एक गृह बाइबल अध्ययन संचालित करना
एक प्रभावकारी गृह बाइबल अध्ययन कैसे संचालित किया जाता है? कौन-सा बुनियादी उदाहरण हमारे पास है? अध्ययन विषय में दिए गए वचनों पर कैसे विचार किया जा सकता है? अनुच्छेदों को किसे पढ़ना चाहिए? एक अध्ययन संचालित करने की बुनियादी प्रक्रिया के अलावा, सच्चाई को अपना बनाने के लिए विद्यार्थी को और क्या ज़रूरी है? कौन-से फन्दों से दूर रहना चाहिए?
२ एक अध्ययन कैसे संचालित करें: सामान्य तौर पर, गृह बाइबल अध्ययन प्रहरीदुर्ग अध्ययन के नमूने के अनुसार किया जाता है। पहले, वह अनुच्छेद पढ़ा जाता है जिस पर विचार करना है। फिर अध्ययन संचालक उस अनुच्छेद पर छपा हुआ सवाल पूछता है और विद्यार्थी को जवाब देने का समय देता है। यदि विद्यार्थी हिचकिचाता है, तो संचालक को सूचक प्रश्न पूछने के लिए तैयार रहना चाहिए जो विद्यार्थी को विषय पर तर्क करने और उचित निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए प्रेरित करेंगे।
३ ध्यान दीजिए कि अनुच्छेद में दिए गए विषय पर वचन कैसे लागू होते हैं। विद्यार्थी को उद्धृत वचनों की पहचान करना दिखाइए, और वे कैसे लागू होते हैं इस पर उससे तर्क कीजिए। यदि वचन उल्लिखित हैं लेकिन उद्धृत नहीं किए गए हैं, तो बाइबल में उन्हें देखना उचित होगा, बशर्ते कि वे बहुत लम्बे न हों। फिर विद्यार्थी को उन्हें पढ़ने और उन पर टिप्पणी करने दीजिए कि वे अनुच्छेद में कही बात को कैसे समर्थन करते या स्पष्ट करते हैं।
४ सच्चाई को अपना बनाने के लिए विद्यार्थी की सहायता कीजिए: विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए अच्छी तरह तैयार करने के लिए प्रोत्साहित कीजिए। इस बात पर ज़ोर दीजिए कि सीखने के लिए पढ़ना ज़रूरी है। जितना अधिक अध्ययन विषय विद्यार्थी पढ़ता और उन पर मनन करता है, उतना ही अच्छा है। कुछ संचालक बाइबल अध्ययन के दौरान विद्यार्थी से सारे अनुच्छेद पढ़वाते हैं। अन्य जन विद्यार्थी के साथ बारी-बारी अनुच्छेद पढ़ते हैं। विद्यार्थी की आध्यात्मिक उन्नति को ध्यान में रखते हुए, समझदारी से काम लेना चाहिए।
५ व्यावहारिक प्रयोग बताए बिना, यदि अध्ययन के विषय को मात्र सैद्धान्तिक तरीक़े से बताया जाए तो यह शायद विद्यार्थी को ज्ञान लेने में सहायता करे, लेकिन क्या वह सीखी जा रही बातों पर विश्वास करता है? यदि उसे सच्चाई को अपना बनाना है, तो उसे यह समझना चाहिए कि विषय उस पर व्यक्तिगत तौर से कैसे असर करता है? वह जो सीख रहा है उसके बारे में वह कैसा महसूस करता है? कैसे वह सीखी हुई बातों को इस्तेमाल कर सकता है? विद्यार्थी के हृदय तक पहुँचने के लिए भेदक सवालों का प्रयोग कीजिए।
६ फन्दों से दूर रहिए: बाइबल अध्ययन करते वक्त कुछ फन्दे हैं जिनसे दूर रहना है। जब ऐसे विषय उठते हैं जो अध्ययन किए जा रहे विषय से सम्बन्धित नहीं हैं, तो अकसर यह उत्तम होता है कि अध्ययन की समाप्ति में या तो किसी और अवसर पर उनकी चर्चा की जाए। साथ ही, यह भी महत्त्वपूर्ण है कि विद्यार्थी पुस्तक से पढ़ने के बजाय अपने शब्दों में जवाब दे। यह आपको संचालक के तौर पर यह समझने में सहायता करेगा कि विद्यार्थी विषय को समझ रहा है या नहीं।
७ क्यों न कम से कम एक बाइबल अध्ययन संचालित करने का लक्ष्य रखें? यह एक कठिन कार्य नहीं है यदि आप यहोवा पर निर्भर रहें और प्रहरीदुर्ग की बुनियादी प्रक्रिया का अनुकरण करें। अन्य लोगों को सत्य सिखाने का और शिष्य बनाने का सबसे प्रभावकारी तरीक़ा है एक गृह बाइबल अध्ययन संचालित करना। ऐसा करने से, मत्ती २८:१९, २० में यीशु द्वारा दी गई आज्ञा को पूरा करने में पूर्ण हिस्सा लेने से उत्पन्न होने वाले आनन्द को आप भी अनुभव कर सकते हैं।