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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
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समाचार पर अंतर्दृष्टि

ग़लत चिह्न

“तुम्हारी राशि क्या है?” उन करोड़ों लोगों के लिए, जो ज्योतिषियों द्वारा तैयार किए गए “तारक-चिह्न” चार्टों से सलाह करते हैं, वह प्रश्‍न अधिक महत्त्व का है। वे मानते हैं कि जन्म के समय राशि-चक्र के नक्षत्रों के संबंध में तारों, ग्रहों, सूर्य और चंद्र की स्थिति किसी व्यक्‍ति के जीवन पर सीधा असर करती है। परंतु, लंदन के दैनिक इन्डिपेन्डेन्ट के अनुसार, ज्योतिषी लोगों को ग़लत राशि दे रहे हैं। “तारक-चिह्न” चार्टें जो जन्म कुण्डलियों के लिए इस्तेमाल होते हैं, कुछ २,००० वर्ष पहले रचे गए “नियमों” पर आधारित हैं।

इन्डिपेन्डेन्ट कहता है कि: “एक ज्योतिष आज के नवजात शिशु के माता-पिता को बताएँगे कि उनका बेटा या बेटी की कर्क राशि है।” परंतु, वह रिपोर्ट ग़ौर करता है: “उसके बजाय, अगर वे आकाश में सूर्य की स्थिति को देखते, तो उन्हें पता लग जाता कि सूर्य दरअसल मिथुन राशि में है।” इसका क्या कारण है? खगोलज्ञ इसे “विषुवों का अग्रगमन” कहते हैं, एक ऐसी अद्‌भुत घटना जिस में पृथ्वी का अक्ष मानो उतना ही डगमगाता है जितना एक धीमा हो रहा लट्टू। यह अग्रगमन या “डगमगाहट” हर २५,८०० वर्ष एक ३६०-अंश चक्र पूर्ण करता है, जिसका मतलब यह है कि प्रति वर्ष विषुव, चाप के ५०-सेकंड, या ७२ वर्ष में एक अंश से आगे बढ़ते हैं। इस प्रकार, पिछले २,००० वर्षों में आकाश में सूर्य की प्रकट स्थिति राशि-चक्र के पूरे एक नक्षत्र से पीछे सरक गयी है। परिणामस्वरूप, “जन्म दिवस संबंधी जन्म कुण्डली किसी के जन्म के क्षण पर आकाश का सही चित्र नहीं,” रिचर्ड एच. स्मित अपनी किताब प्रेल्यूड टू साइएन्स [विज्ञान की प्रस्तावना] में समझाता है। वह व्याख्या करता है कि “इस दुनिया के अधिकतर वृश्‍चिक राशि के लोग, वास्तव में तब पैदा हुए जब सूर्य तुला राशि में था, अधिकतम सिंह राशिवाले वास्तव में कर्क राशि के हैं, कर्क राशिवाले मिथुन राशि के हैं, इत्यादि।”

तारक चार्टों और जन्म कुण्डलियों की अविश्‍वसनीयता आख़िरकार वही बुद्धिमानी पर ज़ोर देती है कि मार्गदर्शन के लिए सृजनहार की ओर, न उसके द्वारा सृजे चीज़ों की ओर देखना चाहिए। (रोमियों १:२४, २५) परंतु, जन्म कुण्डलियों के उपयोग से दूर रहने का एक और भी बृहत्तर कारण यह है कि यह “सूर्य, वा चंद्रमा, वा आकाश के गण में से किसी” की उपासना करने में परिणत हो सकता है, जो कि ‘[परमेश्‍वर] की आज्ञा का उल्लंघन होता।’​—व्यवस्थाविवरण १७:२-५.

पानी नहीं​—जीवन नहीं

यह वह निष्कर्ष है जिस पर प्रोफ़ेसर नॉर्मन एच. होरोविट्‌ज़, मंगल ग्रह के १९६५-७६ मॅरिनर तथा वाइकिंग मिशन से संबद्ध वैज्ञानिक, पहुँचे।

अपनी किताब टू यूटोपिया ॲन्ड बॅक: द सर्च फॉर लाइफ इन द सोलार सिस्‌टम [आदर्शराज्य तक और वापस: सौर मंडल में जीवन की खोज] में, प्रोफ़ेसर होरोविट्‌ज़ ने ग़ौर किया कि इन मिशनों की जाँच-परिणामों ने इस प्रश्‍न का समाधान स्पष्ट रूप से किया कि क्या मंगल ग्रह पर या सूर्यमण्डल के किसी और ग्रह पर जीवन है या नहीं। वह कहते हैं कि “मंगल ग्रह पर उस अपूर्व विशेषता की कमी है जो हमारे अपने ग्रह के पर्यावरण की विशिष्टता है, सूर्य के सामने द्रवरूप पानी से भरे महासागर।” अनुसंधान ने ग्रह की पानी की कमी को सत्य ठहराया।

ध्यानयुक्‍त प्रयोगों का मंगल ग्रह पर जीवन संभाव्यता की हर शक्यता को दूर करने के बाद, होरोविट्‌ज़ ने मान लिया कि: “मंगल ग्रह पर जीवन का पता लगाने में असमर्थ्य एक निराशा थी, पर यह एक ज्ञान प्रदायक अनुभव भी था। चूँकि सौर मंडल में मंगल ग्रह ने अति-पार्थीव जीवन के लिए सबसे अधिक आशाजनक आवास पेश किया, यह अब लगभग निश्‍चित है कि आकाशगंगा के हमारे इलाके में पृथ्वी ही एकमात्र जीवन-धारक ग्रह है।”

कितना उचित है कि, पृथ्वी के बारे में लिखते वक्‍त प्राचीन भविष्यद्वक्‍ता यशायाह ने कहा कि उसके रचयिता ने ‘उसे बसने के लिए रचा था’! (यशायाह ४५:१८) बाइबल के सृष्टि-विवरण में पानी का उल्लेख प्रारंभ में ही किया गया है। स्पष्ट रूप से, किसी पार्थीव जीवन प्रकार की सृष्टि से पहले पानी का प्रबंध करना एक आवश्‍यकता थी। जैसे मंगल ग्रह से लौटे मिशनों ने गवाही दी है: आत्मिक क्षेत्र के बाहर, जहाँ कोई पानी नहीं, वहाँ जीवन भी नहीं हो सकता।​—उत्पत्ति १:१-१०.

[पेज 7 पर तसवीरें]

मंगल ग्रह की जीवनरहित सतह, जैसी “वाइकिंग II” अंतरिक्ष यान से देखी गयी।

[चित्र का श्रेय]

NASA photo

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