पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग अक्टू. 1
“आज दुनिया में चारों तरफ बदचलनी बढ़ती जा रही है। ऐसे में, हम कैसे अपने आपको बेदाग रख सकते हैं? इस बारे में आप क्या सोचते हैं? [जवाब के लिए रुकिए, फिर नीतिवचन 22:3 पढ़िए। और पेज 12 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में कुछ कारगर सुझाव दिए गए हैं जिनसे बहुतों को फायदा पहुँचा है और इनसे आपको भी मदद मिल सकती है।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“बहुत-से लोग मानते हैं कि हमें सिरजा गया है। मगर कुछ लोग कहते हैं कि हमारा विकास हुआ है। इस बारे में आपकी क्या राय है? [जवाब के लिए रुकिए।] इस मामले में सही नतीजे पर पहुँचने के लिए गौर कीजिए, यहाँ क्या लिखा है। [अय्यूब 12:7,8 पढ़िए।] सजग होइए! का यह खास अंक बताता है कि कुदरत में पायी जानेवाली बुद्धि और बेजोड़ कारीगरी हमें क्या सिखाती है।”
प्रहरीदुर्ग नवं. 1
“आज बच्चों की परवरिश को लेकर विशेषज्ञ ढेरों सलाह देते हैं जो एक-दूसरे से बिलकुल मेल नहीं खाती। ऐसे में माता-पिता को भरोसेमंद सलाह कहाँ से मिल सकती है? [जवाब के लिए रुकिए, फिर भजन 32:8 पढ़िए।] यह पत्रिका, बच्चों की परवरिश के बारे में बाइबल से फायदेमंद हिदायतें देती है।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“हममें से ज़्यादातर लोग विश्वास करते हैं कि एक सिरजनहार है। लेकिन हम इस शिक्षा की पैरवी कैसे कर सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए, फिर इब्रानियों 3:4 पढ़िए। और पेज 26 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में कुछ सुझाव दिए गए हैं जिनकी मदद से हम दूसरों को समझा सकते हैं कि हम क्यों एक सिरजनहार पर विश्वास करते हैं।