युवा लोग जिनका भविष्य सुरक्षित है
“उतना ही दहशत-भरा और घृणित जितना कि कोई भी [बलात्कार का मामला] हो सकता है”—हाल के एक मुक़दमे की अध्यक्षता कर रहे एक जज ने उस जुर्म का इस तरह बयान किया। आठ किशोरों के एक गुट ने, जिनकी उम्र १४ से १८ साल के बीच थी, लंदन शहर के बीच में एक सैलानी महिला को दबोच लिया, एक के बाद एक उस पर लैंगिक रूप से कहर ढाया और पास के एक नाले में फेंक दिया, हालाँकि वह बोली थी कि मुझे तैरना नहीं आता। स्वाभाविक है कि उनमें से एक किशोर की माँ ने कहा कि जब उसने अपने बेटे की करतूत के बारे में टीवी में ख़बर देखी तो उसका दम घुटने लगा।
दुःख की बात है कि आज समाज में जो हो रहा है यह घटना उसकी एक तस्वीर है। चाहे अपराधिक गतिविधियाँ हों, घरेलू झगड़े, या बालकान्स, केन्द्रीय और पश्चिमी अफ्रीका या कहीं और के नृजातीय झगड़े, बर्बरता आम हो गए हैं। युवा लोग ऐसी परिस्थितियों में बड़े होते हैं या अकसर इनके बारे में अकसर सुनते हैं। तो फिर इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं कि अनेक लोग कठोर, “स्नेहरहित” और “असंयमी” बन जाते हैं।—२ तीमुथियुस ३:३, NHT.
“उग्र”
जिस वक़्त मसीही प्रेरित पौलुस ने अपने संगी प्राचीन, तीमुथियुस को अपनी दूसरी पत्री लिखी, उस वक़्त रोम प्रमुख विश्व शक्ति था। रोमी रंगमंचों में बर्बरता और वहशीपन का राज था। फिर भी, पौलुस ने चिताया कि आनेवाला समय ऐसा होगा “जिनका सामना करना मुश्किल होगा।” (२ तीमुथियुस ३:१, NW) दिलचस्पी की बात है कि उस यूनानी शब्द में, जो इस समय को ‘सामना करने के लिए मुश्किल’ बताता है, “उग्र” होने का भाव भी शामिल है। इससे लगभग ३० साल पहले, पृथ्वी पर यीशु की सेवकाई के दौरान हुई एक घटना दिखाती है कि उसके समय की उग्रता के पीछे किसका हाथ था।
यीशु अभी-अभी नाव से गलील सागर के पूर्वी तट पर आया था। जैसे ही वह तट पर पैर रखता है, दो मनुष्यों से उसका सामना होता है। उनका डरावना रूप और चीख़ें यह साफ़ बता रहे थे कि ज़रूर उनमें कोई भारी गड़बड़ है। वे ‘बहुत उग्र’ थे, दरअसल उनमें दुष्टात्माएँ थीं।a वे जो चीख-चिल्ला रहे थे, वह उनमें समाई हुई दुष्ट आत्माएँ बोल रही थीं जो उनसे हिंसक कार्य करवा रही थीं। “हे परमेश्वर के पुत्र, हमारा तुझ से क्या काम?” वे मनुष्य चिल्लाए। “क्या तू यहां हमें समय से पहले यातना देने आया है?” उन दोनों मनुष्यों में समाई दुष्टात्माएँ अच्छी तरह से जानती थीं कि परमेश्वर ने पिशाचों को दंड देने का पहले ही से एक समय ठहरा दिया है। इसका मतलब होगा हमेशा के लिए उनका नाश। लेकिन तब तक वे अपनी अलौकिक शक्तियों का उग्र हिंसा बढ़ाने में प्रयोग करनेवाली थीं। सिर्फ़ यीशु की चमत्कारिक कार्यवाही उन दुष्टात्माओं को निकाल सकी और उन मनुष्यों को राहत दे सकी।—मत्ती ८:२८-३२, NHT; यहूदा ६.
