राज्य उद्घोषक रिपोर्ट करते हैं
“परमेश्वर का वचन फैलता गया”
मसीही कलीसिया के बनने के चन्द घंटों बाद ही इसके सदस्य तक़रीबन १२० से लेकर ३,००० से भी ज़्यादा तक बढ़ गए। (प्रेरितों १:१५; २:४१) बाइबल समझाती है कि “परमेश्वर का वचन फैलता गया और यरूशलेम में चेलों की गिनती बहुत बढ़ती गई।” (प्रेरितों ६:७) मात्र कुछ सालों के बाद, यह नयी-नयी बनी कलीसिया अफ्रीका, एशिया, और यूरोप के मसीहियों के साथ एक अंतरमहाद्वीपीय संगठन बन गयी।
आज मसीही कलीसिया समान रूप से तेज़ वृद्धि का अनुभव कर रही है। उदाहरण के लिए, मॆक्सिको में, राज्य उद्घोषकों की संख्या मात्र पाँच साल में १,३०,००० से ज़्यादा से लेकर ४,४३,६४० तक बढ़ गयी है! १९९५ में मॆक्सिको के हर ५९ लोगों में से १ व्यक्ति, यहोवा के साक्षियों द्वारा मनाये गए मसीह की मृत्यु के स्मारक में उपस्थित हुआ। फिर भी, उस देश में आध्यात्मिक कटनी अब तक पूरी नहीं हुई है, जैसे निम्नलिखित अनुभव द्वारा चित्रित होता है।—मत्ती ९:३७, ३८.
चीऑपस राज्य के एक नगर में, सुसमाचार को उस क्षेत्र में कुछ २० साल तक यहोवा के साक्षियों द्वारा प्रचार किए जाने के बाद भी किसी ने भी उनसे एक गृह बाइबल अध्ययन स्वीकार नहीं किया था। स्पष्टतया अनेक नगरवासी एक ऐसे व्यक्ति द्वारा भयभीत थे जो हिंसक होने के लिए कुख्यात था। उसको यह पता चल जाने पर कि वे साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन कर रहे थे, होनेवाली उसकी प्रतिक्रिया से वे डरते थे।
उस क्षेत्र में स्थानांतरित हुए दो साहसी साक्षियों ने निर्णय किया कि वे सीधे उस व्यक्ति के पास जाने के द्वारा समस्या से निपटेंगे। जब वे उसके घर पहुँचे, तब उसकी पत्नी ने दरवाज़ा खोला और उनके संदेश को ध्यानपूर्वक सुना। पृथ्वी पर परादीस में जीने के बारे में बाइबल जो कहती है उसके बारे में उसने विशेषकर दिलचस्पी ली। लेकिन उसने स्वीकारा कि यदि वह बाइबल का अध्ययन करती है तो उसका पति उसका जीना दूभर कर देगा। साक्षियों ने समझाया कि जब तक वह ध्यानपूर्वक यह जाँच नहीं करती कि बाइबल क्या कहती है, तब तक वह कभी नहीं सीख सकेगी कि परमेश्वर की सेवा कैसे करनी है और पृथ्वी पर सर्वदा जीवन का आनन्द कैसे लेना है। उसने बाइबल अध्ययन स्वीकार किया।
जैसी उम्मीद की गयी थी, उसका पति उसके निर्णय से प्रसन्न नहीं था। उसने मसीही सभाओं में उपस्थित होने के लिए उसके वाहन के इस्तेमाल को वर्जित किया जबकि उसे अन्य कार्यों के लिए उसका इस्तेमाल करने की अनुमति थी। उसके विरोध के बावजूद, वह यहोवा के साक्षियों के निकटतम राज्यगृह को नियमित रूप से चलकर जाती थी, जो कि दस किलोमीटर दूर था। जल्द ही नगर के अन्य लोगों ने उसके साहस और दृढ़संकल्प को देखा। जब साक्षी उनके घरों को भेंट देते तो लोग सुनने लगे। कुछ लोग तो उस स्त्री के साथ सभाओं को भी जाने लगे। कुछ समय के बाद, साक्षी उस शहर में तक़रीबन २० बाइबल अध्ययन संचालित कर रहे थे!
इस स्त्री की एक सहेली ने भी अपने पति के विरोध के बावजूद बाइबल का अध्ययन करने का निर्णय किया। आश्चर्य की बात है, उसे ऐसा करने के लिए पहली स्त्री के पति ने प्रोत्साहन दिया। उसके पति के साथ इसने बात की। उसके बाद विरोध ख़त्म हो गया। सो ऐसा हुआ कि २० साल के बाद बाइबल सच्चाई का बीज अंततः अंकुरित हुआ, और १५ से भी ज़्यादा लोग बाइबल का अध्ययन करने और मसीही सभाओं में उपस्थित होने लगे, जिनमें ये दो स्त्रियाँ भी शामिल हैं जो अब सुसमाचार को प्रकाशित कर रही हैं।