अप्रैल के लिए सेवा सभाएँ
अप्रैल ७ से आरंभ होनेवाला सप्ताह
गीत १००
१२ मि:स्थानीय घोषणाएँ। हमारी राज्य सेवकाई से चुनी हुई घोषणाएँ और साहित्य भेंट। सामयिक पत्रिकाओं से बातचीत के मुद्दे बताइए।
१५ मि:“बहुतेरों को मिलाया जा रहा है।” सवाल और जवाब। अगस्त १५, १९९३, प्रहरीदुर्ग, (अंग्रेज़ी), पृष्ठ १२-१७ में दिए गए मुख्य सुझावों पर पुनर्विचार कीजिए।
१८ मि:“भोले लोगों को समझ प्राप्त करने में मदद करना।” सवाल और जवाब। माँग ब्रोशर की विशेषताओं पर पुनर्विचार कीजिए: सरलीकृत अध्ययन तरीक़ा, समयोचित सवाल, आकर्षक चित्र, शास्त्र के ढेर सारे हवाले। ऐसे अध्ययन शुरू करने के लक्ष्य पर ज़ोर दीजिए जो अंततः ज्ञान पुस्तक की ओर ले जाते हैं। अनुच्छेद ४ में दी गयी प्रस्तावना का प्रयोग करते हुए एक योग्य प्रकाशक द्वारा यह प्रदर्शित करवाइए कि अध्ययन कैसे शुरू किया जाता है। कलीसिया के सभी माता-पिताओं को अपने छोटे बच्चों के साथ इस ब्रोशर का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित कीजिए।
गीत १३० और समाप्ति प्रार्थना।
अप्रैल १४ से आरंभ होनेवाला सप्ताह
गीत १०७
१० मि:स्थानीय घोषणाएँ। लेखा रिपोर्ट। जैसे समय अनुमति दे, संक्षिप्त में अभिदान देने, या माँग ब्रोशर वितरित करने, अथवा इसका प्रयोग करते हुए बाइबल अध्ययन शुरू करने के बारे में स्थानीय क्षेत्र में हुए अनुभव बताइए।
१५ मि:“विद्यार्थियों को हमारे नाम के पीछे के संगठन की ओर निर्दिष्ट करना।” (अनुच्छेद १-६) सवाल और जवाब। अनुच्छेद ५-६ और उद्धृत शास्त्रवचन पढ़िए। यहोवा के साक्षी—नाम के पीछे का संगठन वीडियो देखने के बाद बाइबल विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया के बारे में स्थानीय अनुभव बताइए।
२० मि:“दूसरों को परमेश्वर की माँगें सिखाइए।” अनुच्छेद १-४ पर श्रोतागण के साथ चर्चा। चार भिन्न-भिन्न सॆटिंग का प्रयोग करते हुए अनुच्छेद ५ की प्रस्तुति करवाइए—सड़क पर, घर पर, व्यवसायिक स्थल पर, और एक उद्यान में। सभी को उसी शाम राज्यगृह छोड़कर जाने से पहले क्षेत्र सेवा के लिए ब्रोशर और पत्रिकाएँ ले जाने के लिए याद दिलाइए।
गीत १२६ और समाप्ति प्रार्थना।
अप्रैल २१ से आरंभ होनेवाला सप्ताह
गीत ११३
१५ मि:स्थानीय घोषणाएँ। समझाइए कि मई में सहयोगी पायनियर-कार्य का आवेदन देने के लिए अभी भी बहुत देरी नहीं हुई है। प्रश्न बक्स का पुनर्विचार कीजिए, और राज्यगृह के पुस्तकालय को पूरा करने के लिए जिन फ़लाना पुस्तकों की ज़रूरत है, उनके बारे में कलीसिया को बताइए।
१५ मि:“विद्यार्थियों को हमारे नाम के पीछे के संगठन की ओर निर्दिष्ट करना।” (अनुच्छेद ७-१४) सवाल और जवाब। एक योग्य शिक्षक द्वारा प्रदर्शित करवाइए कि सभाओं में उपस्थित होने की ज़रूरत के बारे में एक विद्यार्थी के साथ कृपापूर्ण निष्कपट चर्चा कैसे करनी चाहिए।
