आऊँगा।

वहाँ मैं अपने लोगों और अपनी विरासत इसराएल की खातिर उनसे मुकदमा लड़ूँगा,+

क्योंकि उन्होंने मेरे लोगों को दूसरे राष्ट्रों में तितर-बितर कर दिया

और मेरे देश की ज़मीन आपस में बाँट ली।+

 3 उन्होंने चिट्ठियाँ डालकर मेरे लोगों को आपस में बाँट लिया,+

वे वेश्‍याओं का किराया चुकाने के लिए लड़के दे देते थे

और दाख-मदिरा के लिए लड़कियों को बेच देते थे।

 4 हे सोर और सीदोन, हे पलिश्‍त के सभी प्रांतो,

तुमने मेरे साथ ऐसा करने की हिम्मत कैसे की?

क्या तुम मुझसे किसी बात का बदला ले रहे हो?

अगर तुम बदला ले रहे हो,

तो मैं फौरन तुम्हें अपनी करतूतों का फल भुगतने पर मजबूर करूँगा।+

 5 तुम मेरा सोना-चाँदी ले गए,+

मेरा बढ़िया-से-बढ़िया खज़ाना अपने मंदिरों में ले गए,

 6 तुमने यहूदा और यरूशलेम के लोगों को यूनानियों के हाथ बेच दिया+

ताकि उन्हें उनके इलाके से दूर कर दिया जाए।

 7 इसलिए देखो, तुमने उन्हें जहाँ बेच दिया था वहाँ से मैं उन्हें वापस ले आऊँगा,+

तुम्हें अपनी करतूतों का फल भुगतने पर मजबूर करूँगा।

 8 मैं तुम्हारे बेटे-बेटियों को यहूदा के लोगों के हाथ बेच दूँगा+

और वे उन्हें दूर देश शीबा के लोगों के हाथ बेच देंगे,

क्योंकि खुद यहोवा ने ऐसा कहा है।

 9 राष्ट्रों के बीच ऐलान करो,+

‘युद्ध की तैयारी करो! सूरमाओं को उभारो!

सारे सैनिक आगे बढ़ें और हमला करें!+

10 अपने हल के फाल पीटकर तलवारें बनाओ और अपनी दरातियों को पीटकर भाले* बनाओ।

कमज़ोर कहे, “मैं बड़ा ताकतवर हूँ।”

11 आस-पास के सब राष्ट्रो, आकर इकट्ठा हो जाओ, मदद करो!’”+

हे यहोवा, अपने योद्धाओं को नीचे उस जगह ले आ।

12 “राष्ट्र उभारे जाएँ और यहोशापात की घाटी में जाएँ,

क्योंकि मैं वहाँ बैठूँगा ताकि आस-पास के सभी राष्ट्रों का न्याय करूँ।+

13 हँसिया चलाओ, फसल पक चुकी है।

नीचे आकर रौंदो, अंगूर रौंदने का हौद भर गया है।+

रस-कुंड उमड़ रहे हैं क्योंकि उनकी बुराई बहुत बढ़ गयी है।

14 फैसले की घाटी में भीड़-की-भीड़ जमा है,

क्योंकि फैसले की घाटी में यहोवा का दिन करीब है।+

15 सूरज और चाँद पर अँधेरा छा जाएगा

और तारे अपनी चमक खो बैठेंगे।

16 यहोवा सिय्योन से गरजेगा,

यरूशलेम से बुलंद आवाज़ में बोलेगा।

आसमान और धरती डोलने लगेंगे,

मगर यहोवा अपने लोगों के लिए पनाह होगा,+

इसराएल के लोगों के लिए किला होगा।

17 और तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा तुम्हारा परमेश्‍वर हूँ, जो अपने पवित्र पहाड़ सिय्योन पर निवास करता है।+

यरूशलेम नगरी एक पवित्र जगह बन जाएगी,+

अजनबी* फिर कभी वहाँ से नहीं गुज़रेंगे।+

18 उस दिन पहाड़ों से मीठी दाख-मदिरा टपकेगी,+

पहाड़ियों पर दूध बहेगा,

यहूदा की सारी नदियों में पानी उमड़ने लगेगा।

यहोवा के भवन से एक सोता फूटेगा,+

बबूल के पेड़ों की घाटी को सींचेगा।

19 मगर मिस्र उजड़ जाएगा,+

एदोम उजड़ा हुआ वीराना हो जाएगा,+

क्योंकि उन्होंने यहूदा के लोगों को सताया,+

उनके देश में बेगुनाहों का खून बहाया।+

20 मगर यहूदा हमेशा आबाद रहेगा,

यरूशलेम पीढ़ी-पीढ़ी तक आबाद रहेगी।+

21 उन पर जो खून का दोष था, मैं उसे मिटा दूँगा,+

मैं यहोवा सिय्योन पर निवास करूँगा।”+

मतलब “यहोवा परमेश्‍वर है।”

या “धरती।”

या “जवान औरत।”

या “पति।”

या “छाती पीटो।”

या शायद, “सूखे अंजीर।”

या “धरती।”

या “पछतावा महसूस करेगा।”

या “पछतावा महसूस करे।”

या “मुखियाओं।”

यानी मृत सागर।

यानी भूमध्य सागर।

या “चिन्ह दूँगा।”

मतलब “यहोवा न्यायी है।”

या “बरछियाँ।”

या “परदेसी।”

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