राज्य उद्घोषक रिपोर्ट करते हैं
“यहोवा का नाम दृढ़ कोट है”
हम अस्थिर समयों में रहते हैं। हमारा प्रतीयमानतः स्थिर जीवन रातों-रात बदल सकता है, और बिना किसी पूर्वसूचना के कुछ लोगों ने अपने आप को बड़े ख़तरे में पाया है, इससे पहले कि वे इसे समझ पाते। ख़तरा शायद राजनीतिक उथल-पुथल से, एक हिंसात्मक हमलावर से, प्राकृतिक विपत्ति से, या एक गंभीर बीमारी से आ सकता है। कारण जो भी हो, जब एक मसीही का जीवन ख़तरे में है तो उसे कहाँ मुड़ना चाहिए?
डेविड, एक मिशनरी जो वॉच टावर संस्था की एक शाखा में रहता है, ने उस सवाल का जवाब एक डरावने अनुभव से पाया। एक चालक के तौर पर, कुछ अन्यत्रवासी बेथेल सदस्यों (स्वयंसेवक जो शाखा के बाहर रहते हैं) को लेने वह एक सुबह जल्दी निकला। अब भी अंधेरा ही था। उसने रोज़ालिआ को गाड़ी में ले लिया था और एक पुलिस थाने के सामने से गुज़र रहा था जब उसने पहली गोली चलने की आवाज़ सुनी।
फिर घटनाएँ जल्दी घटने लगीं। एक बड़े पटाके की तरह एक आवाज़ उसको सुनाई दी और उसने महसूस किया कि किसी एक पहिये में से हवा निकल रही थी। अचानक उसने एक सिपाही को उसकी ओर बंदूक का सीधा निशाना लगाए सड़क के बीच में खड़ा देखा। तीन घटनाएँ लगभग एक साथ घटीं: गोलियों की बौछार ने खिड़कियाँ तोड़ते हुए जीप को एक तरफ से छलनी कर दिया; डेविड और रोज़ालिआ झुक गए; सिपाही ने सामने के शीशे से आँखों की सीध में गोली चलायी।
जैसे जीप पर गोलियाँ बरस रही थीं, नीचे झुके हुए ही डेविड ने ब्रेक लगाने का भरसक प्रयास किया। डेविड और रोज़ालिआ दोनों ने सोचा कि वे मरने जा रहे थे। उन्होंने ऊँची आवाज़ में अपनी सुरक्षा का निवेदन करते हुए यहोवा से प्रार्थना की। रोज़ालिआ ने बाद में बताया कि उन क्षणों में उसने सोचा कि उसका परिवार उसकी मृत्यु के बारे में सुनने पर कैसी प्रतिक्रिया दिखाएगा!
अब भी जीवित!
गोलियाँ चलने की और शीशे टूटने की आवाज़ आख़िर बन्द हो गई, और डेविड ने रोज़ालिआ की ओर देखा। जब उसने उसकी पीठ पर एक छोटा, गोल रक्त-दाग़ देखा, तो उसका कलेजा काँप उठा। गोली नहीं लेकिन एक उड़ते शीशे का टुकड़ा वहाँ धँसा हुआ था। गिरते शीशों से कटने के कारण उसके घुटनों से रक्त निकल रहा था, अन्यथा वह ठीक दिख रही थी।
सफ़ेद बाजूबंद-पट्टियोंवाली सैन्य वर्दी में लोग जीप के पास आए और उन्होंने उनको आदेश दिया कि वे हाथ ऊपर उठाए हुए बाहर आएँ। एक व्यक्ति, जो उच्च पद का प्रतीत होता था, एक सिपाही की ओर मुड़ा और बोला: “तुम्हें बताया गया था कि नागरिकों पर गोली नहीं चलाना।” सैनिक ने बहाने बनाए, और यह दावा किया कि उसने गोलियों के चलने की आवाज़ सुनी थी और सोचा कि वे जीप से आई थीं।
जब डेविड ने रोज़ालिआ और अपना परिचय यहोवा के गवाहों के तौर पर दिया, तो प्रतिक्रिया अनुकूल थी। उसने समझाया कि वह क्या कर रहा था, लेकिन सैनिक फिर भी उन्हें रोकना चाहते थे। प्रतीयमानतः, सुबह तड़के एक सैन्य दल ने सरकार का तख़्ता पलटने की हिंसात्मक कोशिश की थी, और ये सैनिक उस पुलिस थाने पर क़ब्ज़ा करने की प्रक्रिया में थे जब डेविड और रोज़ालिआ वहाँ जीप में निकले।
रोज़ालिआ बहुत ही घबराई हुई थी परन्तु वह साहसपूर्वक शांत रही जब डेविड उनकी मुक्ति के लिए निवेदन कर रहा था। अंततः उन्हें जाने की अनुमति दी गई—बिना जीप के। उन्हें पास वाली एक सड़क तक पैदल चलकर वहाँ से शाखा जाने के लिए बस पकड़नी पड़ी, जहाँ रोगीशाला में रोज़ालिआ का उपचार किया गया।
प्रार्थना की शक्ति
डेविड ने इस अनुभव से कुछ सीखा—कभी भी हार्दिक प्रार्थना की शक्ति के महत्त्व को कम न समझना, और कभी नहीं भूलना कि साहसपूर्वक अपना परिचय एक यहोवा के गवाह के तौर पर देना अकसर एक सुरक्षा है। यह शाब्दिक तौर पर सच हो सकता है कि “यहोवा का नाम दृढ़ कोट है; धर्मी उस में भागकर सब दुर्घटनाओं से बचता है।”—नीतिवचन १५:२९; १८:१०; फिलिप्पियों ४:६.
[पेज 19 पर चित्र का श्रेय]
Fotografía de Publicaciones Capriles, Caracas, Venezuela