प्रचार काम से हमें धीरज धरने में मदद मिलती है
परमेश्वर का वचन हमें उकसाता है: “वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें।” (इब्रा. 12:1) जिस तरह एक दौड़ लगानेवाले को जीतने के लिए धीरज की ज़रूरत होती है, ठीक उसी तरह हमें भी हमेशा की ज़िंदगी का इनाम पाने के लिए धीरज धरना होगा। (इब्रा. 10:36) और अंत तक धीरज धरने में मसीही सेवा हमारी मदद करती है। (मत्ती 24:13) वह कैसे?
2 आध्यात्मिक मायने में मज़बूत: बाइबल वादा करती है कि बहुत जल्द धार्मिकता की एक नयी दुनिया आएगी। जब हम इस शानदार वादे का ऐलान करते हैं, तो हमारी अपनी आशा उज्ज्वल बनी रहती है। (1 थिस्स. 5:8) बिना नागा प्रचार में जाने से, हमें उन सच्चाइयों के बारे में दूसरों को बताने का मौका मिलता है जो हमने बाइबल से सीखी हैं। साथ ही, हमें अपने विश्वास के पक्ष में बोलने का भी मौका मिलता है और इससे हम आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत होते हैं।
3 इससे पहले कि हम दूसरों को कुशलता से सिखाएँ, यह ज़रूरी है कि हम खुद बाइबल की सच्चाइयों को अच्छी तरह समझें। इसके लिए हमें खोजबीन करनी होगी और मिली जानकारी पर मनन करना होगा। इसमें मेहनत और लगन ज़रूर लगती है। मगर ऐसा करने से हमारा ज्ञान बढ़ता है, विश्वास मज़बूत होता है और हम आध्यात्मिक मायने में तरो-ताज़ा हो जाते हैं। (नीति. 2:3-5) इसलिए जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो उनके साथ-साथ हम खुद को मज़बूत कर रहे होते हैं।—1 तीमु. 4:15, 16.
4 ‘परमेश्वर से मिले सारे हथियारों’ की मदद से हम इब्लीस और उसकी दुष्टात्माओं का डटकर मुकाबला कर पाते हैं। इन हथियारों में से एक ज़रूरी हथियार है, प्रचार में पूरे जोश के साथ हिस्सा लेना। (इफि. 6:10-13, 15) अगर हम पवित्र सेवा में लगे रहेंगे, तो हमारा पूरा ध्यान हौसला बढ़ानेवाली बातों पर होगा और हम शैतान की दुनिया के बहकावे में नहीं आएँगे। (कुलु. 3:2) जब हम दूसरों को यहोवा के मार्गों के बारे में सिखाते हैं, तो हम बार-बार खुद को याद दिला रहे होते हैं कि हमें भी पवित्र चालचलन बनाए रखना है।—1 पत. 2:12.
5 परमेश्वर से ताकत पाना: आखिर में, एक और ज़रूरी बात यह है कि प्रचार करने से हम यहोवा पर भरोसा रखना सीखते हैं। (2 कुरि. 4:1, 7) यह वाकई एक अच्छी बात है! क्योंकि ऐसा भरोसा बढ़ाने से हम न सिर्फ अपनी सेवा पूरी कर पाते हैं, बल्कि हमें ज़िंदगी के हर हालात का सामना करने की ताकत भी मिलती है। (फिलि. 4:11-13) जी हाँ, धीरज धरने के लिए सबसे ज़रूरी है कि हम यहोवा पर पूरा भरोसा रखना सीखें। (भज. 55:22) वाकई प्रचार करना, कई तरीकों से हमें धीरज धरने में मदद देता है।