1
थियुफिलुस के नाम (1-4)
जिब्राईल, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के जन्म की भविष्यवाणी करता है (5-25)
जिब्राईल, यीशु के जन्म की भविष्यवाणी करता है (26-38)
मरियम, इलीशिबा से मिलने जाती है (39-45)
मरियम यहोवा का गुणगान करती है (46-56)
यूहन्ना का जन्म; उसका नाम रखा गया (57-66)
जकरयाह की भविष्यवाणी (67-80)
2
यीशु का जन्म (1-7)
स्वर्गदूत, चरवाहों को दिखायी दिए (8-20)
खतना और शुद्ध करना (21-24)
शिमोन, मसीह को देखता है (25-35)
हन्ना बच्चे के बारे में कुछ बताती है (36-38)
वे नासरत लौटते हैं (39, 40)
12 साल का यीशु मंदिर में (41-52)
3
यूहन्ना सेवा करना शुरू करता है (1, 2)
यूहन्ना बपतिस्मा लेने का प्रचार करता है (3-20)
यीशु का बपतिस्मा (21, 22)
यीशु मसीह की वंशावली (23-38)
4
शैतान ने यीशु को फुसलाने की कोशिश की (1-13)
यीशु ने गलील में प्रचार शुरू किया (14, 15)
नासरत में यीशु ठुकराया गया (16-30)
कफरनहूम के सभा-घर में (31-37)
शमौन की सास और बाकी लोगों को ठीक करता है (38-41)
जब यीशु एकांत में होता है तो भीड़ उसे ढूँढ़ लेती है (42-44)
5
चमत्कार से मछलियाँ पकड़ी गयीं; शुरूआती चेले (1-11)
कोढ़ी ठीक किया गया (12-16)
यीशु, लकवे के मारे हुए को ठीक करता है (17-26)
लेवी को बुलाता है (27-32)
उपवास के बारे में सवाल (33-39)
6
यीशु “सब्त के दिन का प्रभु” (1-5)
सूखे हाथवाला आदमी ठीक होता है (6-11)
12 प्रेषित (12-16)
यीशु सिखाता और चंगा करता है (17-19)
सुख और दुख की वजह (20-26)
दुश्मनों से प्यार करना (27-36)
दोष लगाना बंद करो (37-42)
पेड़ अपने फल से जाना जाता है (43-45)
पक्की नींव पर बना घर; बिना नींववाला घर (46-49)
7
सेना-अफसर का विश्वास (1-10)
नाईन में यीशु एक विधवा के बेटे को ज़िंदा करता है (11-17)
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की तारीफ (18-30)
ढीठ पीढ़ी को धिक्कारा गया (31-35)
एक पापिन को माफ किया गया (36-50)
8
यीशु के साथ-साथ जानेवाली औरतें (1-3)
बीज बोनेवाले की मिसाल (4-8)
यीशु ने मिसालें क्यों दीं (9, 10)
बीज बोनेवाले की मिसाल का मतलब समझाया (11-15)
दीपक ढककर नहीं रखा जाता (16-18)
यीशु की माँ और उसके भाई (19-21)
यीशु तूफान शांत करता है (22-25)
यीशु दुष्ट स्वर्गदूतों को सूअरों में भेजता है (26-39)
याइर की बेटी; एक औरत यीशु का कपड़ा छूती है (40-56)
9
12 चेलों को प्रचार की हिदायतें (1-6)
हेरोदेस, यीशु के बारे में सुनकर उलझन में (7-9)
यीशु ने 5,000 को खिलाया (10-17)
पतरस बताता है कि यीशु ही मसीह है (18-20)
यीशु की मौत की भविष्यवाणी (21, 22)
सच्चा चेला कौन है (23-27)
यीशु का रूप बदला (28-36)
दुष्ट स्वर्गदूत के कब्ज़े में पड़ा लड़का ठीक हुआ (37-43क)
यीशु एक बार फिर अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है (43ख-45)
चेले बहस करते हैं कि कौन बड़ा है (46-48)
जो हमारे खिलाफ नहीं, वह हमारे साथ है (49, 50)
सामरियों का एक गाँव यीशु को ठुकरा देता है (51-56)
यीशु का चेला बनने के लिए क्या करें (57-62)
10
यीशु 70 चेलों को भेजता है (1-12)
पश्चाताप न करनेवाले शहरों को धिक्कारता है (13-16)
70 चेले लौटते हैं (17-20)
पिता की तारीफ की जिसने नम्र लोगों पर कृपा की (21-24)
दयालु सामरी की मिसाल (25-37)
यीशु, मरियम और मारथा के घर पर (38-42)
11
प्रार्थना कैसे करें (1-13)
पवित्र शक्ति से दुष्ट स्वर्गदूतों को निकाला (14-23)
