योग्य लोगों को ढूँढ़िए
1. हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम प्रचार में हिस्सा लेने के सम्मान की कदर करते हैं?
यीशु ने अपनी सेवा के दौरान नेकदिल लोगों तक खुशखबरी पहुँचाने के लिए बहुत मेहनत की। (यशा. 61:1, 2) मसीह के बदले काम करनेवाले राजदूतों और उपराजदूतों के तौर पर आज हमें यह सम्मान मिला है कि हम अपने पूरे इलाके में योग्य लोगों को ढूँढ़ने के लिए उसी की तरह बिना थके काम करें।—मत्ती 10:11; 2 कुरिं. 5:20.
2. किस बात से पता चलता है कि पौलुस फेरबदल करने के लिए तैयार रहता था? और इसके क्या नतीजे निकले?
2 फेरबदल करने के लिए तैयार रहिए: प्रेषित पौलुस जब कहीं भी जाता था, तो वह सबसे पहले आराधनालयों में जाकर यहूदियों और यहूदी धर्म अपनानेवालों को प्रचार करता था। (प्रेषि. 14:1) फिलिप्पी में वह और सीलास प्रचार करने के लिए “यह सोचकर” एक जगह गए कि “वहाँ प्रार्थना करने की कोई जगह होगी।” वहाँ वे स्त्रियों के एक समूह को प्रचार करने लगे और उनमें से लुदिया नाम की एक स्त्री ने फौरन सच्चाई कबूल कर ली।—प्रेषि. 16:12-15.
3. घर-घर की सेवा के अलावा हम और किन तरीकों से प्रचार कर सकते हैं?
3 घर-घर के प्रचार के अलावा क्या आप भी बस या रेलवे स्टेशनों पर, पार्कों में, ऑफिस में, सड़कों पर, बिज़नेस इलाकों में और दुकानों में लोगों को प्रचार कर सकते हैं? आप उन लोगों को खत या टेलीफोन के ज़रिए गवाही दे सकते हैं, जो एक ही समुदाय के लोगों की कॉलोनी या कड़ी सुरक्षावाली इमारतों में रहते हैं। यह बहुत ज़रूरी है कि प्रचार के अलग-अलग तरीकों में हिस्सा लेते वक्त आप सावधानी और समझ से काम लें। अगर आप अपने इलाके के बदलते हालात पर ध्यान दें और उसके मुताबिक फेरबदल करें, तो “प्रभु की सेवा में व्यस्त रहने के लिए” आपके पास ‘हमेशा बहुत काम होगा।’—1 कुरिं. 15:58.
4. अगर हमारी मंडली का इलाका बहुत सीमित है, तो हम और किन तरीकों से प्रचार कर सकते हैं?
4 कई प्रचारक अपनी सेवा बढ़ाने के लिए किसी दूसरी मंडली में जाकर सेवा करते हैं। तो कुछ ने नयी भाषा सीखी है, ताकि वे अपने इलाके में रहनेवाले उन लोगों को प्रचार कर सकें जो दूसरे राज्यों से आए हैं।
5. हम जिस दौर में जी रहे हैं, उसकी तरफ हमारा नज़रिया कैसा होना चाहिए? और हमें क्या करने की ठान लेनी चाहिए?
5 हम सब को ध्यान रखने की ज़रूरत है कि हमारा इलाका यानी “खेत, दुनिया है।” (मत्ती 9:37; 13:38) इस दुष्ट व्यवस्था का अंत बहुत करीब है और इस बात को ध्यान में रखते हुए हममें से हरेक को अपने हालात, काबिलीयतों और मौके के मुताबिक अपनी सेवा बढ़ाने की ज़रूरत है। यहोवा हमें भरोसा देता है कि अगर हम राज के कामों को पहली जगह देंगे, तो वह सेवा बढ़ाने की हमारी कोशिशों पर ज़रूर आशीष देगा।—मत्ती 6:33; 28:20.