सच्चाई से परमेश्वर की उपासना करना
परमेश्वर जिस उपासना से खुश होता है उसकी बुनियाद सच्चाई पर टिकी होनी चाहिए। (यूहन्ना ४:२३) बाइबल सच्चे उपासकों की पहचान साफ-साफ बताती है कि वे उसके सदस्य होंगे “जो जीवते परमेश्वर की कलीसिया है, और जो सत्य का खंभा, और नेव है।” (१ तीमुथियुस ३:१५) परमेश्वर की कलीसिया के लोग न सिर्फ परमेश्वर के वचन यानी बाइबल की सच्चाई में विश्वास करते हैं बल्कि इसके मुताबिक चलते भी हैं। वे सच्चाई का प्रमाण देते हैं, और पूरी दुनिया में इसे प्रचार करते हैं।—मत्ती २४:१४; रोमियों १०:९-१५.
यहोवा के साक्षी बाइबल की शिक्षाएँ सिखाने के लिए मशहूर हैं। आज यह काम २०० से भी ज़्यादा देशों में हो रहा है। वे बाइबल का खुद अध्ययन करते हैं, और उसकी सच्चाई में इंसानी परंपराओं की मिलावट किए बगैर, दूसरों को भी सिखाते हैं। क्या आप बाइबल पर आधारित उनकी शिक्षाओं को जानते हैं? बहुत-से लोग यहोवा के साक्षियों से बात करने में कतराते हैं; क्योंकि साक्षियों के खिलाफ बहुत-सी झूठी बातों का ढिंढोरा पीटकर लोगों ने उन्हें बदनाम किया हुआ है। मगर अच्छे दिलवाले लोगों के लिए मौका है कि वे खुद ही जाँच-परख कर यह फैसला करें कि साक्षी जो प्रचार करते हैं, क्या वह सच्चाई है या नहीं? मगर इतना बड़ा फैसला करते समय आप यह याद रखें कि आपका फैसला, इधर-उधर की सुनी-सुनाई बातों पर आधारित न हो। बहुत-से लोगों ने यहोवा के साक्षियों की शिक्षाओं को खुद जाँचा है, जिससे उन्हें कमाल का फायदा हुआ है।
सच्चाई का ज्ञान लेने से डर फुर्र हो जाता है
आइए एउखेनिया के उदाहरण को देखें। वह एक इतने कट्टर कैथोलिक परिवार में पली-बड़ी थी कि जब १९७९ में पोप विज़िट के लिए मॆक्सिको आया तो ऑर्गनाइज़ करनेवालों में उसके पिता का भी हाथ था। एक दिन जब एउखेनिया अपने दोस्तों से मिलने गई तो उसकी मुलाकात यहोवा के साक्षियों से हुई। साक्षियों की मदद से उसने बाइबल को और अच्छी तरह समझना शुरू किया। एउखेनिया याद करती है: “मुझे सच्चाई तो मिल गई थी मगर शुरू में डर भी लग रहा था। यानी पहले जो मैं मानती थी उनमें से तकरीबन सभी शिक्षाएँ गलत थीं। मेरा परिवार, मेरे दोस्त, वे लोग जिन्हें मैं प्यार करती थी—वे सब गलत थे। मैं परेशान और बेचैन हो गई। मैं खुद से यह पूछा करती कि जो सच्चाई मैं सीख रही हूँ उसके बारे में जानकर मेरे घरवाले क्या कहेंगे। जैसे-जैसे वक्त गुज़रता गया, यहोवा की मदद से मैं इस डर पर काबू पा सकी। एक दिन मैंने एक धर्म-विज्ञान के प्रोफेसर से खुलकर बात करने की सोची। वे हमारे परिवार के बहुत करीबी दोस्त थे। मैंने उनसे कहा कि मेरी दिली ख्वाहिश है कि मुझे सच्चाई मिले। यह सुनकर उन्होंने कहा, ‘अगर तुम वाकई सच्चाई जानना चाहती हो, तो तुम्हें यहोवा के साक्षियों से मिलना चाहिए।’”
एउखेनिया को जिस बात का डर था आखिर वही हुआ। उसके घरवालों ने उसे घर से निकाल दिया। मगर साक्षी उसे बाइबल से दिलासा देकर लगातार मज़बूत करते रहे। वह कहती है: “इससे मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने ठान लिया कि मैं सच्चाई पर चलने से पीछे नहीं हटूँगी। मुझे यह एहसास हो चुका था कि सच्चाई के लिए किसी भी मुसीबत से लड़ा जा सकता है। यहोवा के साक्षियों ने जो प्यार और इज़्ज़त मुझे दी मेरे लिए उसकी बहुत अहमियत थी। मैंने महसूस किया कि मसीह कलीसिया के अंदर मुझे बहुत प्यार किया जाता है। परमेश्वर के संगठन के और नज़दीक आने से, मैं अपने परिवार के बिना अकेले सच्चाई को अपनाने की हिम्मत दिखा सकी।”
आइए एक और उदाहरण देखें। साब्रीना की परवरिश एक ऐसे परिवार में हुई थी जिसमें आये दिन बाइबल पर चर्चा होती थी। यहाँ तक कि उन्होंने अपने परिवार का मानो एक अलग ‘धर्म’ बना लिया था। साब्रीना की आदत थी कि दूसरे धर्म के लोगों से मिले-जुले और फिर उनके धर्म की बुराइयों का पर्दाफाश करे। एक बार जब एक यहोवा के साक्षी ने उसको बाइबल स्टडी करने को कहा, तो साब्रीना यह सोचकर झट से मान गई कि वह उनको गलत साबित करेगी। वह याद करती है: “एक साल से ज़्यादा समय तक स्टडी करने के बाद, मुझे डर लगने लगा कि कहीं मैं जिसे पहले ‘सच्चाई’ मानती थी उसे अब छोड़ न दूँ। मैंने महसूस किया कि पहले जितने भी धर्मों के लोगों से मैंने बात की थी, उनकी बुराइयों का पर्दाफाश करना मेरे लिए चुटकियों का खेल था, मगर इस बार बाज़ी मारना मुश्किल लग रहा था।”
डर के मारे साब्रीना ने यहोवा के साक्षियों से बाइबल स्टडी करना छोड़ दिया। मगर अब उसे आध्यात्मिक रूप से खाली-खाली-सा लगने लगा। साब्रीना ने फैसला किया कि वह दोबारा स्टडी शुरू करेगी, और आखिरकार वह मान गई कि यही सच्चाई है। उसने इतनी सच्चाई सीख ली थी कि आगे जो कुछ सीख रही थी, उसे लोगों को बताना चाहती थी। यहाँ तक कि उसने घर-घर प्रचार करने में साक्षियों के साथ जाने के लिए पूछा। साब्रीना बताती है कि “यहोवा के साक्षियों के साथ प्रचार के लिए जाने से पहले, मुझसे पूछा गया: ‘क्या तुम वाकई यहोवा के साक्षियों में से एक बनना चाहती हो?’ मैंने जवाब दिया: ‘नहीं!’ क्योंकि मैं फिर से डर गई थी।” बाद में, बिना नागा हर मीटिंग में हाज़िर होने और परमेश्वर के लोगों को बाइबल से सीखी बातों पर अमल करता हुआ देखकर, साब्रीना इस नतीजे पर पहुँची कि वाकई यही सच्चाई है। उसने बपतिस्मा लिया और अब वह फुल-टाइम प्रचार का काम कर रही है।
इतनी अलग क्यों?
कोई शायद यह पूछे, कि ‘यहोवा के साक्षियों की शिक्षाएँ दूसरे धर्मों से इतनी अलग क्यों हैं?’ साक्षी जो विश्वास करते हैं उस पर एक नज़र डालने से आप यह देख सकेंगे कि वे सच्चे मसीही हैं, और बाइबल से सीखी बातों पर अमल करनेवाले ईमानदार विद्यार्थी हैं। हम आपसे चाहते हैं कि आप खुद अपनी बाइबल से ऊपर दी गई कुछ मूल शिक्षाओं को देखें।
यहोवा के साक्षी जो विश्वास करते हैं, और जिस तरह बाइबल की शिक्षाओं को मानते हैं, आप भी वैसा करके वह आज़ादी पा सकेंगे जो सच्चाई से मिलती है। (यूहन्ना १७:१७) सच्चाई से डरिए मत। यीशु के वायदे को याद रखिए: ‘सच्चाई को जानोगे, और सच्चाई तुम्हें आज़ाद करेगी।’—यूहन्ना ८:३२, HB.
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यहोवा के साक्षियों की कुछ मूल शिक्षाएँ
○ यहोवा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर है। उसका यह नाम बाइबल की सबसे पुरानी हस्तलिपि में ७,००० से ज़्यादा बार मिलता है।—भजन ८३:१८.
○ यीशु मसीह परमेश्वर का बेटा है, जो ज़मीन पर मानवजाति की खातिर अपनी जान कुरबान करने के लिए आया। (यूहन्ना ३:१६, १७) यहोवा के साक्षी यीशु की शिक्षाओं पर अमल करते हैं, जैसी वे सुसमाचार की पुस्तकों में लिखी गईं हैं।
○ यहोवा के साक्षी, यह नाम यशायाह ४३:१० पर आधारित है, जो कहता है कि “यहोवा की वाणी है कि तुम मेरे साक्षी हो।”
○ लोग प्रार्थना में जिस राज्य के बारे में बात करते हैं वह एक स्वर्गीय सरकार है, जो बहुत जल्द इस संसार से सब दुख-तकलीफों को दूर करके, बाइबल में किए वायदे के मुताबिक इस दुनिया को परादीस यानी खूबसूरत सुख-बगिया में बदल देगी।—यशायाह ९:६, ७; दानिय्येल २:४४; मत्ती ६:९, १०; प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.
○ हर एक इंसान जो परमेश्वर की मर्ज़ी के मुताबिक चलता है, उसके पास यह मौका है कि राज्य की आशिषों का मज़ा हमेशा-हमेशा तक लेता रहे।—यूहन्ना १७:३; १ यूहन्ना २:१७.
○ मसीहियों को उस तरह से व्यवहार करने की ज़रूरत है, जिसकी माँग बाइबल करती है। उन्हें ईमानदार रहने, नैतिक रूप से एक साफ-सुथरी ज़िंदगी जीने, और अपने पड़ोसियों से प्यार करने की ज़रूरत है।—मत्ती २२: ३९; यूहन्ना १३:३५; १ कुरिन्थियों ६:९, १०.
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यहोवा के साक्षी बाइबल की सच्चाई को २०० से ज़्यादा देशों में प्रचार कर रहे हैं