पवित्र सेवा के लिए नायाब तोहफ़े
हैरी ब्लुर द्वारा बताया गया
क़रीब सौ साल पहले, मेरे दादाजी मेथोडिस्ट चर्च के पक्के सदस्य थे। एक प्रचारक के तौर पर उनकी इज़्ज़त भी थी, उन्होंने स्टोक-ऑन-ट्रेंट, इंग्लैंड के चीनी मिट्टी के बरतन बनानेवाले शहर, के अनेक चर्चों की मदद के लिए दिल खोलकर दान दिया था। फिर उन पर ग़रीबी का वक़्त आ गया। मेरे दादाजी की मदद करने के लिए, मेरे पिताजी ने उनके लिए गाँव में एक छोटी-सी दुकान चलाने का इंतज़ाम कर दिया। हमारे पास अपनी दुकान पर बियर बेचने का लाइसेंस था पर जैसे ही मेथोडिस्टों को यह बात पता चली, उन्होंने फ़ौरन दादाजी को अपने गिरजे से निकाल दिया।
पिताजी को इससे बहुत गुस्सा आया और उन्होंने क़सम खाई कि आइंदा उनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं रहेगा—और उन्होंने अपनी क़सम पूरी भी की। वे एक पुलिसवाले थे, लेकिन अब वे एक शराबख़ाना चलाने लगे। तो मैं उस जगह की गंध और धुँए के बीच बड़ा हुआ। धर्म की मेरी ज़िंदगी में कोई जगह नहीं थी, लेकिन बोर्ड गेम्स् के लिए थी और मैं ज़्यादातर खेल बख़ूबी खेल लेता था! लेकिन दादाजी ने बचपन में जो प्रभाव छोड़ा था उसकी वज़ह से, मेरे दिल में बाइबल के लिए बहुत क़दर बनी रही, हालाँकि मैं इसके बारे में बहुत कम जानता था।
मैंने बाइबल सच्चाई सीखी
वर्ष १९२३ में, जब मैं २४ साल का था, मैं पूर्व में नॉर्ट्टिंगम आ गया और मॆरी से प्यार करने लगा, जो लगभग ४० किलोमीटर दूर, लाइसेस्टर के दक्षिण-पश्चिम में व्हेटस्टोन गाँव में रहती थी। उसके पिताजी आर्थर रॆस्ट, वहाँ के गिरजे में ऑर्गन बजाते थे, लेकिन इस समय तक वे जोशीले बाइबल विद्यार्थी बन गए थे, जैसे कि उस वक़्त यहोवा के साक्षी जाने जाते थे। आर्थर हमेशा अपने नए विश्वास की मेरे साथ चर्चा किया करते थे—लेकिन ज़्यादा फ़ायदा नहीं हुआ। मगर मेरी दिलचस्पी तब जागी जब मैं उनके साथ जुलाई १३, १९२४ को रविवार दोपहर में वहाँ के बैपटिस्ट गिरजे में उस संसद सदस्य का भाषण सुनने गया जो एक प्रमुख बैपटिस्ट था। उसके विषय “शास्त्र की रोशनी में जाँची गई पास्टर रस्सल की शिक्षाएँ,” ने मेरी दिलचस्पी बढ़ायी। उस वक़्त मैंने जो नोट्स लिये थे वे आज तक मेरे पास हैं।
बाइबल विद्यार्थियों के विश्वासों पर किए गए हमले का जवाब देने के निवेदन को बैपटिस्टों ने ठुकरा दिया। इससे मुझे गुस्सा आया और मैंने ऐसी एक सभा करने के लिए दूसरी जगह ढूँढ़ने का फ़ैसला किया। पास का एक खलिहान इसके लिए एकदम ठीक जगह साबित हुआ। हमने उसे झाड़ा, मकड़ी के जाले साफ़ किए, कटाई की मशीनों को एक किनारे पर कर दिया और फिर हम सब तैयार थे। हमने ७० कुर्सियाँ जमा कीं और पर्चियाँ छापीं।
फ्रैंक फ्रिर जब लाइसेस्टर से अपना भाषण देने आए तो सारी सीटें भर गईं और ७० और लोग खड़े थे! शास्त्र से दिया गया फ्रैंक का स्पष्ट तर्क मुझे और अनेक उपस्थित लोगों को बहुत अच्छा लगा। तब से, लाइसेस्टर के पास ब्लेबी में बाइबल विद्यार्थियों की वह छोटी-सी कलीसिया तेज़ी से बढ़ती गई। यही मेरे जीवन में—साथ ही मॆरी के जीवन में—बदलाव का वक़्त भी था। वर्ष १९२५ में हम दोनों ने यहोवा को समर्पण किया, बपतिस्मा लिया और शादी की।