१५ मि:हमारे साहित्य का पूरा-पूरा इस्तेमाल करना। एक प्राचीन द्वारा भाषण। (जनवरी १९९६, हमारी राज्य सेवकाई, पृष्ठ ३-५ देखिए।) रिपोर्टें दिखाती हैं कि कलीसियाएँ अकसर हर महीने जितनी पत्रिकाएँ वे वास्तव में वितरित करती हैं उससे ज़्यादा मँगाती हैं। ५० प्रतिशत तक की तो वितरण के तौर पर रिपोर्ट ही नहीं की जाती। (दिखाइए कि स्थानीय रूप से आँकड़े क्या दिखाते हैं।) इन पत्रिकाओं का क्या होता है? अनेक पत्रिकाएँ शेल्फ़ पर जम जाती हैं या फेंक दी जाती हैं। ऐसा करने से कैसे बचा जा सकता है? हरेक प्रकाशक को अपनी ज़रूरतों को ध्यानपूर्वक आँकना चाहिए और उतना ही ऑर्डर करना चाहिए जितना वह वितरित कर सकता है। जिन सभी लोगों के संपर्क में हम आते हैं, उन सभी को पत्रिकाएँ पेश करने की आदत बनाइए। पुराने अंकों को यूँ ही बरबाद होने मत दीजिए। नियमित रूप से पत्रिका सेवा में हिस्सा लीजिए।
गीत १२८ और समाप्ति प्रार्थना।
अप्रैल २८ से आरंभ होनेवाला सप्ताह
गीत १२१
१५ मि:स्थानीय घोषणाएँ। अप्रैल के लिए अपनी क्षेत्र सेवा रिपोर्ट डालने के लिए सभी को याद दिलाइए। उन लोगों के नाम की घोषणा कीजिए जो मई में सहयोगी पायनियर-कार्य करेंगे। क्षेत्र सेवा की सभाओं के लिए किए जा रहे अतिरिक्त प्रबंधों की रूपरेखा दीजिए। महीने के हरेक छुट्टीवाले दिन को पूरे दिन की क्षेत्र सेवा का प्रबंध किया जा सकता है। मई के दौरान वितरित किए गए ब्रोशरों पर अध्ययन शुरू करने के लक्ष्य से पुनःभेंट करने का ख़ास प्रयास किया जाना चाहिए। संक्षिप्त में ऐसे तरीक़े सुझाइए जिनसे हम व्यवहार-कुशलता से उन लोगों का नाम-पता पूछ सकते हैं जिनको हम अनौपचारिक रूप से साक्षी देते हैं। आप पहले अपना नाम-पता दे सकते हैं और फिर पूछिए कि क्या उनका कोई फ़ोन नंबर है जहाँ उनसे संपर्क किया जा सकता है। श्रोतागण को अन्य सुझावों को पेश करने के लिए आमंत्रित कीजिए जो उनके लिए कारगर रहे हैं।
१५ मि:“वे ऐसा क्यों करते हैं?” एक प्राचीन दो या तीन नियमित पायनियरों के साथ लेख की चर्चा करता है। (यदि उपलब्ध नहीं हैं, तो ऐसों को लीजिए जो अकसर सहयोगी पायनियर के तौर पर नाम लिखवाते हैं।) जनवरी १५, १९९४, प्रहरीदुर्ग, (अंग्रेज़ी) के लेख “पायनियर आशिष देते और प्राप्त करते हैं” के मुख्य मुद्दों को शामिल कीजिए। हरेक को यह समझाने के लिए कहिए कि उसने पायनियर सेवा क्यों शुरू की। उनसे अनुभव बताने के लिए कहिए जो दिखाते हैं कि कैसे ऐसा करने से उनको आशिष मिली है।
१५ मि:स्थानीय ज़रूरतें। प्राचीन दिए गए इस समय को अमुक स्थानीय ज़रूरतों पर जानकारी पेश करने के लिए शायद इस्तेमाल करें।
गीत १२९ और समाप्ति प्रार्थना।