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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2010
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  • दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:
  • अध्ययन लेखों का मकसद
  • इस अंक में ये लेख भी हैं:
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2010
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विषय-सूची

15 जनवरी, 2010

अध्ययन के लिए

दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:

1-7 मार्च, 2010

हमें अपनी ज़िंदगी यहोवा को क्यों समर्पित करनी चाहिए?

पेज 3

गीत नं. 17 (187), 7 (51)

8-14 मार्च, 2010

यहोवा की महा-कृपा की बदौलत उसके होना

पेज 7

गीत नं. 23 (200), 4 (43)

15-21 मार्च, 2010

मसीह के सच्चे चेले होने का सबूत दीजिए

पेज 12

गीत नं. 5 (46), 6 (45)

22-28 मार्च, 2010

शैतान के शासन का नाकाम होना तय है

पेज 24

गीत नं. 21 (191), 3 (32)

29 मार्च, 2010–4 अप्रैल, 2010

यहोवा की हुकूमत बुलंद हुई!

पेज 28

गीत नं. 5 (46), 8 (53)

अध्ययन लेखों का मकसद

अध्ययन लेख 1, 2 पेज 3-11

इन लेखों में जाँच की गयी है कि यहोवा को अपना समर्पण करने का क्या मतलब है और एक व्यक्‍ति को यह कदम उठाने की क्यों ज़रूरत है। इनमें यह भी बताया गया है कि हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमसे जो उम्मीद करता है, उस पर हम खरे उतर सकते हैं। इसके अलावा, हम यह भी सीखेंगे कि जो लोग यहोवा के हो जाते हैं, उन्हें क्या-क्या आशीषें मिलती हैं।

अध्ययन लेख 3 पेज 12-16

इस लेख में पाँच अहम पहलू बताए गए हैं, जिनमें हमें मसीह के जैसे बनने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। इस तरह हम सबूत दे पाएँगे कि हम मसीह के सच्चे चेले हैं और भेड़ सरीखे लोगों को सच्ची मसीही मंडली पहचानने में मदद दे पाएँगे।

अध्ययन लेख 4, 5 पेज 24-32

चौथे लेख में चर्चा की गयी है कि क्यों परमेश्‍वर से अलग होकर खुद पर शासन करने की वजह से इंसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। इसमें यह भी चर्चा की गयी है कि इंसानी शासन की वजह से यह बात और भी खुलकर सामने आयी है कि यहोवा की हुकूमत करने का तरीका ही सबसे बढ़िया है। पाँचवें लेख में बताया गया है कि हम किस तरह दिखा सकते हैं कि हमने यहोवा की हुकूमत को कबूल किया है।

इस अंक में ये लेख भी हैं:

अपने बच्चों को चुनौतियों का सामना करने में मदद दीजिए 16

ज़िंदगी का हर दिन परमेश्‍वर की महिमा के लिए इस्तेमाल कीजिए 21

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