लगन के प्रतिफल
वह एक यूनानी स्त्री थी जो सा.यु. वर्ष ३२ में फीनीके में रहती थी। उसकी बेटी गम्भीर रूप से बीमार थी, और वह स्त्री उसके इलाज के लिए परेशान थी। यह सुनने पर कि एक अजनबी उसके क्षेत्र को भेंट कर रहा है—एक विदेशी जो रोगियों को चंगा करने की शक्ति के लिए विख्यात था—वह उसे देखने और उससे मदद की भीख माँगने के लिए दृढ़निश्चित थी।
उससे मिलने पर, वह अपने घुटनों पर गिर पड़ी और विनती की: “हे प्रभु दाऊद के सन्तान, मुझ पर दया कर, मेरी बेटी को दुष्टात्मा बहुत सता रहा है।” इस तरीक़े से, उस यूनानी स्त्री ने यीशु से अपनी बेटी को चंगा करने की याचना की।
ऐसा करने के लिए उस स्त्री को जिस साहस और नम्रता की ज़रूरत थी क्या आप उसकी कल्पना कर सकते हैं? यीशु एक अधिकारी व्यक्ति था, जिसके पास कुछ शक्ति और प्रतिष्ठा थी, और उसने पहले यह ज्ञात कराया था कि वह नहीं चाहता कि कोई उसका पता-ठिकाना के बारे में जाने। वह अपने प्रेरितों को कुछ आवश्यक विश्राम करने के लिए फीनीके में ले गया था, अन्यजाति अविश्वासियों के बीच काम करने के लिए नहीं। इसके अतिरिक्त, यीशु एक यहूदी था और वह एक अन्यजाति स्त्री थी, और निःसंदेह वह अन्यजाति के तुच्छ समझे जानेवाले लोगों के साथ संगति करने के यहूदियों की घृणा के बारे में जानती थी। फिर भी, वह अपनी बच्ची के लिए उपचार पाने के अपने संकल्प में दृढ़ थी।
यीशु और उसके प्रेरितों ने उस स्त्री को उस समय मदद माँगने से रोकने की कोशिश की। पहले-पहल तो यीशु उससे एक शब्द भी नहीं कहता। फिर, उसकी निरन्तर, आग्रही याचना की वजह से प्रेरितों ने तंग आकर यीशु से कहा: “इसे विदा कर; क्योंकि वह हमारे पीछे चिल्लाती आती है।”
लेकिन वह न सुनकर राज़ी नहीं होती। इसके बजाय, वह यीशु के पैरों पर गिर पड़ी, और बोली: “हे प्रभु, मेरी सहायता कर।”
इस्राएल के पुत्रों के प्रति अपनी मुख्य ज़िम्मेदारी को बताते हुए, और साथ ही उसके विश्वास और दृढ़संकल्प की परीक्षा लेते हुए, यीशु ने करुणा से उसे समझाया: “[इस्राएल के] लड़कों की रोटी लेकर कुत्तों [अन्यजाति] के आगे डालना अच्छा नहीं।”
अपनी जाति के बारे में नकारात्मक बात सुनकर अपमानित महसूस करने के बजाय, वह नम्रतापूर्वक अपनी याचना में लगी रही और उसने जवाब दिया: “सत्य है प्रभु; पर कुत्ते भी वह चूरचार खाते हैं, जो उन के स्वामियों की मेज से गिरते हैं।”
यीशु ने उस यूनानी स्त्री की लगन का प्रतिफल उसके विश्वास को सराहने और उसके अनुनय-विनय के अनुकूल कार्य करने के द्वारा दिया। उसके आनन्द की कल्पना कीजिए जब वह घर लौटकर अपनी बेटी को पूरी तरह चंगा पाती है!—मत्ती १५:२१-२८; मरकुस ७:२४-३०.
प्रथम शताब्दी की इस स्त्री की तरह, हमें यहोवा को प्रसन्न करने और उसके अनुग्रह को पाने की अपनी कोशिशों में लगे रहने की ज़रूरत है। इस यूनानी स्त्री के मामले की तरह, बाइबल हमें आश्वासन देती है कि “भले काम करने में” हमारे लगे रहने से अच्छा प्रतिफल मिलेगा।—गलतियों ६:९.
लगन क्या है? इसकी ज़रूरत क्यों है? कौन-से तत्व हमारे इस गुण को खो देने, त्याग देने या हार मानने का कारण बन सकते हैं? हम कौन-से प्रतिफल पाने की अपेक्षा कर सकते हैं यदि हम अभी अपने सृष्टिकर्ता और पिता, यहोवा की सेवा करने में लगे रहते हैं?
एक शब्दकोश क्रिया “लगे रहना” की परिभाषा यों देता है: “बाधाओं, चेतावनियों, या धक्कों के बावजूद किसी उद्देश्य, दशा, या कार्य में दृढ़तापूर्वक और अटल रूप से डटे रहना। . . . अस्तित्व में बने रहना; टिकना।”
बाइबल बारंबार यहोवा के सेवकों को उसकी इच्छा करने में लगे रहने के लिए प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के लिए, हमें ‘इसलिये पहिले उसके राज्य की खोज करते रहने,’ ‘अच्छी बातों को पकड़े रहने,’ ‘प्रार्थना में नित्य लगे रहने,’ के लिए और भले काम करने में ‘ढीले’ न होने के लिए कहा गया है।—मत्ती ६:३३; १ थिस्सलुनीकियों ५:२१; रोमियों १२:१२; गलतियों ६:९.
रोज़ाना ज़िन्दगी में, लगन ऐसा गुण है जो जीने के लिए हम सब के पास होना चाहिए और हमें इसे विकसित करना चाहिए। इसके बिना हम सच्चे, स्थायी महत्त्व का कुछ भी हासिल नहीं कर सकते हैं। एक शिशु के उदाहरण पर ग़ौर कीजिए जो खड़ा होने और अपने पहले डगमगाते क़दम लेने की कोशिश कर रहा है। ऐसा बालक विरल है जो एक ही दिन में खड़ा होना और आसानी से चलना सीख सकता है। शिशुओं के रूप में, चलने में अंततः कुछ सफलता हासिल करने से पहले हम सभी ने संभवतः कोशिश की और अनेक बार असफल हुए हैं। क्या हुआ होता यदि हम पहली बार गिर जाने पर यह निर्णय करते कि हम और कोशिश नहीं करेंगे? हम शायद अब भी अपने हाथों और घुटनों के बल रेंग रहे होते! लाभप्रद लक्ष्यों तक पहुँचने और कुशलताओं तथा आत्म-सम्मान में परिणामस्वरूप वृद्धि पाने के लिए लगन अत्यावश्यक है। जैसे एक जानी-मानी कहावत है: “जीतनेवाले कभी हार नहीं मानते, हार माननेवाले कभी जीतते नहीं।”
पुराने पायनियर यह समझते हैं कि सफलता की गारंटी विशेष क्षमताओं या प्रतिभाओं से नहीं होती। यह आग्रहशीलता, यहोवा की इच्छा को पूरी तरह से करने का दृढ़संकल्प, और अल्पकालिक धक्के, यहाँ तक कि हताशा का सामना करते वक़्त साहस की माँग करता है। परमेश्वर की आशिषों में सर्वदा हिस्सा लेने का लक्ष्य स्पष्ट रूप से संकेंद्रित रखा जाना चाहिए।
जी हाँ, हम सभी को, जो यहोवा का अनुग्रह पाने की कोशिश करते हैं और जो जीवन की दौड़ में जीतना चाहते हैं, लगन, दृढ़ता, और धीरज की आवश्यकता है। इन गुणों के बिना, हम संभवतः यहोवा का अनुग्रह और वास्तविक जीवन का प्रतिफल खो सकते हैं।—भजन १८:२०; मत्ती २४:१३; १ तीमुथियुस ६:१८, १९.
