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भिन्‍नताएँ जो विभाजित करती हैं श्रंखला “क्या भिन्‍नताओं से हमें विभाजित होना अवश्‍य है?” के लिए हम आपका धन्यवाद करना चाहते हैं। (जुलाई ८, १९९६, अंग्रेज़ी) हम क़रीब एक साल से यहाँ मॆक्सिको में अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों के एक दल के भाग के रूप में काम कर रहे हैं। कई महीनों के बाद भी, हमें मेल बिठाने में कठिनाइयाँ होती रहीं, लेकिन हमें समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों है। इन लेखों ने हमें समस्या की पहचान करने में मदद दी कि यह संस्कृति-झटका है। हमने इस कथन को मन में बिठाया है कि “दूसरी संस्कृतियों को समझना हमारे जीवन को संपन्‍न बना सकता है” और हमें अपनी नियुक्‍ति में अधिक आनंद मिलने लगा है।

सी. एच. और जे. एच., मॆक्सिको

इस चित्ताकर्षक विषय को जिस ढंग से प्रस्तुत और विकसित किया गया था उससे मैं प्रभावित हुआ। भिन्‍नताओं ने सचमुच मानव इतिहास में बहुत घृणा उत्पन्‍न की है। अब से यह श्रंखला मुझे मदद देगी कि दूसरी संस्कृतियों को अधिक समझ के साथ देखूँ। काश संसार में हर कोई इन लेखों को पढ़ पाता और दूसरों के बारे में अपने नकारात्मक विचारों को बदल देता!

जी. ओ., नाइजीरिया

इन लेखों से मेरी आँखें छलक पड़ीं। मेरी एक सहेली है जिसके साथ ज़्यादातर समय मेरी अच्छी पटती है। लेकिन मुझे हमेशा यह महसूस हुआ है कि हमारे बीच एक अदृश्‍य बाधा है। अब मुझे समझ आया है कि हम बहुत-ही भिन्‍न संस्कृतियों से हैं। इस जानकारी से भविष्य में उसके साथ मेरे व्यवहार पर बड़ा फ़रक पड़ेगा।

ए. एफ़., अमरीका

मानवविज्ञान पर अपनी कॉलेज थीसिस के लिए शोध करते समय, मैंने एक अफ्रीकी देश में कई सप्ताह बिताए। मैं अनेक स्थानीय यहोवा के साक्षियों को जानने और उनकी सभाओं में उपस्थित होने में समर्थ हुई। वह एक रोमांचक अनुभव था! जैसा लेख ने कहा, दूसरी संस्कृतियों के लोगों के साथ जान-पहचान संपन्‍नकारी होती है। मैं नयी और अर्थपूर्ण मित्रता करने में समर्थ हुई।

एस. बी., इटली

यूएफ़ओ लेख “बाइबल का दृष्टिकोण: यूएफ़ओ—परमेश्‍वर के संदेशवाहक?” (जुलाई ८, १९९६, अंग्रेज़ी) के लिए आपका धन्यवाद। हमारे क्षेत्र में कुछ लोग अंतरिक्षवासियों के बारे में मिली ख़बरों को मानते हैं। यह सोचते हुए कि बाइबल इस विषय पर चर्चा नहीं करती, उन्हें बाइबल के बारे में शंकाएँ हैं। लेख ने हमें यह देखने में मदद दी कि शैतान और पिशाच लोगों को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं और कि अंतरिक्षवासियों के बारे में निराधार ख़बरों पर विश्‍वास करना बुद्धिमानी नहीं होगी।

ए. डब्ल्यू., ताइवान

ट्यूलिप्स “ट्यूलिप—फूल जिसका तूफ़ानी अतीत था” शीर्षक के सुंदर लेख के लिए आपका धन्यवाद। (जुलाई ८, १९९६, अंग्रेज़ी) ट्यूलिप्स के उद्‌गम और उसे उगाने के तरीक़े के बारे में दी गयी जानकारी मुझे अति रुचिकर लगी।

डी. जी., अमरीका

मौज-मस्ती करना मैं १२ साल की हूँ, और मैंने लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . दूसरे युवा ही सारी मौज-मस्ती क्यों करते हैं?” का बहुत आनंद लिया। (जुलाई २२, १९९६, अंग्रेज़ी) मैं यही प्रश्‍न किया करती थी। मेरे स्कूल में आप दावत, नृत्य, और अन्य गतिविधियों के लिए नाम लिखवा सकते हैं। कई बार मैंने जाना चाहा है। लेकिन इस लेख ने मुझे यह समझने में मदद दी कि जो चुनाव मैं करती हूँ उसके लिए मैं यहोवा के सामने ज़िम्मेदार हूँ। सो मैं अपने मसीही मित्रों के साथ ही संगति करूँगी।

ए. एस., अमरीका

कभी-कभी मुझे [बाइबल लेखक] आसाप की तरह महसूस हुआ है, जैसे आपने लेख में चर्चा की। इस लेख ने स्कूल का सामना करने के लिए ज़रूरी मेरी शक्‍ति को बढ़ाया है।

ए. एस., जापान

यह सच है कि कुछ युवा उपेक्षित या वंचित महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें दुनियावी दावतों में जाने की “अनुमति” नहीं दी जाती। लेकिन यहोवा के साक्षियों के सभी बच्चे ऐसा महसूस नहीं करते! व्यक्‍तिगत रूप से, दुनियावी दावतों में जो कुछ होता है उनमें से बहुत-सी बातें मुझे एकदम गंदी लगती हैं, और मेरे मसीही मित्र भी ऐसा महसूस करते हैं। हम—और निश्‍चय ही बहुत-से दूसरे भी—वंचित नहीं महसूस करते!

सी. एच., अमरीका

बदली प्राथमिकताएँ मैं आपको बताना चाहती हूँ कि मैं लेख “क्यों बदलीं उसने अपनी प्राथमिकताएँ” से कितनी प्रोत्साहित हुई। (जुलाई २२, १९९६) मुझे एक पूर्ण-समय सुसमाचारक के रूप में सेवा करते हुए १३ साल से अधिक हो गए हैं, और प्राथमिकताएँ रखना हमारे अधिकाधिक तनावपूर्ण बनते संसार में हमेशा आसान नहीं होता। हर साल, पूर्ण-समय सेवकाई में लगे रहना और भी चुनौतीपूर्ण होता जाता है। जब मैंने इस पर सोचा कि जॆरॆमी ने एक प्रकृति आरक्षित-क्षेत्र के अध्यक्ष के रूप में लाभप्रद पेशा छोड़ दिया ताकि एक पूर्ण-समय सेवक बन सके, तब मुझे आश्‍वासन मिला कि स्वयं अपने जीवन में सेवकाई को प्राथमिकता देना इस प्रयास के योग्य है।

एन. सी., अमरीका

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