बड़ा व्यवसाय और आप
व्यवसाय मनुष्य का एक क्रिया है, और मनुष्यों से भारी गलतियाँ हो सकती हैं। इस लिए, बड़े व्यवसाय भी, अक्सर भारी नैतिक गलतियाँ करते हैं। बड़े व्यवसाय में भारी रकम शामिल है, इसलिए वह अनिवार्य रीति से लालच और शक्ति के लिए भूखे लोगों को आकर्षित कर सकता है। और इस संसार का अंगभूत भाग होने का कारण वह स्वाभाविक रीति से इस संसार के ईश्वर के विचार को प्रगट करेगा। याद रखिए, “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।”—१ यूहन्ना ५:१९.
फिर भी, जो गलत कार्य करते हैं वही जिम्मेदार ठहरते हैं। जो कोई भी भारी वितीय ताकत से लाभ उठा कर साधारण व्यक्ति को धोखा देना चाहता है उसे यह चेतावनी याद रखनी चाहिए: “जो कंगाल पर अंधेर करता है, वह उसके कर्ता की निन्दा करता है।” (नीतिवचन १४:३१) अगर, उनके कामों के नतीजे सिर्फ दूर देश में दिखाई पड़ते हैं जो व्यक्तिगत रूप से शायद उन्हें कभी नहीं दिखाई देते, बाइबल का यह सिद्धान्त सच ठहरता है: “जो अपने लाभ के निमित्त कंगाल पर अंधेर करता है . . . वह केवल हानि ही उठाता है।” (नीतिवचन २२:१६) ऐसा अत्याचार से प्राप्त होने वाला किसी भी प्रकार का धन, ऐसे अपराधियों को परमेश्वर के अन्तिम न्याय दंड से बचा नहीं सकेगा।
यह विशेष करके हथियार उत्पादक और विक्रेता के लिए सच है। यह सच है, कि वे वास्तव में बन्दूक का घोड़ा नहीं दबाते, या बम नहीं फेंकते जिस से मासूम लोग मारे जाते है। परन्तु हथियारों को उपलब्ध करने से वे इस दोष के भागीदार होते हैं। सच्चाई यह है कि ऐसा आधुनिक संघर्ष बड़े व्यवसाय के सहयोग के बिना असम्भव है। क्योंकि सब व्यवसायों ने सहयोग दिया है, पूरी पृथ्वी प्राचीन इस्राएल के देश की तरह “खून से अपवित्र” हो चुकी है। (भजन संहिता १०६:३८) अन्त में, जैसा उन दिनों में भी हुआ था, यहोवा अपराधियों का न्याय करेंगे: “तू उनको जो झूठ बोलते हैं नाश करेगा; यहोवा तो हत्यारे और छली मनुष्य से घृणा करता है।”—भजन संहिता ५:६.
परन्तु एक व्यक्ति क्या कर सकता है? क्या व्यवसाय से सब सम्पर्क तोड़ देने चाहिए? ज़रूरी नहीं है। बाइबल में व्यवसाय को बुरा नहीं कहा गया है। (नीतिवचन ३१:१८; मत्ती २५:१४-२७) फिर भी, व्यवसाय कैसे चलाया जाता है, महत्त्वपूर्ण है। बाइबल का नीतिवचन, यह चेतावनी देती है, “लालची अपने घराने को दुःख देता है।” और नैतिक खतरे उन लोगों की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिनका जीवन में खास लक्ष्य सिर्फ बनना है, जो स्पष्ट रूप से इस कथन में प्रगट होता है: “सच्चे मनुष्य पर बहुत आशीर्वाद होते रहते हैं, परन्तु जो धनी होने में उतावली करता है, वह निदोर्ष नहीं ठहरता।”—नीतिवचन १५:२७; २८:२०.
एक ईमानदार व्यापारी को लालच से प्रेरित नहीं होना चाहिए, और उसे कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो दूसरों को लालची बनने के लिए प्रेरित करे। (इफिसियों ५:३) वह कभी भी अपने पैसे किसी हानिकारक काम में नहीं लगाएगा। एक मसीही प्रार्थना करता है: “हे परमेश्वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर, मुझे हत्या के अपराध से छुड़ा ले, तब मैं तेरे धर्म का जय जयकार करने पाऊँगा।” (भजन सहिंता ५१:१४) इसलिए, वह कैसे जानबूझकर अपने पैसे को हथियार बनाने, तम्बाकू या कोई भी ऐसी वस्तु जिससे दूसरों की मृत्यु या कोई बीमारी हो सकती है, उपयोग में लाएगा? ऐसा करने से उस पर हत्या का दोष आएगा।
इसके अलावा कुछ और भी जानने की आवश्यकता है। प्रेरित यूहन्ना ने कहा है: “जो कुछ संसार मैं है अर्थात शरीर की अभिलाषा, आखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है।” (१ यूहन्ना २:१६) “शरीर की अभिलाषा,” “आँखों की अभिलाषा” “जीविका का घमण्ड” यही वह सब चीज़ें है जिसकी कठोर खोज के लिए बड़ा व्यवसाय उत्तेजित करता है ताकि लाभ मिले। संतुलित व्यक्ति ऐसे चतुर विज्ञापन अभियानों का शिकार होने से या दूसरे दबावी तरीके से बचने की कोशिश करेगा जो इस ढंग से बनाए जाते हैं, कि एक व्यक्ति मेहनत से कमाए हुए पैसे को बेकार की चीज़ें खरीदने पर लागाए जो अचानक फैशन में आ गई है।
इस प्रकार से, हम किसी हद तक बड़ी निगम के धोखे में आने से, और उन गलतियों का अनुकरण करने से जो उनके नाम से की जाती हैं, बच सकते हैं। निश्चय ही, व्यक्तिगत रूप से हम उन भारी नैतिक और कानूनी अपराधों को, जो बड़े व्यवसायों के द्वारा किए जाते हैं, ठीक करने में कुछ भी नहीं कर सकते हैं। राजनैतिक भ्रष्टाचार की समस्या, सड़कों पर अपराध, विश्व भुख-मरी, युद्ध की धमकी और संसार की दूसरी समस्याएँ, अधिकतर हमारे व्यक्तिगत वश के बाहर हैं।
तथापि, इसमें हम बिना आशा के नहीं हैं। परमेश्वर ने यह प्रतिज्ञा की है कि वह इस वर्तमान स्थिति को बहुत जल्दी हटा कर उसकी जगह अपने राज्य के द्वारा नया रीति-रिवाज लाएँगे। प्रेरित पतरस ने इसके बारे में इस तरह कहा है: “उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धर्मिकता बास करेगी।” (२ पतरस ३:१३) उस धार्मिक रीति-रिवाज में, ऐसे अनैतिक बड़े व्यवसायों या दूसरे किसी भी प्रकार के अपराधी के लिए कोई जगह नहीं होगी।
“वह बहुत देशों के लोगों का न्याय करेगा, और दूर दूर तक की सामर्थी जातियों के झगड़ों को मिटाएगा; सो वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल, और अपने भालों से हंसिया बनाएँगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध तलवार फिर न चलाएगी; और लोग आगे युद्ध विद्या न सिखेंगे। परन्तु वे अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेंगे, और कोई उनको न डराएगा; सेनाओं के यहोवा ने यही वचन दिया है।”—मीका ४:३, ४.
[पेज 19 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
यहोवा तो हत्यारे और छली मनुष्य से घृणा करता है।”—भजन संहिता ५:६.