वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w95 7/1 पेज 31
  • पाठकों के प्रश्‍न

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • पाठकों के प्रश्‍न
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
  • मिलते-जुलते लेख
  • आज कौन परमेश्‍वर के लोगों की अगुवाई कर रहा है?
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2017
  • शासी निकाय आज किस तरह काम करता है?
    आज कौन यहोवा की मरज़ी पूरी कर रहे हैं?
  • आज शासी वर्ग को सहयोग देना
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1990
  • “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” कौन है और क्या करता है?
    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!—ईश्‍वर से जानें
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 7/1 पेज 31

पाठकों के प्रश्‍न

प्रारम्भिक शासी निकाय के लिए ऐसे पुरुषों को, अर्थात्‌ केवल यहूदियों को चुनने में जिनकी एक ही जातीय और राष्ट्रीय पृष्ठभूमि थी क्या परमेश्‍वर पक्षपात कर रहा था?

जी नहीं, वह अवश्‍य ही ऐसा नहीं कर रहा था। वे सभी जिन्हें यीशु ने पहले अपना चेला कहा, यहूदी थे। फिर, सा. यु. ३३ के पिन्तेकुस्त के दिन, यहूदी और यहूदी-मतधारक ही वे प्रथम लोग थे जिन्हें पवित्र आत्मा द्वारा अभिषिक्‍त किया गया और इस प्रकार स्वर्ग में मसीह के साथ शासन करने के योग्य हुए। केवल बाद में सामरियों और धर्म-परिवर्तित ख़तना-रहित अन्यजातियों को शामिल किया गया। अतः, यह स्वाभाविक है कि उस काल का शासी निकाय यहूदियों, जैसे प्रेरितों १५:२ में उल्लिखित है, ‘यरूशलेम के प्रेरितों और प्राचीनों’ से बना था। ये ऐसे पुरुष थे जिन्हें शास्त्रीय ज्ञान की गहरी समझ थी और सच्ची उपासना में सालों का अनुभव था, और उन्हें प्रौढ़ मसीही प्राचीनों के तौर पर विकसित होने के लिए ज़्यादा समय मिला था।—रोमियों ३:१, २ से तुलना कीजिए।

प्रेरितों अध्याय १५ में वर्णित शासी निकाय की सभा के समय तक, अनेक अन्यजाति लोग मसीही बन गए थे। इनमें अफ्रीकी, यूरोपीय, और अन्य क्षेत्रों से लोग शामिल थे। फिर भी, ऐसा कोई अभिलेख नहीं है कि मसीहियत को ग़ैर-यहूदियों के लिए आकर्षक बनाने के लिए ऐसे कोई अन्यजाति लोगों को शासी निकाय में जोड़ा गया था। जबकि ये नए-नए धर्म-परिवर्तित अन्यजाति मसीही “परमेश्‍वर के इस्राएल” में बराबर के सदस्य थे, उन्होंने यहूदी मसीहियों, जैसे कि प्रेरित, जो उस समय शासी निकाय का भाग थे, की प्रौढ़ता और ज़्यादा अनुभव का आदर किया होगा। (गलतियों ६:१६) प्रेरितों १:२१, २२ में ध्यान दीजिए कि ऐसे अनुभव की कितनी ज़्यादा क़दर की जाती थी।—इब्रानियों २:३; २ पतरस १:१८; १ यूहन्‍ना १:१-३.

कई शताब्दियों तक परमेश्‍वर ने इस्राएल जाति, जिसमें से यीशु ने अपने प्रेरितों को चुना, के साथ एक ख़ास तरीक़े से व्यवहार किया था। यह कोई ग़लती या अन्याय नहीं था कि कोई भी प्रेरित उन स्थानों से नहीं आया जो अब दक्षिण अमरीका या अफ्रीका या सुदूर पूर्व कहलाते हैं। समय आने पर, उन स्थानों के पुरुषों और स्त्रियों को पृथ्वी पर एक प्रेरित होने, पहली-शताब्दी के शासी निकाय का सदस्य होने, या आज परमेश्‍वर के लोगों के बीच कोई अन्य नियुक्‍ति होने से भी कहीं ज़्यादा महान विशेषाधिकार प्राप्त होने का मौक़ा होता।—गलतियों ३:२७-२९.

एक प्रेरित यह कहने के लिए प्रेरित हुआ कि “परमेश्‍वर किसी का पक्ष नहीं करता, बरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।” (प्रेरितों १०:३५) जी हाँ, मसीह की छुड़ौती के लाभ बिना पक्षपात के सब के लिए उपलब्ध हैं। और हरेक कुल और भाषा और राष्ट्र में से व्यक्‍तियों को स्वर्गीय राज्य में और उस बड़ी भीड़ में जो पृथ्वी पर सर्वदा के लिए जीएगी, शामिल किया जाएगा।

अनेक मनुष्य जातीय, भाषाई, या राष्ट्रीय पृष्ठभूमि के विषय में संवेदनशील हो जाते हैं। यह प्रेरितों ६:१ में जो हम पढ़ते हैं उससे सचित्रित होता है, जो उस वाद-विवाद के बारे में है जिसके कारण यूनानी बोलनेवाले मसीहियों और इब्रानी बोलनेवाले मसीहियों के बीच कुड़कुड़ाहट उत्पन्‍न हुई थी। हम शायद भाषा, जाति, नृजातीय पृष्ठभूमि, या लिंग के बारे में प्रचलित संवेदनशीलताओं के साथ बड़े हुए हों या हमने एक अति-संवेदनशील मनोवृत्ति को आत्मसात्‌ किया हो। इस अति-वास्तविक संभावना को ध्यान में रखते हुए, हम परमेश्‍वर के दृष्टिकोण द्वारा अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को ढलने देने के लिए दृढ़-संकल्प प्रयास करने में अच्छा करते हैं। परमेश्‍वर का दृष्टिकोण है कि सभी मनुष्य उसके सामने बराबर हैं, चाहे हमारा बाह्‍य स्वरूप कैसा भी क्यों न हो। जब परमेश्‍वर ने प्राचीनों और सहायक सेवकों के लिए योग्यताओं को अभिलिखित करवाया, तब उसने जाति और राष्ट्रीय पृष्ठभूमि का कोई ज़िक्र नहीं किया। जी नहीं, उसने उन लोगों की आध्यात्मिक योग्यताओं पर ध्यान केंद्रित किया जो सेवा करने के लिए उपलब्ध होते। यह आज स्थानीय प्राचीनों, सफ़री ओवरसियरों, और शाखा कार्यकर्ताओं के बारे में सच है, जैसे यह पहली शताब्दी में शासी निकाय के बारे में सच था।

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें