बुद्धि की एक किताब, जिसमें आज के लिए एक संदेश है
“थैली-भर बुद्धि की कीमत [थैली-भर] मोतियों से भी ज़्यादा है।” यह बात पुराने ज़माने के अय्यूब नाम के एक आदमी ने कही जो बेशक अपने ज़माने में सबसे अमीर लोगों में से एक था। (अय्यूब १:३; २८:१८, NW; ४२:१२) सचमुच बुद्धि, धन-दौलत से भी कहीं ज़्यादा कीमती होती है, खासकर तब जब एक व्यक्ति को ज़िंदगी में कामयाब होने के लिए मदद की ज़रूरत होती है। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने कहा: “बुद्धि की आड़ रुपये की आड़ का काम देता है; परन्तु ज्ञान की श्रेष्ठता यह है कि बुद्धि से उसके रखनेवालों के प्राण की रक्षा होती है।”—सभोपदेशक ७:१२.
लेकिन आज ऐसी बुद्धि हमें कहाँ मिल सकती है? लोग अपनी समस्याओं पर सलाह पाने के लिए अखबार के सलाहकारों, मनोवैज्ञानिकों, मनोरोगविज्ञानियों, यहाँ तक कि नाइयों और टैक्सी ड्राइवरों के पास भी जाते हैं। और ऐसे विशेषज्ञों की तो कोई कमी नहीं है जो फीस लेकर किसी भी बात पर सलाह-मशविरा देने को हमेशा तैयार रहते हैं। लेकिन अकसर ऐसे लोगों से मिलनेवाली “बुद्धि” से लोग निराश ही हुए हैं और मुसीबत में भी पड़ चुके हैं। तो फिर, हम सच्ची बुद्धि कैसे पा सकते हैं?
यीशु मसीह इंसानी मामलों को बहुत अच्छी तरह समझता था। उसने एक बार कहा: “ज्ञान [बुद्धि] अपने कामों से सच्चा ठहराया [जाता] है।” (मत्ती ११:१९) आइए हम लोगों की ज़िंदगी में आनेवाली कुछ आम समस्याओं पर नज़र डालें और देखें कि बुद्धिमानी की कौन-सी बातों ने उन्हें सचमुच मदद दी है और इस तरह उनके लिए “थैली-भर मोतियों” से भी ज़्यादा कीमती साबित हुई हैं। हो सकता है कि आप भी वह “थैली-भर बुद्धि” पाकर उससे फायदा पा सकें।
क्या आपको मायूसी की बीमारी है?
लंदन का इंटरनैशनल हेराल्ड ट्रिब्यून कहता है, “बीसवीं सदी के साथ चिंता का युग शुरू हुआ और जाते-जाते यह गंभीर मायूसी का युग देकर जाएगा।” इसमें यह भी कहा गया कि “मायूसी की बीमारी के बारे में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की गई खोजबीन से पता चला कि दुनिया में लगातार यह रोग बढ़ता जा रहा है। ताइवान, लॆबनॉन और न्यू ज़ीलैंड जैसे अलग-अलग देशों में भी हर नई पीढ़ी में इस बीमारी का खतरा बढ़ रहा है।” कहा गया है कि १९५५ के बाद पैदा हुए लोगों की अपने दादा-दादी से तीन गुना ज़्यादा गंभीर रूप से मायूसी की बीमारी लगने की गुंजाइश है।
यह बात तोमोए के बारे में सच साबित हुई जिसे मायूसी की इस बीमारी ने इतनी बुरी तरह जकड़ रखा था कि वो कई-कई दिनों तक बिस्तर पर पड़ी रहती थी। वह अपने दो साल के बेटे की देखभाल नहीं कर पा रही थी इसलिए वह अपने माता-पिता के घर चली गई। कुछ समय बाद, वहाँ एक पड़ोसन ने तोमोए से दोस्ती की, जिसकी बच्ची भी तोमोए के बेटे के उम्र की थी। जब तोमोए ने अपनी पड़ोसन को बताया कि वह खुद को कितना बेकार महसूस करती है तो उसकी पड़ोसन ने उसे एक किताब से कुछ दिखाया। उसमें लिखा हुआ था: “आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं।”a यह समझकर तोमोए की आँखें भर आयीं कि दुनिया में हर किसी की अपनी जगह होती है और दूसरों को उसकी ज़रूरत होती है।
तोमोए की पड़ोसन ने उसे वह किताब पढ़ने को कहा जिसमें ये अच्छी बातें दी गई थीं। तोमोए ने उसकी बात मान ली, हालाँकि उस वक्त तक वह कुछ नहीं कर पा रही थी, कोई छोटा-सा काम भी नहीं। तोमोए की पड़ोसन ने उसे खरीदारी करने और हर रोज़ खाना बनाने में भी मदद दी। एक महीने बाद तोमोए अपने घर का काम-काज खुद करने लगी जैसे रोज़ सवेरे उठना, कपड़े धोना, घर साफ करना, खरीदारी करना और खाना बनाना। उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने कहा, “मुझे पूरा यकीन था कि अगर मैं बुद्धिमानी की उन बातों के मुताबिक चलती रहूँ तो मैं बिलकुल ठीक हो जाऊँगी।”
तोमोए ने जो बुद्धिमानी की बातें पाई थीं उस पर चलने की वज़ह से वह गंभीर मायूसी के घुप्प अँधेरे से निकल पाई। तोमोए अब दूसरों को बुद्धिमानी की उन्हीं बातों पर चलने में मदद करने के लिए पूरा समय प्रचार का काम करती है, जिनकी मदद से वह अपनी समस्याओं का सामना कर सकी थी। बुद्धिमानी की ये बातें एक प्राचीन किताब में दी गई हैं जो आज सभी लोगों के लिए फायदेमंद है।
क्या आप घरेलू समस्याओं का सामना कर रहे हैं?
दुनिया भर में तलाक की दर तेज़ी से बढ़ रही है। घरेलू समस्याएँ पूर्वी देशों में भी बढ़ रही हैं, जहाँ किसी ज़माने में लोग इस बात पर गर्व करते थे कि उनका सारा परिवार मिल-जुलकर खुशी से रहता है। तो फिर परिवार में पति-पत्नी के लिए बुद्धिमानी भरी सलाह हम कहाँ पा सकते हैं?
शूगो और मीहोको पर गौर कीजिए जिनकी शादी-शुदा ज़िंदगी में बेशुमार मुसीबतें थीं। वे हर छोटी-से-छोटी बात पर झगड़ते थे। शूगो गरम-मिज़ाज़ का था और जब कभी वह मीहोको की बुराई करता तो वह भी उसका अपमान करने से पीछे नहीं हटती। मीहोको ने तो यह भी सोचा, ‘हम किसी भी बात पर एक-दूसरे से राज़ी नहीं हो सकते।’
एक दिन एक स्त्री मीहोको से मिलने आई और उसने एक किताब से उसे ये शब्द पढ़कर सुनाए: “इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो।”b मीहोको को धर्म में कोई दिलचस्पी नहीं थी, मगर फिर भी उसने कहा कि वह उस किताब का अध्ययन करेगी जिसमें ये शब्द लिखे थे। वह अपनी पारिवारिक ज़िंदगी सुधारना चाहती थी। इसलिए जब उसे एक मीटिंग में बुलाया गया जहाँ अपना पारिवारिक जीवन आनन्दित बनाना किताब की चर्चा होती थी तो मीहोको और उसका पति उस मीटिंग में आने को तुरंत राज़ी हो गए।c
मीटिंग में शूगो ने देखा कि वहाँ हाज़िर सभी लोग सीखी हुई बातों पर अमल भी कर रहे थे और इसलिए वे खुश नज़र आ रहे थे। उसने भी वही किताब पढ़ने का फैसला किया जिसका अध्ययन उसकी पत्नी कर रही थी। जल्द ही उस किताब में लिखी एक बात पर उसका ध्यान गया: “जो विलम्ब से क्रोध करनेवाला है वह बड़ा समझवाला है, परन्तु जो अधीर है, वह मूढ़ता की बढ़ती करता है।”d हालाँकि इस उसूल पर चलने में उसे वक्त लगा, पर धीरे-धीरे उसमें जो बदलाव आया वह उसकी पत्नी के साथ-साथ बाकी लोगों ने भी देखा।
अपने पति में आए बदलाव को देखकर, मीहोको ने भी सीखी हुई बातों पर चलना शुरू किया। उसे खासकर इस उसूल से मदद मिली: “दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। क्योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा।”e इसलिए मीहोको और उसके पति ने फैसला किया कि वे एक-दूसरे की कमियाँ ढूँढ़ने के बजाय एक-दूसरे की अच्छाइयों के बारे में, और अपने आपको सुधारने के बारे में बात करेंगे। इसका नतीजा क्या हुआ? मीहोको याद करती है: “ऐसा करने से मुझे सच्ची खुशी मिली है। हम हर दिन शाम के खाने के वक्त ऐसी बातें करते हैं। हमारा तीन साल का बेटा भी इस बातचीत में हमारे साथ शामिल होता है। ऐसा करने से हम सचमुच तरो-ताज़ा हो गए हैं!”
जब इस परिवार को बढ़िया सलाह मिली जिसे उन्होंने लागू किया तो वे उन समस्याओं को सुलझा सके जिनकी वज़ह से उनका रिश्ता इतना बिगड़ चुका था कि वह टूटने पर था। क्या ऐसी सलाह उनके लिए थैली-भर मोतियों से ज़्यादा कीमती साबित नहीं हुई?
क्या आप ज़िंदगी में कामयाब होना चाहते हैं?
आज, कई लोगों की ज़िंदगी का मकसद है धन-दौलत कमाना। लेकिन, अमरीका के इस अमीर व्यापारी के शब्दों पर ध्यान दीजिए जिसने करोड़ों डॉलर दान में दिए हैं: “कुछ लोग रूपयों से बहुत मोहित हो जाते हैं, लेकिन कोई भी इंसान एक साथ दो जोड़ी जूते नहीं पहन सकता।” इस सच्चाई को कबूल करनेवाले बहुत कम हैं और दौलत का पीछा छोड़ देनेवाले तो और भी कम हैं।
हीतोशी की परवरिश गरीबी में हुई, इसलिए अमीर बनने का उसका इरादा बहुत पक्का था। जब उसने देखा कि उधार देनेवाले किस तरह लोगों को अपनी उँगलियों पर नचाते हैं तो उसने फैसला किया: “जिसके पास सबसे ज़्यादा रुपए होते हैं जीत उसी की होती है।” हीतोशी को रुपए की ताकत में इतना विश्वास था कि उसने यहाँ तक सोचा कि इंसान की ज़िंदगी भी रुपए से खरीदी जा सकती है। दौलत कमाने के लिए वह पूरे साल नलकारी के अपने व्यापार में जी-तोड़ मेहनत करता और एक दिन की भी छुट्टी नहीं लेता था। हीतोशी को जल्द ही यह एहसास हुआ कि वह चाहे जितनी मेहनत करे, एक छोटे ठेकेदार की हैसियत से वह उन बड़े ठेकेदारों की बराबरी कभी नहीं कर सकता जो उसे काम देते थे। हर दिन वह निराश हो जाता और उसे दिवाला पिटने का डर लगा रहता।
फिर एक दिन हीतोशी के घर एक आदमी आया जिसने उससे पूछा, ‘क्या आपको पता है कि यीशु मसीह ने आपकी खातिर अपनी जान दी?’ हीतोशी को लगा कि कोई भी उसके जैसे व्यक्ति के लिए अपनी जान नहीं देगा, इसलिए वह इस बारे में और भी जानना चाहता था और चर्चा करने को तैयार हुआ। अगले हफ्ते जब उसने एक भाषण में “आंख निर्मल” रखने के बारे में सलाह सुनी तो उसे बहुत हैरानी हुई। भाषण देनेवाले ने समझाया कि “निर्मल” आँख वो होती है जो दूर तक देख सकती है और आध्यात्मिक बातों पर लगी रहती है, जबकि “बुरी” आँख सिर्फ शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने पर लगी रहती है और भविष्य को देख नहीं सकती। इस सलाह ने हीतोशी के दिल में घर कर लिया: “जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।”f दौलत कमाना ही सब कुछ नहीं होता! उसने ऐसी बात पहले कभी नहीं सुनी थी।
इन बातों का उस पर इतना असर हुआ कि वह सीखी हुई बातों को लागू करने लगा। रुपए के लिए अपना खून-पसीना एक करने के बजाय वह अपनी ज़िंदगी में परमश्वर के कामों को पहला स्थान देने लगा। वह अपने परिवार की आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरा करने के लिए भी अपना वक्त बिताने लगा। ज़ाहिर है कि ऐसा करने की वज़ह से उसे अपने कारोबार के लिए कम वक्त मिला, लेकिन फिर भी उसे कारोबार में कामयाबी मिली। वो कैसे?
वह पहले बहुत ही गरम-मिज़ाज़ का था, लेकिन उसे जो सलाह मिली थी उस पर चलने की वज़ह से वह नम्र और मिलनसार बन गया। उस पर खासकर इस सलाह का असर पड़ा: “तुम भी इन सब को अर्थात् क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा और मुंह से गालियों बकना ये सब बातें छोड़ दो। एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्व को उसके कामों समेत उतार डाला है। और नए मनुष्यत्व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।”g इस सलाह पर चलने से वह अमीर तो नहीं बना, पर “नए मनुष्यत्व” का उसके ग्राहकों पर अच्छा असर हुआ और वह उनका विश्वास और भरोसा जीत सका। जी हाँ, बुद्धिमानी की जो बातें उसे मिलीं उसकी वज़ह से वह ज़िंदगी में कामयाब हो सका। उसके लिए बुद्धि की बातें, हकीकत में थैली-भर मोतियों या रूपयों से कहीं ज़्यादा कीमती साबित हुईं।
क्या आप वह थैली खोलेंगे?
क्या आप जानते हैं कि थैली-भर बुद्धि क्या है, जो पहले बताए गए लोगों के लिए इतनी कीमती साबित हुई? यह वही बुद्धि है जो बाइबल में पाई जाती है, जिसे दुनिया में सबसे ज़्यादा बाँटा गया है और जो सबसे आसानी से मिलती है। शायद आपके पास भी एक बाइबल होगी या आप आसानी से इसे पा सकते हैं। लेकिन जिस तरह किसी व्यक्ति के पास एक थैली-भर मोतियाँ हों और अगर वह उनका इस्तेमाल न करे तो उनसे उसका कुछ फायदा नहीं होगा, ठीक उसी तरह आपके पास सिर्फ बाइबल के होने से आपको कुछ फायदा नहीं होगा। तो क्यों न उस थैली को खोलें, यानी बाइबल में दी गई बुद्धिमानी-भरी सलाह और हमारे ज़माने के लिए फायदेमंद बातों पर चलें और देखें कि किस तरह यह आपको ज़िंदगी की समस्याओं को सही तरह से सुलझाने में आपकी मदद कर सकती है।
अगर आपको मोतियों से भरी एक थैली दी जाती, तो क्या आप शुक्रगुज़ार नहीं होंगे और यह जानना नहीं चाहेंगे कि किसने आपको दान दिया है ताकि आप उसे धन्यवाद दे सकें? क्या आप जानते हैं कि किसने हमें बाइबल दी है?
