गीत 20
यहोवा का मनोहर मंदिर
(भजन ८४:१)
1. याह तेरा घर मेरी मंज़िल,
बेताब जिसके लिए है दिल!
आँगन में तेरे मैं रहूँ,
गुनगान तेरा मैं गा सकूँ,
तेरा गुनगान मैं गा सकूँ।
2. बरसाता है तू ऐसा प्यार
और सच का देता ज्ञान अपार,
ताक़त तुझसे मिलती हमें
के तनमन से सेवा करें,
के सेवा तनमन से करें।
3. तेरे दर पे खड़ा रहूँ
पर दुष्टों के संग ना फिरूँ;
हज़ार दिन बीते और कहीं
रहना बेहतर इक दिन यहीं,
बेहतर रहना इक दिन यहीं।
4. याह है उसका सूरज और ढाल
जो भी चलता है सीधी चाल,
वो ना कुछ भी रख छोड़ेगा
भर पूर उसे आशीष देगा,
उसे भरपूर आशीष देगा।