कलीसिया पुस्तक अध्ययन शैक्षिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है
कलीसिया पुस्तक अध्ययन यहोवा के संगठन के शैक्षिक कार्यक्रम में एक अनिवार्य भूमिका निभाता है। पुस्तक अध्ययन समूह सारे क्षेत्र में बिखेरे जाते हैं ताकि सभी को उपस्थित होने की सुविधा हो। उनके अपने पड़ोस में एक अध्ययन स्थित होने के कारण, दिलचस्पी दिखानेवाले जन उपस्थित होने का निमंत्रण शायद अधिक तत्परता से स्वीकार करें।
२ हर समूह को आकार में छोटा रखने का प्रयास किया जाता है। यह संचालक को प्रत्येक जन को व्यक्तिगत सहायता देने का मौक़ा देता है। सब लोग एक ही गति से नहीं सीखते हैं। यदि किसी को पहले से पाठ का अध्ययन करने के बाद भी कोई मुद्दा समझने में दिक्कत होती है, तो संचालक अध्ययन के पश्चात् उस पर आगे चर्चा कर सकता है। इसके अतिरिक्त, छोटे समूह में टिप्पणी देने और शास्त्रवचन पढ़ने में हिस्सा लेने के लिए अधिक अवसर होते हैं। नियमित रूप से टिप्पणी देने के द्वारा क्या आप परिचर्चा में योग देते हैं? क्या आप अपने शब्दों में जवाब देने की कोशिश करते हैं? भाग लेने में आपकी तत्परता आपके और दूसरों के लिए लाभदायक हो सकती है। जब आप तैयारी करते हैं, तो पाठ में दिए कुछ मुद्दों को व्यक्तिगत रूप से आप कैसे लागू कर सकते हैं यह पहचानने के लिए अपनी ज्ञानेन्द्रियों को इस्तेमाल कीजिए।—इब्रा. ५:१४.
३ पुस्तक अध्ययन संचालक द्वारा इस्तेमाल किए गए सिखाने के तरीक़ों को देखने से आप सीख सकते हैं कि गृह बाइबल अध्ययन को अधिक रुचिकर और शिक्षाप्रद ढंग से कैसे संचालित करना है। एक योग्य भाई द्वारा अनुच्छेदों के पढ़े जाने के पश्चात्, सवालों पर चर्चा की जाती है। अध्ययन संचालक सभों को बराबर आवाज़ में बोलने के लिए प्रोत्साहित करता है। जैसे समय अनुमति देता है, वह उल्लिखित शास्त्रवचनों पर टिप्पणियाँ करवाने का प्रयत्न करता है ताकि हम समझ सकें कि वह किस तरह लागू होते हैं। (नहेमायाह ८:८ से तुलना कीजिए।) कभी-कभी स्पष्टीकरण के लिए वह अपनी संक्षिप्त टिप्पणी जोड़ सकता है या एक मुख्य मुद्दे को स्पष्ट करने के लिए सहयोगी सवालों को इस्तेमाल कर सकता है। एक उदाहरण या एक दृष्टान्त हमें यह देखने में सहायता कर सकता है कि यह जानकारी कैसे हमारे जीवन से सम्बद्ध है।
४ कुछ कलीसिया पुस्तक अध्ययनों की सभा उपस्थिति काफ़ी कम है। क्या आप नियमित रूप से उपस्थित होते हैं? यदि नहीं, तो आप एक महत्त्वपूर्ण प्रबन्ध को चूक रहे हैं। पुस्तक अध्ययन प्रबन्ध उन तरीक़ों में से एक है जिसके द्वारा परमेश्वर हमारे प्रति अपना ध्यान प्रदर्शित करता है। (१ पत. ५:७) वह चाहता है कि हम ज्ञान और बुद्धि में प्रगति करें ताकि हम आध्यात्मिक रूप से मज़बूत हो जाएँ। दूसरी तरफ़, शैतान हमारी आध्यात्मिक वृद्धि को धीमा करना और हमें कमज़ोर बनाना चाहेगा ताकि हम यहोवा और उसके संगठन के लिए कम उपयोगी हों। ऐसा मत होने दीजिए! इस आत्मीय समूह के स्नेही, प्रेममय वातावरण को आपके हृदय को छूने और यहोवा की स्तुति जारी रखने के लिए आपको प्रेरित करने दीजिए।—भजन १११:१ से तुलना कीजिए.
५ प्रकाशकों की सुविधा के लिए अधिकांश पुस्तक अध्ययन स्थलों पर सेवा की सभाओं का प्रबन्ध होता है। ये सप्ताह-मध्य, साप्ताहांत, या संध्या गवाही कार्य के लिए हो सकती हैं। पुस्तक अध्ययन संचालक निश्चित करता है कि पर्याप्त क्षेत्र उपलब्ध है और कि क्षेत्र में अगुवाई लेने के लिए कोई उपस्थित होगा। क्षेत्र सेवा की सभाएँ १०-१५ मिनट से अधिक नहीं होनी चाहिए। संचालक दैनिक पाठ पर संक्षिप्त में विचार कर सकता है यदि वह हमारे प्रचार कार्य से सम्बद्ध है, और एक या दो विशिष्ट क्षेत्र सेवा सुझाव प्रस्तुत कर सकता है या वर्तमान भेंट का एक संक्षिप्त प्रदर्शन पेश कर सकता है।
६ समय के साथ-साथ संचालक उपयुक्त प्रोत्साहन और प्रशिक्षण देते हुए, अपने समूह के प्रत्येक व्यक्ति के साथ स्वयं काम करने का प्रयास करता है।—मरकुस ३:१४; लूका ८:१ से तुलना कीजिए.