बाइबल बताती है कि उसमें पाई जानेवाली बुद्धि किसकी है। वह कहती है: “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और . . . लाभदायक है।” (२ तीमुथियुस ३:१६) बाइबल हमें यह भी बताती है कि “परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल” है। (इब्रानियों ४:१२) इसीलिए बाइबल में दी गई बातें आज हमारे ज़माने के लिए फायदेमंद हैं। यहोवा के साक्षियों को बहुत खुशी होगी कि आपको यहोवा परमेश्वर के बारे में, जो दिल खोलकर देता है, और भी जानने में मदद करें। इस तरह आपको बाइबल में दी गई थैली-भर बुद्धि का फायदा पाने का भी मौका मिलेगा—जो बुद्धि की ऐसी किताब है, जिसमें आज के लिए एक संदेश है।
[फुटनोट]
a यह हवाला १ कुरिन्थियों १२:२१, २२ से लिया गया है।
c वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा छापी गई।
[पेज 4 पर बक्स/तसवीर]
ज़ज़्बातों को काबू में रखने के लिए बुद्धिमानी की बातें
“हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा? परन्तु तू क्षमा करनेवाला है, जिस से तेरा भय माना जाए।”—भजन १३०:३, ४.
“मन आनन्दित होने से मुख पर भी प्रसन्नता छा जाती है, परन्तु मन के दुःख से आत्मा निराश होती है।”—नीतिवचन १५:१३.
“अपने को बहुत धर्मी न बना, और न अपने को अधिक बुद्धिमान बना; तू क्यों अपने ही नाश का कारण हो?”—सभोपदेशक ७:१६.
“लेने से देना धन्य है।”—प्रेरितों २०:३५.
“क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।”—इफिसियों ४:२६.
[पेज 5 पर बक्स/तसवीर]
खुशहाल पारिवारिक जीवन के लिए बुद्धिमानी की बातें
“बिना सम्मति की कल्पनाएं निष्फल हुआ करती हैं, परन्तु बहुत से मंत्रियों की सम्मति से बात ठहरती है।”—नीतिवचन १५:२२.
“समझवाले का मन ज्ञान प्राप्त करता है; और बुद्धिमान ज्ञान की बात की खोज में रहते हैं।”—नीतिवचन १८:१५.
“जैसे चान्दी की टोकरियों में सोनहले सेब हों वैसा ही ठीक समय पर कहा हुआ वचन होता है।”—नीतिवचन २५:११.
“यदि किसी को किसी पर दोष देने का कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्ध है बान्ध लो।”—कुलुस्सियों ३:१३, १४.
“हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।”—याकूब १:१९.
[पेज 6 पर बक्स/तसवीर]
ज़िंदगी में कामयाबी पाने के लिए बुद्धिमानी की बातें
“छल के तराजू से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु वह पूरे बटखरे से प्रसन्न होता है।”—नीतिवचन ११:१.
“विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है।”—नीतिवचन १६:१८.
“जिसकी आत्मा वश में नहीं वह ऐसे नगर के समान है जिसकी शहरपनाह नाका करके तोड़ दी गई हो।”—नीतिवचन २५:२८.
“अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो, क्योंकि क्रोध मूर्खों ही के हृदय में रहता है।”—सभोपदेशक ७:९.
“अपनी रोटी जल के ऊपर डाल दे, क्योंकि बहुत दिन के बाद तू उसे फिर पाएगा।”—सभोपदेशक ११:१.
“कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुननेवालों पर अनुग्रह हो।”—इफिसियों ४:२९.
[पेज 7 पर तसवीर]
“थैली-भर बुद्धि” का फायदा उठाने के लिए पहला कदम है बाइबल का अध्ययन करना