पशुओं की नींद के रहस्य
कॆन्या में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
नींद—आराम की इस अवस्था में हम अपनी ज़िंदगी का एक तिहाई हिस्सा गुज़ारते हैं। ऐसा माना जाता है कि नींद समय की बरबादी के बजाय, कई महत्त्वपूर्ण शारीरिक और मनोवैज्ञानिक ज़रूरतें पूरी करती है। इसलिए नींद को परमेश्वर की ओर से एक नायाब तोहफ़ा माना जा सकता है।—भजन १२७:२ से तुलना कीजिए।
सो इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि नींद जानवरों की दुनिया में भी एक अहम भूमिका अदा करती है। वाक़ई, अनेक जातियाँ ऐसे-ऐसे तरीक़ों से नींद लेती हैं जो सम्मोहक या कभी-कभी मनोरंजन के लायक़ और अकसर अनोखे होते हैं। आइए कुछ उदाहरणों को देखें।
नींद के चैम्पियन
जिस किसी ने भी अफ्रीका की दोपहर की गर्म धूप में एक शेर को पीठ के बल लेटे और पंजे आसमान की तरफ़ किए हुए सोते देखा होगा, वह शायद ऐसा सोच सकता है कि यह ख़ूँखार पशु एक घरेलू बिल्ली की तरह पालतू होगा। लेकिन आँखों देखा भी धोखा दे सकता है। १७वीं शताब्दी के लेखक थोमस कैम्पीयन ने लिखा: “किसकी हिम्मत है जो सोते शेर को जगाए?” जी हाँ, बलशाली शेर को भी—दिन में लगभग २० घंटे—अपनी परभक्षी जीवन-शैली क़ायम रखने के लिए नींद की ज़रूरत पड़ती है।
टुएट्रा पर भी ध्यान दीजिए, यह न्यू ज़ीलैंड में पाया जानेवाला छिपकली के समान एक सुस्त जानवर है। यह आधा साल हलकी नींद (शीतनिष्क्रियता) में बिताता है। देखिए तो, टुएट्रा इतना आलसी है कि खाना चबाते-चबाते भी सो जाता है! लेकिन इतनी नींद से फ़ायदा ही होता है, क्योंकि वैज्ञानिक बताते हैं कि कुछ टुएट्रा लगभग १०० सालों तक ज़िंदा रह सकते हैं!
कुंभकरण की तरह बाक़ी जीव भी लंबे अरसे तक नींद में रहते हैं। यह वह तरीक़ा है जिससे वे कड़ाकेदार ठंड से बचते हैं। तैयारी के लिए, पशु चरबी पैदा करते हैं जो उन्हें इस लंबी नींद के दौरान पोषित करती रहेगी। लेकिन, नींद लेते इन पशुओं को सर्दी में अकड़कर मरने से क्या बचाता है? जैसा कि पुस्तक पशु जगत में (अंग्रेज़ी) वर्णन करती है, मस्तिष्क, पशुओं के रक्त में रासायनिक परिवर्तन शुरू करता है, जिससे प्राकृतिक रूप से न जमनेवाला पदार्थ पैदा होता है। जब इस जीव के शरीर का तापमान जमने से थोड़ा ही ऊपर होता है तो धड़कन सामान्य से थोड़ी धीमी हो जाती है; उसकी साँस धीरे चलती है। जिसकी वज़ह से गहरी नींद आती है और यह कई हफ़्तों तक रहती है।
‘उड़ते-उड़ते’ नींद?
