मसीही कैसे सार्वजनिक निन्दा का सामना करते हैं
आपको कैसा लगता है जब कोई आपकी निन्दा करता है या आपके बारे में झूठी बातें फैलाता है? स्वाभाविक है कि आपको गहरी चोट लगती है। यहोवा के साक्षियों को भी कुछ ऐसा ही अनुभव होता है जब वे मीडिया में ग़लत या विरूपित जानकारी का निशाना बनते हैं। लेकिन जैसा यीशु ने मत्ती ५:११, १२ में कहा, आनन्दित होने का तब भी उनके पास कारण है।
उदाहरण के लिए, जर्मनी में एक कैथोलिक प्रकाशन ने दावा किया कि “हर एक साक्षी अपनी आमदनी का १७ से २८ प्रतिशत इस पंथ के मुख्यालय को दान देने के लिए मजबूर है।” लेकिन यहोवा के साक्षी एक पंथ नहीं हैं, और उनका कार्य पूर्णतः ऐच्छिक अंशदानों द्वारा चलता है। अनेक पाठक इस ग़लत जानकारी से भ्रम में पड़ गए थे, जो यहोवा के साक्षी खेदजनक पाते हैं। लेकिन सच्चे मसीहियों को मीडिया में निन्दा के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए?
मसीहियों को अनुकरण करने के लिए एक उदाहरण
मत्ती अध्याय २३ सजीव विवरण देता है कि कैसे यीशु ने अपने धार्मिक विरोधियों की उनके कपट और धोखे के लिए भर्त्सना की। क्या यह आज मसीहियों के लिए एक नमूना प्रदान करता है कि आलोचकों का कैसे सामना किया जाना है? वास्तव में नहीं। परमेश्वर के पुत्र ने अपने अनोखे अधिकार और अंतर्दृष्टि के आधार पर अपने धार्मिक विरोधियों की भर्त्सना की। उसने सुन रही भीड़ के फ़ायदे के लिए ऐसा किया।
मत्ती १५:१-११ बताता है कि यीशु की आलोचना की गई थी क्योंकि कहा गया था कि उसके चेलों ने यहूदी परंपरा का उल्लंघन किया था। यीशु ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई? वह दृढ़ रहा। कुछ अवसरों पर यीशु ने अपने आलोचकों के ग़लत विचारों का खंडन करते हुए उनके साथ स्पष्ट रीति से तर्क किया। आम तौर पर कहा जाए तो, अपने कार्यों या शिक्षाओं के बारे में ग़लत निरूपणों को ठीक करने की कोशिश करने, स्थिति को तथ्यपरक और तर्कपूर्ण रीति से स्पष्ट करने की कोशिश करने में मसीही आज ग़लत नहीं हैं। वे ऐसा करते हैं ताकि निष्कपट लोगों को यह पहचानने में मदद कर सकें कि यहोवा के साक्षियों की आलोचना अकारण और निन्दात्मक है।
लेकिन ध्यान दीजिए कि यीशु ने कुछ ही समय बाद कैसी प्रतिक्रिया दिखाई जब उसके चेलों ने बताया: “क्या तू जानता है कि फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई?” इन फरीसियों ने “ठोकर खाई” थी—वे केवल परेशान नहीं थे बल्कि वे असुधार्य विरोधी बन गए जिन्हें यीशु ने ठुकरा दिया। इसलिए उसने जवाब दिया: “उन को जाने दो; वे अन्धे मार्ग दिखानेवाले हैं।” ऐसे शत्रुता रखनेवाले विरोधियों के साथ और अधिक चर्चा निरर्थक थी, किसी के फ़ायदे की नहीं, और केवल एक अर्थहीन बहस की ओर ले जाती। (मत्ती ७:६; १५:१२-१४. मत्ती २७:११-१४ से तुलना कीजिए।) जो उत्तर यीशु ने दिए वे दिखाते हैं कि “चुप रहने का समय, और बोलने का भी समय है।”—सभोपदेशक ३:७.