अकसर एक मसीही के लिए अपनी अन्य बाध्यताओं में लगे रहने से ज़्यादा कठिन अपनी आध्यात्मिक गतिविधियों में लगे रहना है। एक पुरुष अपने परिवार की भौतिक ज़रूरतों की देखभाल करने के लिए लौकिक कार्य में कड़ी मेहनत करते रह सकता है, लेकिन वह शायद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ एक नियमित बाइबल अध्ययन संचालित करने के लिए ‘बहुत थका हुआ’ हो सकता है। कौन-से तत्त्व अनेक लोगों के लिए मसीही कार्यों में लगन को इतना कठिन बना देते हैं?
एक तत्त्व है निराशा, जो अपनी ख़ुद की निजी कमियों और कमज़ोरियों से होती है। यदि हम अपनी ग़लतियों पर नकारात्मक रूप से विचार करते रहते हैं, तब हम शायद निराश हो जाएँ और त्याग दें, यह महसूस करते हुए कि यहोवा हमारे सभी पापों के लिए हमें क्षमा करने में कभी समर्थ नहीं हो सकेगा।
और एक तत्त्व है अनैतिकता, भ्रष्टाचार, और घृणा का सांसारिक प्रतिवेश। (१ यूहन्ना २:१५, १६) “अच्छे चरित्र” का एक गुण जिसे सांसारिक प्रभाव ख़राब कर सकता या हानि पहुँचा सकता है, वह है मसीही लगन।—१ कुरिन्थियों १५:३३.
प्रचार कार्य में हमारी लगन, हमारी पवित्र सेवा के प्रति जनता के विरोध या उदासीनता द्वारा कमज़ोर पड़ सकती है। निराशा की वजह से, हम शायद यह निष्कर्ष निकालें कि हमारे क्षेत्र के लोग सच्चाई को चाहते ही नहीं हैं। इससे हम यह पूछने के लिए कि ‘इसका फ़ायदा क्या है?’ और सहायक सेवा के हमारे ख़ास विशेषाधिकार को त्याग देने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
हम संसार की असंयम की आत्मा से भी प्रभावित हो सकते हैं। हम इतना संघर्ष और त्याग क्यों करें जबकि ऐसा प्रतीत होता है कि बाक़ी सब लोग मज़ा कर रहे हैं या परिश्रम ही नहीं कर रहे हैं?—मत्ती १६:२३, २४ से तुलना कीजिए।
यहोवा की इच्छा करने में लगे रहने में, हमें मसीही व्यक्तित्व को पहनने की और शरीर के नहीं बल्कि आत्मा के अनुसार जीने की ज़रूरत है। (रोमियों ८:४-८; कुलुस्सियों ३:१०, १२, १४) इस विषय पर यहोवा का दृष्टिकोण रखना हमें अपनी अत्यावश्यक आध्यात्मिक गतिविधियों को पूरा करते रहने में समर्थ करेगा।—१ कुरिन्थियों १६:१३.
लगन के उदाहरण
यहोवा ने हमें ऐसे सेवकों के अनेक उत्प्रेरक उदाहरण प्रदान किए हैं जो कई गम्भीर परीक्षाओं में उसके प्रति निष्ठावान और विश्वासी रहे। उन पर विचार करने से, हम देखते हैं कि हम कैसे मसीही लगन विकसित और प्रयोग कर सकते हैं और यह इतना मूल्यवान क्यों है।
सर्वोत्तम उदाहरण है यीशु, जिसने यहोवा के नाम को महिमा लाने के लिए इतना दुःख उठाया। बाइबल हमें आग्रही भक्ति के उसके कार्यों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करती है: “इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकनेवाली वस्तु, और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्त्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दहिने जा बैठा। इसलिये उस पर ध्यान करो, जिस ने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया, कि तुम निराश होकर हियाव न छोड़ दो।”—इब्रानियों १२:१-३.