जब आजकल के लोग, जिनमें युवा भी शामिल हैं, एक तरह के पागलपन से काम लेते हैं तो हमारे लिए इस घटना को याद करना अच्छा होगा। क्यों? क्योंकि इस २०वीं शताब्दी में हम इसी से मिलते-जुलते ख़तरे का सामना करते हैं, जैसा कि बाइबल की आख़िरी पुस्तक प्रकाशितवाक्य बताती है: “हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।” (प्रकाशितवाक्य १२:१२) कृपया ध्यान दीजिए कि शैतान को इस बेइज़्ज़ती पर ‘बड़ा क्रोध’ है क्योंकि उसे मालूम है कि उसका थोड़ा ही समय बाक़ी है।
हमले के घेरे में
जैसा कि अकसर इस पत्रिका में ज़िक्र किया जाता है, १९१४ में मसीह यीशु स्वर्ग में परमेश्वर के राज्य के राजा के रूप में सिंहासन पर बैठा। यीशु ने तुरंत परमेश्वर के प्रमुख शत्रु, शैतान के ख़िलाफ़ कार्यवाही की। इस तरह, इब्लीस और उसके पिशाचों को स्वर्ग से गिरा दिया गया है और अब उनका पूरा-पूरा ध्यान इस पृथ्वी पर है। (प्रकाशितवाक्य १२:७-९) क्योंकि अब उसके प्रभाव का दायरा बहुत सीमित हो गया है, शैतान “गर्जनेवाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।” (१ पतरस ५:८) कौन उसके आसान शिकार हैं? क्या यह समझने में आसान नहीं कि ये वे लोग होंगे जिन्हें जीवन का और मानवी संबंधों का तजुर्बा नहीं है? इस तरह आज युवा लोग इब्लीस का निशाना बनते हैं। संगीत और मनोरंजन की अपनी धुन में, वे इस अनदेखे धूर्त धोखेबाज़ के हाथों की कठपुतली बन जाते हैं।—इफिसियों ६:११, १२.
जब युवा लोग अपनी ज़िंदगी सँवारने की कोशिश करते हैं, उस वक़्त भी निराशा उनके सामने आती है। दूसरे विश्व युद्ध के ख़त्म होने के बाद से, इस युद्ध में हिस्सा लेनेवाले अनेक देशों के लोगों ने अपने परिवार को एक शानो-शौक़तवाली ज़िंदगी देने के द्वारा इसका नुक़सान भरने की कोशिश की है। भौतिक संपत्ति, हद से ज़्यादा ऐशो-आराम और मनोरंजन ख़ास लक्ष्य बन गए हैं। जिसकी वज़ह से अनेक लोगों ने दुःख उठाया है। “जो धनी होना चाहते हैं,” तीमुथियुस को पौलुस ने चिताया, “वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, . . . क्योंकि रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने . . . अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है।” (१ तीमुथियुस ६:९, १०) कुल मिलाकर हम आज के भौतिकवादी समाज के लोगों को आर्थिक, वित्तीय और भावनात्मक दुःखों से छलनी पाते हैं। इनमें अनेक युवा लोग भी शामिल हैं जो परमेश्वर के मुख्य-शत्रु की इस चाल के शिकार हैं।
लेकिन ख़ुशी की बात है कि एक ख़ुशख़बरी है। और यह युवा लोगों के लिए है, जिनके आगे एक सुरक्षित भविष्य रखा है। यह कैसे हो सकता है?
ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे
अनेक युवा ऊँचे विचार रखते हैं। वयस्कों में आम तौर पर पाए जानेवाले गिरते स्तरों को वे ठुकरा देते हैं। शक्ति के भूखे राजनैतिक नेताओं और व्यापारियों के अन्याय और रूखी मनोवृत्ति से वे घिन करते हैं। अगर आप युवा हैं तो शायद आप ऐसा ही महसूस करते हैं।
सॆडरिक नाम के एक नौजवान पर ध्यान दीजिए जिसका अनुभव एकमात्र नहीं है।b जब वह छोटा था तब उसे बहुत-से डर सताते थे, जैसे मृत्यु का डर। वह सोचता था कि जीवन का उद्देश्य क्या है। १५ साल की उम्र तक आते-आते अपने सवालों के जवाब न पाने की वज़ह से, वह बाक़ी विचारवादी लड़कों की सोहबत में पड़कर जीवन का अर्थ खोजने लगा। वह याद करता है, “हम चरस पीते और घंटों बैठकर बातें करते। हमें लगता था कि सभी लोग ऐसा ही सोचते हैं, लेकिन जवाब किसी के भी पास नहीं थे।”