यहोवा के साक्षी यह अपेक्षा नहीं करते हैं कि सभी उनके बारे में अनुकूल रीति से बात करेंगे। वे यीशु के शब्दों को याद रखते हैं: “हाय, तुम पर; जब सब मनुष्य तुम्हें भला कहें, क्योंकि उन के बाप-दादे झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी ऐसा ही किया करते थे।” (लूका ६:२६) वॉच टावर संस्था के पहले अध्यक्ष सी. टी. रस्सल से एक बार पूछा गया कि उसने निन्दकों से अपनी प्रतिरक्षा क्यों नहीं की। उन्होंने उत्तर दिया: “यदि आप आपकी ओर भौंकनेवाले हर कुत्ते को लात मारने के लिए रुकेंगे तो आप ज़्यादा दूर नहीं जा सकेंगे।”
इसलिए दृढ़ संकल्पी विरोधियों की टिप्पणियों की वजह से हमें परमेश्वर के प्रति अपनी सेवा से विकर्षित नहीं होना चाहिए। (भजन ११९:६९) आइए हम सच्चे मसीहियों के कार्य, अर्थात् सुसमाचार का प्रचार करने पर ध्यान केंद्रित करें। स्वाभाविक परिणाम के तौर पर हमें सवालों का जवाब देने के लिए और हमारे कार्य के उद्देश्य के बारे में समझाने के अवसर प्राप्त होंगे। हम समझा सकेंगे कि हमारा कार्य एक व्यक्ति के नैतिक मूल्यों को बढ़ाना और उसे परमेश्वर के वचन की शिक्षा प्रदान करना है।—मत्ती २४:१४; २८:१९, २०.
क्या आलोचना के प्रति प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए?
यीशु ने अपने अनुयायियों के बारे में कहा: “तुम संसार के नहीं . . . इसी लिये संसार तुम से बैर रखता है।” (यूहन्ना १५:१९) अनेक समाचार रिपोर्ट जो यहोवा के साक्षियों पर निन्दा लाती हैं, इस बैर की अभिव्यक्ति हैं, और इनको नज़रअंदाज़ किया जाना चाहिए। लेकिन कभी-कभी मीडिया ऐसी जानकारी प्रस्तुत कर सकती है जो साक्षियों के बारे में ज्ञान की कमी को सूचित करती है या जो कुछेक तथ्यों को विकृत करती है और उनको ग़लत अर्थ देती है। कुछ पत्रकार शायद पक्षपाती स्रोतों से जानकारी लेते हैं। यह परिस्थितियों पर, आलोचना के उकसानेवाले पर, और उसके लक्ष्य पर निर्भर करता है कि क्या हम मीडिया की ग़लत जानकारी को नज़रअंदाज़ करेंगे या उपयुक्त तरीक़ों से सच्चाई की प्रतिरक्षा करेंगे।
कभी-कभी संपादक को सही तरीक़े से लिखे गए पत्र से तथ्यों को सही किया जा सकता है अगर पूरा पत्र प्रकाशित किया जाता है। लेकिन ऐसा एक पत्र उद्देश्य की गई बात के बिलकुल विपरीत भी निष्पन्न कर सकता है। कैसे? पहले झूठ का इस प्रकार और अधिक प्रचार हो सकता है या विरोधियों को और अवसर मिल सकता है कि वे झूठ या निन्दा छपवा सकें। अनेक अवसरों पर बुद्धिमानी की बात यह है कि संपादक को पत्र भेजने का निर्णय करने का कार्य प्राचीनों पर छोड़ दें। यदि एक नकारात्मक प्रेस रिपोर्ट ग़लत पूर्वधारणा उत्पन्न करती है तो वॉच टावर संस्था का शाखा दफ़्तर उस देश की कलीसियाओं को उस स्थिति से सम्बन्धित तथ्यों की सूचना दे सकता है जिससे सभी प्रकाशक सवाल करनेवालों को संतोषप्रद स्पष्टीकरण देने में समर्थ होंगे।