दुष्ट स्वर्गदूत लौटता है (24-26)
सच्चा सुख (27, 28)
योना का चिन्ह (29-32)
शरीर का दीपक (33-36)
कपटी धर्म गुरुओं को धिक्कारा (37-54)
12
फरीसियों का खमीर (1-3)
परमेश्वर से डरो, इंसान से नहीं (4-7)
मसीह को स्वीकार करनेवाला (8-12)
मूर्ख अमीर आदमी की मिसाल (13-21)
चिंता करना छोड़ दो (22-34)
जागते रहना (35-40)
विश्वासयोग्य और विश्वासघाती प्रबंधक (41-48)
शांति नहीं, फूट डालने (49-53)
खास वक्त का मतलब समझना (54-56)
झगड़े निपटाना (57-59)
13
पश्चाताप करो वरना नाश हो जाओगे (1-5)
अंजीर के बाँझ पेड़ की मिसाल (6-9)
सब्त के दिन कुबड़ी औरत को चंगा किया (10-17)
राई के दाने और खमीर की मिसाल (18-21)
सँकरे दरवाज़े से जाने के लिए संघर्ष ज़रूरी (22-30)
“उस लोमड़ी” हेरोदेस से (31-33)
यरूशलेम के लिए यीशु का दुख (34, 35)
14
जलोदर का रोगी सब्त के दिन ठीक किया गया (1-6)
खुद को छोटा समझनेवाला मेहमान बनो (7-11)
उन्हें न्यौता दो जो बदले में कुछ नहीं दे सकते (12-14)
उन मेहमानों की मिसाल जो बहाना बनाते हैं (15-24)
चेला बनने की कीमत (25-33)
नमक जो स्वाद खो दे (34, 35)
15
खोयी हुई भेड़ की मिसाल (1-7)
खोए हुए सिक्के की मिसाल (8-10)
खोए हुए बेटे की मिसाल (11-32)
16
होशियार प्रबंधक की मिसाल (1-13)
कानून और परमेश्वर का राज (14-18)
अमीर आदमी और लाज़र की मिसाल (19-31)
17
18
हार न माननेवाली विधवा की मिसाल (1-8)
फरीसी और कर-वसूलनेवाला (9-14)
यीशु और बच्चे (15-17)
एक अमीर अधिकारी का सवाल (18-30)
यीशु एक बार फिर अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है (31-34)
अंधे भिखारी की आँखें ठीक हो गयीं (35-43)
19
यीशु, जक्कई के घर गया (1-10)
दस मीना चाँदी की मिसाल (11-27)
यीशु राजा की हैसियत से दाखिल होता है (28-40)
यीशु, यरूशलेम के लिए रोया (41-44)
यीशु ने मंदिर को शुद्ध किया (45-48)
20
यीशु के अधिकार पर सवाल उठाया गया (1-8)
खून करनेवाले बागबानों की मिसाल (9-19)
परमेश्वर और सम्राट (20-26)
मरे हुओं के ज़िंदा होने के बारे में सवाल (27-40)
मसीह, दाविद का सिर्फ एक वंशज? (41-44)
शास्त्रियों के बारे में चेतावनी (45-47)
21
ज़रूरतमंद विधवा के दो पैसे (1-4)
आगे होनेवाली घटनाओं की निशानी (5-36)
युद्ध, बड़े भूकंप, महामारी, अकाल (10, 11)
यरूशलेम, फौज से घिरा हुआ (20)
राष्ट्रों के लिए तय किया गया वक्त (24)
इंसान के बेटे का आना (27)
अंजीर के पेड़ की मिसाल (29-33)
आँखों में नींद न आने दो (34-36)
यीशु मंदिर में सिखाता है (37, 38)
22
याजक, यीशु को मारने की साज़िश करते हैं (1-6)
आखिरी फसह की तैयारी (7-13)
प्रभु के संध्या-भोज की शुरूआत (14-20)
“मुझसे गद्दारी करनेवाले का हाथ मेरे साथ मेज़ पर है” (21-23)
गरमा-गरम बहस कि किसे बड़ा समझा जाए (24-27)
यीशु ने किया राज का करार (28-30)
उसने कहा कि पतरस उसका इनकार करेगा (31-34)
तैयार रहने की ज़रूरत; दो तलवारें (35-38)
जैतून पहाड़ पर यीशु की प्रार्थना (39-46)
यीशु की गिरफ्तारी (47-53)
पतरस उसे जानने से इनकार करता है (54-62)
यीशु की खिल्ली उड़ायी गयी (63-65)
महासभा के सामने मुकदमा (66-71)
23
यीशु, पीलातुस और हेरोदेस के सामने (1-25)
यीशु और दो अपराधियों को काठ पर लटका दिया गया (26-43)
यीशु की मौत (44-49)
यीशु को दफनाया गया (50-56)
24
यीशु ज़िंदा हो गया (1-12)
इम्माऊस के रास्ते पर (13-35)
यीशु चेलों के सामने प्रकट हुआ (36-49)
यीशु स्वर्ग चला गया (50-53)