1
2
यीशु सुलह करानेवाला बलिदान है (1, 2)
उसकी आज्ञाएँ मानना (3-11)
चिट्ठी लिखने की वजह (12-14)
दुनिया से प्यार मत करो (15-17)
मसीह के विरोधी के बारे में चेतावनी (18-29)
3
हम परमेश्वर के बच्चे हैं (1-3)
परमेश्वर के बच्चे; शैतान के बच्चे (4-12)
एक-दूसरे से प्यार करो (13-18)
परमेश्वर हमारे दिलों से बड़ा है (19-24)
4
5
विश्वास से दुनिया पर जीत हासिल (1-12)
प्रार्थना की ताकत पर भरोसा (13-17)
दुष्ट दुनिया में सँभलकर रहो (18-21)