क्या आपको व्यक्तिगत तौर पर ऐसे विकृत आरोपों में शामिल होने की ज़रूरत है? यीशु की सलाह कि “उन को जाने दो,” उनकी उपेक्षा करो, स्पष्टतः विरोधियों के इस समूह पर लागू होती है। वफ़ादार मसीहियों के पास धर्मत्यागियों और उनके विचारों से दूर रहने के बाइबलीय कारण हैं। (१ कुरिन्थियों ५:११-१३; तीतुस ३:१०, ११; १ यूहन्ना २:१९; २ यूहन्ना १०, ११) यदि कोई निष्कपट रूप से यह पता करने में दिलचस्पी रखता है कि क्या यहोवा के साक्षियों की आलोचना तथ्यों पर या मिथ्या पर आधारित है तो आपका प्रमाणित ज्ञान अकसर उत्तर प्रदान करने के लिए पर्याप्त होगा। —दिसम्बर १, १९८६ की प्रहरीदुर्ग के पृष्ठ १३ और १४ देखिए।
यदि प्रेस में विकृत जानकारी से आपका सामना होता है तो नीतिवचन १४:१५ की सलाह को ध्यान में रखिए: “भोला तो हर बात को सच मानता है, परन्तु चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है।” स्विट्ज़रलैंड में अनेक लोग क्रुद्ध थे जब एक भावुक प्रेस रिपोर्ट ने बताया कि एक जवान महिला साक्षी मर गई क्योंकि उसके रिश्तेदारों ने चिकित्सकों को रक्ताधान देने की अनुमति देने से इनकार किया। लेकिन क्या तथ्य वही थे? नहीं। उस मरीज़ ने धार्मिक आधार पर रक्ताधान अस्वीकार किया, लेकिन वह वैकल्पिक रक्तहीन चिकित्सा उपचार लेने के लिए तैयार थी। यह शीघ्र ही शुरू किया जा सकता था जो संभवतः उसका जीवन बचाता। लेकिन अस्पताल ने उपचार करने में व्यर्थ ही देर की और उस मरीज़ की मृत्यु हो गई। प्रेस रिपोर्ट ने इन तथ्यों को नहीं बताया।
अतः, ध्यानपूर्वक जाँच कीजिए कि ऐसी रिपोर्टों में कितनी सच्चाई है। हम प्रश्नकर्ताओं को समझा सकते हैं कि स्थानीय प्राचीन प्रेममय रीति से और बाइबलीय मार्गदर्शनों के आधार पर ऐसी स्थितियों से निपटते हैं। जवाब देते वक़्त सिद्धांतों को थामे रहना हमें जल्दबाज़ी में निष्कर्ष निकालने से रोकेगा।—नीतिवचन १८:१३.
स्वतः प्राप्त जानकारी महत्त्वपूर्ण है
पहली शताब्दी में लोगों ने यीशु मसीह के बारे में झूठी बातें फैलाईं ताकि उसकी नेकनामी को क्षति पहुँचे, यहाँ तक कि कुछ लोगों ने उसे राजद्रोही के तौर पर भी पेश किया। (लूका ७:३४; २३:२. मत्ती २२:२१ से तुलना कीजिए।) बाद में, नवनिर्मित कलि सिया मसीही ने धार्मिक और सांसारिक दोनों स्रोतों से व्यापक विरोध का सामना किया। क्योंकि “परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है,” अनेक लोगों ने उसके सेवकों को तुच्छ समझा। (१ कुरिन्थियों १:२२-२९) सच्चे मसीहियों को आज निन्दा का सामना करना है, जो सताहट का एक रूप है।—यूहन्ना १५:२०.
