पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जुला.-सितं.
“आप बेशक इस बात से सहमत होंगे कि आज की दुनिया में बच्चों की परवरिश करना, एक चुनौती हो गया है। आपको क्या लगता है, इस मामले में अगर हम अपने सिरजनहार की सलाह मानें, तो क्या हम अपने बच्चों की अच्छी परवरिश कर पाएँगे? [अगर घर-मालिक ‘हाँ’ कहता है, तो उससे इजाज़त लेकर नीतिवचन 22:6 पढ़िए। फिर पेज 13 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में काफी कारगर सुझाव दिए गए हैं और मुझे यकीन है कि ये आपको बहुत अच्छे लगेंगे।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“बच्चों की परवरिश करना किसी चुनौती से कम नहीं, खासकर उस वक्त जब वे जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते हैं और कई बदलावों से गुज़रते हैं। आप क्या सोचते हैं, ऐसे में माता-पिता भरोसेमंद सलाह कहाँ से पा सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए। अगर घर-मालिक बातचीत जारी रखने में दिलचस्पी दिखाता है, तो उससे पूछिए कि क्या आप उसे एक आयत पढ़कर सुना सकते हैं। अगर वह ‘हाँ’ कहता है, तो यशायाह 48:17, 18 पढ़िए।] इस पत्रिका में ताज़ातरीन जानकारी दी गयी है, जिसकी मदद से माँ-बाप अपने बच्चों की परवरिश करते वक्त समझ और बुद्धि से काम ले पाएँगे।”
प्रहरीदुर्ग अक्टू.-दिसं.
“आपका क्या ख्याल है, क्या हम इंसानों के लिए सिरजनहार के साथ करीबी रिश्ता जोड़ना मुमकिन है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर पूछिए कि क्या आप उसे एक आयत पढ़कर सुना सकते हैं। अगर वह ‘हाँ’ कहता है, तो प्रेरितों 17:27 पढ़िए। इसके बाद पेज 32 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में बताया गया है कि हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि परमेश्वर चाहता है कि हम उसके करीब आएँ।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“कइयों का मानना है कि बढ़ते तापमान की वजह से धरती पर जीवन खतरे में है। क्या आपने कभी सोचा है कि इस समस्या का हल क्या है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर घर-मालिक से एक आयत पढ़कर सुनाने की इजाज़त माँगिए। अगर वह हामी भरता है, तो यशायाह 11:9 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि क्यों इसमें कोई शक नहीं कि इस धरती पर हमेशा इंसानों का बसेरा होगा।”