अनेक युवा लोगों की तरह सॆडरिक भी रोमांच के लिए ललचाने लगा। सिर्फ़ ड्रग्स पीने से उसे तसल्ली नहीं मिली। जल्द ही वह चोरी और ड्रग्स का धंधा करने लगा। अब भी वह नए-नए जोख़िम उठाना चाहता था। वह आर्डर पर चोरी करने लगा। वह मानता है “मुझे इसका चसका लग गया था। लेकिन मैंने कभी आम लोगों का कुछ नहीं चुराया। अगर मैंने कभी कोई गाड़ी चुराई भी, तो उसे अच्छी हालत में छोड़ देता था। अगर मैंने किसी व्यापारी के यहाँ चोरी की भी, तो वहीं की जहाँ मैं जानता था कि उन्होंने इंशोरन्स करवाया हुआ है। यह मेरे काम को सही साबित करने का काम करता था।” लेकिन जैसी कि आप उम्मीद कर सकते हैं, सॆडरिक पकड़ा गया।
सॆडरिक याद करता है: “जेल में एक संगी क़ैदी, मार्क ने मुझसे बात की। मेरी बाँह पर गुदे हुए बड़े क्रॉस को देखकर उसने पूछा कि यह मैंने क्यों गुदवाया। उसने सोचा कि यह ज़रूर मेरे लिए कोई बड़ी धार्मिक चीज़ है।” कुछ हफ़्तों बाद, मार्क ने सॆडरिक को पुस्तक आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं दी।c “‘आप सर्वदा जीवित रह सकते हैं’—उन शब्दों ने मुझे एकदम चौंका दिया। यही तो था जिसके बारे में हम हमेशा बातें किया करते थे, लेकिन इसकी तह तक कभी नहीं पहुँच पाए।” जेल में आनेवाले एक यहोवा के साक्षी के साथ कई चर्चाओं के बाद, सॆडरिक को यह एहसास हो गया कि वह जिस बात की खोज में था वह उसे मिल सकती थी—लेकिन सिर्फ़ परमेश्वर के तरीक़े से।
सॆडरिक कहता है “अपने पुराने दोस्तों का साथ छोड़ने के बाद से, मैंने तेज़ी से प्रगति की।” समझ और ख़ुशी में उसकी प्रगति आसान नहीं रही है। “मैं अभी-भी इस पर काम कर रहा हूँ,” वह कहता है। “जिस तरह मैं सोचता हूँ, उसके बारे में मुझे सावधान रहना पड़ता है।” जी हाँ, सॆडरिक अब समझता है कि आदर्शवादी होना उसे इब्लीस के चंगुल में ले गया, वह यह सोचता था कि वह सिर्फ़ रोमांच के काम करके ही अपनी मंज़िल पा सकता था।
ख़ुशी की बात है कि सॆडरिक को जेल से रिहा हुए लंबा अरसा बीत चुका है और वह उन लोगों के साथ नियमित संगति का आनंद लेता है जिन्होंने उसे पाया है जिसकी खोज वे कर रहे थे। वह अब एक यहोवा का साक्षी है और यहाँ पृथ्वी पर परादीस में रहने की उनकी आशा में सहभागी है। वह भी हर रूप में शैतानी प्रभावों के अंत की बाट जोह रहा है।
निश्चय ही, न केवल सॆडरिक जैसे युवा लोगों के पास सुरक्षित भविष्य है; अन्य युवाओं की परवरिश भी ऐसे धार्मिक माँ-बाप ने की है, जिन्होंने अपने बच्चों के मन में बाइबल सच्चाई के प्रति प्रेम पैदा किया है।
ईश्वरीय प्रशिक्षण लाभ पहुँचाता है
“लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा,” प्राचीन काल के बुद्धिमान राजा सुलैमान ने ऐसा लिखा। (नीतिवचन २२:६) अनेक एकाग्रचित्त युवाओं के मामले में यह सच साबित हुआ है जिन्होंने बाइबल स्तरों का पालन करने का रास्ता चुना है।