आध्यात्मिक आशिषें
अगले साल मुझे ब्लेबी कलीसिया का सर्विस डायरेक्टर नियुक्त कर दिया गया। मेरी पत्नी और मैं कॉलपोर्टरों के नक्शे-क़दम पर चलकर पूर्ण-समय सुसमाचारक बनना चाहते थे, लेकिन जल्द ही यह दिखने लगा कि मॆरी की सेहत ऐसी भाग-दौड़ की दिनचर्या की इजाज़त नहीं देगी। हालाँकि १९८७ में अपनी मृत्यु तक उसकी सेहत कभी ठीक नहीं रही, लेकिन वह एक उत्तम साथी और ऐसी शानदार सेवक थी जो अनौपचारिक साक्षी देने और बाइबल अध्ययन शुरू करने में माहिर थी। ज़्यादातर शामों को हम या तो सभाओं में होते या अपने पड़ोसियों के साथ बाइबल की सच्चाइयाँ बाँट रहे होते।
मैं एक इंजीनियर था और आरा-मशीनें बनानेवाली एक कंपनी में काम करता था। मेरे काम में ब्रिटेन, साथ ही फ्रांस में काफ़ी भाग-दौड़ करना शामिल था और मॆरी आम तौर पर मेरे साथ जाती थी। इन यात्राओं ने हमें दूर-दूर तक साक्षी देने के अवसर प्रदान किए।
विस्तार के लिए बुनियाद
वर्ष १९२५ में हमने ब्लेबी में अपनी सभाओं के लिए एक बहुत बढ़िया बिल्डिंग बनाई और उस जगह से हमने एक ज़बरदस्त साक्षी कार्यक्रम का प्रबंध किया। हर रविवार की सुबह हम एक बस किराए पर लेते, जो हमें अलग-थलग फैले गाँवों और छोटे क़सबों में ले जाती थी। प्रकाशकों को प्रचार के लिए रास्ते में उतार दिया जाता और बाद में वापस आते वक़्त उसी बस में साथ ले लिया जाता था। गर्मियों के महीनों में, प्रहरीदुर्ग के नए अंक का इस्तेमाल करके हमने रविवार देर दोपहर को बाइबल अध्ययन किया। उसके बाद आठ बजे हम लाइसेस्टर बाज़ार में खुली जगह में जन-भाषण के लिए मिले। एक रात २०० लोगों ने सुना। इस काम ने लाइसेस्टर में और इसके आस-पास के इलाक़ों में आज पाई जानेवाली अनेक कलीसियाओं की बुनियाद डाली।
वर्ष १९२६ में लंदन के एलेक्ज़ेंड्रिया पैलॆस और रॉयल अलबर्ट हॉल, दोनों में एक साथ एक यादगार अधिवेशन किया गया। उस मौक़े पर, वॉच टावर सोसाइटी के उस समय के अध्यक्ष जोसॆफ़ एफ़. रदरफ़र्ड ने पुस्तक छुटकारा (अंग्रेज़ी) रिलीज़ की। प्रस्तावना “संसार के शासकों को साक्ष्य” और भाई रदरफ़र्ड का ज़ोरदार जन-भाषण “विश्व शक्तियाँ क्यों डगमगा रही हैं—इसका समाधान” अगले दिन एक प्रमुख अख़बार में पूरे-पूरे छापे गए। १०,००० से ज़्यादा लोगों ने जन भाषण सुना और जिसके परिणामस्वरूप उस प्रस्ताव की ५,००,००,००० प्रतियाँ दुनिया भर में बाँटी गईं। इस अधिवेशन ने ब्रिटेन में प्रचार कार्य को गति देने का काम किया।
युद्ध के समय बड़ा अधिवेशन
सितंबर १९३९ को दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और १९४१ तक युद्ध अपने उरूज पर पहुँच गया। जर्मन बमवर्षक रात-दिन हमला कर रहे थे और पूरे राष्ट्र में ब्लैकआउट लगा हुआ था। खाने के लाले पड़े थे और जो कुछ था भी उसे सख़्ती से बाँटा जाता था। यातायात बहुत सीमित था, यहाँ तक कि रेलों से भी। पहाड़ जैसी इन सभी बाधाओं के बावजूद भी हमने सितंबर ३-७, १९४१ में पाँच दिन का राष्ट्रीय अधिवेशन किया।
