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  • आपकी खुशी की वजह क्या है?
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km 7/12 पेज 1

आपकी खुशी की वजह क्या है?

1. हर महीने के आखिर में हमारे पास खुशी की कौन-सी वजह होती है?

हर महीने के आखिर में सभी भाई-बहनों से कहा जाता है कि वे अपनी प्रचार रिपोर्ट डालें। अपनी रिपोर्ट डालते वक्‍त आपको किस बात से खुशी मिलती है? चाहे हम खास पायनियर हों जो महीने में 130 घंटे की रिपोर्ट देते हैं या फिर ऐसे प्रचारक हों जिन्हें महीने में कम-से-कम 15 मिनट की रिपोर्ट देने की मंज़ूरी मिली है, हम सभी को इस बात पर खुशी होनी चाहिए कि हमने यहोवा की सेवा तन-मन से की है।—भज. 100:2.

2. हमें यहोवा की सेवा में अपना भरसक क्यों करना चाहिए?

2 यहोवा पूरे विश्‍व का महाराजाधिराज है, इसलिए जब हम उसे कुछ देते हैं तो हमें अपना सबसे उत्तम देना चाहिए। (मला. 1:6) हम उससे प्यार करते हैं, तभी हमने अपनी ज़िंदगी उसकी मरज़ी पूरी करने के लिए समर्पित की। इसलिए हर दिन या हर महीने के आखिर में अगर हमें यकीन है कि हमने अपनी “पहली उपज” दी है, यानी जितना हमसे हो सका हमने अपना समय, काबिलीयत और ताकत उसकी सेवा में लगायी है, तो हममें से हरेक को खुशी मनानी चाहिए। (नीति. 3:9) लेकिन अगर हमारा ज़मीर हमें कचोटता है कि हम और अच्छा कर सकते थे, तो हमें गंभीरता से सोचना चाहिए कि हम कैसे खुद में सुधार ला सकते हैं।—रोमि. 2:15.

3. दूसरों के साथ अपनी तुलना करना क्यों बुद्धिमानी नहीं?

3 “किसी दूसरे की तुलना में नहीं”: अपनी तुलना दूसरों से करना बुद्धिमानी नहीं, क्योंकि हर किसी में अलग-अलग काबिलीयत होती है। न ही हमें अपनी आज की सेवा की तुलना बीते समय में की सेवा से करनी चाहिए, क्योंकि हालात बदलते हैं। हो सकता है आज हममें उतना दमखम न हो जितना पहले हुआ करता था। तुलना करने से अकसर हमारे अंदर होड़ की भावना पैदा हो जाती है या हम खुद को निकम्मा समझने लगते हैं। (गला. 5:26; 6:4) यीशु ने कभी एक इंसान की तुलना दूसरे से नहीं की। इसके बजाय, एक इंसान अपनी काबिलीयत के मुताबिक जो भी कर पाता था, यीशु उसके लिए उसकी सराहना करता था।—मर. 14:6-9.

4. यीशु ने तोड़ों की जो मिसाल दी, उससे हम कौन-सा सबक सीख सकते हैं?

4 यीशु ने तोड़ों की जो मिसाल दी थी, उसमें हर मज़दूर को “उसकी काबिलीयत के मुताबिक” तोड़े मिले। (मत्ती 25:15) बाद में जब मालिक ने आकर उनके काम का हिसाब माँगा, तो जिन्होंने अपनी काबिलीयत और हालात के मुताबिक मेहनत की थी, उन्हें शाबाशी मिली और वे अपने मालिक की खुशी में शामिल हुए। (मत्ती 25:21, 23) उसी तरह, जब हम राज के प्रचार काम में जी-जान से लगे रहते हैं, तो हम यकीन रख सकते हैं कि परमेश्‍वर हमें अपनी मंज़ूरी देगा और हमारे पास खुशी मनाने की वजह होगी।

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