शीला, गॉर्डन और सारा ने ऐसा किया। वे याद करते हैं कि उनके माँ-बाप ने मसीह की इस आज्ञा का पालन करने के महत्त्व पर कितना ज़ोर दिया कि राज्य का प्रचार करने के माध्यम से ‘जाओ और चेले बनाओ।’ (मत्ती २४:१४; २८:१९, २०) “चाहे कोई भी फ़ैसला क्यों न करना हो, माँ और मैं एक दूसरे से यह कहते थे, ‘इसका प्रचार कार्य पर क्या असर पड़ेगा?’” शीला याद करती है। “इस तरह सोचने से हमने कई योजनाओं को छोड़ दिया” वह मानती है और आगे कहती है, “लेकिन हमें क्या ही आशिषें मिलीं!” सुसमाचार लेकर लोगों के घरों में जाने में सारा दिन बिताने के बाद भी, शीला और उसकी माँ गुनगुनाते हुए घर लौटते थे। वह कहती है “मेरी ख़ुशी पूरी थी। मैं आज तक उसे महसूस कर सकती हूँ।”
गॉर्डन शनिवार की कई सुखद शामों को याद करता है। “कलीसिया के प्राचीन मुझे अपने घर बुलाते थे, जहाँ हम लाभदायक अंताक्षरियाँ खेलते और चर्चाएँ करते थे। हमें बाइबल की आयतें याद करने, शास्त्रीय विषयों पर ख़ुलकर बोलने, प्रचार में हुए अनुभव सुनाने और राज्य कार्य कैसे आगे बढ़े, इसे सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था,” गॉर्डन याद करता है। “इन सभी बातों ने मुझे अच्छी बुनियाद डालने और यहोवा परमेश्वर के लिए प्रेम विकसित करने में मदद की।”
सारा को, घर आनेवाले साक्षियों के साथ बितायी यादगार शामों की सुखद यादें हैं। “हम एक साथ खाना खाते थे। फिर आख़िर में पियानो के साथ परमेश्वर के राज्य गीत गाते थे। संगीत से वाक़ई हमें काफ़ी मदद मिली, ख़ासकर हमारे स्कूल के दिनों में, क्योंकि इसने हमें एक परिवार के रूप में साथ मिलकर काम करने का मौक़ा दिया।”
सही है कि उन सभी युवा लोगों के पारिवारिक हालात एकदम सही नहीं हैं, जो यहोवा को प्रसन्न करना चाहते हैं। फिर भी, कलीसिया में बाक़ी साक्षी परिवारों के साथ नज़दीकी संगति करने से उन्हें सुरक्षा और अपनेपन का एहसास मिलता है।
भविष्य के लिए सुरक्षित बुनियाद को मूल्यवान समझिए
आज युवा लोगों के पास चुनाव है। वे इस दुष्ट संसार के साथ रह सकते हैं, जो यीशु द्वारा पूर्वबताए गए आनेवाले “भारी क्लेश” की ओर सीधा जा रहा है। या वे “परमेश्वर का आस्रा रखें, और . . . उसकी आज्ञाओं का पालन करते रहें,” जैसा उत्प्रेरित भजनहार आसाप ने गाया। परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी रहना उन्हें “उस पीढ़ी के लोग” होने से दूर रखेगा जो “हठीले और झगड़ालू थे, और उन्हों ने अपना मन स्थिर न किया था, और न उनकी आत्मा ईश्वर की ओर सच्ची रही।”—मत्ती २४:२१; भजन ७८:६-८.
संसार भर में यहोवा के साक्षियों की ८०,००० से ज़्यादा कलीसियाओं में आप ऐसे अनेक युवाओं को देखेंगे जिनकी आप सराहना कर सकते हैं। उन्होंने युवा तीमुथियुस को दी गई पौलुस की सलाह को सुना है कि “भलाई करें, और भले कामों में धनी बनें; और उदार और सहायता देने में तत्पर हों। और आगे के लिये एक अच्छी नेव डाल रखें।” इसके फलस्वरूप उन्होंने अब ‘सत्य जीवन को वश में किया है।’ (१ तीमुथियुस ६:१८, १९) इन असली मसीहियों के बारे में और अधिक जानकारी पाने के लिए इनकी सभाओं में आइए। तब आप भी एक सुरक्षित भविष्य की आशा रख सकेंगे।
[फुटनोट]
a “उग्र” मत्ती ८:२८ और २ तीमुथियुस ३:१ में इस्तेमाल किए गए एक ही यूनानी शब्द का अनुवाद है।
b नाम बदल दिए गए हैं।
c वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।
[पेज 7 पर तसवीर]
उन ‘बहुत उग्र’ मनुष्यों के पीछे जिन्हें यीशु ने चंगा किया था दुष्टात्माओं का हाथ था
[पेज 8 पर तसवीर]
“आगे के लिये एक अच्छी नेव” डालना