लाइसेस्टर के डी मॉन्टफ़र्ट हॉल को अधिवेशन के लिए चुना गया, क्योंकि लाइसेस्टर इंग्लैंड के मध्य में है। क्योंकि मैं टिंबर ट्रेड में था, मैं इश्तहार-बोर्ड बनाने में मदद कर सका। अधिवेशन में आनेवालों के लिए मैंने स्थानीय यातायात का भी प्रबंध किया। हमारे पहले से ही टिकट ख़रीदने और निर्धारित से ज़्यादा पैसे देने की वज़ह से लाइसेस्टर की ट्रामें हमारे लिए रविवार को भी चलती रहीं।
क्योंकि आनेजाने पर रोक थी तो हमने सोचा कि शायद ३,००० साक्षी ही आ सकेंगे। उस रोमांच की कल्पना कीजिए जब १०,००० से ज़्यादा प्रतिनिधियों ने कहा कि हम वहाँ आएँगे! लेकिन वे रहते कहाँ? लाइसेस्टर के निवासियों ने कृपापूर्वक उनमें से अनेक को अपने घर में ठहराया। इसके अलावा अधिवेशन की जगह से तीन किलोमीटर दूर एक मैदान में खड़े किए गए टेंटों में लगभग एक हज़ार लोगों को ठहराया गया। कैंप गिडियन ने, जो नाम हमने उसे दिया था, समाज में काफ़ी हलचल पैदा की थी।
अधिवेशन डिपार्टमेंटों के लिए और उमड़ती बड़ी भीड़ को ठहराने के लिए बड़े-बड़े सफ़ेद टेंट किराए पर लिए गए। जब यह पता चला कि चाँदनी रात में ये टेंट नात्ज़ी बमवर्षकों के लिए निशाने का काम कर सकते हैं तो इन्हें जल्दी-जल्दी रंग दिया गया। युद्ध और ख़ास तौर पर यहोवा के साक्षियों का उस में भाग न लेना लोगों की चिंता का विषय बन गया था। तटस्थता की अपनी बाइबल-आधारित स्थिति के कारण सैकड़ों साक्षी उस वक़्त जेल में थे।—यशायाह २:४; यूहन्ना १७:१६.
सितंबर ७, १९४१ के संडे पिक्टोरियल ने कहा: “यह ताज्जुब की बात है कि १०,००० लोग, जिनमें ज़्यादातर युवा हैं, एक-दो बार को छोड़ युद्ध की चर्चा किए बिना, धर्म के बारे में बातें करते हुए एक हफ़्ता बिता रहे हैं।
“मैंने पूछा कि क्या साक्षियों के कुछ सदस्य जर्मनी में भी हैं। मुझे बताया गया कि हैं और उनमें से लगभग सभी, क़रीब ६,००० यातना शिविरों में हैं।”
इस रिपोर्टर ने आगे कहा: “जी हाँ, ठीक है कि नात्ज़ी ही दुश्मन हैं लेकिन साक्षी उनके ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं कर रहे, सिवाय ट्रैक्ट्स बेचने और भाषण सुनने के।”
हमारे बारे में अख़बार में ख़बरें आम तौर पर ख़राब ही होती थीं और हमारे अधिवेशन को रोकने की नाकाम कोशिश में विरोधी हिंसा पर भी उतारू हो गए थे। फिर भी, लंदन के डेली मेल ने कुछ हद तक कुड़कुड़ाते हुए यह स्वीकार किया: “प्रबंध शांत, विनम्र और प्रभावशाली था।”
शहर में सिगरेट की कमी के लिए हमें दोषी ठहराया गया। लेकिन द डेली मेल ने समझाया: “न तो लाइसेस्टर और न ही तम्बाकू नियंत्रक यह शिकायत कर सकते हैं कि साक्षी लाइसेस्टर की सिगरेट उड़ा रहे हैं। वे तो सिगरेट पीते ही नहीं।” साथ ही, ऐसी शिकायतें दूर की गईं कि साक्षी स्थानीय निवासियों का खाना खा रहे हैं, जब यह बताया गया कि वे ज़्यादातर अपना-अपना खाने का समान साथ लाए थे। दरअसल, अधिवेशन के ख़त्म होने पर लाइसेस्टर रॉयल इनफर्मरी को २७० किलोग्राम डबलरोटी दान दी गई—जो कि खाने की कमी के उन दिनों में एक बड़ा दान था।
