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भाईचारे की प्रीति सक्रिय है

फिलेमोन को लिखी पत्री से विशिष्टताएँ

यीशु मसीह ने अपने शिष्यों को “एक नई आज्ञा” दी कि जैसा उसने उन से प्रेम रखा, वैसा ही वे भी एक दूसरे से प्रेम रखें। (यूहन्‍ना १३:३४, ३५) उस प्रेम की वजह से, वे एक दूसरे के लिए अपनी जान भी दे देते। जी हाँ, भाईचारे की प्रीति इस हद तक मज़बूत और सक्रिय है।

प्रेरित पौलुस को पूरा यक़ीन था कि फिलेमोन भाईचारे की प्रीति से प्रेरित होता। फिलेमोन एक मसीही था जो एशिया माइनर के एक नगर, कुलुस्से की मण्डली में संघटित होता था। प्रेम से प्रेरित होकर, फिलेमोन ने पहले ही अपना घर एक मसीही सभा स्थान के तौर से उपयोग होने के लिए खोल दिया था। फिलेमोन के ग़ुलाम, उनेसिमुस, संभवतः पैसे चुराकर भाग गया था। उन पैसों की मदद से उसने रोम तक सफ़र किया, जहाँ वह बाद में पौलुस से मिला और उसने मसीहियता अपना ली।

सामान्य युग के लगभग वर्ष ६०-६१ में, जब वह रोम में क़ैद था, पौलुस ने एक चिट्ठी लिखी जो मुख्यतः फिलेमोन के लिए थी। इस में फिलेमोन से निवेदन किया गया था वह लौटनेवाले उनेसिमुस का स्वागत भाईचारे की प्रीति की भावना से करे। इस पत्री को पढ़िए, और आप देखेंगे कि यह स्नेह और व्यवहार-कौशल की एक उत्तम मिसाल है—एक ऐसी मिसाल जिसका अनुकरण यहोवा के लोग भली-भाँति कर सकते हैं।

प्रेम और विश्‍वास दिखाने के कारण प्रशंसा

फिलेमोन और अन्यों को संबोधित करते हुए, पौलुस ने पहले उनकी प्रशंसा की। (आयत १-७) प्रेरित उस प्रेम के बारे में, जो फिलेमोन के मन में मसीह और सभी पवित्र लोगों के लिए था, और उसके विश्‍वास के बारे में सुनता आया था। इस से पौलुस यहोवा का शुक्रिया अदा करने के लिए प्रेरित हुआ और उसे उसके कारण बहुत आनन्द और सान्त्वना मिली। क्या हम व्यक्‍तिगत रूप से उन संगी विश्‍वासियों को सराहते हैं जो प्रेम और विश्‍वास में अनुकरणीय होते हैं? हमें ऐसा करना चाहिए।

जैसा कि पौलुस के शब्दों से दर्शाया गया है, जब हम संगी मसीहियों के साथ व्यवहार करते हैं, तब प्रेम के आधार पर प्रोत्साहन देना हमेशा ही वांछनीय होता है। (आयत ८-१४) उसके बातचीत को व्यवहार-कुशल रूप से छेड़ने के बाद, प्रेरित ने कहा कि हालाँकि वह फिलेमोन को “जो बात ठीक है” उसकी आज्ञा दे सकता था, फिर भी उसने उल्टा उसे प्रोत्साहित करने का मार्ग चुना। क्या करने के लिए? अजी, ग़ुलाम उनेसिमुस को एक कृपापूर्ण रीति से वापस लेने के लिए! पौलुस उनेसिमुस को नौकर के तौर पर रखकर उसकी उपयोगी सेवा जारी रखना ज़रूर चाहता, पर वह ऐसा फिलेमोन की सहमति के बिना नहीं करता।