जीवन की दौड़ लम्बी दूरी की दौड़ है, थोड़ी दूरी की तेज़ दौड़ नहीं। इसीलिए हमें मसीह-समान लगन की ज़रूरत है। लक्ष्य, अर्थात् अन्तिम रेखा शायद दौड़ के अधिकांश भाग में नज़र नहीं आए। लक्ष्य हमारे मन की आँखों में स्पष्ट होना चाहिए ताकि हम पूरे, कठिन रास्तों के दौरान मानसिक रूप से उसकी ओर बढ़ सकें। यीशु के पास अपने सामने ऐसा ही एक मानसिक प्रतिबिंब था, विशेषतः ‘वह आनन्द जो उसके आगे धरा था।’
इस आनन्द में आज मसीहियों के लिए क्या शामिल है? एक बात है, यह कुछ लोगों के लिए स्वर्ग में अमर जीवन और अनेक लोगों के लिए पृथ्वी पर अनन्त जीवन का प्रतिफल है। साथ ही, यह संतुष्टि की वह भावना है जो यह जानने से आती है कि एक व्यक्ति ने यहोवा के हृदय को आनन्द पहुँचाया है और परमेश्वर के नाम के पवित्रीकरण में एक भूमिका अदा की है।—नीतिवचन २७:११; यूहन्ना १७:४.
इस आनन्द में यहोवा के साथ एक नज़दीकी, हर्षपूर्ण सम्बन्ध शामिल है। (भजन ४०:८; यूहन्ना ४:३४) ऐसा सम्बन्ध प्रेरित करनेवाला और जीवन क़ायम रखनेवाला है, जो एक व्यक्ति को धीरज के साथ और त्यागे बिना दौड़ को पूरा करने की शक्ति देता है। इसके अतिरिक्त, यहोवा अपने सेवकों पर अपनी पवित्र आत्मा उंडेलने के द्वारा इस सम्बन्ध को आशिष देता है, जिसका नतीजा है आनन्द और आनन्दपूर्ण गतिविधि में वृद्धि।—रोमियों १२:११; गलतियों ५:२२.
आग्रही विश्वास का अय्यूब के उदाहरण पर विचार करना लाभदायक है। वह अपरिपूर्ण था और उसे अपनी स्थिति के बारे में सीमित ज्ञान था। सो कभी-कभी, वह अपनी सफ़ाई देने लगता था और निराशा में पड़ जाता था। लेकिन, उसने संगत रूप से यहोवा के प्रति अपनी खराई बनाए रखने और उसे कभी न त्यागने का एक दृढ़निश्चय प्रदर्शित किया। (अय्यूब १:२०-२२; २:९, १०; २७:२-६) यहोवा ने अय्यूब को उसकी आग्रही भक्ति के लिए प्रतिफल दिया। उसने उसे आध्यात्मिक और भौतिक आशिषें और अनन्त जीवन की आशा दी। (अय्यूब ४२:१०-१७; याकूब ५:१०, ११) अय्यूब की तरह हम शायद अभी अपने जीवन में काफ़ी दुःख और हानि का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन हम अपने विश्वासपूर्ण धीरज पर यहोवा की आशिष के बारे में आश्वस्त भी हो सकते हैं।—इब्रानियों ६:१०-१२.
आधुनिक समय में, सामूहिक रूप से यहोवा के साक्षियों ने यहोवा की इच्छा करने में मसीही लगन प्रदर्शित किया है। उदाहरण के लिए, उनके आग्रही घर-घर कार्य और अन्य जन प्रचार कार्य से उन पर और उनके संदेश पर संसार-भर का ध्यान आकर्षित हुआ है। प्रसार माध्यमों ने विरोध और परीक्षाओं के बावजूद सुसमाचार प्रचार करने के उनके जोश और दृढ़संकल्प के बारे में काफ़ी कुछ कहा है। इनमें से एक कार्टून की मुख्य पंक्ति यह थी: “यहोवा के साक्षियों से कोई नहीं बच सकता!”—मत्ती ५:१६.
