तनाव के अधीन बच्चों की एक महामारी
जैसे ही वह अपने घर के निकट आ रही थी, कुछ ही दूरी से जो उसने देखा उससे भयभीत होकर रीटा चिल्लायी “रैंडी!” वहाँ उसका बेटा रैंडी, ऊपरी मंज़िल के बेडरूम की खिड़की, जो कंक्रीट के आंगन से ८ मीटर ऊपर थी, से आधा बाहर लटक रहा था। घर के अन्दर, लैरी ने अपनी पत्नी की अनियंत्रित चीखों को सुना और झट से कार्य किया। सीढ़ियों से ऊपर भागते हुए, वह बेडरूम में लपका और रैंडी को पकड़कर उसे सुरक्षित अंदर खींच लिया। रैंडी के माता-पिता को तुरंत जवाब चाहिए थे। “तुमने ऐसा क्यों किया? क्यों?” उन्होंने अविश्वास से पूछा। “तुम्हें चोट लग सकती थी; तुम मर सकते थे!” “मैं मरना चाहता था,” रैंडी ने भावशून्यता से जवाब दिया। रैंडी सिर्फ़ पाँच वर्ष का था।
बाहरी रूप से, रैंडी एक सामान्य, स्वस्थ लड़का था। किसी को यह संदेह नहीं हुआ कि वह अंदर ही अंदर मरना चाहता था। तो भी, अनुवर्ती सलाह देने के द्वारा प्रकट हुआ कि रैंडी एक ऐसा बच्चा था जो तीव्र तनाव के अधीन था।
रैंडी की तरह आज असंख्य बच्चे बहुत बड़ी बेचैनी के शिकार हैं। अपनी व्यथा से निपटने के स्वस्थ तरीकों को न पाने के कारण, कुछ बच्चे अपनी चिन्ता को दबाने का निष्फल प्रयास करते हैं। लेकिन रोककर रखा हुआ तनाव आख़िरकार निकास ढूँढ ही लेता है। कुछ बच्चों के लिए, वह चिन्ता जो बातचीत द्वारा ठीक नहीं की जा सकती, शारीरिक बीमारी या अपचारी बर्ताव में परिणित होती है। अन्य बच्चों के लिए, तनाव को आत्मघाती कार्यों द्वारा स्वयं पर ही उतारा जाता है, जिसमें आत्मकृत घाव, भोजन-संबंधी अव्यवस्था, नशीली वस्तुओं का दुरुपयोग, और आत्महत्या भी शामिल है। संकट में बच्चा (The Child in Crisis) ने टिप्पणी की: “इन में से अधिकतर समस्याओं—विशेषकर आत्महत्या—को एक समय पर वयस्कों और बड़े किशोर-किशोरियों का अनन्य क्षेत्र समझा जाता था। अब ये छोटे बच्चों को भी धीरे-धीरे घेर रही हैं।”
‘यह कैसे हो सकता है?’ विस्मित वयस्क पूछते हैं। ‘क्या बचपन खिलौनों और खेल-कूद, हँसी-मज़ाक़ का समय नहीं है?’ बहुत से बच्चों के लिए जवाब है नहीं। डॉ. जूलियस सेगल दावा करता है, “बचपन विशुद्ध सुखों का समय है यह वयस्कों द्वारा गढ़ी एक कल्पना है।” बाल-चिकित्सक जोसेफ़ लुपो इस दुःखद सच्चाई की पुष्टि करता है: “मैं चिकित्सीय अभ्यास पच्चीस साल से कर रहा हूँ। आज मैं पहले से चार गुना ज़्यादा हताश बच्चे और किशोर मरीज़ों को देखता हूँ।”
ऐसा क्या है जो बच्चों में अद्वितीय तनाव का कारण बन रहा है? चेतावनी देनेवाले चिह्न क्या हैं? तनाव के अधीन बच्चों की सहायता कैसे की जा सकती है? इन सवालों को अगले लेखों में सम्बोधित किया जाएगा।