प्रत्यक्ष रूप से बुरी परिस्थितियाँ अक़सर लाभकर सिद्ध होती हैं, जैसे पौलुस ने आगे सूचित किया। (आयत १५-२१) दरअसल, उनेसिमुस के भाग जाने का परिणाम अच्छा ही रहा था। क्यों? क्योंकि अब फिलेमोन एक अनैच्छिक, शायद बेईमान ग़ुलाम का नहीं बल्कि एक तत्पर, ईमानदार मसीही भाई का स्वागत कर सकता था। पौलुस ने फिलेमोन को उनेसिमुस का स्वागत इस तरह करने को कहा जिस तरह खुद पौलुस का स्वागत किया जाता। अगर उनेसिमुस ने फिलेमोन को किसी भी रीति से हानि पहुँचाई थी, तो प्रेरित क्षतिपूर्ति करता। इस आदेश का पालन करने में फिलेमोन को और भी अधिक सहर्ष बनाने के लिए, पौलुस ने उसे याद दिलाया कि फिलेमोन खुद प्रेरित का कर्ज़दार था, चूँकि उसने उसे एक मसीही बनने की मदद की थी। इसलिए, पौलुस को पूरा यक़ीन था कि फिलेमोन को जो कुछ कहा गया, वह उस से कहीं ज़्यादा करता। यह कितना व्यवहार-कुशल और प्रेमपूर्ण निवेदन था! निश्‍चय ही, इसी तरीक़े से हमें संगी मसीहियों के साथ बरताव करना चाहिए।

पौलुस ने अपनी पत्री को आशा, अभिवादन और शुभकामनाओं के साथ समाप्त किया। (आयत २२-२५) उसकी आशा यह थी कि उसके लिए की गयी दूसरों की प्रार्थनाओं के ज़रिए, वह जल्द ही क़ैद से रिहा किया जाता। (जैसा कि तीमुथियुस की दूसरी पत्री से दिखायी देता है, उन प्रार्थनाओं की सुन ली गयी।) अपनी चिट्ठी ख़त्म करते हुए, पौलुस ने अभिवादन भेजा और यह इच्छा व्यक्‍त की कि प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह फिलेमोन और उसके यहोवा के संगी उपासकों द्वारा दिखायी गयी आत्मा पर हो।

[पेज 11 पर बक्स/तसवीरें]

दास से भी उत्तम: फिलेमोन के फ़रार ग़ुलाम उनेसिमुस की वापसी के संबंध में, पौलुस ने कहा: “क्योंकि . . . वह तुझ से कुछ दिन तक के लिए इसी कारण अलग हुआ कि सदैव तेरे निकट रहे। परन्तु अब से दास की नाईं नहीं, बरन दास से भी उत्तम, अर्थात्‌, भाई के समान रहे, जो शरीर में और प्रभु में भी, विशेष कर मेरा प्रिय हो, परन्तु उस से भी ज़्यादा तुम्हारा प्रिय हो।” (फिलेमोन १५, १६, न्यू.व.) रोमी साम्राज्य में, ग़ुलामी साम्राज्यिक सरकार द्वारा लागू होती थी, और पौलुस ऐसे “प्रधान अधिकारियों” को मानता था। (रोमियों १३:१-७) उसने ग़ुलाम की बग़ावत का समर्थन नहीं किया, परन्तु उसने ऐसे व्यक्‍तियों को मसीहियों के रूप में आध्यात्मिक स्वतंत्रता प्राप्त करने की मदद की। सेवकों को अपने स्वामियों के अधीन रहने के बारे में उसी के उपदेश के अनुसार, पौलुस ने उनेसिमुस को फिलेमोन के पास वापस भेज दिया। (कुलुस्सियों ३:२२-२४; तीतुस २:९, १०) अब उनेसिमुस एक सांसारिक ग़ुलाम से उत्तम था। वह एक प्रिय संगी विश्‍वासी था, जो एक बेहतर ग़ुलाम के रूप में, ईश्‍वरीय स्तरों से नियंत्रित होकर और भाईचारे की प्रीति दर्शाते हुए, आपेक्षिक रूप से फिलेमोन के अधीन रहता।

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