यहोवा ने सेवकाई में ज़्यादा परिणाम के द्वारा अपने साक्षियों के आग्रही प्रयासों को आशिष दी है। १९६० के दशक में इटली के कुछ चतुर साक्षियों के अनुभव पर ग़ौर कीजिए, जब वहाँ कुछ १०,००० साक्षी थे जो ५,३०,००,००० से अधिक लोगों के राष्ट्र को प्रचार कर रहे थे। ६,००० लोगों के एक नगर में कोई साक्षी नहीं थे। वहाँ भेंट करनेवाले भाइयों को अपनी सेवकाई के प्रति विरोधी प्रतिक्रिया मिली।
हर बार जब भाई वहाँ प्रचार करने को जाते, तो नगर की अनेक स्त्रियाँ, यहाँ तक कि पुरुष लड़कों को इकट्ठा करके उन्हें प्रोत्साहित करते कि वे साक्षियों के पीछे-पीछे सीटी बजाते हुए जाएँ और काफ़ी शोर मचाएँ। इसके कुछ समय बाद, भाइयों को मजबूरन वह नगर छोड़कर दूसरे नगर को जाना पड़ता। इस नगर के सभी निवासियों को कम-से-कम एक सम्पूर्ण साक्ष्य देने के लिए, भाइयों ने वहाँ केवल बहुत ही बारिश के दिनों में प्रचार करने का निर्णय किया। उन्होंने ऐसा इस आशा में किया ताकि लड़के उन्हें परेशान नहीं करेंगे। उन्होंने देखा कि नगर के लोग प्रकाशकों को मात्र तंग करने के लिए अपने आपको भिगाने के अनिच्छुक थे। इस तरह एक अच्छा साक्ष्य दिया गया। दिलचस्पी रखनेवाले लोग पाए गए। नए बाइबल अध्ययन शुरू किए गए। परिणामस्वरूप, उस छोटे नगर में न केवल एक फलती-फूलती कलीसिया स्थापित की गयी बल्कि प्रचार कार्य धूपवाले दिनों में भी किया जाने लगा। यहोवा ने उस क्षेत्र में और पूरे इटली में अपने साक्षियों की लगन पर आशिष देना जारी रखा है। उस देश में अब २,००,००० से भी अधिक यहोवा के साक्षी हैं।
जो सही है उसे करने में लगन के प्रतिफल बहुत हैं। परमेश्वर की आत्मा की शक्ति के द्वारा, यहोवा के साक्षी एक ऐसा कार्य पूरा करने में समर्थ हुए हैं जो मानव इतिहास में बेमिसाल है, और वह है दरवाज़ों पर और दूसरे तरीक़ों से राज्य के सुसमाचार को लाखों लोगों को प्रचार करना। (जकर्याह ४:६) उन्होंने आनन्दपूर्वक यहोवा के पार्थिव संगठन की अद्भुत वृद्धि और गतिविधि में बाइबल भविष्यवाणी को पूरी होते देखा है। (यशायाह ५४:२; ६०:२२) वे परमेश्वर के प्रति एक साफ़ अंतःकरण रखते हैं, और वे अनन्त जीवन की आशा में हर्षित होते हैं। सबसे बढ़कर, वे सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्वर के साथ एक घनिष्ठ सम्बन्ध का आनन्द उठाते हैं।—भजन ११:७.
[पेज 25 पर तसवीरें]
यीशु ने इस यूनानी स्त्री की नम्र लगन का प्रतिफल दिया
[पेज 26 पर तसवीरें]
आज मसीहियों के सामने रखे गए आनन्द में परादीस में जीवन शामिल है