कुछ पशु अनोखे तरीक़ों से नींद लेते हैं। सूटी टर्न कहलानेवाली समुद्री चिड़िया पर ध्यान दीजिए। जब एक छोटी सूटी टर्न अपना घोंसला छोड़ती है, तो वह समुद्र का रुख़ लेती है और कुछ सालों तक लगातार उड़ती रहती है! इसके पंख जलसह नहीं होते और बाक़ी टर्न पक्षियों की तरह जिनके पैर झिल्लीदार होते हैं, सूटी टर्न समुद्र में नहीं उतरती। यह गोता लगाकर पानी की सतह से छोटी-छोटी मछलियों का शिकार करती है।
लेकिन यह नींद कब लेती है? पुस्तक उत्तरी अमरीका के पानी के, शिकार और शिकारी पक्षी (अंग्रेज़ी) कहती है: “ऐसा नहीं लगता कि ये पानी में सोती हैं क्योंकि उनके पंख पानी से गीले हो जाएँगे। कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि यह चिड़िया उड़ते-उड़ते सो सकती है।”
पानी के अंदर आराम
क्या मछलियाँ सोती हैं? वर्ल्ड बुक एनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, कशेरूकियों में “केवल रेंगनेवाले जंतु, चिड़ियाएँ और स्तनधारी असली नींद का अनुभव करते हैं जिसमें मस्तिष्क तरंगों के प्रकार में परिवर्तन होते हैं।” ऐसा होने पर भी, मछलियाँ नींद जैसी आराम की अवधियों का आनंद लेती हैं—हालाँकि ज़्यादातर अपनी आँखें बंद नहीं कर पातीं।
कुछ मछलियाँ करवट लेकर सोती हैं; दूसरी पीठ के बल या आड़ी। कुछ फ़्लैटफिश, जैसे फ़्लाउंडर, जागते वक़्त समुद्र की तली में रहती हैं। सोते वक़्त, वे तली से कुछ सेंटीमीटर ऊपर तैरने की मुद्रा ले लेती हैं।
रंग-बिरंगी पैरेट मछली का सोने का एक ख़ास अंदाज़ है: यह एक “नाइटगाऊन” पहनती है। जब इसके सोने का वक़्त होता है, यह एक प्रकार का द्रव्य निकालती है, जो पूरी तरह इसके शरीर को ढक लेता है। यह किस लिये होता है? प्रकृतिक-लेखक डग स्टुवर्ट कहता है, “ऐसा माना जाता है कि परभक्षियों से छुपने के लिए।” जागने पर यह अपनी मुलायम ओढ़नी से बाहर निकल आती है।
सीलों का भी इसी प्रकार सोने का एक दिलचस्प तरीक़ा होता है। वे अपने गले को गुब्बारे की तरह फुला लेते हैं, जिससे कि यह एक प्राकृतिक जीवन-रक्षक जैकिट बन जाता है। इस तरह वे पानी में सीधे तैरते रहते हैं और साँस लेने के लिए अपनी नाक पानी की सतह से ऊपर रखते हैं।
एक आँख खोलकर रखना
यह सच है कि जंगल में नींद लेना पशुओं को परभक्षियों का निशाना बनाता है। इसलिये अनेक जीव एक आँख खोलकर सोते हैं। नींद के दौरान उनका मस्तिष्क थोड़ी जागृत अवस्था में रहता है, जिससे वे ख़तरे की ज़रा-सी आहट से चौकन्ने हो जाते हैं। फिर भी अन्य जीव बार-बार स्थिति का मुआयना करते रहते हैं। उदाहरण के लिए, झुंड में सोती चिड़ियाएँ समय-समय पर एक आँख खोलकर ख़तरा भाँपती रहती हैं।
अफ्रीका में हिरन और ज़ेबरा के झुंड इसी तरह आराम करने के समय एक-दूसरे के लिए चौकीदारी करते हैं। कई बार पूरा झुंड चौकन्नी दशा में अपना सिर सीधा उठाकर लेटता है। बारी-बारी एक-एक पशु करवट के बल लेटकर गहरी नींद लेता है। कुछ मिनटों के बाद, झुंड का दूसरा सदस्य अपनी बारी लेता है।
इसी प्रकार हाथी भी झुंड में नींद लेते हैं। लेकिन बड़े हाथी आम तौर पर खड़े-खड़े ही हलकी-सी झपकी लेते हैं और समय-समय पर अपनी आँखें खोलकर और किसी भी ख़तरे की आहट सुनने के लिए अपने बड़े-बड़े कान उठाते हैं। इन विशालकाय चौकीदारों की छत्र-छाया में हाथियों के बच्चे करवट के बल लेटकर गहरी नींद ले सकते हैं। अपनी पुस्तक हाथी की याददाश्त (अंग्रेज़ी) में सिंथिया मॉस बताती है कि उसने एक पूरे झुंड को नींद लेते देखा था: “पहले छोटे बच्चे, फिर बड़े-बड़े हाथी फिर हथनियाँ सभी सो गए। चाँद की रोशनी में वे बड़ी-बड़ी काली चट्टानें लग रहे थे लेकिन उनके गहरे, चैन के खर्राटे कुछ और बता रहे थे।”
जानवरों की नींद लेने की आदतों के बारे में हमें अभी बहुत कुछ जानना बाक़ी है। लेकिन जब आप उस थोड़ी बहुत जानकारी पर जिसे आप जानते हैं विचार करते हैं, तो क्या आप उसकी अद्भुत बुद्धि के बारे में सोचने के लिए प्रेरित नहीं होते जिसने “सब वस्तुएं सृजीं”?—प्रकाशितवाक्य ४:११.