गीत 21
सच्चाई की राह अपना
1. सच्चाई की राह है दिखाई यीशु ने,
इस राह से ना बेहतर कोई।
बताया उसने जो ख़ुशी है
देने में, कोई और ख़ुशी ना ऐसी।
सच्चाई पेचल,
तू दिखा विश्वास के फल,
रहे गर तेरा अच्छा चलन,
दिखाए तू है सत् पे अटल।
2. जीवन में याह का जब करेगा तू गुनगान,
ज़माने से दोस्ती टूटे।
अधर् मी और दुष्ट, सभी होते हैं हैरान,
जब चले तू धर्मी राह पे।
सच्चाई पे चल,
इस ज़माने से सँभल,
गर तू आए याह के क़रीब,
दिखाए तू है सत् पे अटल।
3. शैताँ चाहेगा तुझे हरदम फँसाना,
पर उसका सामना कर डटके।
विश्वास की ये ढाल तेरी करेगी रक्षा,
कि तू उसकी चाल से बचे।
सच्चाई पेचल,
जाने तू शैतान के छल,
हथि यार गर याह के बाँधे,
दिखाए तू है सत् पे अटल।
4. शरीर है कमज़ोर, बहकाए ये दिल भी,
ऐसे में तूसंघर्ष ना हार।
पर रखना यक़ीन कि अकेला तूनहीं,
यहोवा तेरा मददगार।
सच्चाई पेचल,
तू बुराई से निकल,
रखेतन और मन पे क़ाबू गर,
दिखाए तू है सत् पे अटल।