प्रचार में अपना हुनर बढ़ाना—अच्छी तरह अध्ययन करने की आदत डालने में विद्यार्थी की मदद करना
यह क्यों ज़रूरी है: जिनके साथ हम बाइबल का अध्ययन करते हैं, वे विश्वास में मज़बूत तभी हो पाएँगे, जब वे बाइबल की सिर्फ बुनियादी शिक्षाएँ सीखने से ही संतुष्ट नहीं रहेंगे। (इब्रा. 5:12–6:1) अध्ययन करने में मेहनत लगती है। अध्ययन करते वक्त वे जो नयी बातें सीखते हैं, उसकी उन्हें उन बातों से तुलना करनी चाहिए जो वे पहले से जानते हैं। इसके अलावा, उन्हें इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि वे सीखी हुई बातों को अपनी ज़िंदगी में कैसे अमल में ला सकते हैं। (नीति. 2:1-6) अगर वे हमारी किताबें-पत्रिकाएँ इस्तेमाल करके खुद खोजबीन करना सीख जाएँ, तो जब दूसरे उनसे बाइबल से जुड़ा कोई सवाल पूछेंगे, तब वे उन्हें उसका सही जवाब दे पाएँगे। जब वे सीखी हुई बातों को अमल में लाने के लिए मेहनत करेंगे, तो वे आगे चलकर मसीही बनने के बाद अपनी ज़िंदगी में आनेवाली मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार हो पाएँगे।—लूका 6:47, 48.
महीने के दौरान इसे आज़माइए:
एक उपशीर्षक या अध्याय पर चर्चा करने के बाद अपने विद्यार्थी से कहिए कि वह कुछ वाक्यों में उन बातों का सार बताए जो उसने अभी सीखी हैं। अगर आप किसी के साथ बाइबल का अध्ययन नहीं कर रहे हैं, तो आप खुद बाइबल का एक ब्यौरा या प्रहरीदुर्ग पत्रिका से एक पैराग्राफ पढ़ने के बाद, कुछ वाक्यों में उसका सार बताने का अभ्यास कर सकते हैं। ऐसा करने से आप जो पढ़ते हैं, उसे समझने की काबिलीयत बढ़ा पाएँगे।