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  • हमें बार-बार जाना चाहिए
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हमारी राज-सेवा—1998
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हमें बार-बार जाना चाहिए

जब पहली बार आपसे किसी ने सुसमाचार के बारे में बात की थी तो क्या आपने उसकी सुनी थी? अगर नहीं, तो आप ज़रूर इस बात का एहसान मानते होंगे कि यहोवा के साक्षी बार-बार आपके पास आते रहे, जब तक कि आप बाइबल स्टडी के लिए राज़ी नहीं हो गए। अगर इसी बात को आप भी मन में रखें तो अच्छा होगा खासकर तब, जब आपको अपने क्षेत्र में बार-बार काम करना पड़ता है।

२ लोगों की ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। वे नई-नई समस्याओं या नए-नए हालात का सामना करते हैं, वे दुनिया में या समाज में हलचल मचानेवाली घटनाओं के बारे में सुनते हैं, वे पैसे की तंगी से गुज़रते हैं या उनके परिवार में कोई बीमार हो जाता है या किसी की मौत हो जाती है। शायद इन मुसीबतों को देखकर, वे जानना चाहें कि इन सबकी वज़ह क्या है। हमें यह समझना चाहिए कि लोगों के दिलों पर क्या बीत रही है और फिर उसी के हिसाब से उनको तसल्ली देनेवाला संदेश सुनाना चाहिए।

३ यह जान बचाने का काम है: विपत्तिग्रस्त इलाकों में काम करनेवाले राहत कर्मचारियों की एक मिसाल लीजिए। शायद वे ऐसी जगह में ज़िंदा बचे लोगों को ढूँढ़ रहे हों जहाँ मुश्‍किल से ही कोई मिल रहा है। मगर वे यह देखकर हिम्मत नहीं हारते की उन्हें कोई नहीं मिल रहा जबकि कहीं और दूसरी जगहों में उनके साथी बहुत सारे ज़िंदा लोगों को निकाल पा रहे हैं। जान बचाने का हमारा यह काम अभी खत्म नहीं हुआ है। हर साल, लाखों ऐसे लोगों को ढूँढ़कर निकाला जा रहा है, जो “बड़े क्लेश” से बचना चाहते हैं।—प्रका. ७:९, १४.

४ “जो कोई प्रभु [यहोवा] का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।” (रोमि. १०:१३-१५) इन शब्दों से हमें इस बात का एहसास होना चाहिए कि प्रचार के काम में लगे रहना कितना ज़रूरी है। हमारे क्षेत्र में जब पहली बार प्रचार काम शुरू हुआ तब जो बच्चे थे अब वे भी इतने बड़े हो गए होंगे कि अपने भविष्य और ज़िंदगी के मकसद के बारे में गंभीरता से सोच सकें। हम नहीं जान सकते कि कब कौन हमारा संदेश स्वीकार कर ले। (सभो. ११:६) जो कभी विरोध करते थे, आज उन्हीं लोगों ने सच्चाई स्वीकार की है। लोगों के बारे में फैसला करना हमारा काम नहीं। हमारा काम है उन्हें सुसमाचार सुनने का मौका देते रहना और इस डूबती दुनिया से उनकी जान बचाना। जैसा कि पहले भी यीशु के चेलों ने किया था, हमें राज्य के संदेश में लोगों की दिलचस्पी जगाने के लिए उनके पास ‘लगातार जाते रहना’ चाहिए।—मत्ती १०:६, ७, NW.

५ यह यहोवा की दया ही है कि हमें अब भी प्रचार करने का मौका मिल रहा है। (२ पत. ३:९) जब हम लोगों को सुसमाचार सुनने का मौका बार-बार देते हैं तो हम परमेश्‍वर का प्यार दिखाते हैं और उसकी स्तुति और महिमा करते हैं।

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