अधिवेशन से ब्रिटेन के लगभग ११,००० साक्षियों की आध्यात्मिक रूप से बड़ी हौसला अफ़ज़ाही हुई। वे रोमांचित हो उठे कि लगभग १२,००० लोग हाज़िर थे! प्रतिनिधियों ने लाइसेस्टर की सड़कों पर आनंद के साथ बेतहाशा साक्षी दी और उन्होंने शहर के बाहरी हिस्सों के गाँवों में ग्रामोफोन प्रस्तुतियाँ दीं।
अधिवेशन के प्रमुख भाषण, पिछले महीने में सेंट लूइस, मज़ुएरी, अमरीका में हुए यहोवा के साक्षियों के पाँच दिन के अधिवेशन में दिए गए भाषणों की रिकार्डिंग्स थे। भाई रदरफ़र्ड द्वारा दिए गए भाषण, “राजा की संतान” की रिकार्डिंग अधिवेशन की मुख्य झलकी थी। क्योंकि सेंट लूइस में रिलीज़ की गई पुस्तक बच्चे (अंग्रेज़ी) की प्रतियों को आयात करना संभव नहीं था, इसलिए बाद में ब्रिटेन में इसका एक ख़ास पेपरबैक एडिशन निकाला गया। इसकी एक-एक प्रति उन सभी बच्चों को भेज दी गई जो इस अधिवेशन में हाज़िर हुए थे।
लाइसेस्टर की अनोखी वार्षिक सभा
युद्ध के बाद ब्रिटेन में राज्य उद्घोषकों में शानदार वृद्धि हुई! १९८० के दशक की शुरूआत तक लाइसेस्टर में कलीसियाओं की गिनती बढ़कर दस हो गई। फिर हमें बताया गया कि यहोवा के साक्षियों के शासी निकाय ने १९८३ में लाइसेस्टर में वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी की वार्षिक सभा करने का फ़ैसला किया है। लाइसेस्टर का सिटी ओवरसियर होने के नाते, जल्द ही मैं तैयारी के काम में जुट गया जिसमें डी मॉन्टफ़र्ट हॉल को दोबारा किराए पर लेना शामिल था।
इस अवसर पर सोसाइटी के ब्रुकलिन मुख्यालय से शासी निकाय के तेरह सदस्य आए। ऑडिटोरियम ३,६७१ प्रतिनिधियों से भर गया, इस बार जिसमें दुनिया भर से प्रतिनिधि आए थे, ख़ासकर पुराने भाई-बहन। इसके अलावा १,५०० लोगों ने पास के एक असेंबली हॉल में यह कार्यक्रम सुना।
अलबर्ट डी. श्रोडर ने, जो युद्ध के दौरान लंदन में हुए लाइसेस्टर अधिवेशन में वॉच टावर सोसाइटी के शाखा दफ़्तर के निदेशक का काम करते थे, इस वार्षिक सभा में अध्यक्षता की। १९४१ के अधिवेशन को याद करते हुए भाई श्रोडर ने पूछा: “आप में से कितने उस वक़्त मौजूद थे?” आधे से ज़्यादा श्रोताओं ने अपने हाथ खड़े किए। “वाह! आप सभी वफ़ादार, निष्ठावान लोगों का यह क्या ही पुनर्मिलन हुआ है!” उन्होंने कहा। वाक़ई हम इस अनुभव को नहीं भूल सकते।
अब ९८ की उम्र में, मैं अभी-भी अपनी कलीसिया में सचिव का काम करता हूँ और जन-भाषण भी देता हूँ, लेकिन अब मैं ऐसा बैठकर करता हूँ। १९८७ में मॆरी की मृत्यु के बाद, मैंने बेटीना से शादी कर ली। वह एक विधवा थी जिसे मैं और मॆरी बरसों से जानते थे। शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से मेरी जिस तरह देखभाल की जाती है, मैं उसके लिए आभारी हूँ। मॆरी के ख़राब स्वास्थ्य की वज़ह से आयी बाधाओं और अब मेरे बुढ़ापे के बावजूद मैंने यह पाया है कि पवित्र सेवा में काफ़ी कुछ करने से हमेशा बहुत प्रतिफल मिलते हैं।—१ कुरिन्थियों १५:५८.
[पेज 26 पर तसवीर]
उन्नीस सौ बीस के दशक में सेवकाई में हिस्सा लेने के लिए तैयार
[पेज 26 पर तसवीर]
लाइसेस्टर अधिवेशन के चित्र