वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • g98 2/8 पेज 22-24
  • पहाड़ी गोरिल्लों से मिलना

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • पहाड़ी गोरिल्लों से मिलना
  • सजग होइए!–1998
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • इतने पास कि उन्हें छू लें!
  • गेबन—जंगली जीव-जंतुओं का आसरा
    सजग होइए!–2008
  • हमारे पाठकों से
    सजग होइए!–1998
सजग होइए!–1998
g98 2/8 पेज 22-24

पहाड़ी गोरिल्लों से मिलना

तंज़ानिया में सजग होइए! संवाददाता द्वारा

रूवाण्डा और लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो की सीमा पर ज्वालामुखी क्षेत्र में उनमें से क़रीब ३२० ही रहते हैं। और ३०० युगाण्डा में अलंघ्य जंगल में रहते हैं। वे पहाड़ी गोरिल्ले हैं—जो दुनिया के अत्यधिक लुप्तप्राय स्तनपायी पशुओं में से हैं!

अमरीकी प्राणी-विज्ञानी डाइऐन फ़ॉसी ने इन जंतुओं की स्थिति के बारे में जनता को जागरूक करने के लिए काफ़ी कुछ किया। फ़ॉसी पहाड़ी गोरिल्लों का अध्ययन करने के लिए दशक १९६० के अंत में अफ्रीका आयी। उस समय ये शिकार किये जाने के कारण तेज़ी से ग़ायब हो रहे थे। इस साहसी वैज्ञानिक ने वरुंगा पहाड़ों में एकांतवासियों की तरह रहना शुरू कर दिया, और जल्द ही वहाँ रहनेवाले गोरिल्लों से दोस्ती कर ली। फ़ॉसी ने अपनी खोजों को पत्रिका लेखों और पुस्तक धुँध में गोरिल्ले (अंग्रेज़ी) में प्रकाशित किया। जैसे-जैसे समय गुज़रा, वैसे-वैसे वह अपने झबरे दोस्तों का बचाव करने के लिए और भी दृढ़निश्‍चयी होती गयी, उसने शिकारियों के विरुद्ध मानो युद्ध छेड़ दिया। लेकिन, वह अपनी ही लड़ाई का निशाना बन गयी और १९८५ में किसी अज्ञात हत्यारे ने उसकी हत्या कर दी।

इन शांतिमय जंतुओं को स्वयं देखने की आशा से उमड़कर, १९९३ में मैंने और मेरी पत्नी ने गोरिल्ला इलाक़े में सैर करने का फ़ैसला किया। कृपया हमें अपनी सैर के बारे में बताने की अनुमति दीजिए।

हमारी सैर शुरू होती है जब हमारा गाइड हमें रुवाण्डा में ३,७०० मीटर ऊँचे वीसोका ज्वालामुखी की तलहटी से ज्वालामुखी राष्ट्रीय उद्यान के सिरे तक एक घंटे की चढ़ाई पर ले चलता है। जब हम रुककर थोड़ा-सा आराम करते हैं, हमारे गाइड बताते हैं कि गोरिल्लों के आस-पास हमें कैसा व्यवहार करना है। हमें बताया जाता है कि जानवरों के ख़ास इस समूह से दिन में केवल आठ सैलानियों को मिलने दिया जाता है। इससे उन्हें बीमारियाँ लगने का ख़तरा कम हो जाता है और उनके व्यवहार में बदलाव भी नहीं आता।

“जंगल में प्रवेश करने के बाद,” एक गाइड हमें याद दिलाता है, “हमें अपनी आवाज़ धीमी रखनी है। इससे हमें जंगल के दूसरे पशु-पक्षियों को देखने का मौक़ा मिलेगा, क्योंकि पहाड़ी गोरिल्लों के साथ-साथ, वहाँ सुनहरे बंदर, डाइकर हिरन, बुशबक हिरन, हाथी, और जंगली भैंसे भी हैं।”

हमें यह भी बताया जाता है कि उद्यान में बिच्छू-बूटी और चींटे भी हैं और हमें धुँध-भरे और कीचड़-भरे जंगली रास्ते से चलना पड़ सकता है। मैं और मेरी पत्नी एक दूसरे को देखते हैं। हम इसके लिए तैयारी करके नहीं आये! लेकिन मिलनसार गाइड हमें बरसाती और बूट देकर हमारी मदद करते हैं।

