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सजग होइए!–1997
g97 11/8 पेज 18-19

दुखते पाँवों के लिए मदद

“मेरे पाँव तो मेरी जान ले लेंगे!” बेशक, यह बढ़ा-चढ़ाकर कही हुई बात है। फिर भी, अमरीका में दुखते पाँवों की समस्या इतनी गंभीर है कि यह हज़ारों पाद-विकार चिकित्सकों की जीविका को बरक़रार रखे हुए है।

चौदह से ज़्यादा वर्षों की कालावधि के दौरान उसके द्वारा पैरों पर किए गए २,००० से अधिक ऑपरेशनों पर विचार करने पर, एक विकलांग शल्यचिकित्सक, डॉ. माइकल कफ़लिन ने एक हैरतअंगेज़ खोज की। “यक़ीन नहीं होता,” वह कहता है, “मैंने पाया कि इनमें से तक़रीबन सभी ऑपरेशन महिलाओं पर किए गए थे।” महिलाओं को ही ज़्यादातर पैरों की समस्याएँ क्यों होती हैं?

सही माप, फ़ैशन, व पाँव

तीन सौ छप्पन महिलाओं पर किए गए सर्वेक्षण से पता चला कि १० में से लगभग ९ महिलाएँ ऐसे जूते पहनती थीं जो औसतन, लंबाई में उनके पैरों के लिए सही थे, पर उनकी चौड़ाई बहुत तंग थी! जिस तरीक़े से स्त्रियों के जूते बनाए जाते हैं, वह इस समस्या का कुछ हद तक ज़िम्मेदार है। “आजकल मोची उस संयोजन साँचे का इस्तेमाल नहीं करते जिससे ज़्यादा तंग हील व चौड़े अग्रभाग बन सके,” विकलांग-शल्यचिकित्सक फ्रांसॆसका थॉमसन समझाती है।a

इस प्रकार, जूते पहनकर देखते वक़्त, अनेक स्त्रियाँ पाती हैं कि जब अग्रभाग ठीक बैठता है, तो हील ढीली होती है; लेकिन जब हील आरामदेह होती है, तब अग्रभाग कसा हुआ होता है। दूसरी स्त्रियाँ आरामदेह हील किंतु कसे हुए अग्रभागवाले जूते पहनने का चुनाव करती हैं, नहीं तो इसका विकल्प होगा हर क़दम पर हील का फिसलना।

पाँव के अगले हिस्से को जूते के तंग अग्रभाग में जबरन घुसाने से परेशानी तो होती ही है। लेकिन समस्या और भी बढ़ जाती है जब कारीगर जूते की हील को कुछ सेंटीमीटर ऊँचा कर देते हैं। हालाँकि इसे फ़ैशनपरस्ती समझा जाता है, लेकिन ऊँची हील से सारा दबाव पैर के पिंड पर पड़ता है, और इससे पैर जूते के अग्रभाग में और आगे घुस जाता है जो शायद पहले ही बहुत तंग था। “एक सही-सही, ऊँची-हील के जूते नाम की कोई चीज़ नहीं है,” पाद-विकार चिकित्सक डॉ. डेविड गैरट दावा करता है। कुछ लोग कहते हैं कि ऊँची एड़ियाँ अंततः पहननेवालों के पाँवों, टखनों, पिंडलियों, घुटनों व पीठ को हानि पहुँचा सकती हैं। इनसे पाँवों की मांस-पेशियों और नसों की शक्‍ति भी कम पड़ सकती है, जिससे ख़ासकर धावकों को गंभीर चोट की गुंजाइश बढ़ जाती है।

स्त्रियों का पैर उसके साथ होनेवाली ज़्यादती को बर्दाश्‍त नहीं कर पाता। दरअसल सालों के गुज़रते, पैर के आगे का हिस्सा बस फैलता जाता है—तब भी जब व्यक्‍ति वयस्कता में क़दम रखता है। लेकिन एड़ी के साथ ऐसा नहीं होता। “एड़ी में केवल एक हड्डी होती है,” डॉ. थॉमसन कहती है, “और वह ८४ की आयु में भी उतनी ही तंग रहती है जितनी कि वह १४ की आयु में थी।” इससे स्त्री को ऐसा जूता पाने के लिए और भी दिक़्कत होती है जो उसे हील से लेकर आगे की उँगलियों तक आरामदेह रूप से पूरा-पूरा ठीक बैठे।

ख़रीदारी के सुझाव

उनके जूतों के ठीक बैठने और फ़ैशन से हुई असुविधा के कारण, स्त्रियाँ दुखते पाँवों से कैसे बच सकती हैं? जवाब जूते की दुकान पर मिलता है। कुछ विशेषज्ञ निम्नलिखित सुझाव देते हैं:

• दिन ढलते जूता ख़रीदने जाइए जब आपके पैर हलके से सूजे हुए होते हैं।

• केवल एक नहीं बल्कि दोनों जूते पहनकर देखिए।

• निश्‍चित कीजिए कि हील एकदम ठीक है तथा जूते के अग्रभाग की लंबाई, चौड़ाई, व ऊँचाई पर्याप्त है।

• यह ध्यान में रखिए कि दुकान में गद्दीदार दरी हो सकती है, जिससे कि ग़लत माप के जूते भी थोड़े समय के लिए आरामदेह लगें।

• पेटेन्ट चमड़े या सिंथेटिक सामग्री से बने जूतों से दूर रहिए। नर्म चमड़े या छाग चर्म से भिन्‍न, ऐसी सामग्री से बने जूते चलते वक़्त आपके पैर के अनुकूल नहीं होते।

• यदि आप ऊँची हीलवाले जूते ख़रीदते हैं, तो अतिरिक्‍त गद्दी के लिए चमड़े के अंदरूनी सोल लगे हुए जूते पहनकर आज़माइए। ऊँची हीलवाले जूतों को केवल थोड़े समय के लिए पहना कीजिए, और दिन के दरमियान कम हीलवाले जूते भी बीच-बीच में पहना कीजिए।

उपरोक्‍त के अलावा, हमेशा याद रखिए कि ख़रीदते वक़्त जूते आरामदेह लगने चाहिए। प्रचलित विश्‍वास के विपरीत, थोड़े समय के बाद ठीक हो जानेवाली बात सही नहीं है। “किसी भी हालत में विक्रेता आपको यह क़ायल न कर पाए कि थोड़ा इस्तेमाल करने के बाद काटनेवाला जूता ठीक हो जाएगा,” डॉ. कफलिन चिताता है। “नुक़सान तो बस आपके पैर को उठाना पड़ेगा।”

लेकिन तब क्या जब आपके पास केवल दो रास्ते हैं, तंग अग्रभाग परंतु आरामदेह हीलवाले जूते या आरामदेह अग्रभाग परंतु ढीली हीलवाले जूते? पाद-विकार चिकित्सक डॉ. अनू गोएल कहती हैं कि आपको फ़ैसला करना चाहिए कि किसे सुधारना ज़्यादा आसान है। “ऐसा करने के दो तरीक़े हैं,” वह कहती हैं। “पहला, आप ऐसे जूते ख़रीद सकते हैं जिसके अग्रभाग पर्याप्त रूप से चौड़े हैं और हील को उपयुक्‍त बनाने के लिए गद्दी डाल सकते हैं। . . . दूसरी तरक़ीब है सही हीलवाले जूते ख़रीदना और जूते के अग्रभाग को खिंचवाकर बढ़ा देना। लेकिन यह तरक़ीब केवल चमड़े से बने जूतों पर ही कारगर है।”

चूँकि अनेक स्त्रियाँ दिन में अंदाजन १५ किलोमीटर चलती हैं, तो अच्छा होगा यदि वे अपने जूतों की जाँच करेंगी। जैसा अमरीकी स्वास्थ्य (अंग्रेज़ी) पत्रिका कहती है, “पाँवों के साथ ज़्यादा आदर से पेश आने से—ख़ासकर ठीक बैठनेवाले जूते पहनने के द्वारा—आप पैरों की अधिकांश समस्याओं को उठने से पहले ही रोक सकते हैं।”

[फुटनोट]

a “साँचा” पाँव के आकार की वस्तु है जिस पर जूते को आकार दिया जाता है।

[पेज 18 पर बक्स]

पैरों की चार आम समस्याएँ

अंगुलबेढ़ा। अंगुलबेढ़ा अंगूठे के तल पर होनेवाली एक सूजन है। जब यह आनुवंशिक नहीं होता, तब अंगुलबेढ़े की वज़ह एकदम चुस्त या ऊँची हीलवाले जूते हो सकती है। सेंकने से या बर्फ़ लगाने से थोड़े समय के लिए दर्द से निजात मिल सकती है, लेकिन अंगुलबेढ़े को स्थायी रूप से हटाने के लिए शल्यचिकित्सा की ज़रूरत होती है।

दुहरी पादांगुलि। नीचे की ओर मुड़ी हुई पैरों की उँगलियाँ जो शायद ऐसे जूतों की वज़ह से हुई हो जिससे पैर के अगले हिस्से में काफ़ी दबाव पड़ा हो। इस विकृति को ठीक करने के लिए शायद शल्यचिकित्सा की ज़रूरत हो।

किण। पैरों की उँगलियों पर शंकु-आकार के गुमट, जो घर्षण व दबाव के कारण होते हैं। कभी-कभी ये ऐसे जूते पहनने से होती है जो बहुत ही तंग हैं। घरेलू उपचार से शायद थोड़ी देर के लिए निजात मिले, लेकिन घर्षण उत्पन्‍न करनेवाली विकृत उँगलियों को ठीक करने के लिए शल्यचिकित्सा की आम तौर पर ज़रूरत होती है।

घट्ठे। मोटी, मृत त्वचा की परतें जो पाँव को बार-बार होनेवाले घर्षण से बचाती हैं। गुनगुने पानी तथा विरेचक औषधि में डूबोए रखने से ये नर्म हो सकती हैं। लेकिन इन्हें काटने की कोशिश मत कीजिए, क्योंकि यह संक्रमण को न्यौता दे सकता है।

[पेज 18 पर चित्र का श्रेय]

The Complete Encyclopedia of Illustration/ जे. जी. हैक

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