लेकिन, यहोवा के साक्षी मूल्यांकन करते हैं जब जिस व्यक्ति के साथ वे बात कर रहे हैं वह निष्पक्ष है और वही मनोवृत्ति प्रदर्शित करता है जो रोम में पौलुस के कुछ मिलनेवालों ने दिखायी जिन्होंने यह घोषणा की: “परन्तु तेरा विचार क्या है? वही हम तुझ से सुनना चाहते हैं, क्योंकि हम जानते हैं, कि हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें कहते हैं।”—प्रेरितों २८:२२.
ग़लत जानकारी रखनेवाले लोगों को कोमलता से स्पष्टीकरण प्रदान कीजिए। (रोमियों १२:१४. २ तीमुथियुस २:२५ से तुलना कीजिए।) यहोवा के साक्षियों के बारे में ख़ुद जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्हें आमंत्रित कीजिए जो उन्हें झूठे आरोपों से धोखा खाने से बचे रहने में समर्थ करता है। आप वॉच टावर संस्था द्वारा प्रकाशित स्पष्टीकरणों का भी उपयोग कर सकते हैं जो संगठन, उसके इतिहास, और उसकी शिक्षाओं के बारे में विवरण प्रदान करते हैं।a फिलिप्पुस ने एक बार नतनएल को सिर्फ़ यह कहते हुए जवाब दिया: “चलकर देख ले।” (यूहन्ना १:४६) हम भी वैसा ही कर सकते हैं। कोई भी जो स्थानीय राज्यगृह में यह देखने के लिए भेंट करना चाहता है कि यहोवा के साक्षी किस प्रकार के लोग हैं और वे क्या विश्वास करते हैं उसका हार्दिक स्वागत है।
विरोधियों से भय नहीं खाइए
यह जानना कितना प्रोत्साहक है कि निन्दा लोगों को साक्षी बनने से नहीं रोकती है! जर्मनी में एक टीवी कार्यक्रम के दौरान धर्मत्यागियों ने साक्षियों के बारे में कई झूठ प्रस्तुत किए। एक दर्शक ने धर्मत्यागी शेख़ियों को पहचान लिया कि वे मनगढ़ंत हैं और साक्षियों के साथ अपना बाइबल अध्ययन को फिर से आरम्भ करने के लिए प्रेरित हुआ। जी हाँ, सार्वजनिक निन्दा कभी-कभी सकारात्मक नतीज़ों तक भी पहुँचाती है!—फिलिप्पियों १:१२, १३ से तुलना कीजिए।
प्रेरित पौलुस जानता था कि कुछ लोग सत्य के बजाय “कथा-कहानियों” पर ज़्यादा ध्यान देंगे। इसलिए उसने लिखा: “तू सब बातों में सावधान रह, दुख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर।” (२ तीमुथियुस ४:३-५) अतः अपने-आप को विकर्षित होने न दीजिए, और अपने विरोधियों से ‘किसी बात में भय नहीं खाइए।’ (फिलिप्पियों १:२८) शांत और संतुलित रहिए और सुसमाचार का आनन्दपूर्वक प्रचार कीजिए, और आप सार्वजनिक निन्दा का ढृढ़ता से सामना करेंगे। जी हाँ, यीशु की प्रतिज्ञा को याद रखिए: “धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। आनन्दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्हों ने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।” —मत्ती ५: ११, १२.
[फुटनोट]
a यहोवा के गवाह—संयुक्त रूप से पूरे विश्व में परमेश्वर की इच्छा पूरी करते हैं, यहोवा के गवाह बीसवीं शताब्दी में, और यहोवा के साक्षी—परमेश्वर के राज्य के उद्घोषक (अंग्रेज़ी) प्रकाशन देखिए।
[पेज 27 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
विरोधियों से सामना होने पर, यीशु ने अपने चेलों से कहा: “उन को जाने दो।” उसका मतलब क्या था?
[पेज 29 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।” —मत्ती ५: ११