फिर हमारा गाइड बताता है कि गोरिल्लों को बहुत आसानी से मनुष्यों की बीमारियाँ लग जाती हैं और उनका बचाव करने के लिए, ऐसे किसी भी व्यक्‍ति को वहाँ जाने की अनुमति नहीं दी जाती जो बीमार है या जानता है कि उसे कोई संक्रामक बीमारी है। “यदि आपको उस समय खाँसी या छींक आती है जब आप गोरिल्लों के पास हैं, तो कृपया जानवरों से दूर हो जाइए और अपनी नाक और मुँह को ढाँकने की कोशिश कीजिए,” एक गाइड कहता है। “याद रखिए! हम उनके धुँध-भरे घर में मेहमान हैं।”

इतने पास कि उन्हें छू लें!

चढ़ाई कठिन होती जाती है। हम ३,००० मीटर की ऊँचाई पर पहुँच जाते हैं। हवा हलकी है, जिसके कारण साँस लेने में कठिनाई होती है, और रास्ते सँकरे हैं। लेकिन हम हजीनीया पेड़ की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। इसकी शाखाएँ सपाट रूप से फैली हुई हैं, और घने मॉस, फ़र्न, और ऑर्किडों से लदी हैं। यह जंगल को परादीस-जैसी सुंदरता प्रदान करता है।

गाइड अब उस जगह की तलाश शुरू करते हैं जहाँ एक दिन पहले गोरिल्ले दिखायी दिये थे, हालाँकि गोरिल्ले ताज़े भोजन की खोज में हमेशा जगह बदलते रहते हैं। “वहाँ देखिए!” कोई बोल पड़ता है। नरम पौधों को दबाकर उनके बीच सिल्वरबैक (चाँदी-पीठ) गोरिल्ले का बिस्तर या बसेरा है।

“उसे यूमूगोमी कहते हैं,” गाइड बताता है। “जब नर गोरिल्ला क़रीब १४ साल का हो जाता है, तब उसकी पीठ चाँदी जैसी सफ़ेद हो जाती है। तब उसे झुंड का नेता समझा जाता है। सभी मादा गोरिल्लों के साथ सिर्फ़ सिल्वरबैक गोरिल्ला जोड़ा खाता है। उससे छोटे गोरिल्ले यदि कोशिश करते हैं तो उन्हें तुरंत ठुकरा दिया जाता है! लेकिन, यदि एक प्रतिद्वंद्वी उस सिल्वरबैक को मार डालता है तो वह उसकी सभी संतानों को भी मार डालता है। फिर, नया नेता बागडोर सँभालता है और झुंड की मादाओं के साथ संतान उत्पन्‍न करता है।”

जब हम अपने गाइडों के पीछे-पीछे बाँसों के एक सुंदर जंगल में जा रहे थे तब हमारे दल के किसी व्यक्‍ति ने पूछा, “एक गोरिल्ला कितने समय तक जीवित रह सकता है?”

“क़रीब ४० साल तक,” धीरे-से जवाब मिलता है।

“श! श!” एक भारी गुरगुराहट सुनकर कोई फुसफुसाता है। “वह क्या था? गोरिल्ला?” नहीं, एक गाइड गोरिल्ले की तरह गुरगुरा रहा है, प्रतिक्रिया जगाने की कोशिश कर रहा है। लगता है हम बहुत क़रीब हैं!

सचमुच, हमसे बस पाँच मीटर की दूरी पर, लगभग ३० गोरिल्ले हैं! हमसे कहा जाता है कि बैठ जाएँ और चुप रहें। “उनकी ओर इशारा मत कीजिए,” एक गाइड बिनती करता है, “क्योंकि वे सोच सकते हैं कि आप उन पर कुछ फेंक रहे हैं। कृपया चिल्लाइए नहीं। तसवीर लेते समय, धीरे-धीरे और ध्यान से आगे बढ़िए, और फ़्लैश मत इस्तेमाल कीजिए।”

हम इतने पास हैं कि उन्हें छू लें! लेकिन इससे पहले कि कोई उन्हें छू लेता, एक गाइड फुसफुसाता है: “उन्हें छूइए मत!” उसने यह कहा ही था कि दो छोटे गोरिल्ले हमारी जाँच-परख करने के लिए आगे बढ़ते हैं। गाइड एक छोटी टहनी लेकर हलके-से उन्हें मारता है, और वे जिज्ञासु गोरिल्ले छोटे बच्चों की तरह कुश्‍ती करते हुए, ढलान पर से लुढ़क जाते हैं। जब खेल में बहुत ऊधम होने लगता है तब “मम्मी गोरिल्ला” बीच में आती है।

सिल्वरबैक दूर से हमें देख रहा है। अचानक, वह हमारी ओर बढ़ता है और जहाँ हम बैठे हैं वहाँ से कुछ ही मीटर दूर बैठ जाता है। वह बहुत बड़ा है और उसका वज़न क़रीब २०० किलोग्राम होगा! वह खाने में इतना व्यस्त है कि हमारी ओर ध्यान नहीं दे रहा, लेकिन हम पर एक नज़र ज़रूर रखे हुए है। असल में, खाना गोरिल्ले का मुख्य काम है! सिल्वरबैक दिन में ३० किलोग्राम तक खाना खा सकता है। और झुंड का हर जानवर सुबह से शाम तक भोजन की तलाश में व्यस्त रहता है। “माल” मिल जाने पर, कभी-कभी उन्हें उसके पीछे लड़ते देखा जा सकता है।

उनका मनपसंद भोजन है विशाल सिनीशीओ पौधे का गूदा। वे जंगली सॆलॆरी, अमुक पौधों की जड़ें, और बाँस की टहनियाँ भी चाव से खाते हैं। बाँस की टहनियों को ऊँटकटारों, बिच्छू-बूटियों और गेलीउम की हरी पत्तियों के साथ तथा तरह-तरह की जड़ों और लताओं के साथ मिलाकर, कभी-कभी वे “सलाद” भी बनाते हैं। “बिच्छू-बूटियों को तोड़कर साफ़ करते समय, गोरिल्लों को वो चुभती क्यों नहीं?” कोई पूछता है। एक गाइड समझाता है: “उनकी हथेलियों के अंदरवाले हिस्से में मोटी चमड़ी होती है।”

हम इस शांतिमय दृश्‍य का आनंद ले रहे हैं, कि अचानक, भारी-भरकम नर अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है, अपनी छाती पर मुक्के मारता है, और भयंकर, दिल-दहलानेवाली दहाड़ मारता है! वह एक गाइड की ओर दौड़ता है, और उस तक पहुँचकर, थोड़ी ही दूरी पर एकाएक रुक जाता है। वह गाइड को घूरकर देखता है! लेकिन हमारा गाइड डरता नहीं। इसके बजाय, वह बैठ जाता है, गुरगुराता है, और धीरे-धीरे पीछे की तरफ़ घिसकता है। ऐसा लगता है कि सिल्वरबैक हमें अपनी शक्‍ति और सामर्थ से बस प्रभावित करना चाहता था। सचमुच, वह सफल रहा!

गाइड अब हमें इशारा देते हैं कि वापस जाने के लिए तैयार हो जाएँ। हमने इन शानदार, शांतिमय जंतुओं के साथ, मेहमानों की तरह “धुँध में” एक घंटे से थोड़ा ज़्यादा समय बिताया है। जबकि यह छोटी-सी मुलाक़ात थी, परंतु हम इस अनुभव को भूल नहीं पाएँगे। हमें आनेवाले नये संसार के बारे में बाइबल की प्रतिज्ञा याद आती है, जिसमें मनुष्य और पशु हमेशा के लिए शांति से एक दूसरे के साथ रहेंगे!—यशायाह ११:६-९.

[पेज 24 पर नक्शा]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

पहाड़ी गोरिल्ला इलाक़ा

लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो

कीवू झील

युगाण्डा

रूवाण्डा

अफ्रीका

विस्तारित क्षेत्र

[पेज 24 पर चित्र का श्रेय]

Mountain High Maps® Copyright © 1997 Digital Wisdom, Inc.

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें